Yogi Adityanath – SanjayRajput.com https://sanjayrajput.com सच की ताकत Thu, 05 Jun 2025 06:16:35 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.2 https://sanjayrajput.com/wp-content/uploads/2024/07/cropped-91-98392-81815-20231027_230113.jpg Yogi Adityanath – SanjayRajput.com https://sanjayrajput.com 32 32 235187837 Yogi Adityanath History in Hindi: गैंगस्टर्स के गढ़ गोरखपुर में कैसे उभरे योगी आदित्यनाथ? https://sanjayrajput.com/2025/05/yogi-adityanath-history-in-hindi.html https://sanjayrajput.com/2025/05/yogi-adityanath-history-in-hindi.html#respond Fri, 23 May 2025 05:57:16 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1139 Read more

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हाता और शक्ति सदन की लड़ाई में कैसे हुई योगी आदित्यनाथ की एंट्री?

Yogi Adityanath History in Hindi: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक ऐसा नाम है जिसने न केवल अपनी छवि बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीतिक दिशा को भी बदला है—योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)। उनकी कहानी केवल एक राजनेता की नहीं, बल्कि एक ऐसे क्षेत्र की भी है जो कभी गैंगस्टर्स और अपराधियों के गढ़ के रूप में जाना जाता था। इस लेख में हम देखेंगे कि कैसे गोरखपुर के उस माहौल से निकलकर योगी आदित्यनाथ ने खुद को स्थापित किया और राजनीति की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई।

योगी आदित्यनाथ: असली नाम और शुरुआत

योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का असली नाम है अजय सिंह बिष्ट, जो उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में जन्मे थे। उन्होंने धार्मिक शिक्षा ग्रहण की और महंत अवैद्यनाथ के सान्निध्य में रहकर गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर से जुड़ गए। महंत अवैद्यनाथ के मार्गदर्शन में योगी ने न केवल धार्मिक गतिविधियों में बल्कि सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी सक्रिय भूमिका निभाई।

गोरखपुर, जो कभी अपराधियों और गैंगस्टरों का गढ़ था, वहां योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने धार्मिक और सामाजिक सुधारों के साथ-साथ राजनीतिक सक्रियता भी दिखाई। उनके नेतृत्व में यह क्षेत्र धीरे-धीरे बदलने लगा।

गोरखपुर की राजनीतिक पृष्ठभूमि और अपराध की समस्या

गोरखपुर (Gorakhpur) का राजनीतिक इतिहास काफी जटिल रहा है। 1990 के दशक में यहां के हालात ऐसे थे कि अपराध और हिंसा आम बात थी। राजनीतिक दलों के बीच सत्ता संघर्ष और आपसी लड़ाइयों ने इस क्षेत्र को अस्थिर कर दिया था।

इस दौरान राम जन्मभूमि आंदोलन ने पूरे उत्तर भारत में राजनीतिक माहौल को गहरा प्रभावित किया। राम जन्मभूमि के मुद्दे ने हिंदू राष्ट्रवाद को बल दिया और उसी समय महंत अवैद्यनाथ जैसे धार्मिक नेताओं की भूमिका भी बढ़ी।

योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने इस संदर्भ में खुद को एक मजबूत हिंदू राष्ट्रवादी नेता के रूप में स्थापित किया। उन्होंने न केवल धार्मिक जनसमूह को संगठित किया, बल्कि राजनीतिक मोर्चे पर भी अपनी पकड़ मजबूत की।

महंत अवैद्यनाथ और योगी आदित्यनाथ का संबंध

महंत अवैद्यनाथ, गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महंत और एक प्रभावशाली धार्मिक नेता थे, जिन्होंने योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के राजनीतिक करियर की नींव रखी। अवैद्यनाथ ने योगी को अपना उत्तराधिकारी बनाया और उन्हें गोरखपुर से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया।

महंत अवैद्यनाथ स्वयं भी राजनीति में सक्रिय रहे और उनके प्रभाव ने योगी के राजनीतिक सफर को गति दी। योगी ने महंत जी के नक्शेकदम पर चलते हुए गोरखपुर (Gorakhpur) की राजनीति को नई दिशा दी।

उत्तर प्रदेश की राजनीतिक राजनीति: 1990 का दशक

1990 के दशक में उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई अहम घटनाएं हुईं, जिनका योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के उभार पर गहरा प्रभाव पड़ा। उस समय के राष्ट्रपति शासन, मंडल आयोग की सिफारिशें, और तत्कालीन प्रधानमंत्रियों जैसे अटल बिहारी वाजपेयी, चंद्रशेखर, राजीव गांधी के दौर ने प्रदेश की राजनीति को जटिल बना दिया।

राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की हत्या के बाद राजनीतिक स्थिरता में कमी आई, जिससे उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की राजनीति और भी अस्थिर हो गई। इसी बीच योगी आदित्यनाथ ने धार्मिक और सामाजिक आधार पर अपना जनाधार मजबूत किया।

राम जन्मभूमि आंदोलन और योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक उदय

राम जन्मभूमि आंदोलन ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को पूरी तरह से बदल कर रख दिया। इस आंदोलन ने धार्मिक भावनाओं को राजनीतिक ताकत में बदल दिया। योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और इसे अपनी राजनीतिक पहचान का आधार बनाया।

उन्होंने राम मंदिर के मुद्दे को राजनीतिक मंच पर उठाया और हिंदू राष्ट्रवाद की विचारधारा को मजबूती से अपनाया। इस कारण वे उत्तर प्रदेश में बीजेपी के मजबूत चेहरों में से एक बने।

