Rajput History in Hindi language
भारतीय सामाजिक व्यवस्था एक अनुपम सामाजिक व्यवस्था है जितना व्यवस्थित विभाजन और वर्गीकरण भारतीय सामाजिक व्यवस्था के अन्तर्गत हम पाते हैं वैसा विश्व के अन्य किसी समाज में नहीं।
विश्व के अधिकांश राष्ट्र जब अविकसित अव्यवस्था में थे, तब भारतीय समाज और संस्कृति विकास की चरम अवस्था में थी। अनादि काल से मनुष्य विभिन्न समुदाय में विभाजित था। धीरे–धीरे मनुष्य को कार्यों के आधार मनु ने अपने मनुस्मृति में तार्किक रुप से वर्गीकृत कर दिया और यह वर्गीकरण वर्णव्यवस्था के नाम संबोधन की गई। Rajput History in Hindi language
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जानिए भारत मे कितने प्रकार के क्षत्रिय है?
भारतीय समाज और संस्कृति का आधार स्तंभ रही है वर्णव्यवस्था। यह वर्णव्यवस्था वैदिक युग में समाज के सुचारु संचालन के लिए, कार्य के आधार पर तय की गई। शिक्षा और धर्म के ध्वज वाहक ब्राम्हण कहलाये, सुरक्षा, शासन, और युद्ध का कार्य वाला क्षत्रिय कहलाया, भरण – पोषण की जिम्मेदारी निभाने वाला वैश्य तथा हर तरह की सेवा में संलग्न समुदाय शुद्र कहलाया Rajput History in Hindi language
ऋग्वेद के पुरुषसूक्त – 10 /09/ 12 – में वर्णन है कि –
ब्रम्हणोस्य मुखमासीत वाहू राजन्यकय्तः।
अरुःयत तद्वैश्यः पदभ्यांशूद्रो आजयता॥
अर्थात ब्राम्हण का जन्म ईश्वर के मुख से, क्षत्रिय का हाथ से, वैश्य का जांघ से और शुद्र का पांव से हुआ बताया गया। आर्यों के द्वारा सामाजिक व्यवस्था स्थापित करने के प्रयास में अत्यन्त नियोजित रुप से एक उपयोगी संस्था के रुप में वर्ण व्यवस्था का विकास किया गया। Rajput History in hindi language
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वैदिक साहित्य में क्षत्रिय का आरम्भिक प्रयोग राज्याधिकारी या दैवी अधिकारी के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। “क्षतात त्रायते इति क्षत्य अर्थात क्षत आघात से त्राण” देने वाला।
मनुस्मृति में कहा कि क्षत्रिय शत्रु के साथ उचित व्यवहार और कुशलता पूर्वक राज्य विस्तार तथा अपने क्षत्रित्व धर्म में विशेष आस्था रखना क्षत्रियों का परम कर्तव्य है। क्षत्रिय अर्थात वीर राजपूत सनातन वर्ण व्यवस्था का वह स्तम्भ है जो भगवान की भुजाओं से जन्म पाया और ब्राम्हण के बाद मानव समाज का दूसरा अंग कहा गया।
Rajput History in Hindi language
“यो क्षयेन त्रायते स:”
क्षत्रिय की उपाधि से अतंकृत क्षत्रिय के लिये गीता में कहा गया कि –
“शौर्य तेजोधृति र्दाक्ष्यं युद्धे चाप्यपलायनमं।
दानमीश्वर भावश्च क्षत्रं कर्म स्वभावजम॥”
अर्थात शुरविरता, तेज, धैर्य, युद्ध में चतुरता, युद्ध से न भागना, दान, सेवा, शास्त्रानुसार राज्यशासन, पुत्र के समान पूजा का पालन – ये सब क्षत्रिय के स्वाभाविक कर्तव्य कर्म कहे गये हैं। Rajput history in hindi language
क्षत्रिय और राजपूत शब्द को लेकर कुछ विवाद भी की स्थिति है। कुछ लोग दोनो को अलग–अलग मानते हैं। लेकिन अधिकांश इतिहासकार यह मानते हैं कि राजपूतों का संबंध क्षत्रियों से है। प्रत्येक राजा प्रायः क्षत्रिय हुआ करते थे। अतः राजपूत्र का अर्थ क्षत्रिय से माना गया।
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12 वीं सदी के बाद राजपूत्र का मुख्सुख राजपूत हो गया जो कालान्तर में क्षत्रिय का जाति सुचक शब्द बन गया। 600 ई० से 1200 ई० तक काल को राजपूत काल कहा गया है। क्योकिं पूरे देश् में इस काल में इनका प्रभुत्व था। Rajput History in Hindi language
राजपूत निडर, निर्भय, साहसी, बहादुर, देश भक्त, सत्यवादी, वीर, धुन के पक्के, कृतज्ञ, युद्ध कुशल, मर्यादापूर्ण, धार्मिक, न्यायप्रिय, उच्चविचार रखने वाले तो थे ही साथ ही वे सदैव भारतमाता की रक्षा के लिये अपना सब कुछ न्योछावर करने को तत्पर रहते थे।
राजपूतों का एक बडा गुण यह भी था कि वे अपनी मानमर्यादा, आन-बान-सम्मान पर हर क्षण अपना सब कुछ दांव पर लगाने के लिये तत्पर रहते थे। कर्नल टाड ने भी राजपूतों के उपर्युक्त गुणों की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। Rajput History in Hindi language
