दोस्तों, देश में कोरोना से बिगड़ते हालात के बीच अभी तक इससे बचने का वैक्सीनेशन ही एकमात्र विकल्प दिखाई दे रहा है। क्योंकि दुनिया के कई देशों ने वैक्सीनेशन के द्वारा ही कोरोना पर काबू पाया है। इसलिये हमारी सरकार भी वैक्सीनेशन अभियान को तेज करने का प्रयास कर रही है। देश में अभी तक तीन कोरोना Vaccines को मंजूरी दी गयी है, जिसके चलते लोगों में इस बात को लेकर बहुत कन्फ्यूजन है कि कौन सी Vaccine लगवाना ज्यादा सही होगा या कौन सी Vaccine हमारी कोरोना से ज्यादा सुरक्षा कर पाएगी।
हालांकि अभी तक सरकार ने पब्लिक को अपनी पसंदीदा Vaccine चुनने का विकल्प नहीं दिया है फिर भी आज हम आपके Vaccine से जुड़े सभी सवालों के जवाब लेकर उपस्थित हैं। तो आइए जानने की कोशिश करते हैं कि कोरोना के खिलाफ कौन सी Vaccine कितनी कारगर है।
कोविशील्ड (Covishield)
कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) और एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने मिलकर तैयार किया है और इसके उत्पादन के लिए भारत में इसे पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) बना रही है। ये एक तरह का सौदा है जिसमें प्रति वैक्सीन की आधी कीमत ऑक्सफ़ोर्ड के पास जाती है। कोविशील्ड (CoviShield) दुनिया की सबसे लोकप्रिय वैक्सीन में से है क्योंकि कई देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। कोविशील्ड म्यूटेंट स्ट्रेन्स (अर्थात रूप बदले हुए वायरस) के खिलाफ सबसे असरदार और प्रभावी है। कोवीशील्ड एक वायरल वेक्टर टाइप की वैक्सीन है।
कोविशील्ड (CoviShield) को सिंगल वायरस के जरिए बनाया गया है जो कि चिम्पैंजी में पाए जाने वाले एडेनोवायरस (चिंपैंजी के मल में पाया जाने वाला वायरस) ChAD0x1 से बनी है। ये वही वायरस है जो चिंपैंजी में होने वाले जुकाम का कारण बनता है लेकिन इस वायरस की जेनेटिक सरंचना COVID के वायरस से मिलती है इसलिए एडेनो-वायरस का उपयोग कर के शरीर मे एंटीबॉडी बनाने को वैक्सीन इम्युनिटी सिस्टम को प्रेरित करती है। कोवीशील्ड को भी WHO ने मंजूरी दी है। इसकी प्रभाविकता या इफेक्टिवनेस रेट 70% है। यह वैक्सीन कोरोना के गंभीर लक्षणों से बचाती है और संक्रमित व्यक्ति जल्दी ठीक होता है। ये व्यक्ति को वेन्टिलेटर पर जाने से भी बचाती है। इसका रख-रखाव बेहद आसान है क्योंकि यह लगभग 2° से 8°C पर कहीं भी ले जाई जा सकती है। इसलिए इसको उपयोग में लाने के बाद बची हुई वैक्सीन की वायल को फ्रिज में स्टोर किया जा सकता है। भारत में CoviShield को ही सबसे पहले इस्तेमाल की मंजूरी दी गयी थी।
बता दें कि CoviShield पर इंग्लैंड में हुए एक ताजा शोध में बताया गया है कि इसकी 1st डोज लगने के बाद से ही कोरोना से होने वाली मौत का खतरा 80% तक कम हो जाता है।
कोवैक्सिन (Covaxin)
कोवैक्सिन (Covaxin) को ICMR और भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने मिलकर तैयार किया है। इसे Vaccine बनाने के सबसे पुराने अर्थात पारंपरिक इनएक्टिवेटेड प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है। इनएक्टिवेटेड का मतलब है कि इसमें डेड वायरस (Dead Virus) को शरीर में डाला जाता है, जिससे एंटीबॉडी (Antibody) पैदा होती है और फिर यही एंटीबॉडी वायरस को मारती है। यह वैक्सीन लोगों को संक्रमित करने में सक्षम नहीं है क्योंकि वैक्सीन बनाना बेहद फाइन बैलेंस का काम होता है ताकि वायरस शरीर मे एक्टिवेट न हो सके। ये इनएक्टिवेटेड वायरस (Inactivated Virus) शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को असली वायरस को पहचानने के लिए तैयार करता है और संक्रमण होने पर उससे लड़ता है और उसे खत्म करने की कोशिश करता है। इस वैक्सीन से कोरोना वायरस को खतरा है, इंसानों को नहीं।
