Technology – SanjayRajput.com https://sanjayrajput.com सच की ताकत Thu, 04 Sep 2025 07:33:38 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 https://sanjayrajput.com/wp-content/uploads/2024/07/cropped-91-98392-81815-20231027_230113.jpg Technology – SanjayRajput.com https://sanjayrajput.com 32 32 235187837 Amazon Project Kuiper Satellite Internet India Launch: अमेजन भारत में ला रहा है ये जबरदस्त इंटरनेट सर्विस https://sanjayrajput.com/2025/09/amazon-project-kuiper-satellite-internet-india-launch.html https://sanjayrajput.com/2025/09/amazon-project-kuiper-satellite-internet-india-launch.html#respond Thu, 04 Sep 2025 07:30:35 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1205 Read more

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Amazon Project Kuiper Satellite Internet India Launch: सैटेलाइट इंटरनेट की दुनिया में अबतक हमने सिर्फ एलन मस्‍क की इंटरनेट कंपनी स्‍टारलिंक (Starlink) का नाम सुना है या कहें ज्‍यादा सुना है। स्‍टारलिंक, भारत में भी अपनी सेवाएं शुरू करना चाहती है और उसने जियो व एयरटेल के साथ पार्टनरशिप की है। कई और कंपनियां जैसे- वनवेब भी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस दुनिया तक पहुंचा रही हैं। अब इस क्षेत्र में एमेजॉन ने एंट्री कर ली है। एमेजॉन बरसों से अपने प्रोजेक्‍ट कुइपर (Project kuiper) को पूरा करने का ख्‍वाब देख रही थी। वह एक-दो नहीं, बल्कि 3 हजार से ज्‍यादा सैटेलाइट्स को पृथ्‍वी की निचली कक्षा में पहुंचाएगी। इसकी शुरुआत 28 अप्रैल 2025 को हो गई थी, जब कंपनी ने 27 सैटेलाइट इंटरनेट का पहला बैच अंतरिक्ष में पहुंचाया।

भारत तेजी से डिजिटल इंडिया के विजन की ओर बढ़ रहा है। गांव-गांव इंटरनेट पहुंचाने की सरकारी कोशिशों के बीच अब निजी कंपनियां भी इस दिशा में बड़ी भूमिका निभा रही हैं। इसी क्रम में अमेजन (Amazon) ने अपने महत्वाकांक्षी सैटेलाइट इंटरनेट प्रोजेक्ट “कुइपर (Project Kuiper)” को भारत में लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी है।

कंपनी का लक्ष्य है कि अगले कुछ वर्षों में भारत के हर कोने तक तेज़ और भरोसेमंद इंटरनेट पहुंचाया जाए। फिलहाल अनुमान लगाया जा रहा है कि अमेजन 2026 से भारत में अपनी सेवाएं शुरू कर सकती है।

एमेजॉन ने साल 2019 में प्रोजेक्‍ट कुइपर का ऐलान किया था। 28 अप्रैल 2025 को कंपनी ने इसकी शुरुआत की थी। 27 इंटरनेट टर्मिनल्‍स को लो-अर्थ ऑर्बिट में पहुंचा दिया। एमेजॉन का यह प्रोजेक्‍ट करीब 10 अरब डॉलर का है। कंपनी कुल 3236 सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में पहुंचाने का लक्ष्‍य रखती है। उसका सीधा मुकाबला स्‍टारल‍िंक से होगा।

प्रोजेक्ट कुइपर क्या है?

प्रोजेक्ट कुइपर (Project Kuiper) अमेजन का ग्लोबल सैटेलाइट इंटरनेट नेटवर्क है। इसके तहत कंपनी 3,000 से ज्यादा छोटे सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में स्थापित करने की योजना पर काम कर रही है।

इन सैटेलाइट्स के जरिए धरती के उन इलाकों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाना लक्ष्य है, जहां फाइबर ऑप्टिक केबल या टॉवर नेटवर्क संभव नहीं है। खासकर ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों के लिए यह सेवा किसी क्रांति से कम नहीं होगी।

भारत में लॉन्च क्यों अहम है?

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट बाजार है। यहां 85 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट यूज़र्स हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। फिर भी आज भी करोड़ों लोग ऐसे गांवों और कस्बों में रहते हैं, जहां मोबाइल डेटा या ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी बेहद कमजोर है।

ग्रामीण भारत में इंटरनेट गैप – करीब 30% आबादी अभी भी भरोसेमंद इंटरनेट से वंचित है।

डिजिटल इंडिया मिशन – सरकार चाहती है कि हर गांव तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचे।

युवा आबादी और डेटा डिमांड – भारत की युवा पीढ़ी ऑनलाइन एजुकेशन, गेमिंग और OTT प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से निर्भर हो रही है।

ऐसे माहौल में अमेजन का प्रोजेक्ट कुइपर भारत में डिजिटल क्रांति को और तेज कर सकता है।

अमेजन की चुनौतियां: क्यों हो रही है लॉन्चिंग में देरी?

