SanjayRajput.com https://sanjayrajput.com सच की ताकत Thu, 18 Sep 2025 05:36:02 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.2 https://sanjayrajput.com/wp-content/uploads/2024/07/cropped-91-98392-81815-20231027_230113.jpg SanjayRajput.com https://sanjayrajput.com 32 32 235187837 पत्रकारों के उत्पीड़न को लेकर जर्नलिस्ट काउंसिल ने भरी हुंकार https://sanjayrajput.com/2025/09/journalist-council-raises-voice-against-harassment-of-journalists.html https://sanjayrajput.com/2025/09/journalist-council-raises-voice-against-harassment-of-journalists.html#respond Thu, 18 Sep 2025 05:36:02 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1220 Read more

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पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमले और फर्जी मुकदमों को लेकर जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक वर्चुअल मीटिंग करके इस पर नाराजगी व्यक्त की और सरकार से मांग की कि पत्रकारों को कार्य करने हेतु सुरक्षित एवं भय मुक्त माहौल सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाए ताकि पत्रकार निर्भीक होकर अपने कार्य को कर सके और समाज की अच्छाइयों एवं बुराइयों को उपलब्धता के आधार पर व्यक्त कर सकें क्योंकि पत्रकार समाज का आईना होता है। इस अवसर पर जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के एक सैकड़ा से अधिक राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक पदाधिकारियों के साथ-साथ अन्य साथियों ने भी हिस्सा लिया और अपने विचार व्यक्त किया।

सर्वप्रथम सभा का आरंभ भी जर्नलिस्ट काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अनुराग सक्सेना के द्वारा पत्रकारों पर हो रहे फर्जी मुकदमो और उत्पीड़न को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए किया गया डॉक्टर सक्सेना ने कहा कि आज जब छोटे अखबार अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं तब सरकार को ई पेपर को मान्यता देना अति आवश्यक हो गया है।

अपनी प्रक्रिया देते हुए राष्ट्रीय पदाधिकारी राजू चारण ने कहा कि असंगठित पत्रकारों को संगठित होकर एक साथ आवाज उठानी पड़ेगी तभी उनकी समस्याओं का समाधान हो सकेगा और इसके लिए जर्नलिस्ट काउंसिल आफ इंडिया से बेहतर कोई मंच नहीं हो सकता।

राष्ट्रीय पदाधिकारी हरिशंकर परासर ने भी अपनी चिंता व्यक्त की। अपने विचार व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय पदाधिकारी झा जी ने भी कहां कि पत्रकारिता समाज का आईना है और इस आईने को साफ सुथरा ही रहने देना चाहिए।

बिहार राज्य के प्रभारी कुणाल भगत ने कहा कि अब तो पत्रकार का शोषण आम बात हो गई है परंतु जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ़ इंडिया इसको कतई बर्दाश्त नहीं करेगी और इसके लिए जिस भी प्रकार के संघर्ष की आवश्यकता होगी किया जाएगा।

इसी प्रकार से कई राज्यों के पदाधिकारी एवं राष्ट्रीय पदाधिकारीयों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा सर्वप्रथम वरीयता में रखते जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ़ इंडिया अपनी आवाज उठाती रही है और सदैव उठाती रहेगी।

सभा का समापन करते हुए संगठन के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर आर0 सी0 श्रीवास्तव ने पत्रकारों को एकजुट होकर संगठन को मजबूत करने और संगठन के बैनर तले संघर्ष करने का आह्वान किया उन्होंने कहा कि यदि हम संगठित हो जाते हैं तो किसी भी लड़ाई को आसानी से जीत सकते हैं हमारे लिए पत्रकार हित सदैव प्रथम रहा है।

इस अवसर पर संगठन के पदाधिकारीयों ने देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए उनसे अपील की कि जिले के पत्रकारों के साथ-साथ छोटे स्तर के स्थानीय पत्रकारों को भी तवज्जो दी जाए और उनको भी मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू की जाए। क्योंकि यदि स्थानीय पत्रकार अपने कर्तव्य को अच्छे से नहीं निभा पायेंगे तो जिले के पत्रकार या वरिष्ठ पत्रकारों को समाचार संकलन असंभव हो जाएगा। देश में लाखों की संख्या में उपस्थित स्थानीय पत्रकार ही अपने जान को जोखिम में डालकर गली-गली से समाचारों का संकलन करता है जो अखबारों की सुर्खियां बनते हैं। इसलिए उनके हित में सोचना अति आवश्यक है।

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पत्नी की अनकही कहानी https://sanjayrajput.com/2025/09/netaji-subhash-chandra-bose-wife-story.html https://sanjayrajput.com/2025/09/netaji-subhash-chandra-bose-wife-story.html#respond Sat, 13 Sep 2025 15:59:01 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1217 Read more

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भारत की आज़ादी की लड़ाई में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है, लेकिन बहुत कम लोग उनकी पत्नी एमिली शेंकल के बारे में जानते हैं। यह कहानी 1947 से पहले की है, जब जर्मनी की एक महिला ने अपना जीवन भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी से जोड़ लिया।

नेताजी से विवाह और संघर्षपूर्ण जीवन

साल 1937 में एमिली शेंकल ने सुभाष चंद्र बोस से विवाह किया। शादी के बाद उनका जीवन आसान नहीं रहा। भारत ने कभी इस विदेशी बहू का स्वागत नहीं किया। न तो उनके आने पर कोई पारंपरिक रस्में हुईं और न ही उनकी बेटी के जन्म पर समाज ने खुशी जताई।

एमिली और नेताजी का वैवाहिक जीवन केवल 7 साल का रहा, जिसमें से महज़ 3 साल ही दोनों साथ रह सके। नेताजी देश की आज़ादी के लिए लड़ने वापस चले गए और वादा किया कि आज़ादी मिलने के बाद सारा जीवन पत्नी और बेटी के साथ बिताएंगे। लेकिन 1945 में कथित विमान दुर्घटना में नेताजी लापता हो गए।

संघर्ष भरा जीवन

नेताजी के लापता होने के बाद एमिली बेहद युवा थीं। चाहतीं तो यूरोप की परंपरा के अनुसार दूसरा विवाह कर सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने एक साधारण नौकरी करते हुए कम वेतन पर अपनी बेटी को पाला। उन्होंने न किसी से शिकायत की और न ही किसी प्रकार का सहारा मांगा।

भारत आने की इच्छा अधूरी रही

भारत स्वतंत्र हो चुका था और एमिली बोस चाहती थीं कि कम से कम एक बार उस देश में आएं, जिसके लिए उनके पति ने अपना जीवन न्योछावर किया। लेकिन राजनीतिक परिस्थितियों और विरोध के कारण उन्हें भारत का वीज़ा तक नहीं दिया गया।

गुमनामी में विदाई

लंबे संघर्षों और कठिनाइयों के बीच एमिली शेंकल बोस ने अपना जीवन बिताया। मार्च 1996 में उन्होंने गुमनामी में ही अंतिम सांस ली। वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी थीं, लेकिन भारत में उन्हें वह सम्मान कभी नहीं मिल सका जिसकी वह हकदार थीं।

एमिली शेंकल बोस का जीवन त्याग, संघर्ष और धैर्य की मिसाल है। इतिहास के पन्नों से भले उनका नाम मिटा दिया गया हो, लेकिन वह हमेशा नेताजी की जीवन संगिनी और भारत की अनकही कहानी का अहम हिस्सा रहेंगी।

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Sushila Karki Biography in Hindi: नेपाल में सुशीला कार्की बनीं पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री – जानिए उनके बारे में… https://sanjayrajput.com/2025/09/sushila-karki-biography-in-hindi.html https://sanjayrajput.com/2025/09/sushila-karki-biography-in-hindi.html#respond Sat, 13 Sep 2025 09:37:17 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1213 Read more

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Sushila Karki Biography in Hindi: नेपाल की राजनीति ने 12 सितंबर 2025 को एक नया अध्याय लिख दिया। इस दिन देश को पहली बार एक महिला अंतरिम प्रधानमंत्री मिलीं – सुशीला कार्की (Sushila Karki)। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने सुशीला कार्की को कार्यकारी प्रमुख बनाया।

Gen-Z आंदोलन और ओली का पतन

नेपाल में बीते कुछ महीनों से युवाओं के बीच असंतोष लगातार बढ़ रहा था। 8 सितंबर 2025 को काठमांडू के मैतीघर मंडला से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया। सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं ने मोर्चा खोला। संसद भवन, सरकारी इमारतों और नेताओं के घरों पर हमला हुआ। इस दौरान 34 लोगों की मौत हुई और 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए।

सुशीला कार्की का चयन कैसे हुआ?

अंतरिम प्रधानमंत्री चुनने की प्रक्रिया परंपरागत नहीं रही। युवाओं ने Discord जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर वोटिंग कर सुशीला कार्की का नाम चुना। इस कदम से साफ है कि नई पीढ़ी राजनीति में सक्रिय भागीदारी चाहती है और सिस्टम को बदलने के लिए नए तरीके खोज रही है।

सुशीला कार्की कौन हैं? (Who is Sushila Karki)

  • जन्म: 7 जून 1952, विराटनगर (नेपाल)
  • शिक्षा: बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU), वाराणसी से कानून की पढ़ाई
  • पद: नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice)
  • कार्यकाल: 11 जुलाई 2016 से 2017 तक

अपने कार्यकाल में उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए – भ्रष्टाचार के मामलों में कड़ा रुख अपनाया, मंत्री जयप्रकाश गुप्ता को जेल भेजा, भ्रष्ट लोकमान सिंह कार्की को पद से हटाया और महिलाओं को नागरिकता अधिकार दिलाए। उनकी छवि ईमानदार, निडर और निष्पक्ष न्यायाधीश के रूप में रही है।

सुशीला कार्की किस जाति से ताल्लुख रखती हैं? (Sushila Karki Caste)

कई लोग जानना चाहते हैं कि सुशीला कार्की किस जाति से हैं। जानकारी के अनुसार, सुशीला कार्की ब्राह्मण जाति से ताल्लुख रखती हैं। दिलचस्प बात यह है कि पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भी इसी जाति से आते थे।

नेपाल में पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बनने का महत्व

  • महिला सशक्तिकरण: नेपाल की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी अब नए स्तर पर पहुँची।
  • युवाओं की ताकत: GenZ ने दिखा दिया कि अब बदलाव उनकी शर्तों पर होगा।
  • भ्रष्टाचार विरोधी संदेश: सुशीला की ईमानदार छवि से जनता को उम्मीद है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।
  • लोकतांत्रिक प्रयोग: Discord वोटिंग जैसे तरीकों से राजनीति में नई पारदर्शिता आई है।

क्रांति की कीमत – 34 मौतों का साया

यह बदलाव आसान नहीं था। काठमांडू में 17 लोग मारे गए, पोखरा में 5, इटहरी में 4 और अन्य शहरों में बाकी मौतें हुईं। सैकड़ों घायल हुए, जिनमें पत्रकार और पुलिसकर्मी भी शामिल थे। इन मौतों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या नेपाल बदलाव की कीमत चुकाने के लिए तैयार था?

सुशीला कार्की के सामने चुनौतियाँ

1. भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना

नेपाल की राजनीति में भ्रष्टाचार गहरी जड़ें जमा चुका है। जनता को उम्मीद है कि सुशीला अपने न्यायाधीश वाले कड़े रुख को जारी रखेंगी।

2. सोशल मीडिया नियम

युवाओं का गुस्सा सोशल मीडिया बैन से भड़का था। अब यह देखना होगा कि सुशीला किस तरह डिजिटल अधिकारों को सुरक्षित रखती हैं।

3. चुनाव कराना

सरकार को 6 महीने के भीतर नए चुनाव कराने का निर्देश दिया गया है। यह सुशीला की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होगी।

4. शांति और स्थिरता

क्रांति के बाद देश में तनाव है। उनकी सबसे अहम भूमिका होगी – देश को एकजुट करना।

क्या नेपाल को नई दिशा मिलेगी?

जेन-जेड क्रांति ने 34 जानों की कुर्बानी दी, लेकिन परिणामस्वरूप नेपाल को एक ईमानदार और निष्पक्ष अंतरिम प्रधानमंत्री मिलीं। सवाल यह है – क्या सुशीला कार्की नेपाल को राजनीतिक स्थिरता और विकास की राह पर ले जा पाएंगी? क्या युवाओं का भरोसा टिकेगा?

निष्कर्ष

नेपाल ने इतिहास रच दिया है। सुशीला कार्की का प्रधानमंत्री बनना सिर्फ नेपाल ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण है कि लोकतंत्र में बदलाव लाने की ताकत जनता के हाथ में होती है। उनकी जातीय पृष्ठभूमि चाहे जो भी हो, आज लोग उन्हें उनकी ईमानदारी और साहस के लिए जानते हैं। नेपाल अब एक नए दौर में प्रवेश कर चुका है – और इसकी बागडोर एक ऐसी महिला के हाथों में है, जिसने अपने जीवन भर न्याय और पारदर्शिता को सबसे ऊपर रखा है।


कीवर्ड्स: Sushila Karki, Sushila Karki Caste, Nepal First Female Interim Prime Minister, Nepal GenZ Protest, Nepal Politics 2025, Sushila Karki Biography in Hindi

 

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अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने गोरखपुर में राष्ट्रीय अध्यक्ष कुँवर हरिवंश सिंह के 75 वें जन्मदिन पर किया वृक्षारोपण https://sanjayrajput.com/2025/09/all-india-kshatriya-mahasabha-planted-trees-in-gorakhpur-on-the-75th-birthday-of-national-president-kunwar-harivansh-singh.html https://sanjayrajput.com/2025/09/all-india-kshatriya-mahasabha-planted-trees-in-gorakhpur-on-the-75th-birthday-of-national-president-kunwar-harivansh-singh.html#respond Thu, 04 Sep 2025 14:32:09 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1208 Read more

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गोरखपुर। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद कुँवर हरिवंश सिंह के 75 वें जन्मदिन पर गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला प्राणी उद्यान में संगठन के पदाधिकारियों द्वारा वृक्षारोपण किया गया। इस दौरान संगठन के लोगों द्वारा आंवला, नीम, जामुन, मौलश्री, पाकड़ आदि के पौधे लगाए गए।

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इसके पश्चात राष्ट्रीय अध्यक्ष के जन्मदिन पर संगठन के पदाधिकारियों ने केक काटकर अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का जन्मदिन मनाया। इस वृक्षारोपण कार्यक्रम के दौरान प्राणी उद्यान के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह सहित संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुनील सिंह, प्रदेश अध्यक्ष वीरांगना प्रकोष्ठ सीमा सिंह, प्रदेश सचिव अरविंद सिंह मंटू , पूर्वांचल प्रांत उपाध्यक्ष राजकुमार सिंह, मंडल उपाध्यक्ष इंद्रसेन सिंह, जिला उपाध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप सिंह, जिला वरिष्ठ महामंत्री राजकुमार सिंह श्रीनेत, जिला संगठन मंत्री प्रवीण सिंह आदि लोग मौजूद रहे।

