एक ही हफ्ते में धड़ाम हुई आदिपुरूष, ये है असली वजह

Adipurush movie review in hindi: टीजर रिलीज के बाद से ही विवादों में रही 500 करोड़ की लागत से बनी बहुचर्चित फिल्म Adipurush की कहानी, सीन और डायलॉग सबमें झोल ही झोल दिखाई देता है, कुछ भी रामायण की असली कहानी से मेल नहीं खा रहा है.
रावण के लुक को लेकर तो Adipurush Teaser आने के बाद से ही विवाद शुरू हो गया था, अब फिल्म रिलीज के बाद लोगों का गुस्सा बुरी तरह इस फिल्म पर टूट पड़ा है और लोग इस फिल्म को बैन करने की मांग कर रहे हैं.
Adipurush फिल्म की कहानी की शुरुआत ही उल्टे पुल्टे तरीके से हुई है जो दर्शकों के गले नहीं उतर रही.
Adipurush फिल्म की कहानी शुरू होती है राम उर्फ राघव के जानकी (सीता) और शेष (लक्ष्मण) के साथ वनवास से. इससे पहले की सारी कहानी- राम जन्म, उनकी मां, राजा दशरथ का राम के वनवास जाने के बाद विलाप और भरत का अपने भाई के लिए प्रेम, कुछ भी आपको Adipurush फिल्म में देखने के लिए नहीं मिलेगा. 
कुल मिलाकर देखा जाए तो आदिपुरुष फिल्म में सिर्फ रामायण के लंकाकांड पर ही फोकस किया गया है बाकी सब इनकी फिल्म में से गायब हैं.
राम के युद्ध जीतने के बाद वापसी को भी Adipurush फिल्म में नहीं दिखाया गया है. देखा जाए तो इस फिल्म में आधी रामायण की कहानी ही गोल कर दी गई है.
राजा दशरथ और कैकेयी के एक सीन के अलावा अयोध्या का कोई सीन नहीं दिखाया गया है. जैसे मंथरा का षड्यंत्र, मां कौशल्या, भरत, शत्रुघ्न जैसे किरदार Adipurush फिल्म में दिखाए ही नहीं गए हैं.
युद्ध भूमि में सीता को दिखाया जाना
सीता का एक और सीन जिसे देखकर आपका सिर घूम जायेगा वो है जब रावण और इंद्रजीत अपने साथ उन्हें युद्धभूमि में ले आते हैं. राम के लंका पहुंचने के बाद रावण और इंद्रजीत उसका सामने करने आते हैं. अभी युद्ध की शुरुआत नहीं हुई है. दोनों के साथ सीता जी होती है, जिसे बेड़ियों में बांधा गया है. इसके बाद रावण, सीता को आजाद कर देता है और वो राम की ओर तेजी से दौड़ने लगती हैं. लेकिन जैसे ही दोनों मिलते हैं, इंद्रजीत सीता का गला काट देता है. 
बाद में पता चलता है कि वो असली सीता माता नहीं बल्कि रावण का एक मायावी राक्षस था. ये पूरा सीन ही काफी अजीब था और रामायण की असली कहानी से बिल्कुल भी मेल नहीं खाता है. 
आदिपुरुष के बॉलीवुड स्टाइल देशी डायलॉग 
Adipurush के डायलॉग्स भी अलग ही लेवल के हैं. लगता है डायलॉग राइटर मनोज मुंतशीर ने रामायण के डायलॉग्स में जान बूझकर बॉलीवुड का देशी तड़का लगा दिया है जिसके लिए उनकी खूब आलोचना हो रही है.
रामायण जैसी कहानी में ऐसे डायलॉग डालने का ख्याल फिल्म निर्माताओं को कहां से आया ये तो हमें पता नहीं, लेकिन ऐसे डायलॉग्स की वजह से सोशल मीडिया पर फिल्म रिलीज के बाद से ही खूब हलचल मची हुई है. 
Adipurush फिल्म के कुछ बॉलीवुड स्टाइल देशी डायलॉग्स इस प्रकार हैं
“जो हमारी बहनों को हाथ लगाएगा हम उसकी लंका लगा देंगे”
”कपड़ा तेरे बाप का. तेल तेरे बाप का. आग भी तेरे बाप की. और जलेगी भी तेरे बाप की”
”ए ! तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने चला आया. मरेगा बेटे आज तू अपनी जान से हाथ धोएगा”
“मेरे एक सपोले ने तुम्हारे इस शेष नाग को लंबा कर दिया. अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा है”
Adipurush फिल्म में आपको ऐसे देशी बॉलीवुड टाइप के डायलॉग सुनने को मिलेंगे जिनको सुनने के बाद आपका दिमाग घूम जायेगा और आप सोचने पर मजबूर होंगे की ये कौन सी रामायण की कहानी है।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम को दिखाया गुस्सैल
भगवान राम को मर्यादा पुरषोत्तम के रूप में जाना जाता है. उनका स्वभाव शांत और शीतल था. लेकिन ‘आदिपुरुष’ के राम को बात बात में गुस्सा आ जाता है. वहीं लक्ष्मण के किरदार को एकदम शांत दिखाया गया है.
