कोरोना संक्रमितों की मौत की ये है सबसे बड़ी वजह, डॉक्टरों ने खोज निकाली ये दवा


कोरोना मरीजों में सबसे खराब स्थिति आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों की होती है। इन मरीजों के फेफड़े में संक्रमण के बाद खून का थक्का बनने की वजह से सबसे अधिक परेशानी होती है।
इसकी वजह से फेफड़े जाम हो जाते हैं। फेफड़े में सूजन और द्रव्य बनने से सांस लेने में परेशानी (साइटोकिन स्टार्म) से मरीजों की स्थिति बेहद बिगड़ जाती है और मरीजों की मौत तक हो जाती है। लेकिन अब खून का थक्का बनने से रोकने वाली दवाएं मरीजों को दी जा रही है। इन दवाओं से मरीजों को काफी हद तक राहत मिली है। खास बात यह है कि अब यह दवाएं किडनी के रोगियों को छोड़कर सभी मरीजों को दी जा रही है।


बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के कोरोना वार्ड के नोडल अधिकारी डॉ राजकिशोर सिंह के मुताबिक यह दवा आईसीयू में भर्ती सभी मरीजों को दी जा रही है। इस दवा के परिणाम बेहद सार्थक आए हैं। उन्होंने बताया कि गंभीर स्थिति में संक्रमित मरीजों में रक्त का थक्का बनना आम बात हो गई है। यही वजह है कि जैसे ही मरीज आ रहे हैं, वैसे ही यह दवाएं दी जा रही है। जिससे की रक्त का थक्का फिर से न बनें।



शुगर नियंत्रित करना सबसे बड़ी चुनौती
बीआरडी मेडिकल कालेज गोरखपुर के चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ अश्वनी मिश्रा ने बताया कि क्लाटिंग की समस्या से काफी हद तक राहत मिलने लगी है। अगर मरीज सही समय पर इलाज के लिए आ जाएं, तो क्लाटिंग की समस्या पर पूरी तरह से काबू कर लिया जाएगा। लेकिन जो भी मरीज बीआरडी में गंभीर हालत में आ रहे हैं, उनके शरीर के किसी न किसी हिस्से में थक्का पहले से बन जा रहा है।


एक बार अगर थक्का बन जाता है, तो उस थक्के को खत्म करना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में अगर मरीज तत्काल चिकित्सक से सलाह ले, तो इस पर नियंत्रण करके मरीजों की जान बचाई जा सकती है। इसके अलावा शुगर नियंत्रण करना सबसे बड़ी चुनौती है।

अब तक हुई मौत में थक्का बनना बड़ा कारण
अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों की मौत में सबसे बड़ा कारण रक्त का थक्का बनना ही है। यही वजह है कि डॉक्टर गंभीर मरीजों को सलाह दे रहे हैं कि वह तत्काल लापरवाही न करते हुए चिकित्सक को दिखाएं।


Leave a Comment

error: Content is protected !!