जानिए देशी गाँजा कैसे बना खतरनाक ड्रग्स मारिजुआना (Marijuana)

जिस मारिजुआना (Marijuana) को नासमझ लोग खतरनाक ड्रग कह रहे हैं, जिस मारिजुआना का सेवन अस्सी के दशक तक अपने देश के हर शहर में गांजा-भांग की दुकानों पर मिला करता था। अमेरिका के दबाव में हमने 1985 में गांजा बैन किया और यही दो कौड़ी का गांजा अब Marijuana मारिजुआना यानी ड्रग हो गया। इसकी सबसे छोटी मात्रा दस ग्राम की पुड़िया हुआ करती थी, जो बैन होने से पहले साठ पैसे मात्र में मिला करती थी।
गांजा भांग हमारे यहां आम इस्तेमाल की चीजें हुआ करती थी। होली के त्योहार मे भांग की ठंढई पीना और भांग की बर्फी खाना आम बात है। कहते है भांग पीने वाला हंसता है तो हंसता ही रहता है।


जिस मारिजूआना Marijuana को अमेरिका ने बैन कराया था, अब अमेरिका के ही दस प्रांतों में मारिजूआना Marijuana बैन नहीं है और खुलेआम उसका सेवन किया जा सकता है। कनाडा में गांजा वैध है। सबसे पहले उरुग्वे ने इसे मान्यता दी थी। गांजे पर से बैन हटवाने का काम अर्ल ब्लूमेनॉएर कर रहे हैं। 
यूरोपीय देशों में लक्ज़मबर्ग पहला ऐसा देश है, जिसने गांजा सेवन को शराब या तंबाकू की तरह वैध घोषित किया है। इस समय पूरे विश्व में एक आंदोलन चल रहा है और कई भारतीय युवा भी उस आंदोलन से जुड़े हैं। इस आंदोलन के तहत मांग की जा रही है कि मारिजुआना Marijuana को ड्रग की लिस्ट से निकाला जाए।

यह बात तर्कसंगत भी है। गांजा कोई केमिकलों से तैयार ड्रग नहीं है। यह बस एक पौधे की पत्तियां और कलियां हैं। पौधा गेंदे के पौधे जैसा और कुछ कुछ गाजरघास से मिलता हुआ होता है। भांग का पौधा भी लगभग ऐसा ही होता है। जानकार ही परख कर पाते हैं कि गांजा कौन सा है और भांग का पौधा कौन सा है। 
जंगल किनारे वाले यह जानते हैं कि नर पौधा भांग है और मादा पौधा जिसकी पत्तियां छोटी, थोड़ा ज्यादा गाढ़ा हरापन लिए और पतली होती हैं वह गांजा है।


मारिजुआना Marijuana गाँजे की विशेष कलियां हैं वहीं चरस, गांजे की पत्तियों का रस है।थोड़ी मात्रा यह भांग और गांजा आयुर्वैदिक औषधि का कार्य करते हैं पर अधिक मात्रा में ये स्नायुओं पर विपरीत असर डालते हैं।
भांग को सिलबट्टे पर पीस कर पीया या खाया जाता है और गांजा को तंबाकू में मिलाकर सिगरेट में पिया जाता है या चिलम में। बाबा रामदेव के साथी आचार्य बालकृष्ण ने एक जगह कहा है कि गांजे का इस्तेमाल औषधि में भी किया जाता रहा है। पंतजलि भी इस पक्ष में है कि गांजे को कानूनी मान्यता मिलनी चाहिए जैसे पहले हासिल थी।

Wikipedia के अनुसार- गांजा (Cannabis या marijuana), एक मादक पदार्थ (ड्रग) है जो गांजे के पौधे से भिन्न-भिन्न विधियों से बनाया जाता है। इसका उपयोग मनोसक्रिय मादक (psychoactive drug) के रूप में किया जाता है। गांजे मे मिलाई जाने वाली तम्बाकू मिरजी कर्करोग ( Cancer ) का प्रमुख कारण है।
गांजा एक सस्ता नशा है, जिसे पीने वालों में साधुओं और फकीरों का भी बड़ा प्रतिशत है। ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि इसे पीकर लोग आत्महत्या कर लेते हैं।
सुशांत केस में गांजा एक इत्तेफाक है, जिसका कोई महत्व नहीं। दो कौड़ी के गांजे को इतना बड़ा ड्रग बनाने की बजाय इलेक्ट्रानिक मीडिया को चाहिए था कि लोगों को गांजे की सच्चाई बताता। मगर उसे हकीकत से नहीं सनसनी से मतलब है। वो सुई को एटम बम साबित कर सकता है और गांजे के मामले में उसने यही किया है। उसे Marijuana कहकर कोई बड़ा ड्रग्स बना दिया है।


एक और बात यह कि देश के लाखों गांवों में गांजे भांग के पौधे सरकारी ज़मीनों पर ऐसे ही उगा करते हैं और नशे के ख्वाहिशमंद लोग उसे तोड़ कर उसका इस्तेमाल करते रहते हैं। जिस भांग की दुकान से भांग बिका करती है, उसी से गांजा बिका करता था। भांग हमारे एक पूर्व प्रधानमंत्री भी खाया करते थे। कल को अगर गांजा फिर लीगल हो गया, जिसके लिए कोशिशें जारी हैं, तो ये फिर उसी भांग की दुकान पर मिला करेगा और दस ग्राम की पुड़िया बमुश्किल दस रुपये की होगी। 
इसलिए मारिजुआना Marijuana नाम सुन कर ज्यादा रोमांचित ना हों। यह गांजा ही है, जिसे सुल्फा भी कहते हैं। 
इस लेख का उद्देश्य आपको हकीकत से परिचित कराना मात्र है। इस लेख का ये मतलब क़त्तई नहीं है कि गांजा और भाँग लेना सही है। 
*गांजा और भांग दोनों का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। 

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