रामसेतु बनाने के पत्थरों पर राम नाम अंकित नहीं
Adipurush फिल्म में रामसेतु बनाने में इस्तेमाल किए जा रहे पत्थरों पर राम नाम ही अंकित नहीं दिखाया गया है जबकि असली कहानी के अनुसार पत्थरों पर राम नाम अंकित करने से ही वे पत्थर समुद्र में तैरने लगे थे.
Adipurush फिल्म के किरदारों का लुक
Adipurush फिल्म में किरदारों के लुक के साथ भी बहुत गड़बड़ की गई है. रावण के लुक के चर्चे तो टीजर रिलीज के बाद से ही लगातार हो रहे हैं.
Adipurush फिल्म में Faux Hawk कूल हेयर स्टाइल वाला रावण देखना सभी के लिए बहुत ही अजीब और अटपटा है. 
लेकिन उससे भी ज्यादा अटपटा है Adipurush फिल्म में उसे पुष्पक विमान नहीं बल्कि चमगादड़ विमान की सवारी करते हुए देखना. 
Adipurush फिल्म में शिवभक्त रावण को रुद्राक्ष तोड़ते हुए दिखाना भी हास्यास्पद है। 
सीता माता के वनवासी कपड़ों का रंग भी पीला न होकर श्वेत दिखाया गया है. 
Adipurush film में लक्ष्मण को भी आज के समय वाली स्टाइलिश दाढ़ी में दिखाया गया है. 
कुंभकर्ण के पूरे शरीर पर टैटू लगे हुए हैं जो की समझ से परे है.
Adipurush फिल्म में सीता माता अपनी निशानी के तौर पर हनुमान जी को चूड़ामणि नहीं बल्कि चूड़ी देती है.
सोने की लंका या काले पत्थरों की लंका?
Adipurush फिल्म में सोने की लंका को काले रंग की दिखाया गया है और वहां का सबकुछ पूरी तरह काला है जबकि असली कहानी के अनुसार सोने की लंका दूर से ही सोने जैसी चमकती थी।
आदिपुरुष में दिखाए गए नए तरह के दम पिशाच
अगर आपने फेमस फिल्म फ्रेंचाइजी हैरी पॉटर को देखा है तो आपको पता होगा कि दमपिशाच कौन थे. दमपिशाच को अग्रेंजी में Dementers कहा जाता है. ये लोगों की आत्मा से खुशी खींचते हैं. 
अब आप सोचेंगे कि दमपिशाच Adipurush में क्या कर रहे हैं? यह फिल्म देखते हुए मेरे मन में भी यही सवाल आया था. फिल्म के सीक्वेंस में राघव (राम) को दमपिशाच जैसे दिखने वाले मायावी राक्षसों से लड़ते हुए आप देखेंगे. ये सब सीन काफी अजीब और उबाऊ हैं और रामायण की असली कहानी से थोड़ा भी मेल नहीं खाते हैं.
Adipurush फिल्म में रामायण की असली कहानी का ख्याल न रखकर पूरा फोकस VFX टेक्निक के इस्तेमाल पर किया गया है। 
रावण द्वारा चमगादड़ को मांस खिलाए जाने, काले रंग की लंका, चमगादड़ को रावण का वाहन बताए जाने, सुषेन वैद्य की जगह विभीषण की पत्नी को लक्ष्मण जी को संजीवनी देते हुए दिखाना ये सब दर्शकों के गले नहीं उतर रहा.
Adipurush फिल्म में किरदारों को रामायण काल के अनुसार दिखाने की जगह एक अलग ही तरह का लुक दे दिया गया है जिसके कारण आम जनमानस के मन में रामायण के किरदारों की जो छवि रामानंद सागर के मशहूर टीवी सीरियल रामायण द्वारा बनी हुई थी उससे मेल नहीं खा रही है. यही वजह है की लोग अब Adipurush फिल्म को बैन करने की मांग कर रहे हैं।
मशहूर फिल्म समीक्षक तरन आदर्श ने Adipurush को दी सिर्फ 1.5 स्टार रेटिंग

मशहूर फिल्म समीक्षक तरन आदर्श ने Adipurush फिल्म को सिर्फ डेढ़ स्टार रेटिंग दी है, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है की यह फिल्म किस स्तर की होगी. उन्होंने Adipurush Film Review में लिखा है की ओम राऊत के पास एक बड़ा बजट और बड़े स्टार कास्ट होने के बावजूद उन्होंने इस फिल्म से सबको निराश किया है और रामायण जैसे पुराण के साथ बहुत बड़ी गड़बड़ की है। 
अगर आप रामचरित मानस पढेंगे तो जानेंगे कि जब प्रभु श्रीराम के राज तिलक की तैयारी हो रही होती है तो देवता घबराकर माँ सरस्वती के पास जाकर कहते हैं कि माता अब आप ही इस राज तिलक को रोक सकती हैं, क्योंकि प्रभु राम का राज पाट त्यागकर वनों में राक्षसों के संहार के लिए जाना बहुत आवश्यक है. 
