क्या आपने कभी सोचा है कि सरकार तो हमसे समय से टैक्स न भरने या कोई भी नियम तोड़ने पर जुर्माना वसूलती है लेकिन क्या पब्लिक को भी यह अधिकार नहीं मिलना चाहिए की यदि सड़कों पर गड्ढे हों, सरकारी विभागों में कोई काम समय से न हो पाए या सरकारी कामों में अनियमितता मिले तो जिम्मेदार कर्मचारी, अधिकारी या संबंधित विभाग पर भी जुर्माना लगाया जा सके?
पब्लिक गलती करे या कोई नियम तोड़े तो जुर्माना और सरकारी विभाग या कर्मचारी गलती करे तो कुछ नहीं?
शायद ही सरकार का कोई विभाग ऐसा हो जहां आजकल भ्रष्टाचार न हो लेकिन लोग खुलकर शिकायत नहीं कर पाते क्योंकि पूरा सिस्टम शिकायत करने वाले के पीछे हाथ धोकर पड़ जाता है, कई बार तो शिकायतकर्ता को जानमाल का भी खतरा हो जाता है.
ऐसे में अपनी पहचान छिपाकर गुप्त रूप से शिकायत करने की व्यवस्था जरूर होनी चाहिए. कोई टोल फ्री नम्बर या ईमेल एड्रेस ऐसा हो जहां पब्लिक सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों की शिकायत कर सके.
यदि सरकार वाकई में देश से भ्रष्टाचार खत्म करने के प्रति गंभीर है तो उसे ऐसी व्यवस्था अवश्य लागू करना चाहिए, क्योंकि ये तो सरासर नाइंसाफी और एकतरफा कार्यवाही वाली व्यवस्था है की पब्लिक गलती करे तो जुर्माना भरे और सरकारी विभाग और कर्मचारी गलती करे तो कोई कार्यवाही नहीं? जुर्माना और पेनाल्टी का सिस्टम सिर्फ पब्लिक के लिए ही क्यों?
जिस तरह क्रिकेट के खेल में बैटिंग करने का मौका दोनों टीमों को मिलता है वैसे ही पब्लिक को भी सरकार के खिलाफ बैटिंग करने का मौका जरूर मिलना चाहिए. क्योंकि पब्लिक वोट के रूप में जो अपना जवाब देती है उसके लिए तो उसे 5 साल इंतजार करना पड़ता है.
पब्लिक रोड टैक्स देती है उसके बाद भी सड़क के गढ्ढों के कारण अक्सर लोग घायल और अपाहिज होते हैं या बहुत से लोगों की जान भी चली जाती है. पब्लिक के इस नुकसान के लिए जिम्मेदार कौन हुआ? इसका जुर्माना कौन देगा?
पब्लिक हाउस टैक्स देती है फिर भी नगर निगम की लापरवाही के कारण मोहल्लों में साफ सफाई नहीं होती, कूड़ा नहीं उठाया जाता, नालियों की सफाई नहीं होती, जिसके चलते पब्लिक को तरह तरह की बीमारियां और इन्फेक्शन हो जाता है, इलाज में लाखों खर्च हो जाते हैं तथा बहुतों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है, कितने परिवार उजड़ जाते हैं.
इसके लिए कौन जिम्मेदार है? पब्लिक के इस नुकसान की भरपाई कौन करेगा? इसका जुर्माना कौन भरेगा?
एक 77 वर्षीय वृद्ध जो वायुसेना में अधिकारी थे, उन्होंने रिटायर होने के बाद वर्ष 2010 में 6 लाख रुपए में गोरखपुर में एक प्लॉट खरीदा. जमीन की रजिस्ट्री के लिए भू राजस्व विभाग ने उनसे एक मोटी रकम स्टांप शुल्क के रूप में वसूली.
रजिस्ट्री कराने के बाद उन्हें पता चला की भूमाफियाओं ने उनके साथ बहुत बड़ा फ्रॉड किया है, वो जमीन तो विवादित है और उसका पहले से ही न्यायालय में केस चल रहा है. अब 77 साल के वृद्ध व्यक्ति पिछले 13 सालों से न्याय के लिए थाना-पुलिस, कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहे हैं लेकिन आज तक उन्हें उस जमीन पर कब्जा नहीं मिल पाया.
अब सवाल ये उठता है की ऐसी जमीन जो पहले से ही विवादित थी और जिसका न्यायालय में केस चल रहा था ऐसी जमीन को भू राजस्व विभाग ने कैसे किसी को रजिस्ट्री तथा दाखिल खारिज करा दिया?
जाहिर सी बात है की भू राजस्व विभाग के लोगों ने भू माफियाओं के साथ मिलकर ये घोटाला किया होगा. लेकिन नुकसान किसका हुआ?
भू राजस्व विभाग ने तो जमीन की रजिस्ट्री में मोटी रकम राजस्व के रूप में वसूला और किनारे हो गए. भूमाफियाओं ने भी चार सौ बीसी करके खूब अपनी जेबें भरी और चैन की जिंदगी जी रहे हैं.
लेकिन अब भुगत कौन रहा है? वो जिसने सरकार को राजस्व के रूप में एक मोटी रकम दी जमीन रजिस्ट्री कराने के लिए.
गलती किसकी है? किसकी वजह से राजस्व विभाग को स्टांप शुल्क के रूप में एक मोटी रकम देने के बाद भी एक वयोवृद्ध भूतपूर्व वायुसेना अधिकारी पुलिस और कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाने को मजबूर हैं?
उस बेचारे बुजुर्ग की तो जिंदगी भर की कमाई भी डूब गई और न्याय के लिए दर दर भटकना भी पड़ रहा है. आखिर इसका जिम्मेदार कौन है?
क्या भू राजस्व विभाग पर जुर्माना नहीं लगना चाहिये? क्या विभाग के दोषी कर्मचारियों के साथ ही रजिस्ट्रार और तहसीलदार की जवाबदेही नहीं तय की जानी चाहिए?
पब्लिक के इस नुकसान की भरपाई कौन करेगा?
भ्रष्ट सरकारी विभागों और कर्मचारियों की वजह से पब्लिक की दुर्दशा और जानमाल के नुकसान के ऐसे हजारों उदाहरण मौजूद हैं जिन्हें यहां लिख पाना संभव नहीं है.
पब्लिक वोट देकर सरकार बनाती है तो सरकारी नियम कानून भी पब्लिक के हित में होने चाहिए या नहीं?
गलती सरकारी विभागों के भ्रष्ट लोग करें और खामियाजा पब्लिक भुगते?
ऐसा कब तक चलता रहेगा की ‘करे कोई और, भरे कोई और?’
इस सिस्टम को बदलना होगा. अब सरकारी विभागों और सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों की जवाबदेही तय किया जाना चाहिए.
अपने हक और अधिकारों के लिए हमें खुद ही एकजुट होकर अपनी आवाज को बुलंद करना होगा, वरना यूं ही हमारे टैक्स के पैसों से सत्ता में बैठे लोग और भ्रष्ट सरकारी अधिकारी/कर्मचारी चैन की बंसी बजाते रहेंगे और पब्लिक टैक्स देकर भी हर तरह की दुर्दशा झेलती रहेगी.
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