हालांकि कंपनी भारतीय बाजार में उतरने के लिए उत्सुक है, लेकिन कुछ बाधाएं हैं जो इसकी लॉन्चिंग को फिलहाल धीमा कर रही हैं।

1. सैटेलाइट नेटवर्क की तैयारी
अमेजन का पूरा सैटेलाइट नेटवर्क अभी तैयार नहीं है। कंपनी को भारत जैसे बड़े देश के लिए पर्याप्त सैटेलाइट्स लॉन्च करने होंगे।

2. सरकारी लाइसेंस और सुरक्षा शर्तें
भारत सरकार ने सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं के लिए सख्त लाइसेंसिंग पॉलिसी बनाई है। साथ ही, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े प्रावधानों का पालन करना भी जरूरी है।

3. अनुमति और सहयोग
अमेजन फिलहाल सरकार के साथ बातचीत में है। जब तक सभी मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक सर्विस लॉन्च संभव नहीं है।

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट की प्रतिस्पर्धा

भारत का सैटेलाइट इंटरनेट बाजार पहले से ही दिलचस्प मुकाबले का गवाह बन चुका है।

स्टारलिंक (Starlink) – एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स का यह प्रोजेक्ट भारत में सबसे पहले चर्चा में आया था। यह दूरदराज़ इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराने का दावा करता है।

वनवेब (OneWeb) – भारती एंटरप्राइजेज के सहयोग से भारत में सक्रिय है। इसका नेटवर्क तेजी से विस्तार कर रहा है।

जियो सैटेलाइट (Jio Satellite) – रिलायंस जियो ने भी सैटेलाइट इंटरनेट बाजार में उतरने की घोषणा की है। रिलायंस की ताकत और नेटवर्क इसे बड़ा खिलाड़ी बना सकती है।

अमेजन का प्रोजेक्ट कुइपर इन कंपनियों से सीधे टक्कर लेगा। नतीजा यह होगा कि प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं और किफायती दाम मिल सकते हैं।

प्रोजेक्ट कुइपर से भारत को क्या फायदे होंगे?

अमेजन की इस सैटेलाइट इंटरनेट सेवा से भारत को कई लाभ हो सकते हैं:

1. ग्रामीण कनेक्टिविटी – जहां मोबाइल टॉवर और ब्रॉडबैंड पहुंचाना मुश्किल है, वहां भी इंटरनेट उपलब्ध होगा।

2. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं – ऑनलाइन एजुकेशन और टेलीमेडिसिन को नई दिशा मिलेगी।

3. डिजिटल बिजनेस और स्टार्टअप्स – छोटे कस्बों और गांवों में भी स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा।

4. रक्षा और सुरक्षा – सीमावर्ती इलाकों में तेज इंटरनेट से सुरक्षा व्यवस्थाएं मजबूत होंगी।

5. 5G और IoT सपोर्ट – आने वाले समय में 5G और स्मार्ट डिवाइसों के लिए सैटेलाइट इंटरनेट जरूरी होगा।

विशेषज्ञों की राय

टेलीकॉम एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में सैटेलाइट इंटरनेट अगले 5 सालों में बड़ा बाजार बन सकता है।

कीमत और सब्सक्रिप्शन मॉडल तय करेगा कि यह सेवा कितनी तेजी से अपनाई जाएगी।

सरकारी सहयोग मिलने पर भारत ग्रामीण कनेक्टिविटी में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो सकता है।

प्रतिस्पर्धा ग्राहकों को फायदा पहुंचाएगी क्योंकि सर्विस क्वालिटी और दाम दोनों बेहतर होंगे।

निष्कर्ष (Conclusion)

अमेजन का प्रोजेक्ट कुइपर भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी का नया अध्याय शुरू कर सकता है। हालांकि लॉन्चिंग की राह आसान नहीं है, लेकिन एक बार मंजूरी मिलते ही यह बाजार में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

स्टारलिंक, वनवेब और जियो सैटेलाइट पहले से मौजूद हैं, ऐसे में प्रतिस्पर्धा और भी दिलचस्प होगी। सबसे बड़ा फायदा उन करोड़ों भारतीयों को होगा, जो अब तक भरोसेमंद इंटरनेट से दूर हैं।

कुल मिलाकर, आने वाले समय में सैटेलाइट इंटरनेट भारत के डिजिटल भविष्य की रीढ़ साबित हो सकता है।

Frequently Asked Questions (FAQ)

Q1: अमेजन का प्रोजेक्ट कुइपर क्या है?
प्रोजेक्ट कुइपर अमेजन का सैटेलाइट इंटरनेट प्रोजेक्ट है, जिसके तहत हजारों छोटे सैटेलाइट्स से दुनिया भर के दूरस्थ इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाया जाएगा।

Q2: अमेजन भारत में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस कब शुरू करेगा?
अमेजन फिलहाल सरकार से लाइसेंसिंग और मंजूरी की प्रक्रिया में है। उम्मीद है कि कंपनी 2026 से भारत में सेवाएं शुरू कर सकती है।

Q3: भारत में अमेजन का मुख्य प्रतिस्पर्धी कौन होगा?
भारत में अमेजन का मुकाबला स्टारलिंक (Starlink), वनवेब (OneWeb) और जियो सैटेलाइट (Jio Satellite) से होगा।

Q4: प्रोजेक्ट कुइपर भारत के किन क्षेत्रों को फायदा पहुंचाएगा?
यह सेवा खासकर ग्रामीण और दूरदराज़ इलाकों में उपयोगी होगी, जहां पारंपरिक ब्रॉडबैंड या मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं है।

Q5: भारत में सैटेलाइट इंटरनेट क्यों जरूरी है?
क्योंकि अभी भी करोड़ों भारतीय भरोसेमंद इंटरनेट से वंचित हैं। सैटेलाइट इंटरनेट डिजिटल इंडिया मिशन, ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन और ग्रामीण विकास को तेज कर सकता है।

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अमेजन प्रोजेक्ट कुइपर लॉन्च डेट इंडिया

अमेजन सैटेलाइट इंटरनेट भारत में कब आएगा

प्रोजेक्ट कुइपर बनाम स्टारलिंक इंडिया

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस 2026

अमेजन इंटरनेट सर्विस रेट्स इंडिया

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Gmail Storage Full Solution: मिनटों में खाली करें Gmail, Drive और Photos की जगह https://sanjayrajput.com/2025/09/gmail-storage-full-solution.html https://sanjayrajput.com/2025/09/gmail-storage-full-solution.html#respond Mon, 01 Sep 2025 15:21:57 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1202 Read more

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Gmail Storage Full Solution: क्या आपका Gmail बार-बार ‘Storage Full’ दिखा रहा है? घबराने की जरूरत नहीं है। Google की 15GB फ्री स्टोरेज Gmail, Google Drive और Google Photos में साझा होती है, इसलिए यह जल्दी भर सकती है। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि कैसे आप मिनटों में Gmail का स्टोरेज खाली कर सकते हैं। जीमेल स्टोरेज फुल हो जाने की समस्या बहुत आम है। अगर आपके गूगल अकाउंट का 15GB स्टोरेज भर चुका है, तो जीमेल में नए मेल आना बंद हो जाते हैं। नीचे इसके आसान समाधान (Solutions) दिए गए हैं.

