What are the reasons for cesarean delivery?
Doctors, Pathologist, दवा विक्रेताओं आदि के लूट तंत्र के बारे में तो आप सब अच्छी तरह से जानते ही होंगे। अक्सर हम लोग डॉक्टर्स को ही इलाज के लिए ज्यादा पैसे ऐंठ लेने का जिम्मेदार ठहराते हैं। अस्पतालों द्वारा भारी भरकम बिल दिए जाने की शिकायतें आये दिन सुनने को मिलती रहती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे आसपास और भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपने कमीशन के चक्कर में भोले भाले बीमार और लाचार मरीजों को अपने जाल में फंसाकर उनकी मजबूरी का भरपूर फायदा उठाते हैं।
एक बड़े शहर में अपना खुद का Nursing Home चलाने वाली एक स्त्री रोग विशेषज्ञ (Gynecologist) Doctor ने Uttar Pradesh में आशा वर्कर, मिडवाइफ और आंगनवाड़ी वर्कर्स की लूट खसोट और कमीशनखोरी का कच्चा चिट्ठा खोलते हुए जो कुछ बताया उसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।
उस स्त्री रोग विशेषज्ञ Doctor ने बताया कि हर गांव में वहाँ की आशा वर्कर और आंगनवाड़ी वर्कर्स को अपने गांव की सभी गर्भवती महिलाओं का डाटा रखना होता है। इस प्रकार उनके पास सबका रिकॉर्ड मौजूद होता है। उसके बाद शुरू होता है अपने जाल में फंसाने का खेल। वह आशा वर्कर उस गर्भवती महिला (Pregnant Lady) के परिवार वालों का ब्रेनवाश करती है और अपने Commission के लालच में उसी Hospital में ले जाने की सलाह देती है जिस Nursing Home से उसे कम से कम 7-8 हजार रुपये कमीशन मिले।
इतना ही नहीं यदि किसी गांव का प्रधान अपनी बोलेरो आदि से किसी घायल व्यक्ति को लेकर Hospital जाता है तो घायल व्यक्ति भले स्ट्रेचर पर तड़प रहा हो लेकिन उसके इलाज से पहले वह प्रधान अपने Commission के लालच में हॉस्पिटल वालों के आगे पीछे घूमता रहता है।
ऐसे में अब जाहिर सी बात है कि Doctor जितना भी Commission देंगे वो सब कमीशन मरीज (Patient) के बिल में ही तो जोड़ेंगे। फिर मरीज के इलाज का बिल बढ़ना तो स्वाभाविक है।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में आजकल ज्यादातर cesarean delivery (शल्य प्रसव) होने का कारण मिडवाइफ, आंगनवाड़ी, आशा वर्कर के कमीशन की वजह ही है। क्योंकि जाहिर सी बात है कि नॉर्मल डिलीवरी (Normal Delivery) होने पर उस महिला के परिवार वाले इतने रुपए नहीं देंगे कि Doctor आशा वर्कर का कमीशन भी दे सके। इसलिए मजबूरी में डॉक्टरों को महिला का पेट फाड़ना होता है ताकि इलाज का बिल बढ़ा सकें।
बता दें कि इसका सबसे दुखद पहलू यह है यदि कोई डॉक्टर (Doctor) इन्हें कमीशन न दे तो ऐसी स्थिति में वही कहावत साबित होती हैं कि ‘नदी में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं किया जाता’ क्योंकि ऐसी स्थिति में ये लोग तमाम गांवों में दूर-दूर तक ऐसे डॉक्टरों को बदनाम कर देती हैं जो इन्हें कमीशन नहीं देता और फिर उस Doctor का Hospital ही उस क्षेत्र में नहीं चलने पाता।
और इससे भी दुखद बात यह है कि एक डॉक्टर तो करोड़ों रुपए इन्वेस्ट करके हॉस्पिटल खोलता है, 8-10 साल पढ़ाई करता है तब जाकर प्रैक्टिस करना शुरू करता है, लेकिन एक 8 पास आशा वर्कर बिना कुछ किए ही बड़ी आसानी से 7-8 हजार रुपये कमीशन लेकर चली जाती है। और इस सबका खामियाजा भुगतना पड़ता है बेचारे मरीज को, जिसका बेवजह आपरेशन करके उसके इलाज का खर्च कई गुना बढ़ा दिया जाता है और साथ ही उसे अनावश्यक रूप से शारीरिक पीड़ा भी झेलनी पड़ती है।
अक्सर देखने में आता है कि सिजेरियन (cesarean delivery) की वजह से महिलाओं में खून की कमी तथा शारीरिक कमजोरी हो जाती है जिसके कारण उन्हें आजीवन स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां उठानी पड़ती हैं। इतना ही नहीं बहुत सी महिलाएं बेवजह किये गए सिजेरियन आपरेशन के कारण ही असमय अपनी जान भी गंवा देती हैं। और ये सब होता है सिर्फ कमीशन के चक्कर में।
तो अपने आसपास फैले इन कमीशनखोरों से सावधान और सतर्क रहें और अपना स्वास्थ्य और पैसा दोनों बचाएं।
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