क्या सरकार LIC को वाकई बेच रही है?

क्या सरकार LIC का निजीकरण कर रही है ?

अगर आप अफवाहों पर ध्यान देंगे तो आपका जवाब 100% हां ही होगा। क्योंकि आजकल सोशल मीडिया पर इस तरह की अफवाहों का बाजार गर्म है कि सरकार LIC को बेच रही है। और इस बात को सरकार की आर्थिक मोर्चे पर नाकामी से जोड़कर खूब प्रचारित भी किया जा रहा है।

परन्तु सरकार के इस फैसले की हकीकत को जब आप बारीकी से समझने का प्रयास करेंगे तो आपका जवाब होगा- ‘नहीं’

आइये इसे समझने का प्रयास करें…

सरकार ने LIC पर IPO लाने की घोषणा की है ,मतलब सरकार LIC की Asset पर IPO से धन जुटायेगी। और यह धन अन्य विकास के कामो में खर्च होगा।

अब समझिए IPO क्या है ?


IPO आईपीओ का मतलब इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग्स है (Initial Public Offering) 
इसके लिए कंपनियां बकायदा शेयर बाजार में अपने को लिस्टेड कराकर अपने शेयर निवेशकों को बेचने का प्रस्ताव लाती हैं। कारोबार बढ़ाने या अपने दूसरे खर्चों को पूरा करने के लिए कंपनी कई तरीकों से रकम जुटाती है।

पहली बार आम लोगों के बीच शेयर उतारने की प्रक्रिया इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) पेशकश कहलाती है। कई बार सरकार विनिवेश की नीति के तहत भी आईपीओ लाती है। ऐसे में किसी सरकारी कंपनी में कुछ हिस्सेदारी शेयरों के जरिए लोगों को बेची जाती है।

LIC के आगामी IPO के बारे में जानने के लिए इन पाँच बातों पर एक नज़र डालते हैं..

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार LIC में 100% हिस्सेदारी रखती है और सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी में 10% से अधिक हिस्सेदारी बेचने की संभावना नहीं है। चूंकि LIC, LIC अधिनियम द्वारा शासित है, IPO प्रक्रिया से पहले, अधिनियम में संशोधन करना होगा और निगम की पूंजी संरचना को बदलना होगा।

एलआईसी आईपीओ अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आयोजित होने की संभावना है। बीमा कंपनी की लिस्टिंग इसे रिलायंस इंडस्ट्रीज, टीसीएस और एचडीएफसी बैंक के साथ बाजार पूंजीकरण के मामले में भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बना देगी। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी फर्म को लगभग 8-10 लाख करोड़ रुपये का मूल्यांकन प्राप्त होने की उम्मीद है।


मोदी सरकार ने वित्त वर्ष २१ के लिए २.१ लाख करोड़ रुपये का महत्वाकांक्षी विनिवेश लक्ष्य निर्धारित किया है और एलआईसी में आंशिक हिस्सेदारी बिक्री के माध्यम से लगभग 70 हजार करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि हिस्सेदारी की बिक्री से सरकार अपने उच्चतम विनिवेश लक्ष्य को पूरा कर सकेगी और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करेगी।

2019-20 के पहले छह महीनों (अप्रैल-सितंबर) में एलआईसी का सकल एनपीए बढ़कर 6.10 प्रतिशत हो गया। पिछले पांच वर्षों में सकल एनपीए लगभग दोगुना है। बीमाकर्ता ने हमेशा स्थिर 1.5-2 प्रतिशत सकल एनपीए बनाए रखा।
LIC देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है जिसकी बाजार में 76.28% हिस्सेदारी है और 71% प्रथम वर्ष के प्रीमियम में है। 

एलआईसी में आईडीबीआई बैंक सहित कई सहायक कंपनियां हैं। इसने पिछले साल आईडीबीआई बैंक में एक नियंत्रित हिस्सेदारी खरीदी थी। एलआईसी ने 2019 में 31 लाख करोड़ रुपये के प्रबंधन के तहत संपत्ति दर्ज की।

IPO साधारण पब्लिक के लिए होता है, मतलब इसमे कोई कंपनी या धन्ना सेठ शेयर नही खरीदता , आप और हम शेयर खरीदते है।

जब LIC का IPO आएगा तो आप और हम भी 100 या 200 रुपये के शेयर खरीदकर LIC के हिस्सेदार बनेंगे और LIC पर हमारा भी अधिकार होगा।

LIC के IPO की स्कीम सरकार की ऐसी स्कीम है जिसको आप हिंदी के मुहावरे-

 ‘आम के आम गुठलियों के दाम’ 
से अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

इससे साफ जाहिर है कि सरकार LIC को ना बेच रही है और ना ही इसका निजीकरण ही कर रही है।

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