कोवैक्सीन (Covaxin) की प्रभाविकता 78% है। एक शोध में ये भी बताया गया है कि यह Vaccine घातक संक्रमण और मृत्यु दर के जोखिम को 100% तक कम कर सकती है। हाल ही में हुए एक शोध में यह दावा किया गया है कि कोवैक्सिन कोरोना के सभी वेरिएंट्स (Variants) के खिलाफ कारगर है।
गौरतलब है कि इन सभी Vaccines में सिर्फ Covaxin अकेली वैक्सीन है जिसे वैक्सीन बनाने के सबसे पुराने तरीके से बनाया गया है इसमें कोरोना वायरस (Coronavirus) के ही इनएक्टिवेटेड वायरस अर्थात मृत-स्वरूप को उपयोग में लाया गया है और यही एक बड़ा कारण है जो कि Covaxin को कोरोना के 671 वैरिएंट (हाल ही में हुए शोध के अनुसार) के खिलाफ प्रभावी बनाता है। मतलब ये कि चाहे कोरोना वायरस कितना भी म्यूटेशन कर ले (अर्थात रूप बदल लें) Covaxin उन सभी पर प्रभावी रहेगी।
स्पुतनिक-V (Sputnik-V)
इसे मॉस्को (Mascow) के गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट (Gamaleya Research Institute) ने तैयार किया है, जिसे भारत में डॉ० रेड्डी लैब (Dr. Reddy’s Lab) द्वारा बनाया जाएगा। इसे भी 2-8°C पर स्टोर किया जा सकता है। Sputnik-V भी एक वायरल वेक्टर वैक्सीन (Viral Vector Vaccine) है, लेकिन इसमें और बाकी वैक्सीन में एक बड़ा फर्क यही है कि बाकी वैक्सीन को एक वायरस से बनाया गया है, जबकि इसमें दो वायरस हैं और इसके दोनों डोज अलग-अलग होते हैं। स्पुतनिक V को भारत ही नहीं बल्कि हर जगह अब तक की सबसे प्रभावी वैक्सीन माना गया है। इस पैमाने पर यह भारत की सबसे Effective Vaccine है। क्योंकि स्पुतनिक-V कोरोना के खिलाफ सबसे ज्यादा 91.6 % तक प्रभावी है। ऐसे में इसे सबसे अधिक प्रभावी वैक्सीन कहा जा सकता है। यह सर्दी, जुकाम और अन्य श्वसन रोग पैदा करने वाले एडेनोवायरस-26 (Ad26) और एडेनोवायरस-5 ( Ad5) अर्थात 2 अलग अलग प्रकार के वायरस पर आधारित है। यह कोरोना वायरस में पाए जाने वाले कांटेदार प्रोटीन (Spike Protein- यही वो प्रोटीन है जो शरीर की कोशिकाओं अर्थात सेल्स में एंट्री लेने में मदद करता है) की नकल करती है, जो शरीर पर सबसे पहले हमला करता है। वैक्सीन शरीर में पहुंचते ही इम्यून सिस्टम (Immune System) सक्रिय हो जाता है और शरीर में एंटीबॉडी (Antibody) पैदा हो जाती है। यही एंटीबॉडी शरीर को कोरोना वायरस से बचाती हैं।
ये तो हो गयी जानकारी भारत में अब तक कि स्वीकृत तीनों Vaccines की। अब बात करते हैं स्पुतनिक (Sputnik) की ही सिंगल डोज वाली Vaccine अर्थात Sputnik Light की
चूंकि स्पुतनिक वैक्सीन (Sputnik Vaccine) की दोनों डोज में दो अलग अलग वायरस उपयोग होते है तो स्पुतनिक लाइट वैक्सीन असल में स्पुतनिक-V वैक्सीन का पहला डोज ही है। ध्यान रहे कि स्पुतनिक-V में दो अलग-अलग वैक्सीन तीन हफ्ते के अंतराल के बाद दिए जाते हैं। अब इसे बनाने वाली कंपनी ने दावा किया है कि स्पुतनिक-V का पहला डोज भी कोरोना संक्रमण से बचाने में कारगर है और इसे ही स्पुतनिक-लाइट के रूप में लांच किया गया है। जिसका इफेक्टिवनेस 79.4% है जोकि अन्य Vaccines के दो डोज से भी अधिक है। इसलिए यदि इसकी मंजूरी भारत में मिलती है तो एक डोज में ही अधिक टीकाकरण किया जा सकेगा।जिससे टीकाकरण अभियान में तेजी भी लाई जा सकेगी।