गोरखपुर से मुख्यमंत्री तक: योगी आदित्यनाथ का सफर

गोरखपुर से सांसद बनने के बाद योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने लगातार अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत की। उनके नेतृत्व में गोरखपुर का विकास हुआ, साथ ही सामाजिक सुधारों पर भी जोर दिया गया। वे लगातार 5 बार गोरखपुर सीट से सांसद चुने गए।

2017 में, योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश में कानून-व्यवस्था, विकास और धार्मिकता के मुद्दे प्रमुख रहे।

कानून-व्यवस्था में सुधार

उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति सुधारने के लिए योगी सरकार ने कई कदम उठाए। गैंगस्टर और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई, जिससे प्रदेश में अपराध दर में कमी आई।

धार्मिक और सामाजिक सुधार

धार्मिक स्थलों के विकास और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ योगी ने सामाजिक सुधारों पर भी ध्यान दिया। उन्होंने सामाजिक समरसता और विकास के लिए कई योजनाएं शुरू कीं।

राजनीतिक क़िस्से: गलतफहमियां और सुधार

राजनीतिक इतिहास में अक्सर गलतफहमियां और भ्रांतियां होती हैं। ऐसे मामलों में सत्य की खोज और सुधार आवश्यक होता है। यह दिखाता है कि राजनीति में तथ्यों की जांच और सही जानकारी का महत्व कितना बड़ा है। योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के राजनीतिक सफर में भी कई बार गलतफहमियां और आलोचनाएं आईं, लेकिन उन्होंने अपने कार्यों से अपनी छवि मजबूत की।

निष्कर्ष: योगी आदित्यनाथ और गोरखपुर की नई पहचान

गोरखपुर, जो कभी अपराध और अस्थिरता का केंद्र था, आज योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व में एक नए युग में प्रवेश कर चुका है। उनकी धार्मिक जड़ों और राजनीतिक कुशलता ने इस क्षेत्र को न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी बदल दिया है।

योगी का सफर यह दिखाता है कि कैसे एक क्षेत्र की जटिल राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं को समझकर, सही नेतृत्व और दृढ़ इच्छाशक्ति से बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। उनकी कहानी न केवल गोरखपुर के लिए प्रेरणा है, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश और भारत के लिए भी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक अध्याय है।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की भूमिका आज भी चर्चा का विषय बनी हुई है, और उनकी कहानी राजनीतिक क़िस्सों में एक प्रेरणादायक मिसाल के रूप में याद रखी जाएगी।

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यूपी में अब नहीं पास कराना होगा नक्शा, इस मानक का करना होगा पालन https://sanjayrajput.com/2025/05/up-no-need-for-map-approval-to-build-houses-in-up-new-rules-house-maping.html https://sanjayrajput.com/2025/05/up-no-need-for-map-approval-to-build-houses-in-up-new-rules-house-maping.html#respond Tue, 06 May 2025 06:46:48 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1119 Read more

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मैप पासिंग का झंझट खत्म, योगी सरकार ने दी आम जनता को बड़ी राहत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के लोगों को बड़ा तोहफा दिया है. सरकार ने राज्य के नागरिकों को बड़ी राहत देते हुए भवन निर्माण से जुड़े नियमों में ऐतिहासिक बदलाव किया है. घर का नक्शा पास करने में जो शोषण होता है और उसके बाद में जिस तरह धन उगाही होती है, उसको रोकने के लिए बड़ा निर्णय लिया गया है. 1000 वर्गफीट तक के प्लॉट पर मकान बनाने के लिए नक्शा पास कराने की आवश्यकता नहीं होगी. इसके साथ ही भ्रष्टाचार और धन उगाही पर भी अंकुश लगाने की दिशा में यह बड़ा कदम माना जा रहा है. CM के द्वारा स्वीकृत नए भवन निर्माण एवं विकास उपविधि 2025 के तहत कई जटिल प्रक्रियाएं आसान कर दी गई हैं. आवास विभाग के प्रमुख सचिव पी. गुरु प्रसाद के अनुसार अब 5000 वर्गफीट तक के निर्माण के लिए आर्किटेक्ट का प्रमाण पत्र ही पर्याप्त होगा.

छोटे प्लॉट पर भी बन सकेंगे अपार्टमेंट

पहले जहां अपार्टमेंट निर्माण के लिए 2000 वर्गमीटर का प्लॉट आवश्यक होता था अब 1000 वर्गमीटर में भी इसकी अनुमति मिल सकेगी. अस्पताल और कमर्शियल बिल्डिंग के लिए 3000 वर्गमीटर का क्षेत्र पर्याप्त होगा.

प्रोफेशनल्स के लिए राहत

नए बायलॉज के अनुसार मकान के 25% हिस्से में नर्सरी क्रैच होम स्टे या प्रोफेशनल्स जैसे डॉक्टर, वकील, आर्किटेक्ट और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अपने कार्यालय चला सकेंगे इसके लिए नक्शे में अलग से जिक्र जरूरी नहीं होगा.

NOC की तय समय सीमा

अब नक्शा पास कराने के लिए विभिन्न विभागों को 7 से 15 दिन के भीतर अनापत्ति प्रमाण पत्र NOC देना होगा तय समय में जवाब नहीं मिलने पर वह NOC स्वतः मान्य हो जाएगा.

कॉमर्शियल गतिविधियों को भी मिली मंजूरी

24 मीटर या उससे अधिक चौड़ी सड़कों पर रिहायशी इलाकों में दुकान और दफ्तर खोलने की अनुमति दी गई है वहीं इससे कम चौड़ी सड़कों पर डॉक्टर वकील जैसे प्रोफेशनल्स अपने कार्यालय संचालित कर सकेंगे.