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Amazon Project Kuiper Satellite Internet India Launch: अमेजन भारत में ला रहा है ये जबरदस्त इंटरनेट सर्विस https://sanjayrajput.com/2025/09/amazon-project-kuiper-satellite-internet-india-launch.html https://sanjayrajput.com/2025/09/amazon-project-kuiper-satellite-internet-india-launch.html#respond Thu, 04 Sep 2025 07:30:35 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1205 Read more

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Amazon Project Kuiper Satellite Internet India Launch: सैटेलाइट इंटरनेट की दुनिया में अबतक हमने सिर्फ एलन मस्‍क की इंटरनेट कंपनी स्‍टारलिंक (Starlink) का नाम सुना है या कहें ज्‍यादा सुना है। स्‍टारलिंक, भारत में भी अपनी सेवाएं शुरू करना चाहती है और उसने जियो व एयरटेल के साथ पार्टनरशिप की है। कई और कंपनियां जैसे- वनवेब भी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस दुनिया तक पहुंचा रही हैं। अब इस क्षेत्र में एमेजॉन ने एंट्री कर ली है। एमेजॉन बरसों से अपने प्रोजेक्‍ट कुइपर (Project kuiper) को पूरा करने का ख्‍वाब देख रही थी। वह एक-दो नहीं, बल्कि 3 हजार से ज्‍यादा सैटेलाइट्स को पृथ्‍वी की निचली कक्षा में पहुंचाएगी। इसकी शुरुआत 28 अप्रैल 2025 को हो गई थी, जब कंपनी ने 27 सैटेलाइट इंटरनेट का पहला बैच अंतरिक्ष में पहुंचाया।

भारत तेजी से डिजिटल इंडिया के विजन की ओर बढ़ रहा है। गांव-गांव इंटरनेट पहुंचाने की सरकारी कोशिशों के बीच अब निजी कंपनियां भी इस दिशा में बड़ी भूमिका निभा रही हैं। इसी क्रम में अमेजन (Amazon) ने अपने महत्वाकांक्षी सैटेलाइट इंटरनेट प्रोजेक्ट “कुइपर (Project Kuiper)” को भारत में लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी है।

कंपनी का लक्ष्य है कि अगले कुछ वर्षों में भारत के हर कोने तक तेज़ और भरोसेमंद इंटरनेट पहुंचाया जाए। फिलहाल अनुमान लगाया जा रहा है कि अमेजन 2026 से भारत में अपनी सेवाएं शुरू कर सकती है।

एमेजॉन ने साल 2019 में प्रोजेक्‍ट कुइपर का ऐलान किया था। 28 अप्रैल 2025 को कंपनी ने इसकी शुरुआत की थी। 27 इंटरनेट टर्मिनल्‍स को लो-अर्थ ऑर्बिट में पहुंचा दिया। एमेजॉन का यह प्रोजेक्‍ट करीब 10 अरब डॉलर का है। कंपनी कुल 3236 सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में पहुंचाने का लक्ष्‍य रखती है। उसका सीधा मुकाबला स्‍टारल‍िंक से होगा।

प्रोजेक्ट कुइपर क्या है?

प्रोजेक्ट कुइपर (Project Kuiper) अमेजन का ग्लोबल सैटेलाइट इंटरनेट नेटवर्क है। इसके तहत कंपनी 3,000 से ज्यादा छोटे सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में स्थापित करने की योजना पर काम कर रही है।

इन सैटेलाइट्स के जरिए धरती के उन इलाकों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाना लक्ष्य है, जहां फाइबर ऑप्टिक केबल या टॉवर नेटवर्क संभव नहीं है। खासकर ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों के लिए यह सेवा किसी क्रांति से कम नहीं होगी।

भारत में लॉन्च क्यों अहम है?

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट बाजार है। यहां 85 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट यूज़र्स हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। फिर भी आज भी करोड़ों लोग ऐसे गांवों और कस्बों में रहते हैं, जहां मोबाइल डेटा या ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी बेहद कमजोर है।

ग्रामीण भारत में इंटरनेट गैप – करीब 30% आबादी अभी भी भरोसेमंद इंटरनेट से वंचित है।

डिजिटल इंडिया मिशन – सरकार चाहती है कि हर गांव तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचे।

युवा आबादी और डेटा डिमांड – भारत की युवा पीढ़ी ऑनलाइन एजुकेशन, गेमिंग और OTT प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से निर्भर हो रही है।

ऐसे माहौल में अमेजन का प्रोजेक्ट कुइपर भारत में डिजिटल क्रांति को और तेज कर सकता है।

अमेजन की चुनौतियां: क्यों हो रही है लॉन्चिंग में देरी?

हालांकि कंपनी भारतीय बाजार में उतरने के लिए उत्सुक है, लेकिन कुछ बाधाएं हैं जो इसकी लॉन्चिंग को फिलहाल धीमा कर रही हैं।

1. सैटेलाइट नेटवर्क की तैयारी
अमेजन का पूरा सैटेलाइट नेटवर्क अभी तैयार नहीं है। कंपनी को भारत जैसे बड़े देश के लिए पर्याप्त सैटेलाइट्स लॉन्च करने होंगे।

2. सरकारी लाइसेंस और सुरक्षा शर्तें
भारत सरकार ने सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं के लिए सख्त लाइसेंसिंग पॉलिसी बनाई है। साथ ही, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े प्रावधानों का पालन करना भी जरूरी है।

3. अनुमति और सहयोग
अमेजन फिलहाल सरकार के साथ बातचीत में है। जब तक सभी मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक सर्विस लॉन्च संभव नहीं है।

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट की प्रतिस्पर्धा

भारत का सैटेलाइट इंटरनेट बाजार पहले से ही दिलचस्प मुकाबले का गवाह बन चुका है।

स्टारलिंक (Starlink) – एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स का यह प्रोजेक्ट भारत में सबसे पहले चर्चा में आया था। यह दूरदराज़ इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराने का दावा करता है।

वनवेब (OneWeb) – भारती एंटरप्राइजेज के सहयोग से भारत में सक्रिय है। इसका नेटवर्क तेजी से विस्तार कर रहा है।

जियो सैटेलाइट (Jio Satellite) – रिलायंस जियो ने भी सैटेलाइट इंटरनेट बाजार में उतरने की घोषणा की है। रिलायंस की ताकत और नेटवर्क इसे बड़ा खिलाड़ी बना सकती है।

अमेजन का प्रोजेक्ट कुइपर इन कंपनियों से सीधे टक्कर लेगा। नतीजा यह होगा कि प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं और किफायती दाम मिल सकते हैं।

प्रोजेक्ट कुइपर से भारत को क्या फायदे होंगे?

अमेजन की इस सैटेलाइट इंटरनेट सेवा से भारत को कई लाभ हो सकते हैं:

1. ग्रामीण कनेक्टिविटी – जहां मोबाइल टॉवर और ब्रॉडबैंड पहुंचाना मुश्किल है, वहां भी इंटरनेट उपलब्ध होगा।

2. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं – ऑनलाइन एजुकेशन और टेलीमेडिसिन को नई दिशा मिलेगी।

3. डिजिटल बिजनेस और स्टार्टअप्स – छोटे कस्बों और गांवों में भी स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा।

4. रक्षा और सुरक्षा – सीमावर्ती इलाकों में तेज इंटरनेट से सुरक्षा व्यवस्थाएं मजबूत होंगी।

5. 5G और IoT सपोर्ट – आने वाले समय में 5G और स्मार्ट डिवाइसों के लिए सैटेलाइट इंटरनेट जरूरी होगा।

विशेषज्ञों की राय

टेलीकॉम एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में सैटेलाइट इंटरनेट अगले 5 सालों में बड़ा बाजार बन सकता है।

कीमत और सब्सक्रिप्शन मॉडल तय करेगा कि यह सेवा कितनी तेजी से अपनाई जाएगी।

सरकारी सहयोग मिलने पर भारत ग्रामीण कनेक्टिविटी में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो सकता है।

प्रतिस्पर्धा ग्राहकों को फायदा पहुंचाएगी क्योंकि सर्विस क्वालिटी और दाम दोनों बेहतर होंगे।

निष्कर्ष (Conclusion)

अमेजन का प्रोजेक्ट कुइपर भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी का नया अध्याय शुरू कर सकता है। हालांकि लॉन्चिंग की राह आसान नहीं है, लेकिन एक बार मंजूरी मिलते ही यह बाजार में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

स्टारलिंक, वनवेब और जियो सैटेलाइट पहले से मौजूद हैं, ऐसे में प्रतिस्पर्धा और भी दिलचस्प होगी। सबसे बड़ा फायदा उन करोड़ों भारतीयों को होगा, जो अब तक भरोसेमंद इंटरनेट से दूर हैं।

कुल मिलाकर, आने वाले समय में सैटेलाइट इंटरनेट भारत के डिजिटल भविष्य की रीढ़ साबित हो सकता है।

Frequently Asked Questions (FAQ)

Q1: अमेजन का प्रोजेक्ट कुइपर क्या है?
प्रोजेक्ट कुइपर अमेजन का सैटेलाइट इंटरनेट प्रोजेक्ट है, जिसके तहत हजारों छोटे सैटेलाइट्स से दुनिया भर के दूरस्थ इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाया जाएगा।

Q2: अमेजन भारत में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस कब शुरू करेगा?
अमेजन फिलहाल सरकार से लाइसेंसिंग और मंजूरी की प्रक्रिया में है। उम्मीद है कि कंपनी 2026 से भारत में सेवाएं शुरू कर सकती है।

Q3: भारत में अमेजन का मुख्य प्रतिस्पर्धी कौन होगा?
भारत में अमेजन का मुकाबला स्टारलिंक (Starlink), वनवेब (OneWeb) और जियो सैटेलाइट (Jio Satellite) से होगा।

Q4: प्रोजेक्ट कुइपर भारत के किन क्षेत्रों को फायदा पहुंचाएगा?
यह सेवा खासकर ग्रामीण और दूरदराज़ इलाकों में उपयोगी होगी, जहां पारंपरिक ब्रॉडबैंड या मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं है।

Q5: भारत में सैटेलाइट इंटरनेट क्यों जरूरी है?
क्योंकि अभी भी करोड़ों भारतीय भरोसेमंद इंटरनेट से वंचित हैं। सैटेलाइट इंटरनेट डिजिटल इंडिया मिशन, ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन और ग्रामीण विकास को तेज कर सकता है।

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अमेजन प्रोजेक्ट कुइपर लॉन्च डेट इंडिया

अमेजन सैटेलाइट इंटरनेट भारत में कब आएगा

प्रोजेक्ट कुइपर बनाम स्टारलिंक इंडिया

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस 2026

अमेजन इंटरनेट सर्विस रेट्स इंडिया

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Gmail Storage Full Solution: मिनटों में खाली करें Gmail, Drive और Photos की जगह https://sanjayrajput.com/2025/09/gmail-storage-full-solution.html https://sanjayrajput.com/2025/09/gmail-storage-full-solution.html#respond Mon, 01 Sep 2025 15:21:57 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1202 Read more

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Gmail Storage Full Solution: क्या आपका Gmail बार-बार ‘Storage Full’ दिखा रहा है? घबराने की जरूरत नहीं है। Google की 15GB फ्री स्टोरेज Gmail, Google Drive और Google Photos में साझा होती है, इसलिए यह जल्दी भर सकती है। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि कैसे आप मिनटों में Gmail का स्टोरेज खाली कर सकते हैं। जीमेल स्टोरेज फुल हो जाने की समस्या बहुत आम है। अगर आपके गूगल अकाउंट का 15GB स्टोरेज भर चुका है, तो जीमेल में नए मेल आना बंद हो जाते हैं। नीचे इसके आसान समाधान (Solutions) दिए गए हैं.

Gmail Storage बार-बार Full क्यों दिखाता है?

  • बड़े अटैचमेंट वाले ईमेल – पुराने मेल में भारी फाइलें स्टोरेज खा जाती हैं।
  • Spam और Trash फोल्डर – डिलीट किए गए मेल वहीं पड़े रहते हैं और जगह घेरते हैं।
  • Google Drive और Photos – अनचाहे फाइल और फोटो भी Gmail स्पेस भर देते हैं।

Gmail Storage खाली करने के आसान तरीके

1. बड़े ईमेल डिलीट करें

Gmail सर्च बॉक्स में यह कमांड डालें:

has:attachment larger:10M

इससे आपको बड़े ईमेल मिलेंगे, जिन्हें हटाकर जगह बनाई जा सकती है।

2. Spam और Trash साफ करें

Spam फोल्डर → “Delete all spam messages”
Trash फोल्डर → “Empty Trash now”

3. Google Drive और Photos क्लीन करें

Drive और Photos से डुप्लीकेट व अनचाहे फाइल हटाएं। Trash भी खाली करें।

4. Hidden App Data हटाएं

Drive → Settings → Manage Apps → Hidden Data Remove करें।

अगर फिर भी Gmail Storage Full दिखे तो क्या करें?

  • Google One का Storage Manager इस्तेमाल करें।
  • one.google.com/storage पर देखें कौन-सी सर्विस कितनी जगह ले रही है।
  • जरूरत हो तो Google Storage Plan Upgrade करें।

भविष्य में Gmail Storage Full होने से कैसे बचें?

  • अनचाहे न्यूजलेटर और प्रमोशनल मेल से Unsubscribe करें।
  • Gmail में Filters लगाएं।
  • हर हफ्ते Spam और Trash फोल्डर खाली करें।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

Q1: Gmail में सबसे ज्यादा जगह क्या लेता है?

बड़े अटैचमेंट वाले ईमेल, Google Drive के बड़े फाइल और Photos का डेटा।

Q2: Gmail Storage को बार-बार Full होने से कैसे रोका जाए?

Spam/Trash नियमित खाली करें, न्यूजलेटर से अनसब्सक्राइब करें और Storage Manager का इस्तेमाल करें।

Q3: Gmail की Free Storage कितनी होती है?