इन तीनों Vaccines के अलावा 2 वैक्सीन और भी हैं जिनको विश्व में आपातकालीन मंजूरी दी गयी है लेकिन फिलहाल भारत मे मान्य नहीं है। जो कि मोडर्ना (Moderna) और फाइजर (Pfizer) की हैं।
मोडर्ना (Moderna) को जहाँ -20° पर स्टोर करना होता है वहीं दूसरी ओर फाइजर (Pfizer) की वैक्सीन को -70°C से -75°C के Temperature पर सुरक्षित रखना पड़ता है। यही कारण है कि भारत इन Vaccines को मंजूरी देने में अपने कदम पीछे खींच रहा है क्योंकि भारत मे ऐसे तंत्र को विकसित करना मुश्किल है जिसमें इस तापमान को मेंटेन रखा जाए।इससे भी अलग एक बात ये है कि इन Vaccines को बनाने में परम्परागत तकनीक से अलग Technology उपयोग में लाई गई है।
परंपरागत वैक्सीन के जरिए हमारे शरीर के रक्तप्रवाह में जीवित या मृत वायरस डाला जाता है। साथ ही इसमें कई पदार्थ होते हैं, जो प्रतिरोधी प्रक्रिया के उत्पादन के लिए जरूरी होते हैं। लेकिन कोविड-19 की नई वैक्सीन में मैसेंजर आरएनए (MRNA) का इस्तेमाल किया गया है, जो एक प्रकार का न्यूक्लिक अम्ल है।
यह मैसेंजर आरएनए एक आनुवंशिक तंत्र (genetic mechanism) का संकेत देता है, जिससे कोविड एंटीबॉडी उत्पन्न होती है, जो वायरस के निशानों को नष्ट कर देती है। यानी इस प्रक्रिया में वायरस को शरीर में सीधे इंजेक्ट नहीं किया जाता है।
जरूरी सूचना:- यह तुलनात्मक अध्ययन सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं क्योंकि अभी तक भारत में स्वीकृत तीनों ही Vaccines CoviShield, Covaxin और Sputnik कोरोना मरीजों को गम्भीर होने और वेंटिलेटर पर जाने से बचाती हैं। इसलिए बेहतर यही है कि जो भी वैक्सीन पहले मिल जाये बिना देर किए उसे तुरन्त लगवाएं। क्योंकि ये तीनों ही वैक्सीन कोरोना के गम्भीर खतरे को टाल देती है और इस जानलेवा महामारी से आपके जीवन की रक्षा करती हैं।
यदि आपने अभी तक Vaccine लगवाने हेतु Registration नहीं किया है तो नीचे दिए गए लिंक पर जाकर अभी रजिस्टर करें और अपने एरिया के नजदीकी वैक्सीनेशन सेन्टर को चुनकर अपना Slot बुक कर लें।
वैक्सीन के लिए कहां कितने स्लॉट खाली हैं ये जानने के लिए मोबाइल नंबर- 9013151515 को अपने मोबाइल में SAVE करें।
पुनः WhatsApp में इस नम्बर पर अपने एरिया का पिनकोड लिखकर SEND करें। इसके बाद आपको अपने एरिया में Vaccination के लिए कितने स्लॉट बुकिंग के लिए खाली हैं इसका मैसेज आपके whatsapp पर मिल जाएगा।
टीकाकरण से संबंधित आपकी सभी शंकाओं और सवालों का जवाब नीचे दिया गया है–
▪️ क्या टीकाकरण की एक तिथि और समय चुन सकते हैं?
हां, टीकाकरण की तिथि और समय को आरोग्य सेतु ऐप या कोओ-विन पोर्टल के माध्यम से चुना जा सकता है।
▪️ क्या सक्रिय कोरोना संक्रमण वाले व्यक्ति को टीका लगाया जा सकता है?
कोरोना संक्रमण के सक्रिय लक्षण के साथ व्यक्ति, स्वास्थ्य ठीक होने 4-8 सप्ताह के बाद टीकाकरण कर सकता है।
▪️ क्या गर्भवती महिला या स्तनपान कराने वाली माँ या बच्चों को टीका लगाया जा सकता है?
नहीं, गर्भवती महिला या स्तनपान कराने वाली माँ या बच्चों या 18 समूहों से कम उम्र के व्यक्तियों को टीका नहीं लगाया जाना चाहिए क्योंकि उनके लिए सुरक्षा पर डेटा अभी तक नैदानिक परीक्षणों के माध्यम से स्थापित नहीं किया गया है।
*नोट:* सामाजिक दूरी और मास्क पहनना अनिवार्य है।
*अधिक जानकारी के लिए:*
*कोविड वैक्सीन से संबंधित प्रश्नों के उत्तर*
*कोरोना टीकाकरण से जुड़ें हुए सवाल*
*होम आइसोलेशन के लिए दिशानिर्देश*
स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें।
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