ऊंची इमारतों के लिए खुली छूट

45 मीटर चौड़ी सड़कों पर अब जितनी ऊंची चाहें उतनी ऊंची इमारतें बनाई जा सकेंगी। फ्लोर एरिया रेशियो FAR को भी 3 गुना तक बढ़ाया गया है जिससे शहरों में ऊंचे भवन निर्माण को बढ़ावा मिलेगा. यह निर्णय न केवल आम जनता को राहत देगा बल्कि शहरी विकास में पारदर्शिता और गति भी सुनिश्चित करेगा.

पहले क्या थी व्यवस्था

पहले प्राधिकरण और आवास विकास क्षेत्र में प्रत्येक भूखंड पर भवन बनाने के लिए नक्शा पास करना जरूरी होता था. अब सौ स्क्वायर मीटर तक तो नक्शा पास नहीं करना होगा. जबकि 500 स्क्वायर मीटर में अब नक्शा पास करने की आवश्यकता नहीं होगी, केवल आर्किटेक्ट से नक्शा बनवाकर अनुमोदित करना होगा.

अब रिहायशी इलाकों में हो सकेगी कॉमर्शियल एक्टीविटी

जहां तक मकान में दुकान और कॉमर्शियल एक्टिविटी की बात है तो विकास प्राधिकरण क्षेत्र के रेजिडेंशियल लैंडयूज में किसी तरह का व्यावसायिक निर्माण मान्य नहीं था. अब 24 मीटर से अधिक चौड़ी सड़क पर कॉमर्शियल निर्माण रिहायशी में भी किया जा सकेगा. इसके अलावा इससे कम चौड़ी सड़क पर जो भी प्रोफेशनल लोग हैं, जैसे वकील, डॉक्टर, आर्किटेक्ट वे अपने कार्यालय और क्लीनिक खोल सकेंगे.

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अगर उनकी सरकार को खरोंच भी आई तो नुकसान जिले तक होगा: सीएम योगी https://sanjayrajput.com/2024/07/cm-yogi-latest-speech.html https://sanjayrajput.com/2024/07/cm-yogi-latest-speech.html#respond Mon, 15 Jul 2024 18:21:00 +0000 Read more

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नमस्कार दोस्तों। आज हम उत्तर प्रदेश में सोमवार को हुई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रदेश कार्यसमिति बैठक के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे। इस बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ महत्वपूर्ण बातें कही, जो पार्टी के भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।
भय, भ्रम और भीतरघात
योगी आदित्यनाथ ने अपनी बात की शुरुआत तीन महत्वपूर्ण शब्दों से की: भय, भ्रम और भीतरघात। इन शब्दों का महत्व और इनका राजनीतिक संदर्भ क्या है, यह जानना आवश्यक है।
भय का मतलब है डर, भ्रम का मतलब है गलतफहमी और भीतरघात का मतलब है अंदरूनी धोखा। ये तीनों शब्द राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इनका सही उपयोग करके किसी भी राजनीतिक स्थिति को समझा जा सकता है।
बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति बैठक
उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने हाल ही में अपनी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक आयोजित की। इस बैठक में पार्टी के प्रमुख नेता, कार्यकर्ता और पदाधिकारी शामिल हुए। जे पी नड्डा मुख्य अतिथि थे।
इस बैठक में योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर उनकी सरकार को खरोंच भी आई तो नुकसान जिले तक होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर दिल्ली दरबार उनकी सरकार के साथ किसी तरह का खिलवाड़ करता है तो उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
दिल्ली और लखनऊ के बीच की अदावत
दिल्ली और लखनऊ के बीच की अदावत भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। योगी आदित्यनाथ ने कार्यकर्ताओं से कहा कि आज से दो हज़ार सत्ताईस की तैयारी में जुट जाइए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आप आज से तैयारी में जुट जाएंगे तो परिणाम पक्ष में आएगा वरना नुकसान सबका होगा।
योगी आदित्यनाथ ने चुनाव हारने के पीछे की तमाम वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि अति आत्मविश्वास हमको ले डूबा और सरकार की उपलब्धियों का प्रचार प्रसार नहीं हुआ।
संगठन बनाम सरकार
योगी आदित्यनाथ ने हार की तीन मुख्य वजहें बताईं:
* अति आत्मविश्वास
* सरकार की उपलब्धियों का प्रचार प्रसार नहीं होना
* सोशल मीडिया पर आक्रामक न होना
इन वजहों से संगठन और सरकार के बीच की लकीर और बड़ी हो गई। योगी आदित्यनाथ ने साफ़ तौर पर कहा कि अगर उनकी सरकार के साथ किसी तरह का खिलवाड़ दिल्ली दरबार करता है तो उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा।
2027 की तैयारी
योगी आदित्यनाथ ने कार्यकर्ताओं से कहा कि आज से दो हज़ार सत्ताईस की तैयारी में जुट जाइए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आप आज से तैयारी में जुट जाएंगे तो परिणाम पक्ष में आएगा वरना नुकसान सबका होगा।
योगी आदित्यनाथ ने चुनाव हारने के पीछे की तमाम वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि अति आत्मविश्वास हमको ले डूबा और सरकार की उपलब्धियों का प्रचार प्रसार नहीं हुआ।
बीजेपी की चुनौतियाँ
बीजेपी के सामने दस विधानसभा सीटों का उपचुनाव है। यह एक बड़ी चुनौती है। योगी आदित्यनाथ खुद विधायकों से जिला पंचायत अध्यक्षों से मुलाकात कर रहे हैं। दस सीटों के चुनाव की तैयारी कर रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ ने बता दिया है कि दो हज़ार सत्ताईस की तैयारी अभी से करिए। उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि अगर उनकी सरकार के साथ किसी तरह का खिलवाड़ दिल्ली दरबार करता है तो उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा।
योगी आदित्यनाथ का संदेश
योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में साफ़ तौर पर कहा कि वह दो हज़ार सत्ताईस के लिए तैयार हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि आज से तैयारी में जुट जाइए।
योगी आदित्यनाथ ने हार की जो वजह बताई हैं उससे संगठन बनाम सरकार की जो लकीर थी वह और बड़ी हो गई।
अति आत्मविश्वास
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अति आत्मविश्वास हमको ले डूबा। उन्होंने कहा कि हम अति आत्मविश्वास में थे और यह हमारे लिए नुकसानदायक साबित हुआ।
उन्होंने कहा कि सरकार की उपलब्धियों का प्रचार प्रसार नहीं हुआ और सोशल मीडिया पर हम आक्रामक नहीं थे।
सोशल मीडिया की भूमिका
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सोशल मीडिया पर हम आक्रामक नहीं थे। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का सही उपयोग नहीं किया गया और यह भी हमारी हार की एक वजह थी।
उन्होंने कहा कि अगर सोशल मीडिया का सही उपयोग किया जाता तो परिणाम अलग हो सकते थे।
आगे की राह
योगी आदित्यनाथ ने कार्यकर्ताओं से कहा कि आज से दो हज़ार सत्ताईस की तैयारी में जुट जाइए। उन्होंने कहा कि अगर आप आज से तैयारी में जुट जाएंगे तो परिणाम पक्ष में आएगा वरना नुकसान सबका होगा।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अगर उनकी सरकार के साथ किसी तरह का खिलवाड़ दिल्ली दरबार करता है तो उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा।
निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति बैठक के बाद कई महत्वपूर्ण बातें सामने आईं। योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार के साथ किसी भी तरह के खिलवाड़ को लेकर दिल्ली दरबार को चेतावनी दी।
उन्होंने कार्यकर्ताओं से दो हज़ार सत्ताईस की तैयारी में जुट जाने का आह्वान किया।
आने वाले समय में देखना होगा कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में क्या बदलाव आते हैं और योगी आदित्यनाथ की सरकार कैसे आगे बढ़ती है।