Google सभी यूज़र्स को 15GB फ्री स्टोरेज देता है जो Gmail, Drive और Photos में साझा होती है।


निष्कर्ष: Gmail Storage Full की समस्या आम है, लेकिन थोड़ी सफाई से इसे मिनटों में हल किया जा सकता है। समय-समय पर Drive और Photos भी क्लीन करते रहें, ताकि आपकी Gmail सर्विस हमेशा तेज़ और स्मूद बनी रहे।

अगर आपका जीमेल बार-बार “स्टोरेज फुल” दिखा रहा है, तो समाधान आसान है। सबसे पहले बड़े अटैचमेंट वाले ईमेल और पुराने प्रमोशनल मेल डिलीट करें, फिर स्पैम और ट्रैश फोल्डर खाली कर दें। गूगल ड्राइव और गूगल फोटोज में रखी अनावश्यक फाइलें व वीडियो हटाकर भी जगह खाली की जा सकती है। जरूरत पड़ने पर गूगल वन स्टोरेज प्लान खरीदें या पुराने ईमेल्स का बैकअप लेकर उन्हें डिलीट कर दें। इन तरीकों से आप मिनटों में जीमेल स्टोरेज खाली कर सकते हैं और नए मेल आसानी से प्राप्त कर पाएंगे। छोटे-छोटे कदम उठाकर आप आसानी से जीमेल स्टोरेज खाली कर सकते हैं और नए मेल आने की समस्या से बच सकते हैं।

यदि यहां दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे दूसरों के साथ जरूर शेयर करें, ताकि यदि किसी का Gmail storage full हो गया हो तो उसे भी उसकी समस्या का समाधान मिल सके।

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Shaheed Ravindra Singh Gorakhpur: पूर्वांचल का वो युवा नेता जिसने मचा दी थी राजनीति में हलचल https://sanjayrajput.com/2025/08/shaheed-ravindra-singh-gorakhpur.html https://sanjayrajput.com/2025/08/shaheed-ravindra-singh-gorakhpur.html#respond Sat, 30 Aug 2025 10:37:53 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1199 Read more

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Shaheed Ravindra Singh Gorakhpur: पूर्वांचल के गोरखपुर से ही देश की सियासत में पहली बार अपराधीकरण की शुरुआत हुई। दरअसल 70 के दशक में इमरजेंसी का दौर था। देश में जेपी आंदोलन सियासत के नए चेहरे जन्म दे रहा था। इस आंदोलन से कई युवा प्रभावित हुए और छात्र राजनीति में कूद पड़े। इसी दौर में गोरखपुर यूनिवर्सिटी में हरिशंकर तिवारी और बलवंत सिंह छात्रनेता हुए। दोनों में ही वर्चस्व को लेकर जंग चल रही थी। खास बात ये थी कि इन्होंने छात्र राजनीति में जातिवाद का प्रयोग शुरू कर दिया था। बलवंत सिंह जहां ठाकुर लॉबी को जोड़ने में जुटे थे, वहीं दूसरी तरफ हरिशंकर तिवारी ब्राह्मण युवाओं को अपनी तरफ जोड़ने की कोशिश करते।

ये वो दौर था जब पूर्वांचल की राजनीति में एक और युवा अपनी तेजी से अपनी पहचान बना रहा था। नाम था रविंद्र सिंह। रविंद्र सिंह 1967 में गोरखपुर यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। इसके बाद 1972 में लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। तेज तर्रार छवि के रविंद्र सिंह ने देखते ही देखते गोरखपुर और आसपास के इलाकों में अपनी अच्छी पहचान बना ली थी। इसी को देखते हुए उन्हें जनता पार्टी ने 1977 में टिकट दिया। अपने पहले ही चुनाव में रविंद्र सिंह कौड़ीराम सीट से विधायक चुने गए। कहा जाता है कि रविंद्र सिंह वीरेंद्र शाही के करीबी थे, वीरेंद्र शाही धीरे-धीरे रविंद्र सिंह से ही राजनीति के गुर सीख रहे थे। लेकिन तभी रविंद्र सिंह की गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर हत्या हो जाती है। उन्हें गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर गोलियों से भून दिया जाता है।

स्व. सिंह जी छात्र जीवन से ही सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। वे आज़ाद भारत के पहले ऐसे विधायक बने जिन्हें गोरखपुर विश्वविद्यालय और लखनऊ विश्वविद्यालय दोनों का छात्रसंघ अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त हुआ। उनकी कर्मठता और लोकप्रियता के चलते 1977 में जनता पार्टी ने उन्हें कौड़ीराम विधानसभा से प्रत्याशी बनाया और वे भारी मतों से विजयी हुए।

विधानसभा में उनके सशक्त भाषणों और ईमानदार छवि से अपराध और दबंगई के सहारे राजनीति करने वालों की जमीन खिसकने लगी थी। यही वजह थी कि लखनऊ जाते समय गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई।

उनके न रहने के बाद भी उनकी विचारधारा जीवित रही। उनकी धर्मपत्नी गौरी देवी जी चार बार उसी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गईं। समाज और राजनीति में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। 1971 के भारत-पाक युद्ध में युवाओं की फौज तैयार कर देश की सेवा करना, क्यूबा की राजधानी में भारत के युवाओं का प्रतिनिधित्व करना और आपातकाल के दौरान 20 महीने जेल में रहकर लोकतंत्र की रक्षा करना उनकी महान उपलब्धियों में शामिल है।

स्व. रवींद्र सिंह का संघर्षमय जीवन, ईमानदारी और कर्मठता आज भी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। पूर्वांचल की राजनीति में अपने क्रांतिकारी विचारों और प्रभावशाली व्यक्तित्व से अमिट छाप छोड़ने वाले पूर्व विधायक स्व. रवींद्र सिंह जी की 46वीं पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।

“बड़े गौर से सुन रहा था ज़माना, तुम्हीं सो गये दास्तां कहते-कहते।।”

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PDF Elements App: फीचर्स और फायदे – PDF मैनेजमेंट का स्मार्ट समाधान https://sanjayrajput.com/2025/08/pdf-elements-app.html https://sanjayrajput.com/2025/08/pdf-elements-app.html#respond Fri, 29 Aug 2025 10:15:48 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1195 Read more

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PDF Elements App: आज की डिजिटल लाइफ़ में PDF फाइल सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला डॉक्यूमेंट फॉर्मेट है। चाहे कॉलेज के असाइनमेंट हों, ऑफिस के प्रोजेक्ट रिपोर्ट्स हों या फिर बिज़नेस डील्स – हर जगह PDF का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन कई बार हमें PDF को एडिट करने, उसमें बदलाव करने या उसे अलग-अलग फॉर्मेट में कन्वर्ट करने की ज़रूरत पड़ती है। ऐसे में PDF Elements App आपके काम को आसान और प्रोफेशनल बनाने के लिए एक बेहतरीन टूल साबित हो सकता है।

PDF Elements App क्या है?

PDF Elements App एक स्मार्ट और ऑल-इन-वन PDF मैनेजमेंट एप्लिकेशन है, जिसे खासतौर पर PDF फाइलों को Edit, Create, Convert और Secure करने के लिए बनाया गया है। यह एप्लिकेशन आपको आपके मोबाइल और कंप्यूटर दोनों पर PDF फाइल्स को आसानी से मैनेज करने की सुविधा देता है।

यहीं पर काम आता है PDF Elements App। यह एक स्मार्ट और ऑल-इन-वन PDF मैनेजमेंट ऐप है, जो आपके सारे PDF काम को आसान बना देता है। इस ब्लॉग में हम PDF Elements App के फीचर्स, फायदे और इसके इस्तेमाल की ज़रूरत को विस्तार से समझेंगे।

PDF Elements App के प्रमुख फीचर्स

PDF Editing (टेक्स्ट और इमेज एडिटिंग)

PDF Elements App की सबसे बड़ी खासियत यह है कि आप आसानी से PDF फाइल का टेक्स्ट एडिट कर सकते हैं। चाहे नया टेक्स्ट ऐड करना हो, पुराना हटाना हो या फॉन्ट बदलना – सबकुछ मिनटों में हो जाता है। साथ ही आप PDF में इमेज जोड़ सकते हैं, रीसाइज़ कर सकते हैं या हटा सकते हैं।

Convert PDF (Word, Excel, PPT, JPG में कन्वर्ज़न)

अगर आपको अपनी PDF फाइल को Word, Excel, PowerPoint या JPG जैसे फॉर्मेट में कन्वर्ट करना है तो यह ऐप सबसे तेज़ और आसान तरीका देता है। यह फीचर स्टूडेंट्स और प्रोफेशनल्स दोनों के लिए बेहद उपयोगी है।

OCR (Optical Character Recognition) सुविधा

बहुत बार हमें स्कैन किए हुए डॉक्यूमेंट्स या इमेज से टेक्स्ट निकालने की ज़रूरत होती है। OCR फीचर की मदद से PDF Elements App किसी भी स्कैन किए हुए डॉक्यूमेंट को एडिटेबल टेक्स्ट में बदल देता है।

Annotate & Highlight टूल्स

अगर आप स्टूडेंट हैं या ऑफिस में प्रोजेक्ट्स पर काम करते हैं, तो PDF Elements App में आप कमेंट्स ऐड कर सकते हैं, टेक्स्ट को हाइलाइट कर सकते हैं, और अलग-अलग मार्किंग कर सकते हैं। इससे डॉक्यूमेंट को समझना और शेयर करना आसान हो जाता है।

Merge & Split PDFs विकल्प

बड़ी-बड़ी PDF फाइल्स को छोटे हिस्सों में बाँटना (Split) या कई PDFs को एक साथ जोड़ना (Merge) – दोनों ही सुविधाएँ इस ऐप में मौजूद हैं।

E-Signature सपोर्ट

आज के समय में डिजिटल सिग्नेचर बहुत ज़रूरी हो गया है। PDF Elements App की मदद से आप आसानी से अपने डॉक्यूमेंट्स पर ई-सिग्नेचर कर सकते हैं और उन्हें तुरंत शेयर कर सकते हैं।

Security & Password Protection

गोपनीय डॉक्यूमेंट्स को सुरक्षित रखना हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है। यह ऐप आपकी PDF फाइल्स को पासवर्ड प्रोटेक्शन और एन्क्रिप्शन के साथ सुरक्षित रखने की सुविधा देता है।

PDF Elements App इस्तेमाल करने के फायदे

✅ ऑल-इन-वन सॉल्यूशन – Editing, Converting, Annotating, और Security एक ही जगह।
✅ यूज़र-फ्रेंडली इंटरफेस – इसका इंटरफेस इतना आसान है कि कोई भी इसे इस्तेमाल कर सकता है।
✅ प्रोफेशनल क्वालिटी आउटपुट – एडिट करने के बाद डॉक्यूमेंट बिल्कुल प्रोफेशनल लगेगा।
✅ मोबाइल और डेस्कटॉप दोनों पर उपलब्ध – चलते-फिरते भी काम आसान।
✅ समय और मेहनत की बचत – अलग-अलग टूल्स की ज़रूरत नहीं, सबकुछ एक ही ऐप में।

PDF Elements App क्यों चुनें?

मार्केट के अन्य PDF Apps से तुलना

बाज़ार में कई PDF एडिटर उपलब्ध हैं, लेकिन ज़्यादातर ऐप्स या तो सिर्फ रीडर होते हैं या सिर्फ कन्वर्टर। जबकि PDF Elements App आपको एडिटिंग, कन्वर्ज़न, सिक्योरिटी और डिजिटल सिग्नेचर – सबकुछ एक ही प्लेटफॉर्म पर देता है।

किन-किन के लिए उपयोगी?

स्टूडेंट्स के लिए – असाइनमेंट, प्रोजेक्ट रिपोर्ट्स और नोट्स एडिट करने के लिए।

प्रोफेशनल्स के लिए – ऑफिस डॉक्यूमेंट्स को एडिट, मर्ज और सिक्योर करने के लिए।

बिज़नेस यूज़र्स के लिए – क्लाइंट्स को डिजिटल सिग्नेचर वाले डॉक्यूमेंट्स भेजने के लिए।

निष्कर्ष

आज की डिजिटल दुनिया में PDF सिर्फ डॉक्यूमेंट फॉर्मेट नहीं, बल्कि कम्युनिकेशन और प्रोफेशनलिज़्म का सिंबल बन चुका है। अगर आप अपने PDFs को एडिट, कन्वर्ट, सुरक्षित और मैनेज करना चाहते हैं तो PDF Elements App आपके लिए एक परफेक्ट चॉइस है।

👉 तो इंतज़ार किस बात का? अभी PDF Elements App डाउनलोड करें और PDF मैनेजमेंट को स्मार्ट और आसान बनाइए।

FAQ

PDF Elements App से जुड़े आम सवाल-जवाब

Q1: PDF Elements App क्या है?

👉 PDF Elements App एक ऑल-इन-वन PDF मैनेजमेंट टूल है, जिसकी मदद से आप PDF फाइल को Edit, Convert, Merge, Split, Annotate और Secure कर सकते हैं।

Q2: क्या PDF Elements App मोबाइल पर भी चलता है?

👉 हाँ, PDF Elements App Android और iOS दोनों पर उपलब्ध है। इसके अलावा यह Windows और Mac कंप्यूटर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

Q3: क्या PDF Elements App फ्री है?

👉 PDF Elements App का Free Version उपलब्ध है, जिसमें बेसिक फीचर्स मिलते हैं। अगर आप एडवांस फीचर्स (जैसे OCR, Digital Signature, Security आदि) चाहते हैं, तो इसका Premium Version लेना होगा।

Q4: PDF Elements App से कौन-कौन से फॉर्मेट्स में कन्वर्ज़न किया जा सकता है?

👉 आप PDF को Word, Excel, PowerPoint, JPG और कई अन्य फॉर्मेट्स में बदल सकते हैं।

Q5: क्या PDF Elements App से स्कैन किए गए डॉक्यूमेंट एडिट किए जा सकते हैं?

👉 जी हाँ, OCR (Optical Character Recognition) फीचर की मदद से आप स्कैन किए हुए डॉक्यूमेंट्स को एडिटेबल टेक्स्ट में बदल सकते हैं।

Q6: क्या PDF Elements App से PDF को पासवर्ड प्रोटेक्ट किया जा सकता है?

👉 हाँ, यह ऐप आपको Password Protection और Encryption की सुविधा देता है ताकि आपकी गोपनीय फाइल्स सुरक्षित रहें।

Q7: क्या PDF Elements App बिज़नेस यूज़र्स के लिए उपयोगी है?

