अयोध्या राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) की जमीन को लेकर घोटाला हो गया मंदिर की दो करोड़ की जमीन 18 करोड़ में खरीदी गई। कितना बड़ा घोटाला हो गया, मोदी जी को जांच करानी चाहिए। ये वह लोग पूछ रहे हैं जो लोग अब तक यह कहते थे कि अयोध्या में मंदिर (Ayodhya Mandir) क्यों बन रहा है इसकी जगह अस्पताल और स्कूल क्यों नहीं बन रहा? वह मस्जिदों पर कभी नहीं पूछते कि वहां पर मस्जिद की जगह स्कूल और अस्पताल क्यों नहीं बनते?
तो चलिए मैं आपको आज बताने जा रहा हूं कि यह दो करोड़ के 18 करोड़ 5 मिनट के अंदर हो जाने का असली सच क्या है? साथ ही मैं आपको यह भी बताऊंगा कि उनके मन में मंदिर (Ayodhya Mandir) के लिए जो हमदर्दी आ रही है उसके पीछे की वजह क्या है?
सबसे पहले हम आपको यह बता देते हैं कि दावा क्या किया जा रहा है आम आदमी पार्टी (AAP) और सपा (SP) के द्वारा और किस तरह के घोटाले का आरोप लगाया जा रहा है उनके द्वारा?
दावा: अंसारी और अन्य ने 18 मार्च 2021 को कुसुम से जमीन खरीदी और 15 मिनट बाद ही राम मंदिर ट्रस्ट (Ayodhya Mandir) को बेच दी। जमीन की कीमत सिर्फ 15 मिनट में तेजी से कैसे बढ़ सकती है?
आम आदमी पार्टी के संजय सिंह कह रहे हैं कि बहुत बड़ा घोटाला हो गया, जो अयोध्या (Ayodhya Nagari) रेलवे स्टेशन के पास एक जमीन 2 करोड़ की थी उसको खरीदा गया 2 करोड़ रुपए में और 5 मिनट बाद उसको मंदिर के ट्रस्ट को ₹18 करोड़ में बेच दिया गया और 17 करोड़ों रुपए के आसपास ऑनलाइन ट्रांसफर किया गया। उनके कहने के हिसाब से बड़ा घोटाला हो गया। संजय सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके कहा है कि अयोध्या राम मन्दिर (Ayodhya Ram Mandir) के नाम पर बहुत बड़ा घोटाला किया गया है।
आइए जानने की कोशिश करते हैं कि वाकई सच्चाई क्या है?
कोई भी जब इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेजों और तथ्यों को देखेगा, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि ‘घोटाला’, जैसा कि AAP ने आरोप लगाया है, अस्तित्व में ही नहीं है। AAP द्वारा किए गए दावे, उसके बाद से उठे संदेह और मामले के तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर स्पष्टीकरण इस प्रकार हैं।
इन आरोपों की जड़ इस तथ्य से उपजा है कि AAP द्वारा पेश किए गए दोनों दस्तावेज, कुसुम से अंसारी को जमीन की बिक्री और अंसारी के बीच मंदिर ट्रस्ट को बेचने के समझौते को एक ही दिन में निष्पादित किया गया था। AAP के अनुसार, चूंकि दोनों दस्तावेजों को एक ही दिन में निष्पादित किया गया था, 15 मिनट की अवधि में, पूरा लेनदेन एक ही दिन में हुआ, इसलिए, एक घोटाले की ओर कीमत 2 करोड़ रुपये से बढ़कर 18.5 करोड़ रुपये हो गई।
दोनों दस्तावेज़ एक ही दिन पंजीकृत किए गए थे, इसका मतलब यह नहीं है कि दोनों बिक्री की अवधारणा की गई थी और एक ही दिन में हुई थी। इस विशिष्ट मामले में, कुसुम पाठक द्वारा अंसारी और अन्य को जमीन बेचने का पहला समझौता 2019 में हुआ था। 17.09.2019 को, कुसुम ने अपनी जमीन को तत्कालीन प्रचलित बाजार दर 2 करोड़ रुपये पर अंसारी को बेचने पर सहमति व्यक्त की थी और उसी के लिए अंसारी से 50 लाख रुपये का अग्रिम भुगतान प्राप्त किया था। समझौते को विधिवत पंजीकृत किया गया था।