Gmail Storage बार-बार Full क्यों दिखाता है?

  • बड़े अटैचमेंट वाले ईमेल – पुराने मेल में भारी फाइलें स्टोरेज खा जाती हैं।
  • Spam और Trash फोल्डर – डिलीट किए गए मेल वहीं पड़े रहते हैं और जगह घेरते हैं।
  • Google Drive और Photos – अनचाहे फाइल और फोटो भी Gmail स्पेस भर देते हैं।

Gmail Storage खाली करने के आसान तरीके

1. बड़े ईमेल डिलीट करें

Gmail सर्च बॉक्स में यह कमांड डालें:

has:attachment larger:10M

इससे आपको बड़े ईमेल मिलेंगे, जिन्हें हटाकर जगह बनाई जा सकती है।

2. Spam और Trash साफ करें

Spam फोल्डर → “Delete all spam messages”
Trash फोल्डर → “Empty Trash now”

3. Google Drive और Photos क्लीन करें

Drive और Photos से डुप्लीकेट व अनचाहे फाइल हटाएं। Trash भी खाली करें।

4. Hidden App Data हटाएं

Drive → Settings → Manage Apps → Hidden Data Remove करें।

अगर फिर भी Gmail Storage Full दिखे तो क्या करें?

  • Google One का Storage Manager इस्तेमाल करें।
  • one.google.com/storage पर देखें कौन-सी सर्विस कितनी जगह ले रही है।
  • जरूरत हो तो Google Storage Plan Upgrade करें।

भविष्य में Gmail Storage Full होने से कैसे बचें?

  • अनचाहे न्यूजलेटर और प्रमोशनल मेल से Unsubscribe करें।
  • Gmail में Filters लगाएं।
  • हर हफ्ते Spam और Trash फोल्डर खाली करें।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

Q1: Gmail में सबसे ज्यादा जगह क्या लेता है?

बड़े अटैचमेंट वाले ईमेल, Google Drive के बड़े फाइल और Photos का डेटा।

Q2: Gmail Storage को बार-बार Full होने से कैसे रोका जाए?

Spam/Trash नियमित खाली करें, न्यूजलेटर से अनसब्सक्राइब करें और Storage Manager का इस्तेमाल करें।

Q3: Gmail की Free Storage कितनी होती है?

Google सभी यूज़र्स को 15GB फ्री स्टोरेज देता है जो Gmail, Drive और Photos में साझा होती है।


निष्कर्ष: Gmail Storage Full की समस्या आम है, लेकिन थोड़ी सफाई से इसे मिनटों में हल किया जा सकता है। समय-समय पर Drive और Photos भी क्लीन करते रहें, ताकि आपकी Gmail सर्विस हमेशा तेज़ और स्मूद बनी रहे।

अगर आपका जीमेल बार-बार “स्टोरेज फुल” दिखा रहा है, तो समाधान आसान है। सबसे पहले बड़े अटैचमेंट वाले ईमेल और पुराने प्रमोशनल मेल डिलीट करें, फिर स्पैम और ट्रैश फोल्डर खाली कर दें। गूगल ड्राइव और गूगल फोटोज में रखी अनावश्यक फाइलें व वीडियो हटाकर भी जगह खाली की जा सकती है। जरूरत पड़ने पर गूगल वन स्टोरेज प्लान खरीदें या पुराने ईमेल्स का बैकअप लेकर उन्हें डिलीट कर दें। इन तरीकों से आप मिनटों में जीमेल स्टोरेज खाली कर सकते हैं और नए मेल आसानी से प्राप्त कर पाएंगे। छोटे-छोटे कदम उठाकर आप आसानी से जीमेल स्टोरेज खाली कर सकते हैं और नए मेल आने की समस्या से बच सकते हैं।

यदि यहां दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे दूसरों के साथ जरूर शेयर करें, ताकि यदि किसी का Gmail storage full हो गया हो तो उसे भी उसकी समस्या का समाधान मिल सके।

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Geothermal Cooling System for Home: इस उपाय से घर में 12 महीने आएगी ताजा हवा, नहीं होगी एसी की जरूरत https://sanjayrajput.com/2025/05/geothermal-cooling-system-for-home.html https://sanjayrajput.com/2025/05/geothermal-cooling-system-for-home.html#respond Thu, 22 May 2025 07:13:35 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1132 Read more

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Geothermal Cooling System for Home: हमारी धरती के लगभग दस फीट नीचे तापमान सम रहता है। वह ना तो गर्मी में 45 – 50℃ तक जाता व ना ही सर्दियों में 0 – 2 ℃ तक जाता। वह लगभग 20 – 22℃ ही रहता है। अगर हम मकान बनाने से पहले नींव खोदते समय अपने मकान के नीचे चित्र में दिखाये गये उपकरण को लगा लेंगे तो हमारे मकान में बारह महीने ताजा हवा आयेगी व हमारा घर प्राकृतिक रूप से वातानुकूलित हो जायेगा।

