क्या भारत के किसी भी स्कूल, कॉलेज, कोचिंग, हॉस्पिटल, प्राइवेट जॉब कहीं भी जातिवाद है?
आप यदि मोबाईल या सिमकार्ड खरीदने जाते हैं तो कहीं आपसे आपकी जाति पूछी जाती है?
अमेजन, फ्लिपकार्ट, बैंक में या किसी भी बिजनेस में कहीं कोई जाति आधारित व्यवस्था है क्या?
राशन की दुकान में, शॉपिंग मॉल में, मूवी थिएटर में, रेस्टोरेंट में, होटल में, बस, ट्रैन, हवाई जहाज में कहीं भी जातिवाद दिखता है?
सामान लेने जाओ, श्मशान में जाओ, सब्जी मंडी में, पार्टी में, कहीं भी आपसे जाति पूछी जाती है?
नहीं न? तो कहाँ है ये जातिवाद ?
आइए अब जानते हैं की कहां है जातिवाद..
सरकारी नौकरियों में, सरकारी पढ़ाई में और सरकारी योजनाओं में…भारत देश में ये वो क्षेत्र हैं जहां जातिगत आरक्षण की व्यवस्था लागू है।
आखिर क्यों इन क्षेत्रों में ऐसी जातीय आधारित आरक्षण व्यवस्था लागू है? इसका जवाब देने को कोई भी सरकार या कोई भी न्यायाधीश तैयार नहीं।
अब समझे, जातिवाद कहाँ है ?
जातिगत आरक्षण के समर्थन में यह तर्क दिया जाता है कि सवर्णों ने दलितों का शोषण किया, उन्हें दबाया, उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया इसलिए उन्हें आगे बढ़ाने के लिए आरक्षण दिया गया।
लेकिन क्या यह तर्क सही है?
किन्हीं चार सवर्णों का नाम बता दो
जिन्होंने दलितों का शोषण किया हो जाति के नाम पर?
रामायण लिखने वाले वाल्मिकी दलित थे,
महाभारत लिखने वाले वेद व्यास दलित थे,
शबरी के जूठे बेर खाये थे श्रीराम ने, सुदामा सबसे प्रिय मित्र थे कृष्ण के।
विश्व के सबसे बडे मंदिर तिरुपति में दलित पुजारी है, पटना हनुमान मंदिर में दलित पुजारी है, तिरुवनंतपुरम के त्रावणकोर मंदिर में दलित पुजारी है।
हमारे देश में के.आर. नारायणन दलित राष्ट्रपति रह चुके है, देश की वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी एक दलित आदिवासी (ST) महिला ही हैं।
इसके बावजूद भी हमारे देश में 75 सालों से जातिवाद की बकवास चलाई जा रही है?
हमारे नेता पिछले 75 सालों से एक ही गाना गा कर हमें बेवकूफ बना रहे हैं।
जो भी लोग जातीय आरक्षण का समर्थन करते हैं उनसे कुछ सवाल पूछना चाहता हूं-
1. पिछले 75 साल में जातीय आरक्षण से बने सिर्फ 75 डॉक्टरों का नाम बता दो जिन्होंने किसी बीमारी का इलाज या कोई नई दवा ढूंढकर विश्व में भारत का नाम रोशन किया हो।
2. पिछले 75 साल में जातीय आरक्षण से बने 75 इंजीनियरों का नाम बता दो जिन्होंने कोई ऐसा काम किया हो जिससे विश्व में भारत को पहचान मिली हो।
3. 75 साल में जातीय आरक्षण से बने 75 टेक्नोलॉजी के एक्सपर्ट्स का नाम बता दो, जिन्होंने कोई नई टेक्नोलॉजी बनाई हो।
4. 75 साल में जातीय आरक्षण से बने 75 अर्थशास्त्रियों के नाम बता दो जिन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था सुधारी हो।
5. 75 साल में जातीय आरक्षण से बने किसी हथियारों के एक्सपर्ट का नाम बता दो, जिन्होंने कोई हाईटेक हथियार बनाकर हमारे देश की सेना की मदद की हो।
6. पिछले 75 साल में जातीय आरक्षण से क्या किसी भी कंपनी का कोई सीईओ बना है, जिसने विश्व में भारत को सम्मान दिलाया हो?
सच तो ये है की ऊपर पूछे गए सवालों के जवाब में पिछले 75 वर्षों में कुल 75 लोग तो क्या 2-4 भी नहीं मिलेंगे।
कहाँ से मिलेंगे? सोचो 50% पढ़ाई से आरक्षण के ज़रिए पढ़ा हुआ, क्या नाम रोशन करेगा देश का? कैसे टिकेगा वो दुनिया भर के 95% टेलेंटेड लोगों के सामने?
इसलिए जाति आधारित आरक्षण सिर्फ हमारे देश और देश की जनता का शत्रु है। इससे हमारा देश, दुनिया के टैलेंट के सामने घुटने टेक रहा है।
क्योंकि, हमारे देश का रिजर्वेशन सिस्टम 50% वाले को डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट बना देता है, जबकि विश्व के अन्य देश 95% वालों को हमारे 50% वाले के सामने खड़ा कर देते हैं। अब आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं की 50% वाला 95% वाले के सामने कहां टिकेगा?
जातिगत आरक्षण के चलते हमारे देश का असली टैलेंट पीछे जा रहा है। प्रतिभाओ को उचित प्रोत्साहन और प्लेटफार्म न मिलने से हमारे देश की प्रतिभाएं कुंठित हो रही हैं और जातीय आरक्षण के चलते हमारा समाज विभाजित होकर जातीय संघर्ष की ओर बढ़ रहा है।
विश्व के किसी भी देश में जाति आधारित आरक्षण व्यवस्था लागू नहीं है। तो फिर ऐसी जातिगत आरक्षण व्यवस्था हमारे देश में क्यों चलाई जा रही है जो देश की तरक्की के लिए बाधक होने के साथ ही साथ देश को गृह युद्ध और जातीय संघर्ष की ओर ले जा रही है?
इसका सिर्फ एक ही कारण समझ में आता है और वो है हमारे देश के नेताओं की वोट बैंक की राजनीति। अपने सॉलिड वोट बैंक के नाराज होने के डर से कोई भी सरकार जातीय आरक्षण को खत्म करने का नाम तक नहीं लेती।
जैसे छुआछूत, सती प्रथा, बाल विवाह, तीन तलाक आदि सामाजिक कुरुतियों को समाज से खत्म किया गया है उसी तरह जातीय आरक्षण को भी हमारे समाज से खत्म करना ही होगा क्योंकि ये हमारे समाज की सबसे बड़ी कुरुतियों में से एक है।
जातीय आरक्षण के चलते हमारे समाज में विघटन, ऊंच नीच, जातीय संघर्ष और गृह युद्ध जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं जो आने वाले समय में विकराल रूप धारण कर सकती हैं।
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