एक पढा लिखा बेरोजगार युवक नौकरी की तलाश में भटक रहा था। भटकते हुए वो एक मिठाई की दुकान वाले के पास पहुंचा। उसकी हालत देखकर दुकान वाले को पता चल गया कि वो बेरोजगार है और नौकरी Naukri की तलाश में है। फिर भी उसने कन्फर्म करने के लिए उस युवक से पूछा-
-बेरोजगार हो?
-बहुत बड़े, जहर खाने भर का पैसा भी नहीं है
-कितना पढ़े हो?
-एम ए हैं, बीएड भी किये हैं, LLB कर रहे हैं, कम्प्यूटर का डिप्लोमा भी है?
-काम करोगे?
-एकदम करेंगे, झाड़ू लगाने का काम मिलेगा तो वो भी करेंगे
-नहीं नहीं वो सब नहीं करना है, देखो मेरी टॉप की मिठाई की दुकान है, एक नम्बर की मिठाई बनती है हमारे यहां, हर दिन दो लाख का माल अपने आप बिकता है, तुम आसपास के लोगों के पास जाओ मेरे दुकान की खासियत बताओ,उन्हें यहां आने के लिए प्रेरित करो अगर तुम रोज दो हजार का माल भी बिकवा दोगे तो मैं तुम्हें बीस हजार महीना दूंगा, इसके अलावा जितना ज्यादा ग्राहक तुम्हारी वजह से जुड़ेंगे उतनी ही ज्यादा कमाई होगी तुम्हारी, जितने पुराने होते जाओगे उतनी ज्यादा कमाई होगी तुम्हारी।
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-ई सब नहीं हो पायेगा हमसे, कोई “आफिस” का काम हो तो बताइये।
नोट– अगर किसी भी वास्तविक बेरोजगार का जबाब “हां” में होगा तो उसे मेरे पास भेजिएगा, उसकी बेरोजगारी दूर करने और भविष्य बनाने की जिम्मेदारी मेरी, नहीं तो समूह ग की वेकेंसी निकलिए रहा है 300, कम से कम बाइस लाख फार्म गिरेंगे।
तो अब समझ में आया कि इस देश में इतनी बेरोजगारी क्यों है?
रोजगार का मतलब सरकारी नौकरी (Sarkari Naukri) ही नहीं होता। आजकल और भी बहुत कुछ है करने को, सरकार की नौकरी (Govt Job) करने के अलावा। इसलिए सरकार को कोसना छोड़िए और कुछ नया करने का प्रयास करिए।
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