👉 बिल्कुल! इसमें E-Signature और Secure Sharing जैसे फीचर्स हैं, जो बिज़नेस और प्रोफेशनल यूज़र्स के लिए बेहद मददगार साबित होते हैं।

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गमले में उगे पौधे बरगद से मुकाबला नहीं कर सकते: राघवेंद्र सिंह ‘राजू’ https://sanjayrajput.com/2025/08/abkm-gorakhpur-meeting.html https://sanjayrajput.com/2025/08/abkm-gorakhpur-meeting.html#respond Sun, 24 Aug 2025 15:15:18 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1186 Read more

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अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा पूर्वांचल प्रांत की गोरखपुर में हुई बैठक में राष्ट्रीय वरिष्ठ महामंत्री राघवेंद्र सिंह ‘राजू’ ने नए प्रदेश अध्यक्ष विनोद कुमार सिंह को दिया मनोनयन पत्र

गोरखपुर। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा पूर्वांचल प्रांत की महत्वपूर्ण बैठक रविवार को शहर के होटल फाइव सेंसेस में आयोजित हुई। इस अवसर पर राष्ट्रीय वरिष्ठ महामंत्री राघवेंद्र सिंह ‘राजू’ ने विनोद कुमार सिंह को प्रदेश अध्यक्ष का मनोनयन पत्र सौंपा।

पढ़ें…अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा का इतिहास

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बैठक से पहले गोरखपुर आगमन पर संगठन की जिला इकाई के कार्यकर्ताओं ने बाघागाड़ा फोरलेन पर फूल मालाओं से दोनों नेताओं का भव्य स्वागत किया।

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मीडिया से बातचीत में राघवेंद्र सिंह ‘राजू’ ने कहा कि अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा देश का सबसे पुराना संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1897 में हुई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि संगठन से बाहर निकाले गए कुछ लोग निजी स्वार्थ में समाज को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनका यह प्रयास कभी सफल नहीं होगा। उन्होंने कहा, “गमले में उगे पौधे बरगद से मुकाबला नहीं कर सकते।” उन्होंने समाज को अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होने की अपील भी की।

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राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुनील सिंह ने कहा कि क्षत्रिय समाज ने हमेशा देश व समाज के लिए बलिदान दिया है, लेकिन आज सरकार से लेकर समाज के कई वर्गों तक क्षत्रियों के विरोध में खड़े हैं। गोरखपुर मंडल अध्यक्ष रविंद्र सिंह राजपूत ने कहा कि क्षत्रिय समाज मान-सम्मान के साथ जीता और मरता आया है, और यही हमारी सबसे बड़ी पहचान है।

बैठक को राष्ट्रीय सचिव ओंकार नाथ सिंह, देवरिया जिलाध्यक्ष राजेश सिंह श्रीनेत सहित कई अन्य पदाधिकारियों ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुनील सिंह, प्रदेश वीरांगना प्रकोष्ठ अध्यक्ष सीमा सिंह, प्रदेश संगठन मंत्री अरुण कुमार सिंह, व्यापार प्रकोष्ठ अध्यक्ष दीपक सिंह, संगठन मंत्री प्रवीण सिंह, जिला उपाध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप सिंह, युवा प्रकोष्ठ मंत्री सुमित सिंह श्रीनेत, युवा नेता आर्यन शाही, सावन शाही व सूरज सिंह सेंगर समेत गोरखपुर, देवरिया, बलिया, बस्ती, आजमगढ़ और महाराजगंज से आए सैकड़ों क्षत्रिय समाज के लोग उपस्थित रहे।

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Best 5G Phone Under 15000 in India 2025: 15 हजार रुपये के अंदर बेस्ट 5G फोन https://sanjayrajput.com/2025/08/best-5g-phone-under-15000-in-india-2025.html https://sanjayrajput.com/2025/08/best-5g-phone-under-15000-in-india-2025.html#respond Tue, 19 Aug 2025 10:22:48 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1182 Read more

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Best 5G Phone Under 15000 in India 2025 : भारत में 5G तकनीक तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है। अब आम यूजर भी सस्ते दामों में 5G फोन खरीदना चाहते हैं ताकि बेहतर इंटरनेट स्पीड और स्मूद परफॉर्मेंस का आनंद ले सकें। 15,000 रुपये के बजट में अच्छा 5G स्मार्टफोन मिलना अब चुनौती नहीं रहा। इस बजट में फोन लेने से पहले आपको प्रोसेसर, कैमरा, बैटरी जैसे मुख्य फीचर्स पर ध्यान देना जरूरी होता है ताकि आप सही विकल्प चुन सकें। 5G नेटवर्क अब ज्यादातर शहरों में उपलब्ध हो चुका है, इसलिए ऐसे फोन की मांग ज्यादा बढ़ी है जो बगैर किसी रुकावट के तेज़ इंटरनेट दे।

2025 में 15,000 रुपये के अंदर उपलब्ध बेस्ट 5G फोन

2025 के मार्केट में कई कंपनियों ने बजट स्मार्टफोन पेश किए हैं जो 5G सपोर्ट के साथ आते हैं। ये फोन न केवल कनेक्टिविटी में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, बल्कि कैमरा, प्रोसेसर और बैटरी में भी काफी बेहतर हैं। यहाँ कुछ लोकप्रिय और भरोसेमंद 5G स्मार्टफोन मॉडल्स के बारे में बताया गया है:

Redmi 12 5G

Redmi 12 5G इस सेगमेंट में काफी लोकप्रिय फोन है। इसमें MediaTek Helio G85 प्रोसेसर है जो दैनिक उपयोग और गेमिंग के लिए अच्छा प्रदर्शन देता है। फोन में 6.5 इंच की FHD+ डिस्प्ले है जो वीडियो देखने और ब्राउज़िंग के लिए उम्दा है। इसका 50MP का प्राइमरी कैमरा क्लियर फोटोज़ लेने में सक्षम है। 5000mAh की बैटरी लंबे समय तक चलती है और फास्ट चार्जिंग भी सपोर्ट करती है। कीमत की तुलना में ये फोन अच्छी स्पेसिफिकेशन और यूजर एक्सपीरियंस देता है।

POCO M5 DNS

POCO M5 DNS भी 5G बजट फोन में बढ़िया विकल्प है। यह फोन MediaTek Helio G99 प्रोसेसर पर चलता है जो मल्टीटास्किंग में बेहतर है। फोन की 6.43-इंच AMOLED स्क्रीन कलरफुल और ब्राइट डिस्प्ले देती है। इसका कैमरा सेटअप 50MP प्राइमरी सेंसर के साथ आता है, जो दिन और रात दोनों में अच्छी तस्वीरें क्लिक करता है। 5000mAh बैटरी और 18W फास्ट चार्जिंग से पोको एम5 की बैटरी बैकअप भी संतोषजनक है। उपयोगकर्ता रिव्यू में इसे परफॉर्मेंस के लिए पसंद किया गया है।

Redmi Note 12 5G

यह फोन भी 15,000 रुपये के आसपास आसानी से मिल जाता है और इसमें बेहतर प्रोसेसर Qualcomm Snapdragon 4 Gen 1 है। इसका कैमरा सेटअप 48MP प्राइमरी कैमरा के साथ मजबूत है, जो बेहतर फोटो क्वालिटी प्रदान करता है। 5000mAh की बैटरी अटूट दिनभर का उपयोग देती है। फोन की डिज़ाइन प्रीमियम दिखती है और स्क्रीन AMOLED है, जो कलर और व्यूइंग एक्सपीरियंस बढ़ाती है। अगर आप कैमरा और प्रोसेसर दोनों का बेहतर मिश्रण चाहते हैं, तो यह फोन उपयुक्त है।

Electronic Tech X5 5G

Electronic Tech X5 5G बजट में थोड़ा नया नाम हो सकता है, लेकिन 5G कनेक्टिविटी के साथ यह हार्डवेयर में अच्छा प्रदर्शन करता है। इसका प्रोसेसर और ऑप्टिमाइजेशन अच्छे हैं, जो रोजाना की जरूरतों को सुचारू रूप से पूरा करते हैं। फोन की डिजाइन मॉडर्न है और 6.1 इंच की स्क्रीन है जो हाथ में अच्छा लगता है। 4000mAh बैटरी के चलते इस्तेमाल करने में भी सुविधा होती है। यह छोटे बजट में स्थिर 5G फोन का विकल्प है।

Illuminated 5G sign with modern geometric ceiling and warm lighting.
Best 5G Phone Under 15000 in India 2025

Photo by Z z

5G फोन खरीदते समय ध्यान देने वाली प्रमुख बातें

जब आप 15,000 रुपये के अंदर 5G फोन खरीदने की सोच रहे हों, तो ध्यान रखने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें होती हैं ताकि पैसे का सही उपयोग हो सके।

प्रोसेसर और प्रदर्शन

फोन की रफ्तार और स्मूदनेस प्रोसेसर पर निर्भर करती है। MediaTek Helio G85, Helio G99 और Snapdragon 4 Gen 1 जैसे प्रोसेसर इस बजट में बेहतर प्रदर्शन देते हैं। ये प्रोसेसर नेटवर्क कनेक्टिविटी के साथ गेमिंग, सोशल मीडिया, और वीडियो स्ट्रीमिंग में आसानी से काम करते हैं।

बैटरी और चार्जिंग स्पीड

कम से कम 4000mAh की बैटरी जरूरी है, ताकि फोन पूरा दिन टिक सके। साथ ही फास्ट चार्जिंग का होना अच्छा रहता है ताकि कम समय में चार्जिंग पूरी हो सके और आप जल्दी फोन का इस्तेमाल फिर से कर सकें। 5000mAh बैटरी वाले फोन ज्यादा बेहतर विकल्प होंगे।

कैमरा क्वालिटी

15,000 रुपये के भीतर 50MP या 48MP के प्राइमरी कैमरे आम हो गए हैं। बेहतर कैमरा का मतलब है दिन में क्लियर और डिटेल वाली तस्वीरें। जबकि नाइट मोड और AI फीचर्स भी फोटोग्राफी को बेहतर बनाते हैं। डुअल या ट्रिपल कैमरा सेटअप सामान्य है, पर मुख्य कैमरा की क्वालिटी ज्यादा मायने रखती है।

15K में यहां कुछ और विकल्प दिए गए हैं (Best 5G Phone Under 15000 in India 2025):

  • POCO M7 5G:

    यह फ़ोन 9,499 रुपये में उपलब्ध है और 6.67 इंच की FHD+ AMOLED डिस्प्ले, 120Hz रिफ्रेश रेट और 50MP कैमरे के साथ आता है. 

  • OPPO K13x 5G:

    यह फ़ोन 11,999 रुपये में उपलब्ध है. 

  • vivo T4x 5G:

    यह फ़ोन 13,999 रुपये में उपलब्ध है. 

  • TECNO Pova 7 5G:

    यह फ़ोन 14,999 रुपये में उपलब्ध है. 

  • LAVA ब्लेज़ 5G:

    यह फ़ोन 11,299 रुपये में उपलब्ध है. 

  • Infinix Note 40X 5G:

    यह फ़ोन 12,999 रुपये में उपलब्ध है. 

  • Redmi 13 5G:

    यह फ़ोन 12,999 रुपये में उपलब्ध है. 

  • Samsung Galaxy F15 5G:

    यह फ़ोन 12,999 रुपये से शुरू होता है

  • Motorola Moto G64 5G:

    यह फ़ोन 12,999 रुपये में उपलब्ध है. 

  • Infinix Hot 30 5G:

    यह फ़ोन 12,999 रुपये में उपलब्ध है. 

  • iQOO Z6 Lite 5G:

    यह फ़ोन 12,674 रुपये में उपलब्ध है. 

  • realme P1 5G:

    यह फ़ोन 14,999 रुपये में उपलब्ध है

  • realme 14x 5G:

    यह फ़ोन 11,999 रुपये में उपलब्ध है

  • iQOO Z9x 5G:

    यह फ़ोन 12,999 रुपये में उपलब्ध है

  • CMF Phone 1:
    यह फ़ोन 13,499 रुपये में उपलब्ध है,

निष्कर्ष

Best 5G Phone Under 15000 in India 2025: 15,000 रुपये के बजट में 5G स्मार्टफोन खरीदना 2025 में पहले से ज्यादा आसान और स्मार्ट ऑप्शन है। Redmi 12 5G और POCO M5 DNS जैसे मॉडल जबरदस्त फीचर्स के साथ आते हैं जो रोजाना जरूरतों के लिए परफेक्ट हैं। वहीं, रेडमी नोट 12 5G प्रोसेसर और कैमरा के लिहाज से थोड़ा ऊपर है। Electronic Tech X5 5G एक अलग विकल्प देता है, खासकर डिजाइन के मामले में।

फोन खरीदते समय एक संतुलन बनाना जरूरी है – प्रदर्शन, कैमरा, बैटरी और डिस्प्ले जैसे मुख्य पहलुओं के बीच समझदारी से चयन करें। इस तरह आप सही फोन चुन कर अपने 5G अनुभव को बढ़ा सकते हैं। बजट स्मार्टफोन की ज्यादा जानकारी और अपडेट के लिए 2025 के बेस्ट बजट स्मार्टफोन्स भी देख सकते हैं।

आपका स्मार्टफोन सिर्फ एक गैजेट नहीं, बल्कि आपकी रोजमर्रा की जिंदगी का पार्टनर है, इसलिए सही चुनाव करें और बेहतर सुविधा का आनंद लें। यहाँ हमने 15 हजार के अंदर कुछ बेस्ट 5g फोन के बारे में जाना फिर भी यदि आपका बजट 20 हजार तक है तो आपको और भी बेहतर विकल्प मिल सकते हैं, जिसमें 7000 mAh तक बैटरी और 8 gb रैम तथा 256 gb storage मिल जाएगा।

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चश्मा हटाने का नया तरीका, 10 सेकंड में आँखें ठीक https://sanjayrajput.com/2025/08/new-technology-for-removing-specs-in-india.html https://sanjayrajput.com/2025/08/new-technology-for-removing-specs-in-india.html#respond Mon, 18 Aug 2025 08:28:38 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1179 Read more

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भारत में चश्मा हटाने की नई तकनीक: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में चश्मा पहनना कई लोगों के लिए परेशानी का कारण बन जाता है। खासकर युवाओं और प्रोफेशनल्स के बीच चश्मा हटाने की सर्जरी यानी LASIK तकनीक (Laser-Assisted In Situ Keratomileusis) की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। अब भारत में इस प्रक्रिया को और भी आधुनिक बना दिया गया है, जिससे मरीजों को अधिक सुरक्षित, तेज़ और बिना दर्द के अनुभव मिल रहा है। चश्मे से निज़ात की उम्मीदें अब हकीकत बन रही हैं।

क्या आप चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस से छुटकारा पाना चाहते हैं? अब भारत में उपलब्ध नई LASIK तकनीकों के साथ यह सपना जल्द ही साकार हो सकता है। वीडियो में “Custom Eyes,” “Foresight” और “Smart Surface” जैसी उन्नत विधियाँ पेश की गई हैं, जो सर्जरी से पहले आपकी नजर का पूर्वाभ्यास दिखाकर सुरक्षित और प्रभावी इलाज का भरोसा देती हैं ।

चश्मा हटाने में आपके कॉन्टैक्ट लेंस/चश्मे से छुटकारा पाने और निकट दृष्टि (Nearsightedness), दूरदर्शिता (Farsightedness) और दृष्टिवैषम्य (Astigmatism) जैसी दृश्य समस्याओं को ठीक करने में मदद करने के लिए सर्जिकल प्रक्रियाएं शामिल हैं। चश्मा हटाने के लिए कई टेक्नोलॉजिस हैं, जैसे लेसिक (LASIK), स्माइल (SMILE), आईसीएल (ICL) और कॉन्ट्यूरा (Contura)। लेसिक लेज़र सर्जरी (सीटू केराटोमिल्यूसिस में लेज़र) दृष्टि सुधार विधि का सबसे लोकप्रिय रूप है।

क्या खास है इस नई तकनीक में?