600 वर्षों तक राजपूतों ने न केवल भारत पर शासन किया, बल्कि विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ़ देश की रक्षा करें। भारतीय सभ्यता, संस्कृति तथा धर्म के संरक्षण एवं पोषण में इस जाति का प्रभाव उल्लेखनीय एवं अतुलनीय है।
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राजनीतिक अवस्था के बाद भी राजपूत काल साहित्य, कला के उन्नति का काल था। स्थापत्य तथा शिल्पकला की इस समय बडी उन्नति हुई। मूर्तिकला और चित्रकला विकसित अवस्था में थी। साथ ही आर्थिक दशा भी इस समय अच्छी थी। Rajput history in hindi language
अपूर्व पौरुषता और साहस की प्रतीक यह जाति बलिदान, सहिष्णुता और सिद्धांतों के त्याग के लिये इतिहास प्रसिद्ध रही है। भारतीय संस्कृति की रक्षा करने में जन समुदायों में श्रेष्ठ क्षत्रिय राजपूत कुलों का योगदान सर्वोपरि रहा है। क्षत्रिय वंशजों के खून से सिंचित यह पुरातन संस्कृति अन्यों की अपेक्षा आज भी अजर–अमर है।
क्षत्रिय वंश के उद्भव का प्रारम्भिक संकेत हमें पुराणों से मिलने लगता है कि सूर्यवंश और चंद्रवंश ही क्षत्रिय वंश परम्परा के मूल स्त्रोत है। पुराणों से संकेत मिलता है कि मनु के पूत्रों से ही सुर्यवंश की नींव पडी थी और मनु की कन्या ईला के पति बुध थे जो चंद्रदेव के पुत्र थे, इन्ही से चंद्रवंश की नींव पडी। Rajput history in hindi language
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मूल क्षत्रिय वंशों की संख्या के बारे में विद्वानों में एकमत नहीं है। कुछेक – सूर्यवंश, चंद्रवंश और अग्निवंश की चर्चा करते हैं तो सूर्यवंश, चंद्रवंश और अग्निवंश, ऋषिवंश तथा दैत्यवंश। हालाकिं अधिकांश इतिहासकार यह मानते है कि सूर्य तथा चंद्रवंश से ही सभी वंश शाखाएं है।
अग्निवंश के संदर्भ में कहा जाता है कि अग्निवंशीय राजपूतों की उत्पत्ति ऋषियों द्वारा आबू पर्वत पर किये यज्ञ के अग्निकुंड से हुई जिनकी चार शाखाएं परमार, प्रतिहार, चौहान तथा सोलंकी। Agnivanshi Rajput History in hindi language
“चालुक्य” सूर्यवंश नामकरण के पूर्व मरीचि हुए जिनसे कश्यप और कश्यप से सूर्य तथा सूर्य से वैवस्तु मनु पैदा हुए जिन्होने अयोध्या नगरी बसाई। मनु के बाद उनके ज्येष्ठ पुत्र इक्ष्ताकु अयोध्या की गद्दी पर बैठे तथा अपने दादा के नाम पर सूर्यवंश की स्थापना की। इसी कुल में मांधता, हरिचंद्र, सगर, दिलीप, भफ़ीरथ, दशरथ और भगवान राम जैसे प्रतापी राजा हुए है। इस वंश का गौत्र भारद्वाज है।Suryavanshi Rajput History in hindi language
सूर्यवंश की शाखाएं एवं उपशाखाएं हैं –
1- गहलौत सिसोदिया क्षत्रिय (Gahlot Sisodia Kshatriya)– इसकी शाखाएं हैं :– गोत्र – बैजवाण,गौतम, कश्यप कुलदेव – वाणमता वेद – यजूर्वेद, नदी सरयू ,शाखाएँ 22 है ।
गहलोत वंश के आदि पुरुष गुह्यदत्त हुए है जिनके नाम पर यह वंश चला। एकमत के अनुसार गुजरात के राजा शिलादित्य के पुत्र केशवादित्य से यह वंश चला। गह्वर गुफ़ा में केशवादित्य के जन्म होने के कारण इस वंश का नाम गहलौत पड गया। एक दूररे मत के अनुरार इस वंश के आदि पुरुष गुहिल थे। Gahlot Rajput History in hindi language
2- कछवाहा क्षत्रिय (Kachwaha Kshatriya)– गौत्र –मानव , गौतम, कुलदेवी – दुर्गा, वेद – सामवेद नदी सरयू। इनकी तेरह मुख्य शाखाओं एवं उपशाखाओं का उल्लेख मिलता है।राठौर – गौत्र “राजपूताना” कश्यप पूर्व में , अत्रि दक्षिण भारत में तथा बिहार में शंडिल्य। वेद – सामवेद, देवी- दुर्गा। इस वंश की 24 शाखाओं का उल्लेख मिलता है।kachwaha Rajput History in hindi language
3- निकुम्भ क्षत्रिय (Nikumbh Kshatriya)– सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र–वशिष्ठ तथा भारद्वाज। प्रवर–तीन–वशिष्ठ, अत्रि एवं सांकृति। कुल देवि–कालिका। वेद– यजुर्वेद। नदी–सरयू। nikumbh rajput history in hindi
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4- श्रीनेत क्षत्रिय (Shrinet Rajput History in Hindi)– सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। देवी – चंद्रिका। वेद – सामवेद। कुछ लोग इन्हे निकुम्म की शाखा मानते हैं। shrinet rajput history in hindi