इसके विपरीत जब हम AC लगाते हैं तो हमें खिड़की व दरवाजे बंद करने पड़ते हैं जिससे हमारा शयन कक्ष एक कम ऑक्सीजन का चैंबर बन जाता है जो कि हमें अस्वस्थ करता है। बिजली का भी अनावश्यक दुरूपयोग होता है तथा पर्यावरण व स्वास्थ्य हानि के साथ साथ हमें बिजली के बिल के रूप में आर्थिक हानि भी होती है। इस यंत्र को लगाने व घर के हवा प्रवाह को सही कर लेने मात्र से हम बारह महीने शुद्ध हवा व नियमित तामपान का अपने घर में आनंद ले सकते हैं।

Geothermal Cooling System for Home: दरअसल इस टेक्नोलॉजी का नाम Geothermal Heating एंड Cooling सिस्टम है। इसके स्टार्टिंग एक्सपेरिमेंट भी काफी हद तक सक्सेसफुल रहे हैं, तो क्या है ये थर्मल हीटिंग एंड कूलिंग? आज इससे के बारे में डिटेल में जानेंगे कि किस तरीके से बड़े से बड़े घर या छोटे से-छोटे घर को हम थर्मल की मदद से ठंडा या फिर गर्म रख सकते हैं।

Geothermal Cooling System कैसे काम करता है?

Geothermal Cooling System for Home: संक्षेप में कहें तो, भूतापीय तापन आपके घर के नीचे या उसके पास पाइपों के भूमिगत लूप के माध्यम से तापमान-संचालन द्रव को स्थानांतरित करके काम करता है । यह द्रव को सूर्य से पृथ्वी में जमा तापीय ऊर्जा को इकट्ठा करने की अनुमति देता है। यह सबसे ठंडी सर्दियों में भी अच्छी तरह से काम करता है क्योंकि फ्रॉस्टलाइन के नीचे की धरती पूरे साल 55 डिग्री फ़ारेनहाइट पर स्थिर रहती है। गर्मी को पंप में वापस प्रसारित किया जाता है और फिर आपके डक्ट वर्क का उपयोग करके आपके पूरे घर में समान रूप से वितरित किया जाता है। 

अनिवार्य रूप से, ऊष्मा स्थानांतरण प्रक्रिया विपरीत तरीके से काम करती है। यहाँ संक्षिप्त विवरण दिया गया है: जैसे ही आपके घर में हवा प्रसारित होती है, आपका हीट पंप हवा से गर्मी निकालता है और इसे उस तरल पदार्थ में स्थानांतरित करता है जो जमीन पर प्रसारित होता है। चूंकि जमीन कम तापमान (55F) पर होती है, इसलिए तरल पदार्थ से गर्मी जमीन पर फैल जाती है। आपके घर में ठंडी हवा का आना प्रसारित हवा से गर्मी निकालने, उस गर्मी को जमीन पर स्थानांतरित करने और ठंडी हवा को वापस आपके घर में वापस लाने की प्रक्रिया का परिणाम है। 

Geothermal Heating एंड Cooling सिस्टम का वर्किंग प्रोसेस

तो सबसे पहले बात करते हैं कि इस पूरे के पूरे Geothermal Heating एंड Cooling सिस्टम का वर्किंग प्रिंसिपल क्या है। जिसकी मदद से यह हमारे घरों को सर्दी में गर्म और गर्मी में ठंडा रखता है। सबको पता है कि जब हम ठंड के समय में बोरवेल का पानी निकाल कर नहाते हैं तो वह पानी हल्का सा गर्म होता है और इसी तरीके से गर्मी के टाइम होता है तो बोरवेल का पानी ठंडा मिलता है तो ये AC भी इसी प्रिंसिपल के बेसिस पर डिजाइन हुआ है। अगर हम जमीन में कुछ मीटर नीचे चले जाते हैं तो सर्दी के टाइम पर हमें टेंपरेचर गर्म मिल जाता है और गर्मियों के टाइम पर उल्टा हो जाता है।

व्यापक स्तर पर, यह न केवल आपके घर की वायु गुणवत्ता पर लागू होता है, बल्कि सामान्य रूप से हमारे वातावरण पर भी लागू होता है। भूतापीय HVAC में अपग्रेड करना सबसे प्रभावशाली चीजों में से एक है जो आप एक स्वस्थ वातावरण का समर्थन करने के लिए कर सकते हैं। अकेले अमेरिका में एयर कंडीशनर हर साल वायुमंडल में 100 मिलियन टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं । 

भारत में भी Geothermal Cooling System for Home टेस्टिंग जारी और जल्द ही देश में आपको ये देखने को मिल सकता है। अधिक जानकारी के लिए आप Google पर जाकर Geothermal Cooling System for Home सर्च कर सकते हैं।

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Smartphone यूजर्स सावधान: सरकारी एजेंसी ने दी वॉर्निंग, फोन में तुरंत कर लें ये काम https://sanjayrajput.com/2024/11/smartphone-users-beware-government-agency-gave-warning-do-these-things-immediately-on-your-phone.html https://sanjayrajput.com/2024/11/smartphone-users-beware-government-agency-gave-warning-do-these-things-immediately-on-your-phone.html#respond Wed, 06 Nov 2024 05:12:32 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=836 Read more

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इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पोंस टीम (CERT-In) की तरफ से एक जरूरी वॉर्निंग जारी की है. यह वॉर्निंग Android Smartphone यूजर्स के लिए है.

CERT-In भारत सरकार की एक साइबर सिक्टोरिटी एजेंसी है, जो मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रोनिक्स एंड इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी के तहत काम करती है.

CERT-In के मुताबिक, एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर के कुछ खास वर्जन में वल्नरबिलिटी को पाया है, जो एक प्रकार की कमजोरी होती है. इसकी मदद से साइबर अटैकर्स आपको निशाना बना सकते हैं.