इन नई तकनीकों में सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह आपकी आंखों की अनूठी संरचना के आधार पर इलाज को अत्यधिक व्यक्तिगत बनाते हैं।

Custom Eyes जैसी AI-संचालित LASIK प्रक्रिया प्रत्येक मरीज के आंखों की अनूठी बनावट को ध्यान में रखकर निरूपित की जाती है, जिससे परिणाम अधिक सटीक और सुरक्षित होते हैं ।

वीडियो के अनुसार ही, यह तकनीक सिर्फ “Smart LASIK” की ही नहीं है, बल्कि यह अगली पीढ़ी की Smart Surface तकनीक है, जिसमें दृष्टि सुधार के पूर्व पेशेवर पूर्वावलोकन (preview) की सुविधा होती है ।

अन्य लोकप्रिय विकल्प और तुलनात्मक अवलोकन

भारत में आज कुछ प्रमुख चश्मा हटाने की तकनीकें प्रचलित हैं:

LASIK / Bladeless LASIK (Femto LASIK) – सुरक्षित और व्यापक रूप से अपनाया गया

SMILE (लेंसिक्यूल-आधारित, फ्लैपलेस) – माइक्रो-लेंस हटाकर दृष्टि सुधार करता है

Contoura Vision – कॉर्निया की टोपोग्राफ़िक मैपिंग पर आधारित अत्यंत सटीक सर्जरी

इनकी तुलना में, Custom Eyes / Smart Surface तकनीक व्यक्तिगत बनावट और पूर्वावलोकन क्षमता के चलते सबसे उन्नत मानी जा रही है।

लाभ (Benefits)

उच्च दुर्द precision: AI-आधारित प्रक्रियाएं अधिक सटीक और सुरक्षित परिणाम देती हैं।

पूर्वाभ्यास सुविधा: सर्जरी से पहले नजर की गुणवत्ता की जानकारी, जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है।

रिपावर प्रक्रिया: आम तौर पर तेज रिकवरी और कम असुविधा — लगभग कुछ मिनटों की प्रक्रिया

ऊर्जा बचत: कम साइड इफेक्ट्स, दर्द रहित प्रक्रिया, और दिन भर की जीवनशैली में जल्दी वापसी

लागत और पात्रता (Cost & Eligibility)

सामान्य Bladeless LASIK की कीमत ₹65,000–₹90,000 के बीच होती है।

Contoura Vision या SMILE में अक्सर ₹1,00,000–₹1,30,000 तक खर्च आता है .

हालांकि, Custom Eyes / AI-powered LASIK की कीमत अभी विस्तृत रूप से उपलब्ध नहीं, लेकिन अनुमानतः यह और उन्नत होने के कारण अधिक हो सकती है।

पात्रता में शामिल है: उम्र 18+ वर्ष, दृष्टि स्थिर रहना, और कोई अन्य गंभीर चिकित्सा समस्या न होना ।

LASIK तकनीक क्या है?

LASIK सर्जरी एक उन्नत लेजर प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से आंख की कॉर्निया को नया आकार देकर दृष्टि दोष (जैसे मायोपिया, हायपरोपिया और एस्टिग्मैटिज़्म) को दूर किया जाता है। नई तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह ब्लेडलेस (Bladeless LASIK) और AI आधारित स्मार्ट LASIK विकल्प प्रदान करती है।

भारत में LASIK की नई तकनीकें

भारत में अब LASIK के कई आधुनिक विकल्प उपलब्ध हैं:

1. ब्लेडलेस LASIK (Femto LASIK) – पूरी तरह कंप्यूटर-नियंत्रित लेजर से कॉर्निया का उपचार।

2. SMILE (Small Incision Lenticule Extraction) – बिना फ्लैप के कॉर्निया में सूक्ष्म चीरा लगाकर दृष्टि सुधार।

3. Contoura Vision LASIK – कॉर्निया का 3D टोपोग्राफिक मैप बनाकर सबसे सटीक सुधार।

4. Custom Eyes / Smart Surface Technology – AI और आधुनिक लेजर का संयोजन, जिसमें मरीज को सर्जरी से पहले ही अपनी दृष्टि का पूर्वावलोकन (Preview) देखने की सुविधा मिलती है।

नई LASIK तकनीक के फायदे

  • स्माइल: स्माइल एक फ्लैपलेस, ब्लेडलेस और ड्रेसिंग-फ्री सर्जरी है। रिकवरी में कुछ दिन लगते हैं, लगभग 7 से 10 दिन। स्माइल के साथ सर्जरी के बाद ड्राई आई इफैक्ट कम होते हैं।
  • आईसीएल / इंप्लैंट्स: आईसीएल दुनिया भर में अपनाई जाने वाली सबसे एडवांस्ड दृष्टि सुधार प्रक्रिया है। विज़न करेक्शन के लिए उल्लेखनीय परिणाम जानने के लिए एस्फेरिकल लेंस को ठीक किया जाता है और आंख के नैच्युरल लेंस पर रखा जाता है।
  • कॉन्टूरा विज़न: कॉन्टूरा लेसिक द्वारा मान्यता प्राप्त चश्मा हटाने की सर्जरी में सुधार है। सर्जरी के साथ हाई लेवल की एक्युरेसी मुख्य रूप से आंख की टॉपोग्राफिकल मैपिंग के कारण होती है। कॉन्टूरा प्यूपिलरी एक्सिस के बजाय विज़ुअल एक्सिस पर काम करता है। विज़ुअल एक्सिस पर यह उपचार तीव्र दृश्य स्पष्टता लाता है।
  • फेम्टो लेसिक (ब्लेड फ्री): आज के समय और उम्र में सबसे उच्च स्तरीय लेसिक सर्जरी है। फेम्टो लेसिक (Femto LASIK) के साथ उच्च स्तर की सुरक्षा और एफिशिएंसी की गारंटी है।

✅ तेज़ और सुरक्षित प्रक्रिया – केवल 10–15 मिनट में पूरा इलाज।

✅ दर्द रहित अनुभव – पूरी तरह लेजर आधारित, बिना टांके और बिना ब्लेड।

✅ तेज़ रिकवरी – कुछ घंटों में सामान्य दिनचर्या शुरू की जा सकती है।

✅ लंबे समय तक परिणाम – एक बार कराने के बाद स्थायी समाधान।

✅ AI आधारित सटीकता – व्यक्तिगत आंखों की संरचना के अनुसार उपचार।

LASIK सर्जरी की लागत (भारत में)

भारत में LASIK सर्जरी की कीमत 40,000 रुपये से लेकर 1,20,000 रुपये तक हो सकती है। यह लागत चुनी गई तकनीक, शहर और अस्पताल की सुविधाओं पर निर्भर करती है।

सामान्य LASIK – ₹40,000 से ₹60,000

ब्लेडलेस LASIK – ₹65,000 से ₹90,000

Contoura Vision/SMILE – ₹1,00,000 से ₹1,30,000

Custom Eyes/Smart LASIK – इससे थोड़ी अधिक

कौन करा सकता है LASIK? (Eligibility)

उम्र 18 वर्ष से अधिक हो

चश्मे का नंबर स्थिर हो

आंखों में कोई गंभीर रोग (जैसे ग्लूकोमा या मोतियाबिंद) न हो

कॉर्निया पर्याप्त मोटाई वाला हो

चश्मा हटाने के फायदे – Chashma Hatane Ke Faayde

भारत की लगभग आधी आबादी को आंखों की समस्या है। लेकिन अब इसे ठीक करना आसान हो गया है क्योंकि चश्मा हटाने की सर्जरी व्यावहारिक रूप से सभी दृष्टि समस्याओं के लिए एक सुरक्षित और उचित समाधान प्रदान करती है। चश्मा हटाने की सर्जरी के कुछ लाभ हैं:

  • चश्मे के बिना बेहतर लुक पाएं
  • चश्मे / कॉन्टैक्ट लेंस से छुटकारा पाएं
  • प्रेसबायोपिया को भी ठीक कर सकता है।
  • अत्यधिक दृष्टि समस्याओं को ठीक कर सकता है। उदाहरण के लिए एक स्माइल सामान्य रूप से लगभग माइनस 10 डायोप्टर की अदूरदर्शिता (Short-Sightedness) को ठीक कर सकती है।
  • दर्द रहित और ब्लेड रहित होती है।
  • सुरक्षित और यूएस-एफडीए अपरुव्ड

निष्कर्ष

भारत में चश्मा हटाने की नई LASIK तकनीक ने नेत्र-चिकित्सा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव किया है। Contoura Vision, SMILE और Custom Eyes LASIK जैसी आधुनिक प्रक्रियाएँ न सिर्फ सुरक्षित हैं, बल्कि मरीजों को स्थायी रूप से स्पष्ट दृष्टि प्रदान करती हैं। भारत में चश्मा हटाने की नई AI-संचालित LASIK तकनीकें आपकी दृष्टि सुधार यात्रा को एक नए स्तर पर ले जा रही हैं। यह विकल्प सिर्फ आपके लिए सर्जरी नहीं, बल्कि दृष्टि की गुणवत्ता का पूर्वावलोकन, उच्च सटीकता, और तेजी से रिकवरी प्रदान करता है। अगर आप आंखों की इस नई क्रांति का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो एक अनुभवी नेत्र विशेषज्ञ से शीघ्र परामर्श कर लाभ उठाएं। अगर आप चश्मा हटाने का सोच रहे हैं, तो किसी अनुभवी नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेकर सही विकल्प चुनें।

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जेसीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अनुराग सक्सेना ने देहदान का संकल्प ले पेश की मानवता की मिसाल https://sanjayrajput.com/2025/08/jci-national-president-dr-anurag-saxena-set-an-example-of-humanity-by-pledging-to-donate-his-body.html https://sanjayrajput.com/2025/08/jci-national-president-dr-anurag-saxena-set-an-example-of-humanity-by-pledging-to-donate-his-body.html#respond Fri, 01 Aug 2025 06:48:59 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1174 Read more

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जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अनुराग सक्सेना ने अंगदान और देहदान व्यवस्था से प्रेरित होकर सहर्ष देहदान और अंगदान हेतु स्वयं का अभियान करवा मानवता की मिसाल पेश की है बकौल डॉ सक्सेना मेरा मानना है कि इस संसार में सब कुछ नश्वर है सबकुछ एक दिन नष्ट होगा। ऐसे में यह शरीर भी एक दिन नष्ट होगा और जब आप नष्ट होंगे तो आप पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर होंगे ऐसे में आपके साथ क्या होगा यह आप नहीं जानते। वर्तमान पीढी मे आपके दिए संस्कार उस समय क्या निर्णय लेंगे यह भी आपको जानकारी नहीं है। आज के परिदृश्य में तमाम ऐसी घटनाएं सामने आई है कि कोई अंतिम संस्कार तक करने नहीं आया। बच्चो के अच्छे भविष्य के लिए वह हमसे दूर है उस समय आ पाये या किसी परिस्थति के कारण न आ पायें यह समय पर निर्भर है। ऐसे में क्यों न इस देह के अंग दान कर दिया जाये। ऐसा करने से किसी न किसी को इस बेकार शरीर से कोई न कोई लाभअवश्य मिल जायेगा। जैसे जब घर मे रखे बर्तन जब पुराने और बेकार हो जाते है तो उस समय उन्हे फेंकने की नौबत आ जाती है क्योकि खराब चीज कोई रखना नहीं चाहता तो उसे फेंकने से बेहतर है उसके बदले में भले ही एक छोटी चीज ले ली जाये वह अवश्य किसी न किसी के काम आ जाती है। डॉ सक्सेना के इस संकल्प से निःसंदेह समाज में एक पॉजिटिव संदेश जाएगा।

डॉ अनुराग सक्सेना ने बताया कि जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के हमारे राजस्थान प्रदेश के संयोजक डॉ राकेश वशिष्ठ भी पूर्व में 2002 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में देहदान और अंगदान का पंजीयन करवा चुके हैं साथ ही अभी तक स्वयं 104 बार रक्तदान कर चुके हैं और अभी तक लगभग 534 व्यक्तियों को मोटिवेट करके देहदान और अंगदान का पंजीयन करवा चुके हैं और लगातार आम जनता को रक्तदान अंगदान और देहदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं और युवाओं के प्रेरणा श्रोत बने हुए हैं।

डॉ अनुराग सक्सेना ने बताया के मनुष्य जब जन्म लेता है तब उसे सृष्टि के सृजनकर्ता और प्रकृति और समाज से जीवन पर्यंत बहुत कुछ मिलता है अतः जाते जाते जीवन में कुछ ऐसा कर जाओ कि एक मिसाल बन जाए और हमारी मृत्यु के बाद भी हम किसी न किसी रूप में इस संसार में जीवित रहें और वह हमारे सद्‌कर्म और रक्तदान देहदान और अंगदान हैं जिनके माध्यम से हम अपनी मृत्यु के उपरांत भी किसी व्यक्ति को जीवनदान देते हुए उसके शरीर में किसी न किसी रूप में जीवित रहते हैं अतः समाज में कैंप आयोजित कर लोगों को जागरूक कर अधिक से अधिक रक्तदान देहदान और अंगदान की जागरूकता फैलाने के लिए कटिबद्ध होकर कार्य करने की आवश्यकता है। डॉ सक्सेना के इस कदम की इष्ट मित्रों समाजसेवकों ने भूरी भूरी प्रशंसा की और बधाई दी।

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सुमित सिंह श्रीनेत बने हिंदू सुरक्षा सेवा संघ युवा संभाग के महानगर संयोजक https://sanjayrajput.com/2025/06/hindu-suraksha-sewa-sangh-gorakhpur-sanyojak.html https://sanjayrajput.com/2025/06/hindu-suraksha-sewa-sangh-gorakhpur-sanyojak.html#respond Sun, 22 Jun 2025 14:33:12 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1168 Read more

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गोरखपुर। हिंदू सुरक्षा सेवा संघ गोरखपुर महानगर के अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा पल्लू एडवोकेट ने संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सिद्ध पीठ हनुमानगढी के महंत राजू दास महाराज की प्रेरणा से सुमित सिंह श्रीनेत को गोरखपुर युवा संभाग का महानगर संयोजक नियुक्त किया है उन्होंने इसके साथ-साथ महानगर के 11 सह संयोजको की भी घोषणा की जिसमें सात्विक सिंह श्रीनेत,अमन उपाध्याय, शशांक शेखर सिंह, प्रशांत सिंह, दीपक शुक्ला, सत्येंद्र यादव, दीपक जायसवाल, देवेश पांडे, ओमप्रकाश तथा कमल किशोर सिंह हैं। 