5- बैस क्षत्रिय (Bais Rajput History in Hindi)– बैस क्षत्रिय सूर्यवंशी हैं। दशरथ पुत्र श्री राम जी के भ्राता भरत के वंशज है
गौत्र – गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। देवी – कालिका, देव -शिव वेद – यजुर्वेद,नदी -सरयू । वैसे बैस क्षत्रियों का प्रधान क्षेत्र बैसवाडा उत्तर प्रदेश है। इनकी 12 शाखाएँ है तीन मुख्य शाखायें हैं – कोट भीतर, कोट बाहर, एवं त्रिलोकचंदी, इनकी चार उपशाखाए है। bais rajput history in hindi
6- बिसेन क्षत्रिय (Bisen Rajput History in Hindi) – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – स्थानुसार – परासर, भारद्वाज, शंडिल्य, अत्रि तथा वत्स। वेद – सामवेद। कुल देवी- दुर्गा। राजा विस्सासेन के नाम पर इस वंश का नाम विसेन पडा। bisen rajput history in hindi
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7- गौतम क्षत्रिय (Gautam Rajput History in Hindi) – ऋषि वंशी भी मानते है सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – गौतम। प्रवर – पांच – गौतम, आंगीरस, आष्यासार, वृहस्पति, पैध्रुव। वेद – यजुर्वेद। नदी गंगा। देवी – दुर्गा। गौतम वंश की प्रधान शाखायें कंडवार, गोनिह एवं अंटैया हैं। gautam rajput history in hindi
8- बडगूजर क्षत्रिय (Badgujar Rajput History in Hindi) – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – वरिष्ठ। प्रवर – तीन-वशिष्ठ, अत्रि, सांकृति। वेद- यजुर्वेद। देवी – कालीका। ये रामचंद्र जी के पुत्र लव के वंशज है। badgujar rajput history in hindi
9- गौड क्षत्रिय (Gaur Rajput History in Hindi) – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद – यजुर्वेद। कुलदेवी – महाकाली। गौड क्षत्रिय अपने को राजा भरत दशरथ पुत्र का वंशज मानते हैं। गौड क्षत्रिय की प्रमुख शाखाय्रं – 12 है चमर गौड़, ब्राह्मण गौड़, अतहरि, सिलहाना, तूर, दुसेना तथा बोडाना। gaur rajput history in hindi
10- नरौनी क्षत्रिय (Narauni Rajput History in Hindi) – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – कश्यप, वशिष्ठ। प्रवर – तीन – वशिष्ठ, अत्रि, सांकृति। वेद – यजुर्वेद। इसे शीनेत की एक शाखा भी माना गया हैं। राजपूताना के नरवर में बसने के कारण नरौनी क्षत्रिय नामकरण हुआ है।Rajput History in hindi language
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11- रैकवार क्षत्रिय (Raikwar Rajput History in Hindi)– सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद – यजुर्वेद। रैकवार नामक राजा के जम्बू के निकट रैकागढ बसाया और उन्ही के नाम पर रैकवार क्षत्रिय नामकरण हुआ। raikwar rajput history in hindi
12- सिकरवार क्षत्रिय (Sikarwar Rajput History in Hindi)– सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भारद्वाज, शंडिल्य, सांकृति। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद – सामवेद। कुलदेवी – दुर्गा। sikarwar rajput history in hindi
13- दुर्गवंश क्षत्रिय (Durgvanshi Rajput History in Hindi) – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – कौत्स। वेद – यजुर्वेद। कुलदेवी – चण्डी। durgvanshi rajput history in hindi
14- दीक्षित क्षत्रिय (Dikshit Rajput History in Hindi)– सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – कश्यप। प्रवर तीन-कश्यप, वत्सार, नैध्रुव। वेद – सामवेद। देवी – दुर्गा। दुर्गवंश की शाखा है। दुर्ग वंशी राजा कन्याण शाह को प्रमर राजा विक्रमादित्य ने उज्जैन में दीक्षित किया और यहीं से दुर्ग वंश की दीक्षित शाखा चल रही है।Rajput History in hindi language
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15- कानन क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भार्गव। प्रवर – तीन- भार्गव, निलोहित, रोहित। वेद – यजुर्वेद। देवी – दुर्गा। दक्षिण भारत के कोकन प्रदेश से उत्तर की ओर आव्रजित होने पर पूर्व स्थान के नाम पर काकन क्षेत्रिय नामकरण।
16- गोहिल क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – कश्यप। प्रवर तीन-कश्यप, वत्सार, नैध्रुव। वेद – यजुर्वेद। देवी – बाणमाता।
