Prithvi ka ant kaise hoga: प्रलय का अर्थ होता है संसार का अपने मूल कारण प्रकृति में सर्वथा लीन हो जाना। प्रकृति का ब्रह्म में लय (लीन) हो जाना ही प्रलय (end of the earth) है। यह संपूर्ण ब्रह्मांड ही प्रकृति कही गई है। इसे ही शक्ति कहते हैं।
End of Earth: हिन्दू शास्त्रों में मूल रूप से प्रलय के चार प्रकार बताए गए हैं। पहला किसी भी धरती पर से जीवन का समाप्त हो जाना, दूसरा धरती का नष्ट होकर भस्म बन जाना, तीसरा सूर्य सहित ग्रह-नक्षत्रों का नष्ट होकर भस्मीभूत हो जाना और चौथा भस्म का ब्रह्म में लीन हो जाना अर्थात फिर भस्म भी नहीं रहे, पुन: शून्यावस्था में हो जाना। इस विनाश लीला को नित्य, आत्यन्तिक, नैमित्तिक और प्राकृत प्रलय में बांटा गया है।
जिसका जन्म है उसकी मृत्यु भी तय है। जिसका उदय होता है, उसका अस्त होना भी तय है, ताकि फिर उदय हो सके। यही सृष्टि चक्र है। इस संसार की रचना कैसे हुई और कैसे इसका संचालन हो रहा है और कैसे इसके विलय (End of Earth) हो जाएगा। इस संबंध में पुराणों में विस्तार से उल्लेख मिलता है।
पुराणों में सृष्टि उत्पत्ति, जीव उद्भव, उत्थान और प्रलय की बातों को सर्गों में विभाजित किया गया है। हालांकि पुराणों की इस धारणा को विस्तार से समझा पाना कठिन है। इसीलिए हम ब्रह्मांड की बात न करते हुए सिर्फ धरती पर सृष्टि विकास, उत्थान और प्रलय (end of earth) के बारे में बताएंगे।
जब-जब पृथ्वी पर प्रलय (end of earth) आता है भगवान विष्णु अवतरित होते हैं पहली बार जब जल प्रलय आया तो प्रभु मत्स्य अवतार में अवतरित हुए और कलयुग के अंत में जब महाप्रलय होगा तब कल्कि अवतार में अवतरित होंगे।
कलियुग के अंत में होगी प्रलय तब कैसा होगा माहौल? Prithvi ka ant kaise hoga?
श्रीमद्भागवत के द्वादश स्कंध में कलयुग के धर्म के अंतर्गत शुकदेव जी परीक्षित जी से कहते हैं, ज्यों ज्यों घोर कलयुग आता जाएगा, त्यों त्यों उत्तरोत्तर धर्म, सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, आयु, बल और स्मरणशक्ति का लोप होता जाएगा अर्थात लोगों की आयु भी कम होती जाएगी जब कलिकाल बढ़ता चला जाएगा।
अक्सर कहा जाता है कि अंतरिक्ष से कोई बहुत बड़ी चट्टान या उल्कापिंड धरती से टकराएगा, तब पृथ्वी कई टुकड़ों में बंटकर नष्ट हो जाएगी. वैज्ञानिक भी इस सवाल का सही जवाब खोजने के लिए लंबे समय से शोध व अध्ययन कर रहे थे. अब वैज्ञानिकों को सफलता मिल गई. वैज्ञानिकों को नए अध्ययन में एक बाहरी ग्रह यानी एक्सोप्लेनेट से संकेत मिले हैं कि धरती का अंत (End of Earth) कैसे होगा?
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