मनोनयन कार्यक्रम मे युवाओं को संबोधित करते हुए संघ के महानगर अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा पल्लू एडवोकेट ने कहा कि युवा ही परिवर्तन का वाहक है युवाओं के दम पर ही हिंदू सुरक्षा सेवा संघ हिंदुत्व के जागरण अभियान को मजबूत करने का प्रयास करेगा उन्होंने कहा कि हिंदू सुरक्षा सेवा संघ युवा संभाग के माध्यम से एक घर एक हिंदू युवा जोड़कर पूरे देश के हिंदुओं को संगठित करने का कार्य करेगा।

कार्यक्रम का संचालन महानगर के महामंत्री सुधीर यादव ने किया कार्यक्रम में मुख्य रूप से दिवाकर शाही, पुष्पराज सिंह, रवि विश्वकर्मा, धीरज सिंह, वशिष्ठ पासवान, सोनू निषाद, संदीप कुमार, अविनाश पासवान, रमन तिवारी, अभिषेक यादव, धनंजय शर्मा सहित बड़ी संख्या में युवा उपस्थित रहे।

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हम भारतीय सदियों तक गुलाम क्यों रहे? पढ़िए… https://sanjayrajput.com/2025/06/%e0%a4%b9%e0%a4%ae-%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%a4%e0%a5%80%e0%a4%af-%e0%a4%b8%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%a4%e0%a4%95-%e0%a4%97%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%ae.html https://sanjayrajput.com/2025/06/%e0%a4%b9%e0%a4%ae-%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%a4%e0%a5%80%e0%a4%af-%e0%a4%b8%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%a4%e0%a4%95-%e0%a4%97%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%ae.html#respond Thu, 19 Jun 2025 06:16:09 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1164 Read more

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आतताइयों से जिस तरह क्षत्रिय लड़े, अगर पूरा हिन्दू समाज लड़ा होता तो क्या हम कभी गुलाम हो सकते थे?

कभी-कभी विचार आता है कि अंग्रेज कितने साहसी और बुद्धिमान रहे होंगे, जिन्होंने एक ठण्डे से प्रदेश से निकलकर, अनजान रास्तों और अनजान जगहों पर जाकर लोगों को अपना गुलाम बनाया। देखा जाए तो ब्रिटेन की जनसंख्या और क्षेत्रफल भारत के गुजरात राज्य के ही बराबर है। लेकिन उन्होंने दशकों नहीं शताब्दियों तक दुनिया को गुलाम बनाए रखा।

भारत की करोड़ों की जनसंख्या को मात्र कुछ लाख या हजार लोगों ने सदियों तक गुलाम बनाकर रखा, और केवल गुलाम ही नहीं बनाया बल्कि खूब हत्यायें और लूटपाट भी की। उनको अपनी कौम पर कितना गर्व होता होगा कि हम मुठ्ठी भर लोग सदियों तक दुनिया के देशों को नाच नचाते रहे।

भारत के एक जिले में शायद ही 50 से अधिक अंग्रेज रहे होंगे। लेकिन लाखों लोगों के बीच, अपनी धरती से हजारों मील दूर आकर, अपने से संख्या में कई गुना अधिक लोगों को इस तरह गुलाम रखने के लिए उनमें अद्भुत साहस रहा होगा।

अरब के रेगिस्तान से कुछ भूखे लुटेरे और आततायी आए, और उन्होंने भी हमको लूटा, मारा, और महिलाओं के साथ अन्य पैशाचिक कर्म किये। हम वहाँ भी नाकाम रहे, उन्होंने हमारे मन्दिर तोड़े, स्त्रियों से बलात्कार किये, लेकिन हमने क्या किया? पहले दिन में विवाह होते थे, उनके भय से हम रात को चुपचाप विवाह करने लगे। जब वे कन्याओं को उठा ले जाने लगे तो हम बचपन में ही शादी करने लगे।

और….अगर उसमें भी असुरक्षा होने लगी तो हम बेटी को पैदा होते ही मारने लगे, लेकिन यही कठोर सच्चाई है।

हमारे ऊपर जब आक्रमण हो रहे थे और जब हम युद्धकाल से गुजर रहे थे, हमारी बहुसंख्यक जनसंख्या इस मानसिकता में थी कि “कोउ नृप होइ हमें का हानी”। तात्पर्य कि आम आदमी को युद्ध से, राज्य से, राजा से कोई सरोकार नहीं था। उनकी यही सोच थी कि यह सब तो क्षत्रियों के काम हैं, उनको करना है तो करें, नहीं करना तो न करें।

आज इजरायल बुरी तरह शत्रुओं से घिरा हुआ है लेकिन सुरक्षित है, क्योंकि वहाँ के प्रत्येक व्यक्ति पर देश और धर्म की सुरक्षा का दायित्व है।

डॉ. अम्बेडकर का वह कथन सोचने पर मजबूर का देता है कि यदि समाज के एक बड़े वर्ग को युद्ध से दूर नहीं किया गया होता तो भारत कभी गुलाम नहीं बनता।

आप स्वयं विचार करके देखिए कि आतताइयों से जिस तरह क्षत्रिय लड़े, अगर पूरा हिन्दू समाज लड़ा होता तो क्या हम कभी गुलाम हो सकते थे?

आज भी कुछ नहींं बदला है, मुगलों और अंग्रेजों का स्थान एक खास वर्ग ने ले लिया है, और वामपंथियों/सेकुलरों के रूप में खतरनाक गद्दारों की फौज भी खड़ी हो गई है। लेकिन सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि हम आज भी बंटे हुए हैं, 100 करोड़ होकर भी मूक दर्शक बने हुए हैं।

-साभार

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Lalu Ke Jungleraj Ki Kahani in Hindi: लालू के जंगलराज की रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी https://sanjayrajput.com/2025/05/lalu-ke-jungleraj-ki-kahani-in-hindi.html https://sanjayrajput.com/2025/05/lalu-ke-jungleraj-ki-kahani-in-hindi.html#respond Fri, 30 May 2025 05:10:52 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1146 Read more

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lalu ke jungleraj ki kahani in hindi

– जब लालू के गुर्गे शहाबुद्दीन ने अपराध और बर्बरता की हदें पार की

– सीवान के व्यवसाई चंदा बाबू के 2 बेटों को तेज़ाब से नहला दिया

– लाश के टुकड़े कर बोरे में भरकर फेंक दिया था

-इसके बाद भी शाहबुद्दीन जीवन भर लालू का यार रहा

-शहाबुद्दीन के तेज़ाब कांड की वो टाइमलाइन, जिसे पढ़कर आप कांप उठेंगे…

lalu ke jungleraj ki kahani in hindi: बात वर्ष 2004 की है, बिहार के सीवान में शहाबुद्दीन का आतंक चरम पर था. सीवान में चंद्रेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू एक छोटे से व्यवसाई थे. मुख्य बाजार में दो दुकानें थीं. एक दुकान पर उनका बेटा सतीश बैठता था, दूसरे पर दूसरा बेटा गिरीश.

उन दिनों शहाबुद्दीन सीवान में अपनी खुद की अदालत लगाता था. उसके गुर्गे खुलेआम जमीनों पर कब्ज़ा, रंगदारी और वसूली करते थे.

अगस्त 2004 के पहले सप्ताह में शहाबुद्दीन के गुंडों ने चंदा बाबू के निर्माणाधीन मकान में बनी एक दुकान पर कब्जा करने की कोशिश की. चंदा बाबू ने इसका मुकाबला किया और दुकान पर कब्ज़ा नहीं होने दिया.

यहां से शहाबुद्दीन भड़क गया और शुरू हुआ उसकी बर्बरता का काला अध्याय…

lalu ke jungleraj ki kahani in hindi

वो 16 अगस्त, 2004 का दिन था, शहाबुद्दीन के गुर्गे के चंदा बाबू की किराने की दुकान पर रंगदारी मांगने पहुंचे. दुकान पर उनका बेटा सतीश बैठा था, जिससे 2 लाख रुपए मांगे गए. सतीश ने रंगदारी देने से माना कर दिया और कहा कि पैसे नहीं है. गुंडों ने मारपीट शुरू की तो सतीश का भाई 30-40 हजार रुपए देने को तैयार हो गया.

शहाबुद्दीन के गुंडों ने सतीश की दुकान पर धावा बोल दिय. नगदी लूट ली गई, दुकान ध्वस्त कर दी गई. इसके बाद शहाबुद्दीन के गुंडे सतीश को उठा ले गए.

थोड़ी देर बाद सतीश के भाई गिरीश की दुकान पर धावा बोल दिया और उसे भी उठा लिया. सतीश और गिरीश के भाई राजीव को भी उठा लिया गया.

अब आगे लालू के जंगलराज और शहाबुद्दीन के आतंक की बर्बर कहानी है…

चंदा बाबू के तीनों बेटों का अपहरण कर सीवान के प्रतापपुर ले जाया गया. प्रतापपुर में शहाबुद्दीन की कोठी थी. ईख के खेत के पास गिरीश और सतीश को पेड़ से बांध दिया. राजीव को बैठाकर रखा गया. कुछ देर बाद तत्कालीन सांसद शहाबुद्दीन वहां पहुंचा. शहाबुद्दीन ने अपना कोर्ट लगाया और फैसला सुनाया कि दोनों को तेज़ाब से नहला दो.

शहाबुद्दीन का फरमान सुनते ही उनके गुर्गों ने गिरीश और सतीश पर तेजाब डालना शुरू किया. दोनों पर तेज़ाब से भरी बाल्टियां उड़ेल दी गईं. सतीश और गिरीश तड़पते रहे, तेज़ाब से धुआं उठता रहा, गंध फैलती रही. जैसे जैसे सतीश और गिरीश चिल्लाते, शहाबुद्दीन और गिरीश उतना ही अट्टहास करते. इसके बाद दोनों की लाश के टुकड़े किए गए. लाश के टुकड़ों को बोरे में भरकर फेंक दिया गया.

चंदा बाबू का तीसरा बेटा एकदम सुन्न पड़ गया. राजीव को बंधक बना चंदा बाबू से फिरौती की मांग शुरू कर दी.

जिस दिन ये वारदात हुई, उस दिन चंदा बाबू अपने भाई के पास पटना गए थे. वारदात की ख़बर पूरे सीवान में आग की तरह फैल गई. किसी ने पटना में चंदा बाबू को फोन करके कहा कि वह सीवान न आएं वरना मार दिए जाएंगे. उन्हें बताया गया कि उनके दो बेटे मारे जा चुके हैं, जबकि एक बेटा राजीव कैद में है. राजीव वहीं शहाबुद्दीन की कैद में था. मगर दो दिनों बाद वह किसी तरह भागने में कामयाब हो गया.

राजीव किसी तरह से गन्ने से लदे एक ट्रैक्टर में छिपकर चैनपुर पहुंचा. वहां से वो उत्तर प्रदेश के पड़रौना जा पहुंचा. वहां उसने स्थानीय सांसद के घर शरण ली. इस दौरान चंदा बाबू की पत्नी, दोनों बेटियां और एक अपाहिज बेटा भी घर छोड़कर जा चुके थे.

चंदा बाबू का पूरा परिवार तबाह हो चुका था, लेकिन शहाबुद्दीन का खौफ और आतंक अभी भी जारी था.

चंदा बाबू हिम्मत जुटाकर सीवान पहुंच गए. उन्होंने वहां पुलिस अधीक्षक से मिलने की कोशिश की लेकिन मिल नहीं सके. थाने पहुंचे तो थानेदार कांप उठा और कहा कि तुरंत सीवान छोड़ दीजिए.

चंदा बाबू छपरा के सांसद को लेकर पटना में एक बड़े नेता के पास गए. उस नेता ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मामला सीवान का है, तो वह कुछ नहीं कर सकते.

तभी शहाबुद्दीन के गुर्गों ने चंदा बाबू के पटना वाले भाई को फोन कर धमकी दी. वो धमकी से इतना घबरा गए कि उन्होंने फौरन चंदा बाबू का साथ छोड़ दिया और फौरन अपना तबादला पटना से मुंबई करा लिया. वहां जाने के बाद भी उनको धमकी भरे फोन किए गए, जिसकी वजह से उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई.

भाई की मौत की खबर सुनकर चंदा बाबू बेहोश हो गए. अब चंदा बाबू सीवान छोड़कर पटना में रहने लगे. बेसुध घूमते चंदा बाबू को एक विधायक ने शरण दी. पटना में ही चंदा बाबू किसी तरह से एक बार फिर सोनपुर के एक बड़े नेता से मिले. नेता ने मदद का आश्वासन दिया और बिहार के डीजीपी नारायण मिश्र से बात की. डीजीपी ने आईजी को पत्र लिखा. आईजी ने डीआईजी को और फिर डीआईजी ने एसपी को पत्र लिखा लेकिन चंदा बाबू को कोई मदद नहीं मिली.

चंदा बाबू निराश होकर दिल्ली चले गए. वहां उनकी मुलाकात राहुल गांधी से हुई, मगर केवल आश्वासन मिला. हिम्मत करके चंदा बाबू फिर सीवान आए. सीवान आकर एसपी से मिले तो एसपी ने चंदा बाबू को सिवान छोड़ देने की बात कही. निराश होकर चंदा बाबू फिर से डीआईजी ए.के. बेग से मिलने पहुंच गए. डीआईजी ने उनकी बात सुनकर एसपी को फटकार लगाई और फौरन सुरक्षा देने के लिए कहा. उसके बाद चंदा बाबू को सुरक्षा मिल गई. तब वह सीवान में ही रहने लगे.

इस दौरान बिहार में RJD की सरकार थी. चंदबाबू की न तो सरकार सुन रही थी और प्रशासन पंगु बना हुआ था. 2005 में सरकार बदली NDA से नीतीश कुमार CM बने. इसके बाद शहाबुद्दीन पर शिकंजा कसना शुरू हुआ. उसी साल शहाबुद्दीन से दिल्ली से गिरफ्तार हुआ. नीतीश सरकार आने के बाद शहाबुद्दीन पर दर्ज मामलों की सुनवाई भी तेजी से होने लगी, लेकिन अभी शाहबुद्दीन का खौफ ख़त्म नहीं हुआ.

सालों गुजर गए लेकिन चंदा बाबू को न्याय नहीं मिला. शहाबुद्दीन को निचली अदालत ने इस बीच कई मामलों में सजा मिली और वह जेल में था. शाहबुद्दीन के खिलाफ 39 हत्या और अपहरण के मामले थे. 38 में उसे जमानत मिल चुकी थी और 39वां केस राजीव का था जो अपने दो सगे भाईयों की हत्या का चश्मद्दीद गवाह था.