17- निमी वंशीय क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – कश्यप, वशिष्ठ। वशिष्ठ गौत्र का वेद – यजुर्वेद एवं कश्यप गौत्र का वेद – सामवेद। राजा इक्ष्वाकु के पुत्र निमि से निमिवंश का नामकरण हुआ है। निमि के पुत्र मिथि ने मिथिला नगरी बसाई है।Indian Rajput History in hindi language
18- लिच्छवी क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – गौच्छल। वेद – यजुर्वेद। देवी चण्डी। नदी – नर्मदा।
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19- गर्गवंशी क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र गर्ग। प्रवर – तीन – गर्ग, कौस्तुभ, माण्डव्य। वेद – सामवेद। देवी – कालिका।
20- रघुवंशी क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – कश्यप, वशिष्ठ। प्रवर – तीन – कश्यप, वत्साह, नैध्रुव। वेद – यजुर्वेद। राजा रघु के वंशज कहलाते हैं। जौनपुर जनपद का बयालसी परगना और डोमी परगना रघुवंशी क्षत्रियों का क्षेत्र है। वाराणसी के कटेहर क्षेत्र में भी रघुवंशी क्षत्रियों का निवास है। Raghuvanshi Rajput History in hindi language
21- पहाडी सूर्यवंशी क्षत्रिय –
गौत्र – शौकन। प्रवर – तीन – शोनक, शुनक, गृत्सनद। वेद – यजुर्वेद। देवी – काली। इनके पूर्वज अयोध्या से नेपाल गये।
22- सिंधेल क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र- कश्यप। प्रवर – तीन – कश्यप, वत्सार, नैध्रुव। वेद – यजुर्वेद। देवी – पार्वती। उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ जिलों में इनके कई गांव हैं।
23- लोहथम्भ क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, नैध्रुव। वेद – यजुर्वेद। ्देवी – चण्डी। गाजीपुर, बलिया, गया, आरा जिलों में इनकी आबादी अधिक है।Rajput History in hindi language
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24- धाकर क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद – यजुर्वेद। देवी – कालिका। धाकर क्षत्रिय हरदोई, बुलंदशहर, आगरा, मैनपुरी, इटावा, एटा तथा बिहार के शाहाबाद तथा पटना जिलों में बहुताय से हैं।
25- उदमियता क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – वत्स। प्रवर – पांच- और्ण्य, च्यवन, भार्गव, जन्मदग्नि, अप्रुवान। वेद-सामवेद। देव_ – कालिका। उद्यालक ऋषि के छत्र – छाया में पलने के कारण ये उद्यमिता क्षत्रिय कहलायें। मूल स्थान राजस्थान है। वहां से ये लोग गोरखपुर, आलमगढ तथा बिहार के शाहाबाद, गया तथा मागलपुर जिलों में आकर बस गये।Rajput History in hindi language
26- काकतीय क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद – यजुर्वेद। देवी – चण्डी। दक्षिण के वारंगल क्षेत्र तथा बस्तर में इनका राज्य था। उत्तर प्रदेश में भी ये क्षत्रिय मिलते थे।Rajput History in hindi language
27- सूरवार क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – गर्ग। प्रवर – तीन – गर्ग, कौस्तुम्भ, माण्डव। वेद – यजुर्वेद।
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28- नेवतनी क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – शंडिल्य। प्रवर – तीन – शंडिल्य, असित, देवल। देवी – अम्बिका।Rajput History in hindi language
29- मौर्य क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – गौतम। प्रवर – तीन – गौतम, वशिष्ठ, वृहस्पति। वेद – यजुर्वेद।
30- शुंग वंशी क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – वशिष्ठ। प्रवर – तीन – वशिष्ठ, वृहस्पति, अंगीरस। वेद – सामवेद। देवी – दुर्गा।
31- कटहरिया क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – वशिष्ठ। प्रवर – तीन – वशिष्ठ, अत्रि, सांकृति। वेद – यजुर्वेद। नदी – सरयू। देनी – कालिका। कटहर में बसने के कारण ये कटहरिया कहलाये। इनका निवास मुरादाबाद, ब्दांयू, शाहजंहापुर, अलीगढ, एटा तथा बुलंदशहर में अधिक है।Rajput History in hindi language
32- अमेठिया क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद – सामवेद। यह गौड क्षत्रियों की एक उपशाखा है। इनका निवास अमेठी परगना ( लखनऊ ) होने के कारण ये अपने को अमेठिया क्षत्रिय कहते हैं।