पंजीकृत समझौते के अनुसार, अंसारी को जमीन की खरीद के लिए कुसुम को शेष राशि 1.5 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए 3 साल की समय अवधि की अनुमति दी गई थी। 1.5 करोड़ रुपये का भुगतान सितंबर 2022 तक किया जाना था। चूंकि एक अग्रिम भुगतान किया गया था और समझौता पंजीकृत किया गया था, कुसुम इस सौदे से पीछे नहीं हट सकती थी। क्योंकि 9 नवंबर 2019 के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या के फैसले के बाद जमीन की कीमतें बढ़ गईं। इसलिए उन्हें अपनी जमीन अंसारी को 2 करोड़ रुपये में ही बेचने के लिए बाध्य होना पड़ा।
इसके बाद, जब ट्रस्ट ने 2021 में संपत्ति खरीदने का फैसला किया, तो उसने अंसारी से 2019 समझौते को बेचने के लिए कुसुम के साथ एक बिक्री विलेख निष्पादित करने का अनुरोध किया। नतीजतन, अंसारी और कुसुम ने 18.03.2021 को एक पंजीकृत बिक्री विलेख निष्पादित किया, जो 2019 को बेचने के समझौते को प्रभावी बनाता है।साथ ही अंसारी ने उसी दिन मंदिर ट्रस्ट के साथ बेचने का करार किया। बेचने का अनुबंध भी दर्ज किया गया था।
यह एक स्थापित तथ्य है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम जन्मभूमि (Ram Janmbhumi) और यहां तक कि अयोध्या (Ayodhya Nagari) के बाकी हिस्सों में जमीन की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। दिसंबर 2019 में ही, फोर्ब्स (Forbes) ने अयोध्या (Ayodhya Nagari) में प्रॉपर्टी की कीमतों में वृद्धि का विवरण देते हुए एक लेख प्रकाशित किया था। फोर्ब्स (Forbes) ने अपने लेख में एक प्रॉपर्टी डीलर को यह कहते हुए उद्धृत किया है कि “सुप्रीम कोर्ट द्वारा Ayodhya Ram Mandir पर अपना फैसला सुनाए जाने के बाद दरें छह गुना तक बढ़ गई हैं”।
2019 में ही, प्रॉपर्टी डीलर ने कहा था, “प्रस्तावित राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) स्थल से 4 किमी के दायरे में, दरें 400 रुपये प्रति वर्ग फुट से तीन गुना होकर 1,200 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई हैं।” अगर फैसले के एक महीने के भीतर संपत्ति की दरें इतनी बढ़ जाती हैं ऐसे में 2 साल जब मंदिर का निर्माण चल रहा होता है, तो कोई भी यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि भूमि की कीमत में 2 करोड़ रुपये से 18.5 करोड़ रुपये तक की वृद्धि अथाह नहीं है।
यह भी ध्यान दिया जा सकता है कि सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण में भी सर्किल रेट से 4 गुना बिक्री का प्रावधान है। अब विचाराधीन संपत्ति के लिए सर्किल रेट आम आदमी पार्टी द्वारा दिखाए गए उक्त दस्तावेजों के अनुसार 5.79 करोड़। इस प्रकार, प्रचलित बाजार दर लगभग रु. 23 करोड़ हालांकि, टेंपल ट्रस्ट को संपत्ति का तीन गुना मूल्य मिला, जो कि मौजूदा बाजार मूल्य से भी कम है।