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योगी आदित्यनाथ ने भाजपा क्यों छोड़ दी थी? https://sanjayrajput.com/2023/04/%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%a5-%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%9c%e0%a4%aa%e0%a4%be-%e0%a4%95.html https://sanjayrajput.com/2023/04/%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%a5-%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%9c%e0%a4%aa%e0%a4%be-%e0%a4%95.html#comments Mon, 24 Apr 2023 11:16:00 +0000 https://sanjayrajput.com/2023/04/24/%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%a5-%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%9c%e0%a4%aa%e0%a4%be-%e0%a4%95/ Read more

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अक्टूबर 2005 की बात है, तत्कालीन सरकार की शह पर यूपी का एक बड़ा माफिया मुख़्तार अंसारी खुली हंटर जीप में हथियार लहराते हुए मऊ में साम्प्रदायिक दंगे करवा रहा था, जिसमें न जाने कितने बेगुनाहों को मौत के घाट उतारा जा चुका था। 
तीन दिन बीत चुके थे दंगे को और उस वक़्त यूपी के मुख्यमंत्री थे पद्म भूषण स्व. मुलायम सिंह यादव। उन दिनों वो कई बार बोल भी चुके थे की यूपी में मुझसे बड़ा गुंडा कोई और नहीं है। सबको पता है की वो ये बात सिंर्फ़ योगी आदित्यनाथ के लिये बोलते थे।

मऊ दंगों का तीसरा दिन था और यूपी के तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव और प्रशासन कोई भी कार्यवाही न करते हुए मूक दर्शक बने बैठे थे।
तब मऊ से मात्र 100 किमी दूर गोरखपुर में बैठे योगी आदित्यनाथ को ये दंगा बर्दास्त नहीं हुआ और उन्होंने भाजपा के सारे बड़े नेताओं अटल बिहारी बाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और राजनाथ सिंह को सीधी चुनौती दे दी की अगर भाजपा के कार्यकर्ता दंगे रुकवाने मेरे साथ मऊ नहीं गये तो अंजाम बहुत बुरा होगा। दंगा तो मैं अपने दम पर भी रोकवा लूंगा पर ऐसे कत्लेआम को देखकर अगर भाजपा चुप रहेगी तो मुझसे बर्दास्त नहीं होगा और मैं भाजपा छोड़ दूंगा।
भाजपा के सभी दिग्गज नेताओं को योगी आदित्यनाथ की इस बात से पसीने छूटने लगे लेकिन भाजपा के ये सभी दिग्गज नेता मिलकर मऊ में हो रहे दंगों को जाकर रोकने की हिम्मत नही जुटा पा रहे थे।
कारण सिंर्फ़ एक था मुलायम सिंह यादव,
क्योंकि भाजपा के सारे नेताओ को पता था कि जब अयोध्या में देश भर से आए कार सेवकों पर जो मुलायम सिंह यादव गोली चलवा सकता है तो एक छोटे से शहर में दंगा रोकने जाना है, जहाँ दंगे करवाने वाला भी एक कुख्यात अपराधी है और जिसे राज्य सरकार का पूरी तरह संरक्षण प्राप्त है। भाजपा के नेताओं को लग रहा था की इन दोनों से बच पाना तो मुश्किल है और इस घटना में बहुत से भाजपा कार्यकर्ताओं के मारे जाने का डर था।