इस पर पहले तो माँ सरस्वती परेशान होती हैं लेकिन बाद में वो राक्षसों के संहार से जग की भलाई जानकर अयोध्या जाती हैं और मंथरा जो रानी कैकयी की दासी थी उसको कुटिल जानकर उसकी बुद्धि फेरकर चली आती हैं.
Adipurush फिल्म के सीन देखकर कहीं से नहीं लग रहा है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम इतने बड़े उद्देश्य के लिए वन में आए हैं. 
यह फिल्म देखकर तो ऐसा लग रहा है जैसे सीता और राम हनीमून मनाने वन में आए हैं (ऐसा लिखते हुए भी बुरा लग रहा है).
प्रभु श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं तो माँ सीता एक आदर्श बेटी, बहु और पत्नी के रूप में हमारी आदर्श हैं. उन्हें ऐसे ओछी तरह से दिखाना किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं होना चाहिए.
Adipurush फिल्म में सीता माता के वस्त्र देखिए, क्या आपको लगता है कि माँ अनुसूया ने जो दिव्य वस्त्र सीता माता को भेंट किए थे वो ऐसे रहे होंगे?
समय के साथ मनुष्य आधुनिक हो सकते हैं, पर यदि हमारे आराध्य को फिल्मी पर्दे पर दिखाया जाता है तो उन्हें धीर, गंभीर और मर्यादित ही दिखाया जाना चाहिए.
क्योंकि Adipurush हमारे आराध्य की फिल्म है, उनकी कथा है, इसलिए हम कुछ भी नहीं देख सकते. हमारे भगवान को इस तरह से दिखाया जाना किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं होना चाहिए.
रामानंद सागर के रामायण सीरियल की तुलना में कहीं नहीं टिकती आदिपुरूष 
रामानंद सागर जी ने ‘रामायण’ धारावाहिक बनाया था जिसे लोग टीवी के सामने अगरबत्ती जलाकर, पूजा पाठ करके और जूते चप्पल उतारकर देखा करते थे. रामायण धारावाहिक के कलाकारों अरुण गोविल और दीपिका में आज भी लोग राम और सीता की छवि देखते हैं. 
रामानंद सागर के रामायण सीरियल का हर कलाकार अपनी यादगार भूमिका निभाकर आज भी लोगों के दिलों में एक सम्मानजनक स्थान रखता है. रामानंद सागर भी रामायण धारावाहिक बनाकर अमर हो गए.
वैसे तो बहुत से लोगों ने प्रयास किया है प्रभु श्रीराम के जीवन की कहानी को प्रदर्शित करने का, लेकिन जो बात रामानंद सागर की रामायण में देखने को मिलती है वो शायद ही किसी और के द्वारा बनाई गयी रामायण में मिले. 
एक -एक पात्र ने ऐसा अभिनय किया है मानो उनका जन्म ही इसी कार्य के लिये हुआ था और ऐसा लगता है जैसे स्वयं भगवान ने ही उन्हें चुना हो.
वहीं ओम राउत ने भी उसी रामायण पर आधारित फिल्म Adipurush बनाई है जिसे देखकर लोग बहुत गुस्से में हैं। कारण साफ है, लोगों की धार्मिक भावनाएं जरूर कहीं न कहीं इस फिल्म से आहत हुई हैं। 
सेंसर बोर्ड पर भी उठ रहे सवाल

Adipurush फिल्म देखने और इसके डायलॉग्स सुनने के बाद सेंसर बोर्ड की भूमिका पर भी सवाल उठना स्वाभाविक है, क्योंकि सेंसर बोर्ड इसीलिए बनाया गया है कि यदि किसी फिल्म में कुछ भी ऐसा हो जिससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होती हों या किसी भी धर्म, जाति या समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचती हो तो उसे काट दिया जाए या संशोधन करने के बाद ही फिल्म को रिलीज किया जाए। यदि कोई भी ऐसा विवादित और आपत्तिजनक सीन या डायलॉग सेंसर बोर्ड से पास हो जाता है तो फिर सेंसर बोर्ड के होने का कोई मतलब नहीं रह जाता.
कोई भी निर्माता निर्देशक यदि किसी के आराध्य, धार्मिक ग्रंथ या धार्मिक चरित्र पर आधारित फिल्म बनाता है तो उसे इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए की लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत न हों. क्योंकि यह एक बेहद ही संवेदनशील विषय होता है, इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं जुड़ी होती है और किसी को भी किसी भी हाल में हमारे आराध्य देवी देवताओं की छवि धूमिल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। 
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