दोस्तों, नमस्कार!!
SanjayRajput.com में आपका स्वागत है।
जैसा की आप सब जानते ही होंगे कि एक साजिश के तहत भारत का इतिहास ही बदलकर रख दिया गया। ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ कर इतिहास की किताबों के द्वारा झूठ को सच और सच को झूठ साबित करने की भरपूर कोशिश की गई।
इतिहास की किताबों में लुटेरे और अत्याचारी मुगलों को महिमामंडित करने की भरपूर कोशिश की गई। इन किताबों में अकबर को महान और महाराणा प्रताप जैसे मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने वाले वीर योद्धा को हाशिए पर रखने का भरपूर प्रयास किया गया।
आजादी की लड़ाई में 17-18 साल के नवयुवक हंसते हंसते फांसी पर झूल गए और हमें पढ़ाया गया की आजादी चरखा काटने और अनशन करने से मिली थी। उन असंख्य शहीदों को गुमनाम कर दिया गया जिनकी शहादत से हमें आजादी मिली।
अपने ही देश में सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, राजगुरु जैसे महान योद्धाओं को गुमनाम कर दिया गया।
कितने अफसोस की बात है कि अपने ही देश में उन्हें वो सम्मान, वो दर्जा कभी नहीं मिला जिसके वो असली हकदार थे।
बॉलीवुड द्वारा हमेशा एक गुप्त एजेंडे के तहत सनातन धर्म का अपमान और इस्लाम को महिमामंडित करने की भरपूर कोशिश की गई।
ये सब बातें हमेशा से मन को व्यथित करती थी। हर तरफ सिर्फ झूठ फैला हुआ दिखाई देता। ऐसे में मन में विचार आया की क्यों न खुद एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार किया जाए जिसके माध्यम से असली सच लोगों के सामने लाया जा सके। यही सोच कर विगत 2018 में SanjayRajput.com शुरु किया।
हालांकि अब तक का रिस्पॉन्स तो हौसले तोड़ देने वाला रहा, क्योंकि आजकल झूठ तो आसानी से बिक जाता है लेकिन सच का खरीददार कोई नहीं मिलता। दिन रात एक करके कोई लेख तैयार होता है लेकिन उसे मुश्किल से 50 लोग भी नहीं पढ़ते, तो निराशा और निगेटिविटी तो आती ही है, लेकिन संकल्प लिया है सच लिखने और कुछ अलग करने का तो इस संकल्प की राह में अब जो भी बाधाएं आएं सब स्वीकार हैं।
मुर्दों को जगाने का संकल्प लिया है तो कठिन तो होगा ही। सबसे बड़ा सच तो ये है कि यदि हम हिंदुस्तानी ऐसे नहीं होते तो हिंदुस्तान को कभी मुगलों, तो कभी अंग्रेजों ने सैकड़ों सालों तक गुलाम न बनाकर रखा होता।
सत्य की राह हमेशा से कांटों भरी रही है इसलिए लोग इस राह पर चलना नहीं चाहते। माना सत्य की राह कठिन है, इस राह में अनगिनत बाधाएं हैं, लेकिन वो राह ही क्या जो आसान हो, वो राह ही क्या जिसमें कांटे न हों, पथिक की असली परीक्षा तो ऐसी दुर्गम राहों पर चलकर ही होती है।
जयशंकर प्रसाद जी की ये पंक्तियां मुझे हमेशा प्रेरणा देती हैं-
“वह पथ क्या, पथिक की कुशलता क्या,
जिस पथ पर बिखरे शूल न हों,
नाविक की धैर्य परीक्षा क्या,
जब धाराएं प्रतिकूल न हों!”
जय हिंद!!
वंदे मातरम्!!
*नोट:- हमारा उद्देश्य आप सबको लीक से हटकर अच्छी क्वालिटी के कंटेंट उपलब्ध कराना है, क्योंकि आजकल इंटरनेट पर Contents के नाम पर ढेरों कूड़ा-कचरा भरा पड़ा है। आजकल लोग सस्ती पब्लिसिटी और ज्यादा पैसे कमाने के लिए कुछ भी परोस रहे हैं।
लेकिन हम अपनी इस वेबसाइट के माध्यम से आपको अच्छे और साफ सुथरे Content उपलब्ध कराने हेतु दृढ़ संकल्पित हैं। हमारा उद्देश्य आपको सिर्फ सही जानकारियां ही उपलब्ध कराना है, सनसनी फैलाना और कीचड़ उछालना हमारा मकसद बिल्कुल नहीं है। आप सभी जानते हैं कि हम अपने उसूलों और सिद्धांतों पर कायम हैं और हमेशा रहेंगे।
हम अपनी हर पोस्ट में इस बात का खास ख्याल रखते हैं कि हमारे किसी भी कंटेंट से किसी भी व्यक्ति विशेष की भावनाओं को कभी ठेस न पहुंचे। फिर भी यदि हमारी किसी पोस्ट से आपको कोई शिकायत होती है तो कृपया दिए गए Contact form के द्वारा या पोस्ट के नीचे दिए गए Comment box में लिखकर जरूर बताएं।
हमारे द्वारा दी गयी जानकारियां और लेख आपको कैसे लगते हैं कृपया जरूर बताएं।
🎉दोस्तों, SanjayRajput.com अब Google News पर भी उपलब्ध है
Google News link👇👇
https://news.google.com/publications/CAAqBwgKMJ-yxQswws3cAw
धन्यवाद!!