ऐसे में भाजपा के सारे वरिष्ठ नेताओं ने योगी आदित्यनाथ से धीरे से कन्नी काट ली, क्योंकि उनको लगा की ये योगी आदित्यनाथ बिना भाजपा कार्यकर्ताओं के अकेले मऊ जा ही नही सकते। वजह ये थी की मुख्तार अंसारी पिछले 2 साल से योगी आदित्यनाथ को मरवाना चाहता था और कई बार जानलेवा हमले भी करवा चुका था, इसलिए सबको लगा की योगी आदित्यनाथ अकेले तो मऊ जायेंगे नहीं।
पर उन्हें क्या पता था की योगी आदित्यनाथ भी कम जिद्दी नही थे, वे अपने गोरखनाथ मठ से सिंर्फ़ 3 गाड़ियों के साथ मऊ चल दिये। योगी आदित्यनाथ मऊ जा रहे हैं दंगा रुकवाने, यह खबर लोगों में फैलते ही गोरखपुर से मऊ के बीच के हजारों लोग योगी जी के साथ हो लिये, क्योंकि सबको पता था अगर योगी जी अकेले वहां गये तो ये मुख्तार अंसारी उन्हें जान से मरवा देगा।
मऊ की सीमा में प्रवेश करते करते योगी जी की गाड़ियों का काफिला 160 तक पहुंच गया और मऊ में घुसते ही जब सारी गाडियां आगे निकल रही थी, तभी उनके काफिले की अंतिम 8 गाड़ियों पर पेट्रोल बम फेंका गया जो सिंर्फ़ 2 गाड़ियों पर पड़ा। हमले के बाद जब काफिले के सारे लोग गाड़ी से उतरने लगे तो पेट्रोल बम फेंकने वालों को अपनी मौत का ख़ौफ़ नजर आने लगा और वे सभी जान बचाकर भाग खड़े हुए।
तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने पहले ही अधिकारियों को आदेश दे दिया था की अगर योगी आदित्यनाथ मऊ पहुंचे तो उन्हें तत्काल गिरफ्तार कर लिया जाए।

सीएम मुलायम सिंह यादव के आदेश पर प्रशासन योगी जी के काफ़िले की तरफ दौड़ पड़ा लेकिन इतना बड़ा काफिला देख प्रशासन के भी हाथ पांव फूलने लगे और किसी अधिकारी की हिम्मत ही नहीं हुई जो योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार कर सके।
उसी दिन मऊ का दंगा खत्म हो गया। लेकिन क्या आप दंगे खत्म होने की असली वजह जानते हैं? 
असली वजह यह थी की प्रशासनिक अधिकारियों ने जब तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव को ये बताया की अगर हम योगी आदित्यनाथ को अरेस्ट करते हैं तो उनके काफ़िले में शामिल हजारों की भीड़ बेकाबू होकर हमें जिंदा नहीं छोड़ेगी साथ ही मुख्तार अंसारी को भी मार देगी। पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था का खतरा पैदा होने की आशंका के चलते हो योगी जी को अरेस्ट नहीं किया गया।
इस तरह मऊ दंगा खत्म हुआ और योगी आदित्यनाथ ने भाजपा भी छोड़ दी, लेकिन पार्टी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं कर रही थी। अब भाजपा के नेताओं द्वारा योगी जी की मान मनौवल का दौर शुरू हुआ। 
योगी जी के पास राजनाथ सिंह का फोन आया “मैं गोरखपुर आ रहा हूँ, आकर आपसे बात करता हूं”
लेकिन योगी जी ने राजनाथ सिंह को साफ मना कर दिया।
इस बात से अटल बिहारी बाजपेई बड़े विचलित हुए की पूर्वांचल का एक ही तो कद्दावर नेता था भाजपा में, अगर वो भी भाजपा छोड़ देगा तो कैसे चलेगा। तब योगी जी को मनाने लालकृष्ण आडवाणी गोरखपुर पहुँचे। दो दिन लगातार मान मनौवल के बाद तब जाकर योगी जी माने।
अब जरा सोचिये, योगी आदित्यनाथ जब बिना सीएम या मंत्री रहे भी दंगाइयों और माफियाओं को घुटने टेकने पर मजबूर कर सकते हैं साथ ही पार्टी को भी ठोकर मार सकते हैं, तो सीएम की कुर्सी पर बैठने के बाद माफियाओं और दंगाइयों की क्या हालत करेंगे?
अब शायद आपको समझ में आ गया होगा की मुख्तार अंसारी यूपी वापस क्यों नहीं आना चाहता था? उसने एड़ी-चोटी का जोर लगा लिया कि उसे पंजाब की जेल में ही रहने दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे में उसने पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से पारिवारिक रिश्ता भी जाहिर किया था और स्वास्थ्य खराब होने के बहाने स्ट्रेचर और व्हील चेयर का सहारा भी लिया।
लेकिन यूपी की योगी सरकार ने भी अपराधियों के गुनाहों का पूरा हिसाब करने का मन बना लिया है। अपनी गुंडागर्दी और अपराध के दम पर दहशत फैलाने वाले गुंडों, माफियाओं की मुश्किलें अब बहुत बढ़ चुकी हैं, क्योंकि यूपी की जेल में रहते हुए किसी विशेष सुविधा की बात तो दूर, अब हर केस में पेशी और सजा का कार्यक्रम चल रहा है और बदकिस्मती से अगर कभी भागने का प्रयास किया तो…कुछ भी हो सकता है।
योगी जी से पहले यूपी में गुंडों-माफियाओं को पूजने और माननीय बनाने का दौर चला करता था लेकिन अब उनको उनकी औकात दिखाने और सही जगह पहुंचाने का दौर चल पड़ा है।
योगी जी के कुछ विरोधी कहते हैं की ये साधु-योगी क्या राजनीति करेंगे, लेकिन सच तो ये है की एक योगी ने राजनीति में अच्छों अच्छों की पतलून गीली कर दी है।
वाकई योगी यूपी के लिए बहुत उपयोगी हैं।
योगी राज जिंदाबाद!!