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33- कछलियां क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – शंडिल्य। प्रवर – तीन- शंडिल्य, असित, देवल। वेद – सामवेद।
34- कुशभवनियां क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र स्थानभेद से – शांडिल्य, असित, पराशर तथा भारद्वाज। वेद – सामवेद। देवी- बंदीमाता। ये क्षत्रिय अपने को कुश का वंशज मानते हैं। सुल्तानपुर में गोमती नदी के किनारे कुशभवनपुर है। निवा के आधार पर इनका नाम कुशभवनियां क्षत्रिय पडा।Bhardwaj Rajput History in hindi language
35- मडियार क्षत्रिय– सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – वत्स। प्रवर – पांच-औवर्य, च्यवन, भार्गव, जमदग्नि, अप्युवान। वेद – सामवेद। देवी – सतीपरमेश्वरी। नदी – सरयू। मूलस्थान – उदयपुर। Rajput History in hindi language
36- कैलवाड क्षत्रिय– सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद – यजुर्वेद। देवी – बन्दी। नदी – गंगा। कैलवाड क्षत्रियों राठौड वंश की एक शाखा जगावत की उपशाखा से संबंधित है। जगावत वंश के राजा का कैलवाड (मेवाड के पास) में राज्य था। उसी के नाम पर कैलवाड क्षत्रिय पडा।
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37- अन्टैया क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – गौतम। प्रवर – पांच- गौतम, अंगीरस, अप्यार, वाचस्पत्य, नैध्रुव। वेद – यजुर्वेद। नदी – सरयू।Rajput History in hindi language
38- भतिहाल क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद -सामवेद।
39- बाला क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।बंधलगोती क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
40- महथान क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – वत्स। प्रवर – पांच – और्व्य, च्यवन, भार्गव, जमदग्नि, अप्रुवान। देवी – दुर्गा। वेद – सामवेद।Rajput History in hindi language
41- चमिपाल क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – कश्यप। प्रवर – तीन – कश्यप, वत्सार, नैध्रुव। वेद -सामवेद। मूलस्थान उदयपुर है। मलियान तथा सेवतिया इनकी दो शाखायें हैं।
42- सिहोगिया क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद -सामवेद। देवी – दुर्गा। बिहार के गया तथा पलामू जिलों में इनका निवास है। Rajput History in hindi language
43- बमटेला क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – शांडिल्य। प्रवर – तीन – शंडिल्य, असित, देवल। वेद – सामवेद। यह विसेन क्षत्रियों की शाखा है। हरदोई, फ़रुखाबाद जिलों मं इनकी जनसंख्या अधिक है।
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44- बम्बवार क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद -यजुर्वेद। इनका भी उल्लेख विसेन वंश की शाखा के रुप में हुआ है।
45- चोलवंशी क्षत्रिय– सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद -यजुर्वेद। चोल प्रदेश ( दक्षिण भारत) में निवास करने के कारण चोल क्षत्रिय नामकरण हुआ।Rajput History in hindi language
46- पुंडीर क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – पुलस्त्य। वेद – यजुर्वेद। देवी – दधिमती माता। उत्तर प्रदेश के इटावा अलीगढ, सहारनपुर जिलों में इन क्षत्रियों का निवास है।Pundir Rajput History in hindi language
47- कुलूवास क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – पुलस्त्य। वेद – यजुर्वेद। निवास सलेडा राजस्थान।
48- किनवार क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – कश्यप। प्रवर – तीन – कश्यप, वत्सार, नैध्रुव। वेद -सामवेद। बलिया छपरा तथा भागलपुर के कुछ गांवों में इनका निवास है।
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49- कंडवार क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – गौतम। प्रवर – पांच – गौतम, अंगीरस, वत्सार, वृहस्पति, नैध्रुव। वेद – यजुर्वेद। देवी- चण्डी। गौतम क्षत्रियों की एक उपशाखा कंडावत गढ में बसने से कण्डवार क्षत्रिय हो गई। छपरा जिले में इनका निवास है।Rajput History in hindi language
