लॉकडाउन से सबसे अधिक प्रभावित कौन? क्या सरकार ने इनके लिए कुछ किया?

कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन को एक माह से अधिक हो चुके हैं परंतु अभी भी अनिश्चितता का दौर है और यह लॉक डाउन अभी कितने दिन और चलेगा इसके बारे में निश्चित तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता। देशभर में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलो को देखते हुए अनुमान यह लगाया जा रहा है कि यह स्थिति सितम्बर तक भी खिंच सकती है। ऐसे में एक अहम सवाल यह उठता है कि देश में चल रहे इस लॉक डाउन से सबसे अधिक प्रभावित कौन सा वर्ग हो रहा है? तो आइए अपने सामाजिक ढांचे पर नजर डालते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि लॉक डाउन के इस संकट काल में हमारे समाज का वो कौन सा वर्ग ऐसा है जो सबसे अधिक प्रभावित होने के बावजूद भी सरकार द्वारा सबसे उपेक्षित है।



यदि सरकार से मिल रही आर्थिक एवं खाद्यान सहायता की बात करें तो उसका सबसे अधिक लाभ हमेशा गरीबी रेखा से नीचे (BPL-Below Poverty Line) वाले वर्ग के लोगों को ही मिलता है क्योंकि सरकार की नजर में वही वर्ग ऐसा है जिसे मदद की जरूरत होती है। इसी वर्ग के अधिकतर लोग जातीय आरक्षण के भी हकदार हैं और इन्हें पढ़ाई से लेकर नौकरी तक में छूट, रियायत और आरक्षण का लाभ भी मिलता है। मतलब यह कि सरकार की नजर में बीपीएल (BPL) वर्ग ही आपदा के समय मदद का हकदार है। इस वर्ग में जनसंख्या के तेजी से बढ़ने का कारण भी कहीं न कहीं यही है। इस वर्ग के लोगों को बच्चे पैदा करने में इसीलिए कोई संकोच नहीं है क्योंकि उन्हें यह पता है कि खाने का इंतज़ाम तो सरकार करेगी ही।


अब बात करते हैं अमीर और धनाढ्य वर्ग की तो इस वर्ग में अधिकतर बड़े बिजनेसमैन, डॉक्टर्स, अधिकारी, पूंजीपति और उद्योगपति लोग आते हैं। लॉक डाउन या किसी भी अन्य आपदा के समय ऐसे लोगों के समक्ष रोजी रोटी का कोई संकट नहीं होता। इस वर्ग को आपदा काल में जीवन यापन की कोई टेंशन नहीं होती क्योंकि इनके पास पर्याप्त जमा पूंजी होती है। इस वर्ग की आमदनी का सबसे बड़ा स्रोत मध्यम वर्ग ही होता है क्योंकि मध्यम वर्ग ही देश का सबसे बड़ा उपभोक्ता वर्ग है। सीधे शब्दों में कहें तो मिडिल क्लास के पैसे से ही यह वर्ग पूंजीपति और धनाढ्य बनता है।
अब बात करते हैं मिडिल क्लास या मध्यम वर्ग की। मेरे ख्याल से इस लॉक डाउन से सबसे अधिक प्रभावित कोई है तो वो मिडिल क्लास या मध्यम वर्ग ही हो रहा है। क्योंकि इस देश में मिडिल क्लास ही ऐसा है जिसे किसी भी आपदा या मुसीबत के वक्त सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की कोई मदद या आर्थिक सहायता नहीं प्राप्त हो पाती है क्योंकि सरकार की नजर में यह खुद अपने बलबूते जीवन यापन करने वाला वर्ग है। इस वर्ग के अधिकतर लोग नौकरीपेशा या छोटे मोटे दुकानदार होते हैं जो लॉक डाउन जैसी परिस्थितियों में अधिक समय तक बैठकर गुजारा भी नहीं कर सकते और अपने आत्मसम्मान के कारण सरकार के आगे हाथ भी नहीं फैला सकते।  इस वर्ग के अधिकांश लोग जातीय आरक्षण के दायरे से भी बाहर है इसलिए शिक्षा और नौकरी में भी इन्हें किसी भी प्रकार की छूट या प्राथमिकता नहीं मिलती है। इस वर्ग के समाज में  निरंतर पिछड़ते जाने का कारण भी यही है। मिडिल क्लास फैमिली अपने सारे खर्चे अपने बलबूते उठाती है इसलिए इनके पास जमा पूंजी का भी अभाव होता है। इसलिए किसी भी आपदा काल में सबसे अधिक प्रभावित भी यही वर्ग होता है।



इससे यह बात पूरी तरह से साबित हो जाती है कि हमारे देश में चल रहे लॉकडाउन से सबसे अधिक प्रभावित मिडिल क्लास (मध्यम वर्ग) ही हो रहा है। परंतु यह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार की नजरों में यह वर्ग हमेशा से उपेक्षित ही रहा है और इस वर्ग के लिए हमारी सरकार के पास किसी भी तरह का कोई राहत पैकेज भी उपलब्ध नहीं होता है। 

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