hindi – SanjayRajput.com https://sanjayrajput.com सच की ताकत Mon, 14 Sep 2020 11:14:00 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 https://sanjayrajput.com/wp-content/uploads/2024/07/cropped-91-98392-81815-20231027_230113.jpg hindi – SanjayRajput.com https://sanjayrajput.com 32 32 235187837 क्या हम ‘हिंदी’ में बात कर सकते हैं? Can we talk in Hindi? https://sanjayrajput.com/2020/09/%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a4%ae-%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%b0-%e0%a4%b8%e0%a4%95.html https://sanjayrajput.com/2020/09/%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a4%ae-%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%b0-%e0%a4%b8%e0%a4%95.html#respond Mon, 14 Sep 2020 11:14:00 +0000 https://sanjayrajput.com/2020/09/14/%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a4%ae-%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%b0-%e0%a4%b8%e0%a4%95/ Read more

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आज हिंदी दिवस है तो आज के दिन हिंदुस्तान में हिंदी की दुर्दशा और अंग्रेजी के चलन पर चर्चा कर ही लेते हैं। वैसे तो आप सब हिंदी की पतली हालत से बखूबी परिचित हैं। फिर भी आइए आज इस विषय पर थोड़ा बात कर ली जाये। 
जैसा कि आजकल देखा जा रहा है कि हिंदी में लिखने, बोलने वालों को अब अपने समाज में कम पढ़ा लिखा, देहाती, गंवार आदि समझा जाने लगा है। कहीं भी पब्लिक प्लेस पर एक वाक्य इंग्लिश में बोलिये तुरन्त impression जम जाएगा, लोग तुरन्त आपको वजनदार व्यक्ति समझने लगेंगे। वहीं हिंदी में घण्टों बोलते रहिये कौनो नहीं पूछेगा। क्योंकि ‘घर की हिंदी साग बराबर’


अक्सर मेरे पास कम्पनियों की टेलीमार्केटिंग वाली कॉल आती रहती है, आप सब के पास भी आती होंगी। ऐसी कॉल आनें पर उधर से फर्राटेदार इंग्लिश में किसी महिला या पुरुष की जबरदस्त बाउंस करती अंग्रेजी सुनने को मिलती है। हालांकि कोशिश करूँ तो मैं भी उनसे अंग्रेजी में बात कर सकता हूँ लेकिन मुझे अपनी मातृभाषा हिंदी में बात करना ज्यादा कम्फ़र्टेबल फील होता है इसलिए जब भी कभी अंग्रेजी में कॉल आती है तो मैं तुरंत एक रटा हुआ जवाब देता हूँ- ‘Can we talk in hindi’ बस फिर क्या है इसके बाद तुरन्त उधर वाला या वाली हिंदी mode में आ जाता है। तो आज से आप भी आजमाइए ‘Can we talk in hindi’

अपने को वैसे तो ऊपर वाले कि दया से ठीक ठाक अंग्रेजी लिखने पढ़ने और बोलने की जानकारी है, क्योंकि बचपन से ही एक बात दिमाग में बैठा दी गयी थी कि इंग्लिश कमजोर हुई तो जिंदगी में कुछ नहीं कर पाओगे। अब ये इतना बड़ा डर था कि मजबूरन अंग्रेजी पर अलग से मेहनत करनी पड़ी और जैसे तैसे अपुन भी काम भर की टूटी फूटी अंग्रेजी लिख-पढ़ और बोल ही लेते हैं। क्योंकि अपने यहाँ पढ़ाई का एक ही उद्देश्य बच्चों को बचपन से दिया जाता है और वो है अच्छी नौकरी। अब अच्छी नौकरी पाने के लिए यदि शीर्षासन ही क्यों न करना पड़े, जरूर करेंगे। 
जब बचपन से ही हमें अंग्रेजी को जीवन में सफलता पाने का सबसे बड़ा माध्यम बनाकर पेश किया जाएगा तो आप सोच सकते हैं कि हम अपनी मातृभाषा हिंदी को क्या महत्व दें पाएंगे?
मुझे लगता है कि मातृभाषा हिंदी की दुर्दशा की सबसे बड़ी वजह यही है। क्योंकि हिंदी को अपने देश में रोजगारपरक भाषा नहीं माना जाता है। और जो भाषा नौकरी न दिलाये उसे भला कौन महत्व देगा? 


ये भी सच है कि अंग्रेजी के महत्व को आज के समय में क़त्तई नकारा नहीं जा सकता। क्योंकि ये एक इंटरनेशनल लैंग्वेज है और हम विश्व के किसी भी कोने में जाएँ यदि हम अंग्रेजी जानते हैं तो हमें कम्युनिकेशन में समस्या नहीं होगी।

हमारी मातृभाषा हिंदी, अंग्रेजी के मुकाबले तो कहीं नहीं टिकती क्योंकि हिंदी का दायरा अंग्रेजी जितना बड़ा नहीं है। हिंदी तो पूरे भारत देश में ही नहीं बोली समझी जाती है। दक्षिण भारत के लोग तो हिंदी में वैसे ही हैं जैसे दूसरे देश के लोग। 


अंग्रेजी बोलना, लिखना, पढ़ना जरूरी भले है लेकिन आज भी मुझे अपनी मातृभाषा हिंदी में बोलना लिखना बहुत पसंद है। अंग्रेजी में मुझे एक अजीब सी घुटन महसूस होती है। हिंदी में जो अपनापन, जो मिठास है वो अंग्रेजी में मुझे कभी नहीं महसूस हुई। इसलिए मैंने जब blogging शुरू की तो हिंदी को ही चुना, जबकि मुझे बताया गया कि हिंदी ब्लॉगिंग से पैसे नहीं कमा सकते। यदि पैसे कमाना है तो अंग्रेजी में ही लिखो। लेकिन मैंने पैसे को छोड़ अपनी मातृभाषा को ही चुना। क्योंकि मैं जो अपने पाठकों से कहना चाहता हूं, जो लिखना चाहता हूं वो मुझे नहीं लगता कि मैं कभी अंग्रेजी में लिख पाऊंगा। क्योंकि मुझे अपनी बातें अपने पाठकों तक आसानी से पहुंचाने के लिए हिंदी से सहज और दमदार भाषा और कोई नहीं लगती।
हिंदी में अपने विचारों को अभिव्यक्त कर पाने पर मुझे गर्व है।
तो हिंदी दिवस के इस शुभ अवसर पर आप भी आजमाइए- ‘Can we talk in hindi’ और अपनी मातृभाषा को सम्मान दीजिए।
आप सबको हिंदी दिवस की शुभकामनाएं!!
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