असली सच तो ये है कि गड़बड़ घोटाला जमीन को लेकर नहीं हुआ, गड़बड़ घोटाला हुआ है नीयत को लेकर। इसलिए सबसे पहले आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस (Congress) की नीयत समझने की कोशिश करिए। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में चुनाव होने वाले है। गंगा में जो लाशें बहाई जाती है उसको भी कोरोना से जोड़ा जा रहा है। मोदी (PM Modi) योगी (CM Yogi) के बीच में कोई अंदरूनी युद्ध चल रहा है यह अफवाह भी इन दिनों खूब फैलाई जा रही है।
सच तो ये है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस (Congress) ऐसा माहौल बनाएगी कि मुसलमानों के भरोसे यूपी में कुछ सीटें निकल जाएं। अभी दिग्विजय सिंह का एक बयान आया कि धारा 370 को फिर से कश्मीर में बहाल किया जाए। क्योंकि यह सब एक प्रोपगंडा के तहत किया जा रहा है। यूपी में चुनाव है इसलिए ये सारी चीजें फैलाई जा रही है। मुस्लिमों को फोकस किया जा रहा है। दिग्विजय सिंह बयान देते हैं कि 370 को वापस लाया जाए, ताकि मुसलमान वापस कांग्रेस में शिफ्ट हो। कांग्रेस की रणनीति है कि वह मुस्लिम वोटरों को कांग्रेस से जोड़ने के लिए अभियान चलाने जा रही है जिसके लिए वो मदरसों और मस्जिदों में बैठक करेंगे और जाकर मुस्लिम स्टूडेंट्स को मोटिवेट करने की कोशिश की जाएगी।
अरविंद केजरीवाल को यह समझ में आ रहा है कि उत्तर प्रदेश में मुसलमान वोट लेने के लिए बहुत सारी पार्टियां हैं। जैसे समाजवादी पार्टी, बीएसपी, कांग्रेस। उनको यह पता है कि मुसलमान सिर्फ और सिर्फ वोट यह देखकर करता है कि कौन बीजेपी को हरा सकता है। उसको किसी पार्टी से कोई फर्क नहीं पड़ता है, वह बस यह देखता है कि कौन बीजेपी को हराएगा। वह एकजुट होकर उसी पार्टी को वोट करता है।
आम आदमी पार्टी को पता है कि वह यूपी में अकेले सरकार नहीं बना सकते। क्योंकि आम आदमी पार्टी को यहाँ मुसलमानों का वोट नहीं मिलेगा। इसलिए उनको समझ में आ गया है कि उधर से नहीं मिलेगा तो हिंदुओं को तोड़ो। हिंदू तो एकजुट होकर कभी वोट कर नहीं सकता, इसलिए उनको तोड़ो। उनके मन में बीजेपी के खिलाफ ये बात बैठाओ कि ये तो राम मन्दिर (Ayodhya Ram Mandir) के नाम पर भी घोटाला करते हैं।
इसीलिए हम आदमी पार्टी ने यह स्ट्रेटेजी बनाई है कि बीजेपी का हिंदू वोट काटना है तो राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) को लेकर भ्रम फैला दो कि ये तो मंदिर में भी घोटाला कर रहे हैं। इन्होंने श्री राम को भी नहीं छोड़ा, बताइए भगवान के नाम पर घोटाला। अगर कुछ हिंदुओं के मन में यह बात बैठ गई तो हिंदुओं का कुछ वोट हमारे पास आ जाएगा और यूपी में भी खेला चालू हो जाएगा।
इसलिए, यह स्पष्ट है कि AAP और सपा द्वारा आरोपित कोई भी “घोटाला” वास्तव में मौजूद नहीं है। एक ऐसे विवाद को खड़ा करने का दुर्भावनापूर्ण इरादा जहां कोई तथ्य मौजूद नहीं है, इस तथ्य को स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि भारत में कई राजनीतिक दल केवल राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के निर्माण में बाधाएं पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके लिए हिंदुओं ने सदियों से इंतजार किया है।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अभी ऐसी और बहुत सारी चीजें होंगी, क्योंकि अगले साल यूपी में चुनाव है इसलिए अभी सारी हदें पार कर दी जाएंगी।
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