चंदा बाबू हिम्मत हार रहे थे. 2014 में 26 मई को नरेंद्र मोदी ने PM पद की शपथ ली. 30 मई 2014 को चंदा बाबू के बेटे राजीव की शादी हुई. 19 जून 2014 को राजीव की कोर्ट में गवाही होनी थी, जिसके आधार पर शहाबुद्दीन को सजा मिलती. तभी 2016 जून 2014 को राजीव की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस तरह चंदा बाबू के 3 बेटे लालू यादव के दोस्त शहाबुद्दीन ने या तो मार दिए या मरवा दिए.

राजीव की हत्या के साथ शहाबुद्दीन की जमानत का रास्ता साफ हो गया था. आखिरकार 11 साल बाद शहाबुद्दीन जमानत पर बाहर आ गया. उसके बाहर आने से सूबे की सियासत में हलचल मच गई. तब सरकार की पहल पर सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन की जमानत रद्द कर दी और उसे फिर से जेल जाना पड़ा.

चंदा बाबू पूरा जीवन न्याय की लड़ाई लड़ते रहे. वे चाहते थे कि उनके बेटों के हत्यारे शहाबुद्दीन को फांसी हो. फांसी तो नहीं हुई लेकिन शहाबुद्दीन जेल में बंद जरूर रहा.

दिसंबर 2020 को न्यायालय में इंसाफ की लड़ाई लड़ते-लड़ते चंदा बाबू का निधन हो गया. 1 मई 2021 को शहाबुद्दीन का कोरोना के कारण निधन हो गया

शहाबुद्दीन का बेटा ओसामा और बीवी हिना आज भी RJD में है. न्याय और मर्यादा के नाम पर अपने बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी से निकालने वाले लालू यादव शहाबुद्दीन के आतंक पर हमेशा चुप रहे. सिर्फ चुप नहीं रहे बल्कि हमेशा शहाबुद्दीन का साथ दिया और आज भी दे रहे हैं.

आप स्वयं तय करें कि आखिर लालू और RJD का ये कैसा न्याय है, जहां उनकी सत्ता शहाबुद्दीन जैसे कुख्यात अपराधी को खुला संरक्षण देती है और बिहार के विकास में अपना योगदान देने वाले चंदा बाबू को उनका पूरा परिवार तबाह हो जाने के बाद भी न्याय नहीं मिलता.

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Yogi Adityanath History in Hindi: गैंगस्टर्स के गढ़ गोरखपुर में कैसे उभरे योगी आदित्यनाथ? https://sanjayrajput.com/2025/05/yogi-adityanath-history-in-hindi.html https://sanjayrajput.com/2025/05/yogi-adityanath-history-in-hindi.html#respond Fri, 23 May 2025 05:57:16 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1139 Read more

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हाता और शक्ति सदन की लड़ाई में कैसे हुई योगी आदित्यनाथ की एंट्री?

Yogi Adityanath History in Hindi: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक ऐसा नाम है जिसने न केवल अपनी छवि बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीतिक दिशा को भी बदला है—योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)। उनकी कहानी केवल एक राजनेता की नहीं, बल्कि एक ऐसे क्षेत्र की भी है जो कभी गैंगस्टर्स और अपराधियों के गढ़ के रूप में जाना जाता था। इस लेख में हम देखेंगे कि कैसे गोरखपुर के उस माहौल से निकलकर योगी आदित्यनाथ ने खुद को स्थापित किया और राजनीति की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई।

योगी आदित्यनाथ: असली नाम और शुरुआत

योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का असली नाम है अजय सिंह बिष्ट, जो उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में जन्मे थे। उन्होंने धार्मिक शिक्षा ग्रहण की और महंत अवैद्यनाथ के सान्निध्य में रहकर गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर से जुड़ गए। महंत अवैद्यनाथ के मार्गदर्शन में योगी ने न केवल धार्मिक गतिविधियों में बल्कि सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी सक्रिय भूमिका निभाई।

गोरखपुर, जो कभी अपराधियों और गैंगस्टरों का गढ़ था, वहां योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने धार्मिक और सामाजिक सुधारों के साथ-साथ राजनीतिक सक्रियता भी दिखाई। उनके नेतृत्व में यह क्षेत्र धीरे-धीरे बदलने लगा।

गोरखपुर की राजनीतिक पृष्ठभूमि और अपराध की समस्या

गोरखपुर (Gorakhpur) का राजनीतिक इतिहास काफी जटिल रहा है। 1990 के दशक में यहां के हालात ऐसे थे कि अपराध और हिंसा आम बात थी। राजनीतिक दलों के बीच सत्ता संघर्ष और आपसी लड़ाइयों ने इस क्षेत्र को अस्थिर कर दिया था।

इस दौरान राम जन्मभूमि आंदोलन ने पूरे उत्तर भारत में राजनीतिक माहौल को गहरा प्रभावित किया। राम जन्मभूमि के मुद्दे ने हिंदू राष्ट्रवाद को बल दिया और उसी समय महंत अवैद्यनाथ जैसे धार्मिक नेताओं की भूमिका भी बढ़ी।

योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने इस संदर्भ में खुद को एक मजबूत हिंदू राष्ट्रवादी नेता के रूप में स्थापित किया। उन्होंने न केवल धार्मिक जनसमूह को संगठित किया, बल्कि राजनीतिक मोर्चे पर भी अपनी पकड़ मजबूत की।

महंत अवैद्यनाथ और योगी आदित्यनाथ का संबंध

महंत अवैद्यनाथ, गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महंत और एक प्रभावशाली धार्मिक नेता थे, जिन्होंने योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के राजनीतिक करियर की नींव रखी। अवैद्यनाथ ने योगी को अपना उत्तराधिकारी बनाया और उन्हें गोरखपुर से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया।

महंत अवैद्यनाथ स्वयं भी राजनीति में सक्रिय रहे और उनके प्रभाव ने योगी के राजनीतिक सफर को गति दी। योगी ने महंत जी के नक्शेकदम पर चलते हुए गोरखपुर (Gorakhpur) की राजनीति को नई दिशा दी।

उत्तर प्रदेश की राजनीतिक राजनीति: 1990 का दशक

1990 के दशक में उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई अहम घटनाएं हुईं, जिनका योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के उभार पर गहरा प्रभाव पड़ा। उस समय के राष्ट्रपति शासन, मंडल आयोग की सिफारिशें, और तत्कालीन प्रधानमंत्रियों जैसे अटल बिहारी वाजपेयी, चंद्रशेखर, राजीव गांधी के दौर ने प्रदेश की राजनीति को जटिल बना दिया।

राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की हत्या के बाद राजनीतिक स्थिरता में कमी आई, जिससे उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की राजनीति और भी अस्थिर हो गई। इसी बीच योगी आदित्यनाथ ने धार्मिक और सामाजिक आधार पर अपना जनाधार मजबूत किया।

राम जन्मभूमि आंदोलन और योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक उदय

राम जन्मभूमि आंदोलन ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को पूरी तरह से बदल कर रख दिया। इस आंदोलन ने धार्मिक भावनाओं को राजनीतिक ताकत में बदल दिया। योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और इसे अपनी राजनीतिक पहचान का आधार बनाया।

उन्होंने राम मंदिर के मुद्दे को राजनीतिक मंच पर उठाया और हिंदू राष्ट्रवाद की विचारधारा को मजबूती से अपनाया। इस कारण वे उत्तर प्रदेश में बीजेपी के मजबूत चेहरों में से एक बने।

गोरखपुर से मुख्यमंत्री तक: योगी आदित्यनाथ का सफर

गोरखपुर से सांसद बनने के बाद योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने लगातार अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत की। उनके नेतृत्व में गोरखपुर का विकास हुआ, साथ ही सामाजिक सुधारों पर भी जोर दिया गया। वे लगातार 5 बार गोरखपुर सीट से सांसद चुने गए।

2017 में, योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश में कानून-व्यवस्था, विकास और धार्मिकता के मुद्दे प्रमुख रहे।

कानून-व्यवस्था में सुधार

उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति सुधारने के लिए योगी सरकार ने कई कदम उठाए। गैंगस्टर और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई, जिससे प्रदेश में अपराध दर में कमी आई।

धार्मिक और सामाजिक सुधार

धार्मिक स्थलों के विकास और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ योगी ने सामाजिक सुधारों पर भी ध्यान दिया। उन्होंने सामाजिक समरसता और विकास के लिए कई योजनाएं शुरू कीं।

राजनीतिक क़िस्से: गलतफहमियां और सुधार

राजनीतिक इतिहास में अक्सर गलतफहमियां और भ्रांतियां होती हैं। ऐसे मामलों में सत्य की खोज और सुधार आवश्यक होता है। यह दिखाता है कि राजनीति में तथ्यों की जांच और सही जानकारी का महत्व कितना बड़ा है। योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के राजनीतिक सफर में भी कई बार गलतफहमियां और आलोचनाएं आईं, लेकिन उन्होंने अपने कार्यों से अपनी छवि मजबूत की।

निष्कर्ष: योगी आदित्यनाथ और गोरखपुर की नई पहचान

गोरखपुर, जो कभी अपराध और अस्थिरता का केंद्र था, आज योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व में एक नए युग में प्रवेश कर चुका है। उनकी धार्मिक जड़ों और राजनीतिक कुशलता ने इस क्षेत्र को न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी बदल दिया है।

योगी का सफर यह दिखाता है कि कैसे एक क्षेत्र की जटिल राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं को समझकर, सही नेतृत्व और दृढ़ इच्छाशक्ति से बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। उनकी कहानी न केवल गोरखपुर के लिए प्रेरणा है, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश और भारत के लिए भी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक अध्याय है।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की भूमिका आज भी चर्चा का विषय बनी हुई है, और उनकी कहानी राजनीतिक क़िस्सों में एक प्रेरणादायक मिसाल के रूप में याद रखी जाएगी।

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Geothermal Cooling System for Home: इस उपाय से घर में 12 महीने आएगी ताजा हवा, नहीं होगी एसी की जरूरत https://sanjayrajput.com/2025/05/geothermal-cooling-system-for-home.html https://sanjayrajput.com/2025/05/geothermal-cooling-system-for-home.html#respond Thu, 22 May 2025 07:13:35 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1132 Read more

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Geothermal Cooling System for Home: हमारी धरती के लगभग दस फीट नीचे तापमान सम रहता है। वह ना तो गर्मी में 45 – 50℃ तक जाता व ना ही सर्दियों में 0 – 2 ℃ तक जाता। वह लगभग 20 – 22℃ ही रहता है। अगर हम मकान बनाने से पहले नींव खोदते समय अपने मकान के नीचे चित्र में दिखाये गये उपकरण को लगा लेंगे तो हमारे मकान में बारह महीने ताजा हवा आयेगी व हमारा घर प्राकृतिक रूप से वातानुकूलित हो जायेगा।

इसके विपरीत जब हम AC लगाते हैं तो हमें खिड़की व दरवाजे बंद करने पड़ते हैं जिससे हमारा शयन कक्ष एक कम ऑक्सीजन का चैंबर बन जाता है जो कि हमें अस्वस्थ करता है। बिजली का भी अनावश्यक दुरूपयोग होता है तथा पर्यावरण व स्वास्थ्य हानि के साथ साथ हमें बिजली के बिल के रूप में आर्थिक हानि भी होती है। इस यंत्र को लगाने व घर के हवा प्रवाह को सही कर लेने मात्र से हम बारह महीने शुद्ध हवा व नियमित तामपान का अपने घर में आनंद ले सकते हैं।

Geothermal Cooling System for Home: दरअसल इस टेक्नोलॉजी का नाम Geothermal Heating एंड Cooling सिस्टम है। इसके स्टार्टिंग एक्सपेरिमेंट भी काफी हद तक सक्सेसफुल रहे हैं, तो क्या है ये थर्मल हीटिंग एंड कूलिंग? आज इससे के बारे में डिटेल में जानेंगे कि किस तरीके से बड़े से बड़े घर या छोटे से-छोटे घर को हम थर्मल की मदद से ठंडा या फिर गर्म रख सकते हैं।

Geothermal Cooling System कैसे काम करता है?

Geothermal Cooling System for Home: संक्षेप में कहें तो, भूतापीय तापन आपके घर के नीचे या उसके पास पाइपों के भूमिगत लूप के माध्यम से तापमान-संचालन द्रव को स्थानांतरित करके काम करता है । यह द्रव को सूर्य से पृथ्वी में जमा तापीय ऊर्जा को इकट्ठा करने की अनुमति देता है। यह सबसे ठंडी सर्दियों में भी अच्छी तरह से काम करता है क्योंकि फ्रॉस्टलाइन के नीचे की धरती पूरे साल 55 डिग्री फ़ारेनहाइट पर स्थिर रहती है। गर्मी को पंप में वापस प्रसारित किया जाता है और फिर आपके डक्ट वर्क का उपयोग करके आपके पूरे घर में समान रूप से वितरित किया जाता है। 

अनिवार्य रूप से, ऊष्मा स्थानांतरण प्रक्रिया विपरीत तरीके से काम करती है। यहाँ संक्षिप्त विवरण दिया गया है: जैसे ही आपके घर में हवा प्रसारित होती है, आपका हीट पंप हवा से गर्मी निकालता है और इसे उस तरल पदार्थ में स्थानांतरित करता है जो जमीन पर प्रसारित होता है। चूंकि जमीन कम तापमान (55F) पर होती है, इसलिए तरल पदार्थ से गर्मी जमीन पर फैल जाती है। आपके घर में ठंडी हवा का आना प्रसारित हवा से गर्मी निकालने, उस गर्मी को जमीन पर स्थानांतरित करने और ठंडी हवा को वापस आपके घर में वापस लाने की प्रक्रिया का परिणाम है। 

Geothermal Heating एंड Cooling सिस्टम का वर्किंग प्रोसेस

तो सबसे पहले बात करते हैं कि इस पूरे के पूरे Geothermal Heating एंड Cooling सिस्टम का वर्किंग प्रिंसिपल क्या है। जिसकी मदद से यह हमारे घरों को सर्दी में गर्म और गर्मी में ठंडा रखता है। सबको पता है कि जब हम ठंड के समय में बोरवेल का पानी निकाल कर नहाते हैं तो वह पानी हल्का सा गर्म होता है और इसी तरीके से गर्मी के टाइम होता है तो बोरवेल का पानी ठंडा मिलता है तो ये AC भी इसी प्रिंसिपल के बेसिस पर डिजाइन हुआ है। अगर हम जमीन में कुछ मीटर नीचे चले जाते हैं तो सर्दी के टाइम पर हमें टेंपरेचर गर्म मिल जाता है और गर्मियों के टाइम पर उल्टा हो जाता है।

व्यापक स्तर पर, यह न केवल आपके घर की वायु गुणवत्ता पर लागू होता है, बल्कि सामान्य रूप से हमारे वातावरण पर भी लागू होता है। भूतापीय HVAC में अपग्रेड करना सबसे प्रभावशाली चीजों में से एक है जो आप एक स्वस्थ वातावरण का समर्थन करने के लिए कर सकते हैं। अकेले अमेरिका में एयर कंडीशनर हर साल वायुमंडल में 100 मिलियन टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं । 

भारत में भी Geothermal Cooling System for Home टेस्टिंग जारी और जल्द ही देश में आपको ये देखने को मिल सकता है। अधिक जानकारी के लिए आप Google पर जाकर Geothermal Cooling System for Home सर्च कर सकते हैं।

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Health Tips For Long Living: एम्स के डॉक्टर ने दिए 80 साल तक हेल्दी रहने के आसान टिप्स https://sanjayrajput.com/2025/05/health-tips-for-long-living.html https://sanjayrajput.com/2025/05/health-tips-for-long-living.html#respond Wed, 21 May 2025 10:48:22 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1128 Read more

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Health tips for long living: क्या कोई 80 साल तक जिंदा रहकर पूरी तरह से स्वस्थ रह सकता है. अगर एम्स के मशहूर डॉक्टर प्रसून चटर्जी से यह सवाल पूछेंगे तो वे तुरंत इसका जवाब देंगे कि बिल्कुल रह सकते हैं.