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योगी आदित्यनाथ और आज़म खान के बीच दुश्मनी की असली कहानी https://sanjayrajput.com/2022/05/%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%a5-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%86%e0%a4%9c%e0%a4%bc%e0%a4%ae-%e0%a4%96%e0%a4%be.html https://sanjayrajput.com/2022/05/%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%a5-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%86%e0%a4%9c%e0%a4%bc%e0%a4%ae-%e0%a4%96%e0%a4%be.html#respond Mon, 23 May 2022 17:38:00 +0000 https://sanjayrajput.com/2022/05/23/%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%a5-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%86%e0%a4%9c%e0%a4%bc%e0%a4%ae-%e0%a4%96%e0%a4%be/ Read more

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हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं जो आज भी शायद ये न जानते हों कि योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और आज़म खान (Azam Khan) के बीच दुश्मनी की असली वजह क्या है?
तो चलिए आज हम आपको इस अदावत के पीछे की असली कहानी बताते हैं।
वर्ष 1999- यूपी में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) मुख्यमंत्री थे लेकिन असल में सत्ता तो आजम खान ही चला रहे थे और पूरे उत्तरप्रदेश में अपना जिहादी एजेंडा लागू करने में लगे हुए थे। 
गोरखपुर के एक बड़े डॉक्टर और उनकी पत्नी भी आजम खान के इस जिहादी एजेंडे को आगे बढ़ाने में अपना पूरा सहयोग कर रहे थे। उन्ही दिनों महाराजगंज के पचरुखिया गांव में श्मशान घाट की जमीन पर आजम खां के लोगों ने कब्जा कर उसे कब्रिस्तान बना दिया था। तब योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के सांसद हुआ करते थे। खबर होने पर जब योगी आदित्यनाथ वहां गए तो उनके ऊपर गोलीबारी भी की गई और योगी आदित्यनाथ को फंसाने के लिए आजम खान के इशारे पर एक साजिश के तहत गोरखपुर की उसी डॉक्टर नेत्री के सरकारी सिक्योरिटी गार्ड जो एक पुलिस कांस्टेबल था उसे आजम खान के लोगों ने गोली मार दी और उसकी हत्या का इल्जाम योगी आदित्यनाथ के ऊपर डाल दिया।

अपनी साजिश से उस वक्त तो शायद आजम खान ने यही सोचा होगा कि वह योगी आदित्यनाथ को पूरी जिंदगी हत्या के केस में जेल में सड़ा देंगे। लेकिन हुआ ये कि योगी जी गिरफ्तार हुए और सिर्फ 19 दिन ही जेल में रहे। जब फॉरेंसिक रिपोर्ट आई तो पता चला की गोली तो एक देसी कट्टे से मारी गई थी, तब जाकर 19 दिनों बाद योगी आदित्यनाथ जेल से छूटे और इस प्रकार आज़म खान की साजिश नाकाम हुई।
इस घटना के बाद योगी आदित्यनाथ संसद में गए और घटना का जिक्र करते हुए संसद में उनके आंसू भी निकल पड़े थे। उन दिनों योगी जी के संसद में रोने का आजम खान ने खूब जी भरकर मजाक भी उड़ाया और तंज भरे शब्द भी कहे कि ‘योगी कभी रोते नहीं है’ जिसके जवाब में योगी आदित्यनाथ ने भी चैलेंज देते हुए कहा था ‘आजम खान तुम भी बहुत बड़े मौलवी बनते हो, तुम्हें रुलाकर दिखा दूंगा कि मौलवी कैसे रोते हैं।’


और नियति का खेल देखिए आज वो स्थिति है कि आजम खान बार-बार फूट-फूटकर रो रहे हैं। 
यही नहीं उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को भी कई-कई बार रोते देखा गया है। 
कहा जाता है कि वक्त किसी का सगा नहीं होता। वक्त बदला और वही आजम खान जो उत्तर प्रदेश के सुपर चीफ मिनिस्टर हुआ करते थे। जो डीएम, कलेक्टर को कुछ नहीं समझते थे और उनसे कहते थे कि ‘मैं तुमसे जूते साफ करवा लूंगा’ वो आज इस कदर मजबूर और लाचार हैं कि उन्हें देखकर लोगों को दया आती है।
सच तो ये है कि उन दिनों आज़म खान ने उत्तर प्रदेश के हिंदुओं को इतनी बुरी तरह से प्रताड़ित किया कि धीरे-धीरे हिंदू जागृत हुए और संगठित होने लगे और यही कारण बना समाजवादी पार्टी की हार और भाजपा की वापसी का।

वक्त बदला, सत्ता बदली और योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। लेकिन आजम खान शायद ये बात भूल गए  कि योगी जी बीजेपी के दूसरे नेताओं की तरह नहीं है कि ‘चलो भाई माफ करो भूल जाओ’। योगी जी मुख्यमंत्री बने और फिर आजम खां के कुकर्मों की फाइलें खुलती चली गई। जिसकी-जिसकी जमीन सत्ता के ज़ोर पर आज़म खान ने कब्जा किया था वह सभी किसान सामने आए। फिर केस दर्ज होते चले गए और एक के बाद एक 90 केस दर्ज हो गए। जिसका परिणाम ये निकला कि आजम खान को लगातार ढाई साल जेल में सड़ने पर मजबूर होना पड़ा।
मतलब 19 दिनों का बदला ढाई साल। इसे कहते हैं सूद समेत हिसाब बराबर करना। वैसे भी बुरे काम का अंजाम तो बुरा ही होता है। इसलिए आज़म का अंजाम तो बुरा होना ही था।
सच तो ये है कि आज़म खान आज भी जेल में ही सड़ रहे होते लेकिन कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से आज़म खान को 148 के तहत रिहा करवा दिया है। लेकिन कपिल सिब्बल शायद यह भूल गए हैं कि अभी भी कुछ फाइलें ऐसी हैं जिसमें सुप्रीम कोर्ट का 148 भी काम नहीं करेगा।
अभी देखते रहिए, कुछ दिनों बाद यही आजम खान एक बार फिर जेल में ही सड़ते नजर आएंगे, क्योंकि इनके कुकर्मों की लिस्ट अभी बहुत लम्बी है। 
आज़म खान का यह अंजाम उत्तर प्रदेश के उन सभी जिहादी मानसिकता वाले नेताओं के लिए एक चेतावनी है जो ये सोचते हैं कि वह उत्तर प्रदेश को गजवा-ए-हिन्द बना देंगे।
जितेंद्र प्रताप सिंह की फेसबुक वॉल से साभार