CERT-In ने अपनी एडवाइजरी में कहा कि Android में कई वल्नरबिलिटी को पाया गया है. इसकी मदद से साइबर अटैकर्स भोले-भाले लोगों को निशाना बना सकते हैं. इसके बाद वे मोबाइल सिस्टम से जरूरी डेटा चोरी कर सकते हैं. ये वल्नरबिलिटी एंड्रॉयड में देखी गई है.

Android Smartphone यूजर्स को क्या करना चाहिए ?

एजेंसी ने अपनी एडवाइजरी में बताया है कि Android यूजर्स को सलाह दी जाती है कि वे मोबाइल मैन्यूफैक्चरर द्वारा शेयर किए गए अपडेट के साथ हैंडसेट को अपडेट जरूर कर लें. ऐसा करके आप अपने डिवाइस को किसी भी तरह की हैकिंग से बचा सकते हैं.

Smartphone अपडेट करते समय याद रखें ये बात

स्मार्टफोन को अपडेट करने के लिए अपने मोबाइल की सेटिंग्स में जाएं. वहां सॉफ्टवेयर अपडेट के ऑप्शन पर जाएं. इसके बाद आप चेक कर सकते हैं कि आपके डिवाइस के लिए कोई अपडेट आया है क्या? अगर कोई अपडेट है, तो उसके साथ अपने हैंडसेट को अपडेट कर लें. अपडेट करने से पहले हमेशा मोबाइल की बैटरी 50 परसेंट से ज्यादा चार्ज होनी चाहिए. इस दौरान अपने हैंडसेट को Wifi से कनेक्ट रखते हैं, तो ज्यादा बेहतर होगा.

C-Dac ने एम-कवच 2 विकसित किया है, जो एक व्यापक मोबाइल डिवाइस सुरक्षा समाधान है जो एंड्रॉइड-आधारित मोबाइल उपकरणों से संबंधित उभरते खतरों को संबोधित करता है। मुख्य जोर उपयोगकर्ताओं को सुरक्षा गलत कॉन्फ़िगरेशन के खिलाफ सलाह देने, छिपे/प्रतिबंधित ऐप्स का पता लगाने और उपयोगकर्ता के मोबाइल डिवाइस पर इंस्टॉल किए गए संभावित दुर्भावनापूर्ण ऐप्स के लिए डिवाइस को स्कैन करने पर है।

मुख्य विशेषताएं

Threat Analyzer

थ्रेट एनालाइज़र मशीन लर्निंग आधारित दृष्टिकोण का उपयोग करके एंड्रॉइड डिवाइस पर मैलवेयर का पता लगाने का एक प्रयास है।

Security Advisor

यह सुविधा उपयोगकर्ताओं को डिवाइस की समग्र सुरक्षा स्थिति प्रदान करती है। यह उपयोगकर्ता के उपकरणों के विभिन्न महत्वपूर्ण मापदंडों जैसे डिवाइस रूट स्थिति, वाई-फाई कनेक्टिविटी, यूएसबी डिबगिंग स्थिति, हॉटस्पॉट स्थिति आदि की स्थिति की जांच करता है।

छिपे/प्रतिबंधित ऐप्स का पता लगाना (Detection of Hidden/Banned Apps)

यह सुविधा उपयोगकर्ता के डिवाइस पर ऐसे किसी भी एप्लिकेशन के अस्तित्व की पहचान करती है और डिवाइस पर उत्पन्न होने वाले किसी भी संभावित खतरे की पहचान करने के लिए इन एप्लिकेशन का विश्लेषण करती है।

ऐप नवीनतम अद्यतन आँकड़े (App Latest Update Statistics)

यह सुविधा आपको उन ऐप्स के बारे में सूचित करती है जो लंबी अवधि के लिए अपडेट नहीं किए गए हैं, ऐसे ऐप्स जो आपके द्वारा लंबी अवधि के लिए उपयोग नहीं किए जा रहे हैं और जिन ऐप्स के डेटा और सक्रिय समय उपयोग में अचानक वृद्धि हुई है।

एडवेयर स्कैनर (Adware Scanner)

यह सुविधा डिवाइस पर इंस्टॉल किए गए सभी एप्लिकेशन को स्कैन करती है और उपयोगकर्ता को डिवाइस पर इंस्टॉल किए गए Adware के बारे में सूचित करती है।

सरकार द्वारा प्रदान किया गया यह M-Kavach 2 ऐप आप नीचे दिए गए लिंक से डाउनलोड करके अपने एंड्रॉयड फोन में इंस्टॉल कर सकते हैं और अपने Smartphone को सुरक्षित कर सकते हैं-

https://play.google.com/store/apps/details?id=org.cdac.updatemkavach

इन तरीकों को अपना के आप अपने एंड्रॉयड Smartphone को सुरक्षित रख सकते हैं और किसी भी साइबर फ्रॉड का शिकार होने से बच सकते हैं।

यदि आपका कोई सवाल है तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं. हमारे द्वारा यहां दी गई जानकारी आपको पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें.

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माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर में गड़बड़ी से आपका कम्प्यूटर भी खराब है, तो ऐसे करें ठीक… https://sanjayrajput.com/2024/07/blue-screen-of-death-solution.html https://sanjayrajput.com/2024/07/blue-screen-of-death-solution.html#respond Fri, 19 Jul 2024 13:57:54 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=519 Read more

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Microsoft के सर्वर में बड़ी दिक्कत (Microsoft Windows Outage) आई है. ये खबर अब तक आपके पास पहुंच चुकी होगी. पूरी दुनिया में Airline से लेकर Bank और कई जरूरी सर्विसेज बंद पड़ी हैं. Airport पर हाथ से लिखे Boarding Pass दिए जा रहे हैं. कहीं Stock Market ठप्प पड़ा है और कहीं सरकार ने आपात मीटिंग बुलाई है.

दिक्कतों की लिस्ट बहुत लंबी है. हो सकता है आपका Windows Laptop भी मरकर नीला पड़ चुका हो. ऐसे में सवाल उठना तो लाजमी है. आखिर हुआ क्या है और इस Problem का Solution क्या है?