80 साल क्या सौ साल भी बिना किसी बीमारी के रहा जा सकता. डॉ. प्रसून चटर्जी कहते हैं कि जब भी आपको लंबा और हेल्दी जीने की चाहत हो तो अपने ऋषि-मुनियों के बारे में सोचना कि वे कैसे बिना किसी बीमारी के इतने दिनों तक जीते थे. अगर उनकी दिनचर्या को फॉलो किया जाए तो कोई भी हेल्दी रहकर बिना किसी बीमारी के सौ साल तक जिंदा रह सकते हैं. आइए जानते हैं कि सौ साल तक जीने के लिए क्या करना होगा.

जिंदगी को बढ़ाने वाली दवा क्या है?

एम्स नई दिल्ली में नेशनल सेंटर फॉर एजिंग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. प्रसून चटर्जी ने बताया कि 80 साल तक हेल्दी जीने के लिए आपको अनुशासित और साधारण जीवन जीना होगा. तरीका बहुत सामान्य है जिसमें आपको हेल्दी और बैलेंस फूड लेना है रोज एक्सरसाइज करनी है. सबसे पहला काम आपका यह है कि आप रोज एक्सरसाइज करें. यह जान लीजिए आपकी एक मिनट की एक्सरसाइज आपकी आयु को 7 मिनट तक लंबी कर देगी. इसके लिए आपको हर वक्त कठिन मेहनत नहीं करनी है या जिम ही नहीं जाना है. साधारण वॉक ही इसके लिए काफी है. अगर आप 6-7 हजार कदम रोजाना चलते हैं तो यही काफी है. इससे जितना ज्यादा कदम चलेंगे उतना ही फायदा होगा. अगर आप यंग हैं तो थोड़ा ज्यादा चलिए और थोड़ी तेज चलिए. धरती पर 5 ब्लूजोन वाले लोग हैं जहां के लोग बहुत हेल्दी रहते हैं और 100-100 साल तक जीते हैं. ये लोग रोजाना हर हाल में वॉक करते हैं. चूंकि य पांचों इलाके पहाड़ी वाली जगहों में हैं, इसलिए ये लोग अक्सर पहाड़ों की ऊंचाई पर वॉक करते हैं. जब चढ़ाई वाले रास्तों पर चलेंगे तो इसका फायदा बहुत ज्यादा होगा. इसलिए हर हाल में रोज वॉक कीजिए या एक्सरसाइज कीजिए.

भोजन में कमी सबसे महत्वपूर्ण

डॉ. प्रसून चटर्जी ने बताया कि एक्सरसाइज के बाद आपको भोजन पर ध्यान देना होगा. अगर लंबा और हेल्दी जीवन जीना चाहते हैं. हेल्दी और बैलेंस फूड का सेवन कीजिए. जापान में ओकिनावा एक जगह है, जहां के लोग ज्यादा जीते हैं और हेल्दी भी रहते हैं. जब कई सालों तक रिसर्च की गई तो पाया गया कि यहां के बच्चे अन्य जगहों के बच्चों की तुलना में 20 से 30 प्रतिशत तक कम खाते हैं. मतलब यदि आप कम खाएंगे तो इसका अपने आप फायदा मिलेगा. जितनी आपको भूख है, उससे आप 20 से 30 प्रतिशत तक कम खाएं. यानी अपने पेट का 20 से 30 प्रतिशत तक का हिस्सा हमेशा भूखा छोड़ दें. हमारे ऋषि-मुनि भी ऐसा ही करते थे

क्या न खाएं, जानना ज्यादा जरूरी

अब यह जान लीजिए क्या नहीं खाना चाहिए. सबसे पहले तो मीठा एकदम कम कर दीजिए. अगर आप आज से भी चीनी बंद कर देंगे तो उससे आपकी हर दिन आयु बढ़ जाएगी. चीनी शरीर के लिए टॉक्सिक है. किसी भी हाल में एक दिन में 20 ग्राम से ज्यादा चीनी न खाएं. इसके बाद प्रोसेस्ड चीजें, रिफाइंड चीजें, पैकेटबंद चीजें आदि का जितना संभव हो सके, उतना कम सेवन करें. कई रिसर्च में पाया गया है कि मीट आयु को घटाता है. इसलिए इसका कम से कम सेवन करें. खासकर रेड मीट तो न ही खाएं तो अच्छा होगा. जंक फूड, फास्ट फूड से दूर रहें. इन चीजों को धीरे-धीरे अपनी जिंदगी से दूर करें. 6 सप्ताह के अंदर आपका दिमाग मान जाएगा कि इन चीजों को नहीं खाना है

लंबी उम्र के लिए क्या खाएं

जिन अनहेल्दी चीजों को नहीं खाना है उसे छोड़ सारी हेल्दी चीजें खाएं. कोशिश करें कि आपके भोजन का आधा हिस्सा सीजनल सब्जियां और ताजे फल से भरा हो. इसके बाद खट्टे-मीठे फल ज्यादा फायदेमंद साबित होगा. नींबू, कीवी, अनानास, संतरे, चकोतरा, ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, रस्पबेरी, जामुन आदि हेल्दी लाइफ के लिए बहुत फायदेमंद है.

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यूपी में अब नहीं पास कराना होगा नक्शा, इस मानक का करना होगा पालन https://sanjayrajput.com/2025/05/up-no-need-for-map-approval-to-build-houses-in-up-new-rules-house-maping.html https://sanjayrajput.com/2025/05/up-no-need-for-map-approval-to-build-houses-in-up-new-rules-house-maping.html#respond Tue, 06 May 2025 06:46:48 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1119 Read more

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मैप पासिंग का झंझट खत्म, योगी सरकार ने दी आम जनता को बड़ी राहत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के लोगों को बड़ा तोहफा दिया है. सरकार ने राज्य के नागरिकों को बड़ी राहत देते हुए भवन निर्माण से जुड़े नियमों में ऐतिहासिक बदलाव किया है. घर का नक्शा पास करने में जो शोषण होता है और उसके बाद में जिस तरह धन उगाही होती है, उसको रोकने के लिए बड़ा निर्णय लिया गया है. 1000 वर्गफीट तक के प्लॉट पर मकान बनाने के लिए नक्शा पास कराने की आवश्यकता नहीं होगी. इसके साथ ही भ्रष्टाचार और धन उगाही पर भी अंकुश लगाने की दिशा में यह बड़ा कदम माना जा रहा है. CM के द्वारा स्वीकृत नए भवन निर्माण एवं विकास उपविधि 2025 के तहत कई जटिल प्रक्रियाएं आसान कर दी गई हैं. आवास विभाग के प्रमुख सचिव पी. गुरु प्रसाद के अनुसार अब 5000 वर्गफीट तक के निर्माण के लिए आर्किटेक्ट का प्रमाण पत्र ही पर्याप्त होगा.

छोटे प्लॉट पर भी बन सकेंगे अपार्टमेंट

पहले जहां अपार्टमेंट निर्माण के लिए 2000 वर्गमीटर का प्लॉट आवश्यक होता था अब 1000 वर्गमीटर में भी इसकी अनुमति मिल सकेगी. अस्पताल और कमर्शियल बिल्डिंग के लिए 3000 वर्गमीटर का क्षेत्र पर्याप्त होगा.

प्रोफेशनल्स के लिए राहत

नए बायलॉज के अनुसार मकान के 25% हिस्से में नर्सरी क्रैच होम स्टे या प्रोफेशनल्स जैसे डॉक्टर, वकील, आर्किटेक्ट और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अपने कार्यालय चला सकेंगे इसके लिए नक्शे में अलग से जिक्र जरूरी नहीं होगा.

NOC की तय समय सीमा

अब नक्शा पास कराने के लिए विभिन्न विभागों को 7 से 15 दिन के भीतर अनापत्ति प्रमाण पत्र NOC देना होगा तय समय में जवाब नहीं मिलने पर वह NOC स्वतः मान्य हो जाएगा.

कॉमर्शियल गतिविधियों को भी मिली मंजूरी

24 मीटर या उससे अधिक चौड़ी सड़कों पर रिहायशी इलाकों में दुकान और दफ्तर खोलने की अनुमति दी गई है वहीं इससे कम चौड़ी सड़कों पर डॉक्टर वकील जैसे प्रोफेशनल्स अपने कार्यालय संचालित कर सकेंगे.

ऊंची इमारतों के लिए खुली छूट

45 मीटर चौड़ी सड़कों पर अब जितनी ऊंची चाहें उतनी ऊंची इमारतें बनाई जा सकेंगी। फ्लोर एरिया रेशियो FAR को भी 3 गुना तक बढ़ाया गया है जिससे शहरों में ऊंचे भवन निर्माण को बढ़ावा मिलेगा. यह निर्णय न केवल आम जनता को राहत देगा बल्कि शहरी विकास में पारदर्शिता और गति भी सुनिश्चित करेगा.

पहले क्या थी व्यवस्था

पहले प्राधिकरण और आवास विकास क्षेत्र में प्रत्येक भूखंड पर भवन बनाने के लिए नक्शा पास करना जरूरी होता था. अब सौ स्क्वायर मीटर तक तो नक्शा पास नहीं करना होगा. जबकि 500 स्क्वायर मीटर में अब नक्शा पास करने की आवश्यकता नहीं होगी, केवल आर्किटेक्ट से नक्शा बनवाकर अनुमोदित करना होगा.

अब रिहायशी इलाकों में हो सकेगी कॉमर्शियल एक्टीविटी

जहां तक मकान में दुकान और कॉमर्शियल एक्टिविटी की बात है तो विकास प्राधिकरण क्षेत्र के रेजिडेंशियल लैंडयूज में किसी तरह का व्यावसायिक निर्माण मान्य नहीं था. अब 24 मीटर से अधिक चौड़ी सड़क पर कॉमर्शियल निर्माण रिहायशी में भी किया जा सकेगा. इसके अलावा इससे कम चौड़ी सड़क पर जो भी प्रोफेशनल लोग हैं, जैसे वकील, डॉक्टर, आर्किटेक्ट वे अपने कार्यालय और क्लीनिक खोल सकेंगे.

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प्रख्यात समाजसेवी अश्वनी कुमार सिंह ‘लालू’ बने सामाजिक संस्था मातृ आंचल सेवा संस्थान के प्रदेश अध्यक्ष https://sanjayrajput.com/2025/05/famous-social-worker-ashwani-kumar-singh-lalu-became-the-state-president-of-social-organization-matr-anchal-seva-sansthan.html https://sanjayrajput.com/2025/05/famous-social-worker-ashwani-kumar-singh-lalu-became-the-state-president-of-social-organization-matr-anchal-seva-sansthan.html#respond Mon, 05 May 2025 10:56:43 +0000 https://sanjayrajput.com/?p=1110 Read more

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गोरखपुर। समाज सेवा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों को देखते हुए मूलरूप से गगहा निवासी समाजसेवी अश्वनी कुमार सिंह ‘लालू’ को मातृ आंचल सेवा संस्थान का प्रदेश अध्यक्ष उत्तर प्रदेश मनोनीत किया गया है।

यह जानकारी देते हुए मातृ आंचल सेवा संस्थान ट्रस्ट की मुख्य ट्रस्टी पुष्पलता सिंह ‘अम्मा’ ने बताया कि उनका ट्रस्ट गरीब और बेसहारा महिलाओं, बच्चों, असहाय मरीजों तथा गौसेवा को समर्पित है। उन्होंने कहा, हमें आशा है कि सक्रिय समाजसेवी अश्वनी कुमार सिंह ‘लालू’ के हमारे ट्रस्ट से जुड़ने से हमारे समाजसेवा के अभियान को और अधिक मजबूती मिलेगी।

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समाजसेवी अश्वनी कुमार सिंह ‘लालू’ को मातृ आंचल सेवा संस्थान का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर शाही ग्लोबल हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ शिव शंकर शाही, गुरुकुल शिक्षण संस्थान के डॉ बिपिन शाही, गोरखपुर चैरिटेबल ब्लड बैंक के डायरेक्टर अरविंद यादव, एसबी एकेडमी नंदानगर के डायरेक्टर शशांक शेखर सिंह, अभाक्षम के प्रदेश संरक्षक विनोद सिंह, होटल सनशाइन ग्रैंड के प्रोपराइटर कृष्ण बिहारी सिंह, राधिका देवी चैरिटेबल मेमोरियल ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी राघवेंद्र प्रताप सिंह, अभाक्षम के वरिष्ठ महामंत्री राजकुमार सिंह श्रीनेत, युवा नेता सुमित सिंह श्रीनेत, भाजपा के युवा नेता सात्विक सिंह श्रीनेत, एडवोकेट संजय सिंह बघेल, अभाक्षम प्रदेश अध्यक्ष उग्रसेन सिंह, आरपी सिंह, हरित गोरखपुर अभियान चलने वाले सावन शाही, नशा मुक्ति केंद्र के डायरेक्टर दुर्गेश चंचल, अनुज सिंह कटका, अमन राव, डॉ उमेश सिंह श्रीनेत, रंजीत शाही, उमेश प्रसाद, श्रीकांत यादव, प्रवीण सिंह, पीयूष प्रताप सिंह, डॉ महेश्वर सिंह सहित अन्य लोगों ने बधाई दी है।

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