50- रावत क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद -यजुर्वेद। देवी -चण्डी। गौतम वंश की उपशाखा है। इन क्षत्रियों का निवास उन्नाव तथा फ़तेहपुर जिलों में हैं।Rawat Rajput History in hindi language
51- नन्दबक क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – कश्यप। प्रवर – तीन – कश्यप, वत्सार, नैध्रुव। वेद -यजुर्वेद। देवी – दुर्गा। यह कछवाहा वंश की उपशाखा है। ये जैनपुर, आजमगढ, बलिया तथा मिर्जापुर जिलों में है।
52- निशान क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – वत्स। प्रवर – पांच – और्व्य, च्यवन, भार्गव, जमदग्नि, अप्रुवान। देवी – भगवती दुर्गा। वेद – सामवेद। निशान निमिवंश की उपशाखा है। बिहार के पटना, गया तथा शाहाबाद जिलों में इनका निवास है।
53- जायस क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
यह राठौर वंश की उपशाखा है। इनका गौत्र आदी भी राठौर जैसा है। रायबरेली के जासस नामक स्थान में बसने के कारण यह नाम पडा।
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54- चंदौसिया क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद -सामवेद। देवी – दुर्गा। यह बैस क्षत्रियों की एक उपशाखा है जो बैसवाडा से निकास होकर सुल्तानपुर के चंदौर ग्राम में बस गई।
55- मौनस क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – मानव। यह कछवाहा क्षत्रियों की उपशाखा है जो आमोर से मिर्जापुर तथा बनारस आकर बस गई। Rajput History in hindi language
56- दोनवार क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – कश्यप। प्रवर – तीन – कश्यप, वत्सार, नैध्रुव। वेद -यजुर्वेद। यह विसेन क्षत्रियों की उपशाखा है।
57- निमुडी क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
यह निमि वंश की उपशाखा है। गौत्र आदि भी एक ही है।
58- झोतियाना क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – कश्यप। प्रवर – तीन – कश्यप, वत्सार, नैध्रुव। वेद – सामवेद। यह कछवाहा वंश की एक उपशाखा है। इनका निवास उत्तर प्रदेश में मेरठ और मुज्ज्फ़रनगर जिलों में है।
59- ठकुराई क्षत्रिय – सूर्यवंश की शाखा है।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद -यजुर्वेद। इस वंश का संबंध नेपाल से है। इनको शाह की पदवी भी मिली है। वर्तमान में इनका निवास बिहार के मोतीहारी, शाहाबाद तथा भागलपुर जिलों में है।
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60- मराठा या भोंसला क्षत्रिय– सूर्यवंश की शाखा है।Maratha Rajput History in hindi language
गौत्र – वैजपायण, कौशिक तथा शैनक। वेद – यजुर्वेद। देवी जगदम्बा। अधिकांश विद्वानों की राय से भोंसला वंश सिसोदिया वंश की एक उपशाखा अहि। सूर्यवंश की वह शाखायें एवं उपशाखायें जो आबू पर्वत पर यज्ञ की अग्नि के समक्ष देश और धर्म की रक्षा का व्रत लेकर अग्नि वंशी कहलाई।
61- परमार पंवार क्षत्रिय– गौत्र – वशिष्ठ, गार्ग्य, शौनक, कौडिन्य। प्रवर – तीन – वशिष्ठ, अत्रि, सांकृति। वेद – यजुर्वेद। देवी – दुर्गा तथा काली देवी। परमार वंश में ही प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य एवं भोज हुए हैं।Parmar Rajput History in hindi language
62- चौहान क्षत्रिय – गौत्र – वत्स। प्रवर – पांच- और्व्य, च्यवन, भार्गव, जमदग्नि, अप्रुवान। वेद – सामवेद। देवी – आशापुरी। चौहान वंश की 24 उपशाखाओं का उल्लेख मिलता है।Chauhan Rajput History in hindi language
63- प्रतिहार या परिहार – गौत्र – कश्यप। प्रवर – तीन – कश्यप, वत्सार, नैध्रुव। वेद – यजुर्वेद। देवी चामुण्डा। परिहार वंश की भी अनेक उपशाखायें हैं।Parihar Rajput History in hindi language
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64- राठौड़ क्षत्रिय – सूर्यवंशी है । गोत्र -गौतम,प्रवर तीन-गौतम, वशिष्ठ, बहारस्पद, देवी-नागणेच्यां, वेद-यजुर्वेद, शुक्ल Rathaur Rajput History in hindi language
65- नागवंशी– भगवान शेषनाग जी के वंशजों का वंश गोत्र-कश्यप, शुनुक
चन्द्रवंशी क्षत्रीय–