आइए इस समस्या का Solution हम बताते हैैं.

BSOD (Blue Screen Of Death)

इसका मतलब है Windows सिस्टम की Screen का नीला पड़ जाना. क्योंकि इसके बाद सिस्टम Recovery Mode दिखाने लगता है और सिस्टम बंद करने पर भी कुछ नहीं होता, इसलिए इसको ‘मौत की नीली स्क्रीन’ कहते हैं.

BSOD
                               BSOD

अगर आपकी Screen भी नीली हो गई है तो पहले तो कुछ मत कीजिए. मुमकिन है अपने आप ठीक हो जाए. नहीं तो नीचे बताए गए स्टेप्स Follow करके देख लीजिए-

  • अपने PC/Laptop को Safe Mode या Windows Recovery मोड में Open कीजिए. 
  • अपने PC/Laptop का Power Button प्रेस कीजिए और फिर Restart के समय F8 Key को बार-बार दबाते रहिए. 
  • इसके बाद Screen पर Safe Mode का Option आएगा. 
  • इसके बाद C Drive में Windows\System32\drivers के अंदर CrowdStrike directory दिखेगी.
  • यहां एक C-00000291*.sys नाम की File होगी. 
  • इसको डिलीट (Delete) मार दीजिए. 
  • अब अपने PC या Laptop को Normal तरीके से रीस्टार्ट (Restart) कीजिए.  

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इस अमेरिकी कंपनी में भौंकने की आजादी नहीं https://sanjayrajput.com/2024/04/%e0%a4%87%e0%a4%b8-%e0%a4%85%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a4%82%e0%a4%aa%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ad%e0%a5%8c%e0%a4%82%e0%a4%95.html https://sanjayrajput.com/2024/04/%e0%a4%87%e0%a4%b8-%e0%a4%85%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a4%82%e0%a4%aa%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ad%e0%a5%8c%e0%a4%82%e0%a4%95.html#respond Mon, 22 Apr 2024 17:37:00 +0000 https://sanjayrajput.com/2024/04/22/%e0%a4%87%e0%a4%b8-%e0%a4%85%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a4%82%e0%a4%aa%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ad%e0%a5%8c%e0%a4%82%e0%a4%95/ Read more

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पिछले दिनों Google के 28 कर्मचारी Google सीईओ के दफ्तर पहुंचे और कहा कि Google इजराइल (Israel) के साथ अपने सभी कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दे वरना हम कॉन्ट्रैक्ट रद्द होने तक ऑफिस में ही धरना देंगे. 
ये 28 कर्मचारी भूल गए कि ये भारत नहीं है जहां भौंकने की पूरी आजादी है, ये USA है. Google ने तुरंत सभी 28 कर्मचारियों को न सिर्फ नौकरी से निकाल दिया बल्कि उनके ग्रेच्युटी आदि सभी लाभ भी जब्त कर लिए. 
उन पर सेवा अनुबंध तोड़ने और अनुशासनहीनता का आरोप लगाया गया और उनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज कराए गए. 
अब ये सभी 28 कर्मचारी माफी मांग रहे हैं कि उनसे गलती हुई है और उन्हें माफ कर दिया जाए.
Google ने इन 28 कर्मचारियों को लेकर अमेरिकी श्रम विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि हमने उन्हें जो H1B वीजा दिया था, उसे रद्द किया जा रहा है और उन्हें उनके देश भेज दिया जाए.
Google की नौकरी से बाहर निकाले गए गए ये कर्मचारी Google का इसलिए विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनका दावा है कि प्रोजेक्ट निंबस (Project Nimbus) में शामिल है. 
प्रोजेक्ट निंबस एक 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत का प्रोजेक्ट है, जो Israel सरकार के साथ किया है. इसमें Amazon भी शामिल है. 

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5G आने से क्या होंगे नए बदलाव, क्या हैं इसके खतरे? https://sanjayrajput.com/2022/10/5g-%e0%a4%86%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a5%8b%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a4%8f-%e0%a4%ac%e0%a4%a6%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b5.html https://sanjayrajput.com/2022/10/5g-%e0%a4%86%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a5%8b%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a4%8f-%e0%a4%ac%e0%a4%a6%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b5.html#respond Sun, 16 Oct 2022 12:39:00 +0000 https://sanjayrajput.com/2022/10/16/5g-%e0%a4%86%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a5%8b%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a4%8f-%e0%a4%ac%e0%a4%a6%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b5/ Read more