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Yogi Adityanath Story in Hindi: जानिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के जीवन से जुड़ी ये खास बातें https://sanjayrajput.com/2021/06/yogi-adityanath-story-in-hindi.html https://sanjayrajput.com/2021/06/yogi-adityanath-story-in-hindi.html#respond Sat, 05 Jun 2021 09:19:00 +0000 https://sanjayrajput.com/2021/06/05/%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%bf%e0%a4%8f-%e0%a4%af%e0%a5%82%e0%a4%aa%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a5%80%e0%a4%8f%e0%a4%ae-%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%a6/ Read more

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Yogi Adityanath Story in Hindi: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) 5 जून 2025 को 53 साल के हो गए हैं। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव में  5 जून 1972 को एक राजपूत परिवार में जन्मे अजय सिंह बिष्ट (Ajay Singh Bisht) गोरखपुर (Gorakhpur) पहुंचकर योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) बन गए। देश के सबसे बड़े सूबे की सत्ता के सिंहासन पर योगी विराजमान हैं। महज 26 साल की उम्र में संसद पहुंचने वाले योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) 45 साल की उम्र में यूपी के सीएम बने। आज उत्तरप्रदेश ही नहीं बल्कि देश की सियासत में उन्हें हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर जाना जाता है। उनके प्रशंसक उन्हें देश के भावी प्रधानमंत्री के तौर पर भी देखते हैं।

योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के गोरखनाथ (Gorakhnath) मठ के पीठाधीश्वर से देश के सबसे ताकतवर सीएम बनने के सफर की कहानी भी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है। तो आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी ये रोचक कहानी।

योगी आदित्यनाथ का जन्म (Yogi Adityanath Birth) yogi adityanath ka janm kab hua tha

योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का जन्म उत्तराखंड (Uttrakhand) के एक साधारण राजपूत परिवार में हुआ. इनके पिता का नाम (Yogi Adityanath ke pita ka nam) आनंद सिंह बिष्ट और माता का नाम (Yogi Adityanath ki mata kanam) सावित्री देवी है.

शिक्षा (Yogi Adityanath Education)

(Yogi Adityanath ki padhai)
योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने 1989 में ऋषिकेश के भरत मंदिर इंटर कॉलेज से 12वीं की परीक्षा पास की और 1992 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय (Hemwati Nandan Bahuguna Garhwal University) से गणित में B.Sc की पढ़ाई पूरी की। इसी कॉलेज से उन्होंने M.Sc भी किया।

कहा जाता है कि योगी आदित्यनाथ को शुरूआत से ही राजनीति में लगाव था। वह अपने कॉलेज के दिनों में छात्र संघ का चुनाव भी लड़े। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन ये कौन जानता था कि एक छोटे से छात्रसंघ का चुनाव हारने वाला युवा नेता, भारत के सबसे बड़े प्रदेश का मुख्यमंत्री बनेगा। छात्र जीवन में ही वो राममंदिर आंदोलन (Ram Mandir Andolan) से जुड़ गए थे।

अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ

(Ajay Singh Bisht se Yogi Adityanath)
90 के दशक में राममंदिर आंदोलन (Ram Mandir Andolan) के दौरान ही योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की मुलाकात गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Mandir) के महंत अवैद्यनाथ (Mahanth Awaidyanath) से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad) के एक कार्यक्रम में हुई। इसके कुछ दिनों बाद योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) अपने माता-पिता को बिना बताए गोरखपुर (Gorakhpur) जा पहुंचे, जहां संन्यास धारण करने का निश्चय लेते हुए गुरु दीक्षा ले ली। गोरखनाथ मठ के महंत अवैद्यनाथ भी उत्तराखंड के ही रहने वाले थे। महंत अवैद्यनाथ का शिष्य बनने के बाद योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने धर्म से लेकर शास्त्र की शिक्षा ली। योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की कई परीक्षाएं लेने के बाद महंत अवैद्यनाथ ने उत्तराधिकारी के लिए योगी आदित्यनाथ को चुना और अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इस तरह वे गोरखनाथ (Gorakhnath) मठ के महंत बनकर अजय सिंह बिष्ट (Ajay Singh Bisht) से योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) बन गए।

राजनैतिक जीवन की शुरुआत

(Political Career of Yogi Adityanath)
गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Mandir) के महंत की गद्दी का उत्तराधिकारी बनाने के चार साल बाद ही महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी बना दिया। गोरखपुर (Gorakhpur) से महंत अवैद्यनाथ चार बार सांसद रहे, उसी सीट से योगी 1998 में 26 वर्ष की उम्र में लोकसभा पहुंचे और फिर लगातार 2017 तक पांच बार सांसद रहे।
सियासत में कदम रखने के बाद योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की छवि एक कठोर हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर उभरी। सांसद रहते हुए गोरखपुर (Gorakhpur) जिले को अपने नियम अनुसार चलाने और त्वरित फैसलों से उन्होंने सबको चकित किया। इसी के चलते योगी (Yogi) के सियासी दुर्ग को न तो मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का समाजवाद (Samajwad) भेद पाया और न ही मायावती (Mayawati) की सोशल इंजीनियरिंग (Social Engineering) ही यहाँ काम आई। गोरखपुर (Gorakhpur) में हमेशा योगी का हिंदुत्व कार्ड ही हावी रहा। योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपने 19 साल के सियासी कैरियर में न केवल गोरखपुर बल्कि पूर्वांचल की कई अन्य सीटों पर भी अपना प्रभाव कायम किया।

