यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) 5 जून 2021 को 49 साल के हो गए हैं। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव में 5 जून 1972 को एक राजपूत परिवार में जन्मे अजय सिंह बिष्ट (Ajay Singh Bisht) गोरखपुर (Gorakhpur) पहुंचकर योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) बन गए। देश के सबसे बड़े सूबे की सत्ता के सिंहासन पर योगी विराजमान हैं। महज 26 साल की उम्र में संसद पहुंचने वाले योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) 45 साल की उम्र में यूपी के सीएम बने। आज उत्तरप्रदेश ही नहीं बल्कि देश की सियासत में उन्हें हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर जाना जाता है। उनके प्रशंसक उन्हें देश के भावी प्रधानमंत्री के तौर पर भी देखते हैं।
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योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के गोरखनाथ (Gorakhnath) मठ के पीठाधीश्वर से देश के सबसे ताकतवर सीएम बनने के सफर की कहानी भी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है। तो आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी ये रोचक कहानी।
योगी आदित्यनाथ का जन्म (Yogi Adityanath Birth) yogi adityanath ka janm kab hua tha
योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का जन्म उत्तराखंड (Uttrakhand) के एक साधारण राजपूत परिवार में हुआ. इनके पिता का नाम (Yogi Adityanath ke pita ka nam) आनंद सिंह बिष्ट और माता का नाम (Yogi Adityanath ki mata kanam) सावित्री देवी है.
शिक्षा (Yogi Adityanath Education)
(Yogi Adityanath ki padhai)
योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने 1989 में ऋषिकेश के भरत मंदिर इंटर कॉलेज से 12वीं की परीक्षा पास की और 1992 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय (Hemwati Nandan Bahuguna Garhwal University) से गणित में B.Sc की पढ़ाई पूरी की। इसी कॉलेज से उन्होंने M.Sc भी किया।
कहा जाता है कि योगी आदित्यनाथ को शुरूआत से ही राजनीति में लगाव था। वह अपने कॉलेज के दिनों में छात्र संघ का चुनाव भी लड़े। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन ये कौन जानता था कि एक छोटे से छात्रसंघ का चुनाव हारने वाला युवा नेता, भारत के सबसे बड़े प्रदेश का मुख्यमंत्री बनेगा। छात्र जीवन में ही वो राममंदिर आंदोलन (Ram Mandir Andolan) से जुड़ गए थे।
अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ
(Ajay Singh Bisht se Yogi Adityanath)
90 के दशक में राममंदिर आंदोलन (Ram Mandir Andolan) के दौरान ही योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की मुलाकात गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Mandir) के महंत अवैद्यनाथ (Mahanth Awaidyanath) से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad) के एक कार्यक्रम में हुई। इसके कुछ दिनों बाद योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) अपने माता-पिता को बिना बताए गोरखपुर (Gorakhpur) जा पहुंचे, जहां संन्यास धारण करने का निश्चय लेते हुए गुरु दीक्षा ले ली। गोरखनाथ मठ के महंत अवैद्यनाथ भी उत्तराखंड के ही रहने वाले थे। महंत अवैद्यनाथ का शिष्य बनने के बाद योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने धर्म से लेकर शास्त्र की शिक्षा ली। योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की कई परीक्षाएं लेने के बाद महंत अवैद्यनाथ ने उत्तराधिकारी के लिए योगी आदित्यनाथ को चुना और अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इस तरह वे गोरखनाथ (Gorakhnath) मठ के महंत बनकर अजय सिंह बिष्ट (Ajay Singh Bisht) से योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) बन गए।
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राजनैतिक जीवन की शुरुआत
(Political Career of Yogi Adityanath)
गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Mandir) के महंत की गद्दी का उत्तराधिकारी बनाने के चार साल बाद ही महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी बना दिया। गोरखपुर (Gorakhpur) से महंत अवैद्यनाथ चार बार सांसद रहे, उसी सीट से योगी 1998 में 26 वर्ष की उम्र में लोकसभा पहुंचे और फिर लगातार 2017 तक पांच बार सांसद रहे।