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दोस्तों क्या आप जानते हैं कि बहुत जल्द आपको ऐसी Internet स्पीड मिलने वाली है जिससे 3 घंटे की HD मूवी आप सिर्फ 1 सेकंड में Download कर पाएंगे? 
तो आइए आज जानते हैं Technology की दुनिया में एक नए बदलाव की शुरुआत करने वाली 5G टेक्नोलॉजी के बारे में विस्तार से।
अगर हम पिछले कुछ वर्षों को देखें तब हम ये जान सकेंगे की प्रति 10 वर्षों में Mobile Technology के field में एक Generation की बढ़ोतरी हो रही है, जैसे की-
1st Generation या 1G सन 1980s में, 2nd Generation या 2G सन 1990s में, 3rd Generation या 3G सन 2000 में, 4th Generation या 4G सन 2010s में और अब 2022 में 5th Generation या 5G की बारी है.
5G सेलुलर Technology में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी है. ये 4G नेटवर्क का अगला वर्जन है. 5G में यूजर्स को ज्यादा Speed, कम लेटेंसी और ज्यादा Flexibility देखने को मिलेगा. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं…
पहले के Cellular टेक्नोलॉजी Connectivity पर फोकस करते थे. 5G Cellular Technology इसमें एक कदम आगे बढ़ कर Cloud से क्लाइंट को connect करेगा. 5G एक नए प्रोसेस के जरिए वन सिंगल digital signal को डिफरेंट चैनल्स में रेगुलेट करेगा. इस प्रोसेस को OFDM कहा जाता है. OFDM ये सुनिश्चित करता है signal में कम से कम इंटरफेरेंस हो. 
5G नेटवर्क 4G के Spectrum को कवर नहीं करेगा. ये इसके लिए 5GNR या New Radio Air Interface का उपयोग करेगा. इसके अलावा ये ज्यादा bandwidth वाले technology जैसे mmWave और sub-6 GHz बैंड्स को यूज करेगा. 
5G किस तरह 4G नेटवर्क से अलग है?
(How 5G is different from 4G)
इंटरनेट स्पीड के हिसाब से बात करें तो 5G की स्पीड 4G से काफी ज्यादा होगी. 4G की पीक Speed 1 GBPS तक है. वहीं, 5G की पीक Speed की बात करें तो ये 20 GBPS तक है. इस स्पीड को पाने के लिए 5G सभी तरह के Spectrum को यूज करता है. 
इन Spectrum में लॉ बैंड, मिड बैंड और हाई बैंड तीनों ही शामिल हैं. इस वजह से ये सिर्फ हाई स्पीड कनेक्शन ही नहीं बल्कि ज्यादा कवरेज भी देता है. 5G को इस तरह बनाया गया है ये 4G नेटवर्क से 100 गुना ज्यादा ट्रैफिक देता है. 5G में लेटेंसी भी कम देखने को मिलेगा. इसमें लेटेंसी 1ms तक जा सकता है. 
Speed के अलावा भी 5G कई जगह काम आने वाला है. इससे Connectivity भी काफी बढ़िया होने वाली है. 5G टेक्नोलॉजी से ड्राइवरलेस कार, हेल्थकेयर, वर्चुअल रियल्टी, क्लाउड गेमिंग के लिए भी नए रास्ते खोलेगा. Qualcomm के अनुसार 5G अभी तक 13.1 ट्रिलियन डॉलर ग्लोबल इकोनॉमिक आउटपुट दे चुका है।
5G की सबसे बड़ी खूबी क्या है?
(Advantage of 5G Network)
5G यूजर 3 घंटों की HD मूवी 1 सेकंड से भी कम वक्त में Download कर सकेंगे जबकि अभी 4G में इस काम के लिए 10 मिनट लग जाते हैं। Video बफरिंग का टाइम भी लगभग खत्म हो जाएगा क्योंकि Data transfer बिजली की रफ्तार से होगा। 5G नेटवर्क डेटा को 1 मिलीसेकंड से भी कम समय में डिलिवर कर देंगे जबकि अभी 4G नेटवर्क इसमें 70 मिलीसेकंड लेते हैं।
क्या होंगे 5G के फायदे?
(Benefits of 5G Network)
5th जेनरेशन यानी 5G की Speed इतनी तेज होगी कि घटना होते ही उसकी सूचना पहुंच सकेगी. यानी लगभग Real Time में Communication हो सकेगा. माना जा रहा है कि इस तकनीक से गीगाबिट्स प्रति सेकंड या जीबीपीएस की तेजी से डाटा ट्रांसफर हो सकेगा. ये स्पीड बहुत ज्यादा है, जो काम को काफी आसान कर देगी. साथ ही आने वाले समय में इससे घरेलू और दफ्तर की सारी मशीनें एक-दूसरे से कन्क्टेड होंगी ताकि उन्हें ऑपरेट करने में लगा समय कम हो सके।
5G Deployment का क्या Status है?
5G की मुख्य development विश्व के इन चार देशों में सबसे ज्यादा है वो हैं United States, Japan, South Korea और China. यहाँ पर Wireless network operators ज्यादा ध्यान 5G buildouts को बनाने में दे रहे हैं. माना जा रहा है की Network operators 2030 तक लगभग करोड़ों billions dollars 5G के संदर्भ में खर्च करने वाले हैं.
भारत में कब मिलेगी 5G की सुविधा?
भारत देश में 5G Network की औपचारिक रूप से शुरुआत हो गई है. विगत 1 अक्टूबर को PM Modi ने प्रगति मैदान दिल्ली से देश में 5G सेवाओं को लॉन्च कर दिया है, जिसके बाद पहले फेज में देश के 13 शहरों में यह सेवा शुरू होने जा रही है। 
बता दें कि टेलीकॉम कंपनी Bharti Airtel और टेक्नोलॉजी कंपनी Ericsson ने सबसे पहले 15 जून 2021 को गुरुग्राम के साइबर हब में कंपनी के 5G Network का पहला Trial किया था. खबरों के मुताबिक, उस वक्त 5G Network पर 1 GBPS थ्रूपुट Data Transfer की Speed देखी गई थी.
क्या हैं 5G के खतरे? 
(What are side effects of 5G)
इसके टावर आवासीय जगहों या दफ्तरों के आसपास लगेंगे, जैसा कि अब भी होता है. ऐसे में ये भी कहा जा रहा है कि इतनी स्पीड से काम करने वाले नेटवर्क की रेडिएशन पास रहने वाले लोगों समेत पर्यावरण पर गंभीर खतरा ला सकती है. कई डरे हुए हैं कि इससे इंसानों के DNA पर असर होगा और कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. मस्तिष्क से जुड़ी घातक बीमारियों की भी खूब बात हो रही है.
क्या 5G से शरीर और ब्रेन का तापमान बढ़ सकता है?
5-जी तकनीक के खतरों पर साल 2017 में पहली बार वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने कहा था कि इससे Tissue Heating यानी ऊतकों के गर्म होने का खतरा हो सकता है. Healthline वेबसाइट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक ऊतक तब गर्म होते हैं, जब हमारी त्वचा किसी तरह की Electromagnetic ऊर्जा को सोख लेती है. इससे शरीर और यहां तक कि मस्तिष्क का भी तापमान बढ़ जाता है।
5G के बारे में क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
फेडरल कम्युनिकेशन्स कमीशन (FCC) ने भी Tissue Heating जैसी बात से इनकार नहीं किया. हालांकि उसने ये भी कहा कि ये Electromagnetic ऊर्जा इतनी कम होगी कि ये त्वचा को भेद ही नहीं सकेगी. ऐसे में समस्या की बात नहीं आती है. इसके अलावा 5G के बारे में ये भी कहा जा रहा है कि इससे पर्यावरण समेत पशुओं को भी खतरा हो सकता है.
कई तरह की स्टडी में निकलकर आया कि इसकी Waves से चूहों और मेंढ़कों के Nervous System पर असर होता है. लेकिन ये भी सच है कि ये स्टडी काफी छोटे पैमाने पर हुई थीं और अब नए सिरे से ये देखा जा रहा है कि Electromagnetic तरंगों का इन पर क्या असर होता है.
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क्या Google भी आपको गलत जानकारी दे सकता है? जानिए…. https://sanjayrajput.com/2022/08/%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-google-%e0%a4%ad%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%97%e0%a4%b2%e0%a4%a4-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%80.html https://sanjayrajput.com/2022/08/%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-google-%e0%a4%ad%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%97%e0%a4%b2%e0%a4%a4-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%80.html#respond Mon, 29 Aug 2022 17:02:00 +0000 https://sanjayrajput.com/2022/08/29/%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-google-%e0%a4%ad%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%97%e0%a4%b2%e0%a4%a4-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%80/ Read more