हिंदू युवा वाहिनी का गठन (Hindu Yuva Vahini)

योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपनी निजी सेना हिंदू युवा वाहिनी (Hindu Yuva Vahini) का निर्माण किया जो धर्म रक्षा, गौ सेवा करने व हिंदू विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए बनाई गई थी। हिंदू युवा वाहिनी ने गोरखपुर में ऐसा माहौल तैयार किया, जिसके चलते आज तक उन्हें कोई चुनौती नहीं दे सका। एक तेजतर्रार राजनीतिज्ञ के रूप में अपनी छवि योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने बना ली थी।

यूपी का सीएम बनने तक का सफर (The Making of UP CM Yogi Adityanath)

योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की सबसे बड़ी खासियतों में एक है कि वह जनता से सीधा संवाद करने में विश्वास रखते हैं। 2017 में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला तो सीएम के लिए कई चेहरे दावेदार थे, लेकिन बाजी योगी के हाथ ही लगी।

कानून व्यवस्था पहली प्राथमिकता, अपराधियों में खौफ

योगी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने फैसलों से अपनी राजनीतिक इच्छा को जाहिर कर दिया। उनकी पहली प्राथमिकता थी यूपी को अपराध मुक्त कर लॉ एंड आर्डर सही करना। इसके लिए उन्होंने कुछ कड़े निर्णय भी लिए, हालांकि प्रदेश में हुए ताबड़तोड़ एनकाउंटरों के कारण विपक्ष ने उन पर उंगलियां भी उठाईं, लेकिन कानून-व्यवस्था पर सख्त योगी पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा।
सीएम बनते ही योगी ने अपराधियों पर ऐसा शिकंजा कसा कि यूपी के सभी अपराधी और माफिया त्राहि त्राहि करने लगे। हालात ऐसे हो गए कि पिछली सरकारों में राजनीतिक संरक्षण प्राप्त बड़े बड़े माफिया सरगना नेस्तनाबूद हो गए। ऐसा पहली बार हुआ जब माफियाओं और अपराधियों की चल अचल संपत्तियों को तहस नहस करके कानून की हनक का अहसास कराया गया। योगी के सीएम बनने के बाद अपराधियों में इतना खौफ पैदा हो गया था कि वह खुद थाने जाकर सरेंडर कर रहे थे।
राज्य के अपराधी खासतौर से मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद जैसे माफिया जो दूसरे राज्यों से अपना नेटवर्क चला रहे थे, उन्हें प्रदेश में वापस लाया गया और उनके साम्राज्य को मिट्टी में मिला दिया गया।        ।

कोरोना काल में किया उत्कृष्ट प्रदर्शन

2020 के कोरोना संकट काल में सीएम योगी सीधे तौर पर सक्रिय नजर आए, जिससे उनकी लोकप्रियता में और भी इजाफा हुआ। वे ऐसे पहले मुख्यमंत्री बने जिन्होंने कोरोना काल में लगातार अपनी जनता का हर तरह से ख्याल रखा। प्रवासी मजदूरों को दूसरे राज्यों से वापस लाने तथा उनके लिए आजीविका के संसाधन जुटाने में योगी ने जो उत्कृष्ट कार्य किया उसके लिए उनकी तारीफ पूरी दुनिया में हुई।

2021 में आई कोरोना की दूसरी लहर में भी योगी आदित्यनाथ ने जनसंख्या में अन्य राज्यों की तुलना में बहुत बड़े 24 करोड़ आबादी वाले प्रदेश को जिस तरह संभाला है वह काबिले तारीफ है। दूसरी लहर में कोरोना से हुई मौतों के मामले में दिल्ली जैसे कम जनसंख्या वाले राज्यों से तुलना करें तो उत्तरप्रदेश की स्थिति काफी हद तक बेहतर रही।

खुद कोरोना की चपेट में आ जाने के बावजूद रिकवर होते ही लगातार एक दिन में कई कई जिलों का दौरा करके हर जिले में बेड, ऑक्सीजन, दवा, इंजेक्शन आदि की उपलब्धता को सुनिश्चित करने का जो कार्य यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Aditynath) ने किया है वह उत्कृष्ट और सराहनीय है।

विश्व भर में हिन्दुत्व का सबसे बड़ा चेहरा

योगी आदित्यनाथ सिर्फ यूपी में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में हिन्दुत्व का सबसे बड़ा चेहरा बन चुके हैं। साथ ही देश की राजनीति में भी एक प्रमुख चेहरा बन चुके है। ये सच है कि 2017 का यूपी विधान सभा चुनाव बीजेपी ने मोदी के चेहरे पर जीता था, लेकिन आज की तारीख में बीजेपी योगी को अनदेखा करने के बारे में सोच भी नहीं सकती। योगी आदित्यनाथ का कद राजनीति में अब इतना बड़ा हो चुका है की भाजपा उन्हें किनारे लगाने के बारे में सोच भी नहीं सकती वरना देशभर से हिन्दुत्ववादी वोट भाजपा से एक झटके में दूर हो सकता है। नहीं भूलना चाहिए कि आदित्यनाथ भले ही कर्म से योगी हों, लेकिन जन्म से तो वह क्षत्रिय ही हैं और क्षत्रिय झुकने से अधिक टूट जाने में विश्वास करता है।
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