अत्रि जी के पुत्र चन्द्र देव थे। चन्द्र देव के पुत्र वुध थे। महाराजा वुध का विवाह महाराजा तनु की पुत्री ईला से हुआ था। इनसे महाराजा पुरुरुवा का जन्म हुआ। पुरुरुवा ने ही अपने दादा चन्द्र देव के नाम पर चन्द्रवंशी की नींव डाली जिसकी आज अनेक शाखायें और उपशाखायें हो गई हैं। चन्द्र वंश को ही सोमवंशी भी कहते हैं।
चन्द्रवंश की शाखायें तथा उपशाखायें (chandravanshi rajput history in hindi)
1- सोमवंशी क्षत्रिय –
गौत्र – अत्रि। प्रवर – तीन – अत्रि, आत्रेय, शाताआतप। वेद – यजुर्वेद। देवी – तहालक्ष्मी। नदी – त्रिवेणी। Chandravanshi Rajput History in hindi language
2- जादौन क्षत्रिय – चन्द्रवंश की शाखा।
गौत्र – कौन्डिय। प्रवर – तीन – कौन्डिन्य, कौत्स, स्तिमिक। देवी – योगेश्वरी। वेद – यजुर्वेद। नदी – यमुना।
3- भाटी या जरदम क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।Bhati Rajput History in hindi language
ये लोग अपने को कृष्ण का वंशज मानते हैं। इस शाखा में कभी भाटी नाम के प्रतापी राजा हुए थे। इन्ही के नाम पर भाटी वंश चल पडा। जैसलमेर का दुर्ग इसी वंश के राजाओं ने बनवाया है।
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जाडेजा क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
इस शाखा के लोग अपने को कृष्ण के पुत्र साम्ब का वंशज मानते हैं।
4- तोमर तंवर क्षत्रिय– चन्द्र वंश की एक शाखा। इन्हे तुर या तंवर भी कहते हैं।
गौत्र – गार्ग्य। प्रवर – तीन – गार्ग्य, कौस्तुभ, माण्डव्य। वेद यजुर्वेद। देवी – योगेश्वरी, चिकलाई माता।Tomar Rajput History in hindi language
तोमर वंश के लोग अपने को पाण्डु का वंशज मानते हैं। जन्मेजय ने नागवंश को समूल नष्ट करने का व्रत लिया था। उनके इस आचरण से नागवंश के महर्षि आस्तिक बहुत अप्रसन्न हुए। जन्मेजय ने महर्षि आस्तिक से क्षमा याचना की और प्रायश्चित के लिए यज्ञ सम्पन्न हुआ। जिसके अधिष्ठाता महर्षि तुर थे। इन्ही महर्षि तुर के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के लिए जन्मेजय के वंशज अपने को तुर क्षत्रिय कहने लगे।Rajput History in hindi language
डा. देव सिंह निर्वाण ने एक आलेख में तोमर क्षत्रियों की 25 शाखाओं का उल्लेख किया है।
5- हैहय क्षत्रिय – गौत्र – कृष्णात्रेय, कश्यप, शांडिल्यय, नारायण। प्रवर – तीन – कृष्णात्रेय, आत्रेय, व्यास। वेद – यजुर्वेद। देवी – दुर्गा।
हैयय क्षत्रिय अपने को प्रतापी राजा कार्तबीर्य सहस्त्रार्जुन का वंशज मानते हैं। कुछ लोग उन्हे राजा हय का भी वंशज मानते हैं।
6- करचुलिया क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – कश्यप। प्रवर – तीन – कश्यप, वत्सार, नैध्रुव। वेद – सामवेद। देवी – विन्ध्यवासिनी। संभवतः यह हैयय वंश की उपशाखा है।
7- कौशिक क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – कौशिक। प्रवर – तीन – कौशिक, जमदग्नि, अत्रि। देवी – योगेश्वरी। वेद – यजुर्वेद।Kaushik Rajput History in hindi language
8- सेंगर क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – गौतम। प्रवर – तीन – गौतम, वशिष्ठ, वृहष्पति। वेद – यजुर्वेद। देवी – विन्ध्यवासिनी।Sengar Rajput History in hindi language
9- चंदेल क्षत्रिय (Chandel Rajput History in hindi) – गौत्र – चंद्रायण। प्रवर – तीन – चंद्रात्रेय, आत्रेय, संतातप। वेद-यजुर्वेद। देवी- मनिया देवी। Chandel Rajput History in hindi
राजा चन्द्र की संतानों ने स्वयं को चंदेल क्षत्रिय (Chandel Kshatriya) उदघोषित किया। Chandel वंश का प्रधान स्थान ग्वालियर (Gwalior) के पास चंदेरी (Chanderi) था।
खजुराहो के अद्भुत मंदिर चंदेल वंश के राजाओं द्वारा ही बनवाये गए हैं। Chandel Rajput History in Hindi
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गहरवार क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – कश्यप। प्रवर – तीन – कश्यप, वत्सार, नैध्रुव। वेद – सामवेद। देवी – अन्नपूर्णा।
10- बेरुवार क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – कश्यप। प्रवर – तीन – कश्यप, वत्सार, नैध्रुव। वेद – सामवेद। देवी – चण्डिका।