सियासत में कदम रखने के बाद योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की छवि एक कठोर हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर उभरी। सांसद रहते हुए गोरखपुर (Gorakhpur) जिले को अपने नियम अनुसार चलाने और त्वरित फैसलों से उन्होंने सबको चकित किया। इसी के चलते योगी (Yogi) के सियासी दुर्ग को न तो मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का समाजवाद (Samajwad) भेद पाया और न ही मायावती (Mayawati) की सोशल इंजीनियरिंग (Social Engineering) ही यहाँ काम आई। गोरखपुर (Gorakhpur) में हमेशा योगी का हिंदुत्व कार्ड ही हावी रहा। योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपने 19 साल के सियासी कैरियर में न केवल गोरखपुर बल्कि पूर्वांचल की कई अन्य सीटों पर भी अपना प्रभाव कायम किया।
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हिंदू युवा वाहिनी का गठन (Hindu Yuva Vahini)
योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपनी निजी सेना हिंदू युवा वाहिनी (Hindu Yuva Vahini) का निर्माण किया जो धर्म रक्षा, गौ सेवा करने व हिंदू विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए बनाई गई थी। हिंदू युवा वाहिनी ने गोरखपुर में ऐसा माहौल तैयार किया, जिसके चलते आज तक उन्हें कोई चुनौती नहीं दे सका। एक तेजतर्रार राजनीतिज्ञ के रूप में अपनी छवि योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने बना ली थी।
यूपी का सीएम बनने तक का सफर (The Making of UP CM Yogi Adityanath)
योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की सबसे बड़ी खासियतों में एक है कि वह जनता से सीधा संवाद करने में विश्वास रखते हैं। 2017 में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला तो सीएम के लिए कई चेहरे दावेदार थे, लेकिन बाजी योगी के हाथ ही लगी।
कानून व्यवस्था पहली प्राथमिकता, अपराधियों में खौफ
योगी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने फैसलों से अपनी राजनीतिक इच्छा को जाहिर कर दिया। उनकी पहली प्राथमिकता थी यूपी को अपराध मुक्त कर लॉ एंड आर्डर सही करना। इसके लिए उन्होंने कुछ कड़े निर्णय भी लिए, हालांकि प्रदेश में हुए ताबड़तोड़ एनकाउंटरों के कारण विपक्ष ने उन पर उंगलियां भी उठाईं, लेकिन कानून-व्यवस्था पर सख्त योगी पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा।
सीएम बनते ही योगी ने अपराधियों पर ऐसा शिकंजा कसा कि यूपी के सभी अपराधी और माफिया त्राहि त्राहि करने लगे। हालात ऐसे हो गए कि पिछली सरकारों में राजनीतिक संरक्षण प्राप्त बड़े बड़े माफिया सरगना नेस्तनाबूद हो गए। ऐसा पहली बार हुआ जब माफियाओं और अपराधियों की चल अचल संपत्तियों को तहस नहस करके कानून की हनक का अहसास कराया गया। योगी के सीएम बनने के बाद अपराधियों में इतना खौफ पैदा हो गया था कि वह खुद थाने जाकर सरेंडर कर रहे थे।
राज्य के अपराधी जो दूसरे राज्यों से अपना नेटवर्क, खासतौर से मुख्तार अंसारी जैसे माफिया चला रहे थे। उन्हें प्रदेश में वापस लाया गया।
कोरोना काल में किया उत्कृष्ट प्रदर्शन
2020 के कोरोना संकट काल में सीएम योगी सीधे तौर पर सक्रिय नजर आए, जिससे उनकी लोकप्रियता में और भी इजाफा हुआ। वे ऐसे पहले मुख्यमंत्री बने जिन्होंने कोरोना काल में लगातार अपनी जनता का हर तरह से ख्याल रखा। प्रवासी मजदूरों को दूसरे राज्यों से वापस लाने तथा उनके लिए आजीविका के संसाधन जुटाने में योगी ने जो उत्कृष्ट कार्य किया उसके लिए उनकी तारीफ पूरी दुनिया में हुई।
2021 में आई कोरोना की दूसरी लहर में भी योगी आदित्यनाथ ने जनसंख्या में अन्य राज्यों की तुलना में बहुत बड़े 24 करोड़ आबादी वाले प्रदेश को जिस तरह संभाला है वह काबिले तारीफ है। दूसरी लहर में कोरोना से हुई मौतों के मामले में दिल्ली जैसे कम जनसंख्या वाले राज्यों से तुलना करें तो उत्तरप्रदेश की स्थिति काफी हद तक बेहतर रही है।
खुद कोरोना की चपेट में आ जाने के बावजूद रिकवर होते ही लगातार एक दिन में कई कई जिलों का दौरा करके हर जिले में बेड, ऑक्सीजन, दवा, इंजेक्शन आदि की उपलब्धता को सुनिश्चित करने का जो कार्य यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Aditynath) ने किया है वह उत्कृष्ट और सराहनीय है। उनके प्रयासों का ही परिणाम है कि आज यूपी में कोरोना अब नियंत्रण में आ चुका है और सभी जिलों में लॉकडाउन हटाया जा रहा है।
फिलहाल राज्य में 2022 में चुनाव होने हैं और बीजेपी योगी को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट करने का मन बना चुकी है। क्योंकि योगी आदित्यनाथ सिर्फ यूपी में ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में भी एक प्रमुख चेहरा बन चुके है। ये सच है कि 2017 का यूपी विधान सभा चुनाव बीजेपी ने मोदी के चेहरे पर जीता था, लेकिन आज की तारीख में बीजेपी योगी को अनदेखा करने के बारे में सोच भी नहीं सकती। नहीं भूलना चाहिए कि आदित्यनाथ भले ही कर्म से योगी हों, लेकिन जन्म से तो वह क्षत्रिय ही हैं और क्षत्रिय झुकने से अधिक टूट जाने में विश्वास करता है।
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