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दोस्तों, आप सब ने ये तो जरूर सुना होगा कि अमुक व्यक्ति ने Google से Bank Customer Care Number search करके फोन किया जिसके बाद Scammers ने उसके खाते से सारे रुपए ही उड़ा दिए। 
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ऐसा भी अक्सर सुनने में आता है की किसी ने Google पर Search करके कोई Medicine इस्तेमाल कर ली और उसकी जान पर बन आई। 
ऐसे सैकड़ों उदाहरण मौजूद हैं जहां Google से Search करके उस पर आंख मूंदकर अमल करना लोगों को महंगा पड़ा है। 
आजकल हर कोई अपनी जरूरत के अनुसार Internet का यूज़ कर रहा है। यहां तक कि criminals भी crime करने की नई नई techniques Internet से ही सीख रहे हैं।
आजकल नई Recipe की जानकारी से लेकर बम बनाने की Technique तक Internet पर मौजूद है। अब ये आपके ऊपर है की आप Internet का इस्तेमाल किस रूप में करते हैं।
जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही इंटरनेट के भी दो रूप हैं, एक अच्छा और एक बुरा। अब ये आप पर Depend करता है की आप इसे किस रूप में लेते हैं।
याद रखिए एक तरफ जहां Internet ज्ञान का अथाह सागर है तो वहीं दूसरी ओर गुमराह होने, ठगे जाने और बर्बादी की वजह भी बन सकता है। यही नहीं इसके गलत इस्तेमाल से जेल जाने की भी नौबत आ सकती है।
ये तो हो गई जानकारी Internet के इस्तेमाल के बारे में। आइए अब आपको इस Article के असली Topic की ओर लेकर चलते हैं और वो Topic है कि Google Search पर कोई भी Fake इंफॉर्मेशन कैसे Trend करती है जिसे हम सब सही मान लेते हैं। ऐसी कौन सी Technique यूज़ की जाती है जिससे Fake जानकारी भी Google search में Top पर दिखने लगती है।
दोस्तों, आजकल हम सब Google पर इतना अधिक Depend हो गए हैं की छोटी से छोटी बातों के लिए भी Google search का सहारा लेने लगे हैं। यहां तक तो फिर भी ठीक है लेकिन Google search से मिली जानकारी को बिना जांचे परखे आंख मूंदकर सही मान लेना और उसे अमल में लेना ही असली खतरे का कारण बन सकता है।
अक्सर हम सब Google से मिली हर जानकारी को सच मानने की भूल कर देते हैं जो की गलत है। Google पर मौजूद हर जानकारी 100% सच हो ये ज़रूरी नहीं है।
दरअसल Google सिर्फ एक Search Engine है, उसका अपना कोई Database नहीं है, वो Internet पर मौजूद तमाम Websites से आपके Search किए गए Keywords के हिसाब से जानकारी उपलब्ध कराता है।  
अपनी Website के content को Google में Rank कराने या Google search में Add करने के लिए जो technique यूज़ की जाती है उसे Search Engine Optimization या SEO कहते हैं।
Search Engine Optimization या SEO का यूज करके कोई भी व्यक्ति अपनी Website के किसी भी Article या Content को बड़ी आसानी से Google search में Top पर Rank करा सकता है।
इसी SEO Technique को यूज़ करके Scammers तमाम फर्जी Bank customer care number या Naukari की फर्जी Websites आदि को Google search में Top पर Rank करा देते हैं और भोले भाले अनजान लोग जब Google पर इस तरह की किसी भी Information के लिए search करते हैं तो इनके जाल में आसानी से फंस जाते हैं।
इसलिए दोस्तों, Google पर कुछ भी search करें तो उस पर आंख मूंदकर विश्वास न करें बल्कि उसकी विश्वसनीयता को प्रमाणित जरूर कर लें। 
याद रखें, Google पर मौजूद हर जानकारी सच ही होगी इसकी कोई भी गारंटी नहीं होती। हां Wikipedia जैसे कुछ Sources ऐसे हैं जिन पर आप Trust कर सकते हैं।
दोस्तों, यह Article आपको कैसा लगा Comment करके जरूर बताएं और यदि पसंद आया हो तो इसे Share जरूर करें।
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