11- सिरमौर क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – कश्यप। प्रवर – तीन – कश्यप, वत्सार, नैध्रुव। वेद – सामवेद।
12- जनवार क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – व्याघ्र। प्रवर – तीन – कौशिक, जमदग्नि, अत्रि। देवी – चण्डिका। वेद – यजुर्वेद।कुल देवता शिव
13- भाला क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।गौत्र – कश्यप। प्रवर – तीन – कश्यप, वत्सार, नैध्रुव। वेद – सामवेद। देवी – महाकाली।
14- पालीवाल क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।Paliwal Rajput History in hindi
पाली राजस्थान में एक जिला है, यहाँ के अधिकांश निवासी पालीवाली कहलाये। मुगल काल के दौरान ये लोग पूर्वी और पश्चिमी यूपी में चले गए।
गौत्र – वेयाध्र। प्रवर – दो – वैयाध्र, सांकृति। वेद – सामवेद। फैज़ाबाद जिले में इनके नाम से एक पलिवारी क्षेत्र ही है।
15- गंगा वंशी क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – अत्रि। प्रवर – तीन – अत्रि, आत्रेय, शातातप। वेद – यजुर्वेद। देवी – योगेश्वरी।
16- पुरुवंशी क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – वृहस्पति। प्रवर – तीन – वृहस्पति, अंगीसर, भारद्वाज। वेद – यजुर्वेद। देवी – दुर्गा।
17- ख्याति क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – अत्रि। प्रवर – तीन – अत्रि, आत्रेय, शातातप। वेद – यजुर्वेद। देवी – दुर्गा।
18- बुंदेला क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
यह गहरवार वंश की एक उपशाखा है और गोत्रादि उसी के अनुसार है।
19- कान्हवंशी क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद -सामवेद।
20- रकसेल क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – कौन्डिय। प्रवर – तीन – कौन्डिन्य, कौत्स, स्तिमिक। वेद – यजुर्वेद।
21- कटोच क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।तिलोता क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – कश्यप। प्रवर – तीन – कश्यप, वत्सार, नैध्रुव। वेद – सामवेद। देवी – दुर्गा।
22- बनाफ़र क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – कश्यप। प्रवर – तीन – कौन्डिन्य, कौत्स, स्तिमिक। वेद – यजुर्वेद। देवी – शारदा।
23-भारद्वाज क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।Bhardwaj Rajput History in hindi
गौत्र – कौन्डिअन्य। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद – सामवेद। देवी – श्रदा।
24- सरनिहा क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद -सामवेद। देवी – दुर्गा।
25- हरद्वार क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – भार्गव। प्रहर – तीन – भार्गव, नीलोहीत, रोहित।चौपट
26- खम्भ क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – कश्यप। प्रवर – तीन – कश्यप, वत्सार, नैध्रुव। वेद – सामवेद। Rajput History in hindi language
27- कर्मवार क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद – यजुर्वेद।
28- भृगु वंशी क्षत्रिय – चन्द्र वंश की एक शाखा।
गौत्र – भार्गव। प्रवर- तीन – भार्गव, नीलोहित, रोहित। वेद – यजुर्वेद।
चंद्र वंश की शाखा जो अग्नि वंश के रुप में प्रचारित हुई है। Rajput History in hindi language
29- सोलंकी क्षत्रिय –
गौत्र – भारद्वाज। प्रवर – तीन – भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद – यजुर्वेद। देवी – हिंगलाज, खेमज। Solanki Rajput History in hindi language
सूचना– यदि उपरोक्त विवरण में कोई त्रुटि हो तो कृपया अवश्य सूचित करें ।
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Khangar rajput Bhi chandarbans ki sakha hai
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आज़मगढ़ के लालगंज आज़मगढ़ में 200 गांव बैश क्षत्रियों के है । किसी प्रकार की नई सूचना हेतु सूचित करें ।
सादर
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Sahibbaat hai khnagar rajput bhi to jadeja rajput ki ek kom hai or Chandra vani hai
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