ऐसे में जब अमेरिका (US) जैसे विकसित देश भी आर्थिक मंदी (Recession) की कगार पर खड़े हों तो भारत जैसे विकासशील देश में आर्थिक मंदी (Recession 2022) के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता। संकेत बता रहे हैं कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) ही आर्थिक मंदी (Recession) की चपेट में आ रही है।
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भारत में आर्थिक मंदी (Recession 2022) की आहट को नीचे दी गयी इन खबरों के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है।
अभी हाल ही में खबर आई कि टॉप भारतीय उद्योगपति अडानी (Adani) और अंबानी (Ambani) की सम्पत्ति में भारी गिरावट दर्ज की गई है। बिलेनियर इंडेक्स (billionaire Index) में ये दोनों उद्योगपति नीचे आ गए हैं। वहीं मुकेश अम्बानी (Mukesh Ambani) 100 बिलियन डॉलर क्लब (Billion Dollar Club) से बाहर हो गए हैं। गौतम अडानी (Gautam Adani) की सम्पत्ति में जहाँ 527 मिलियन डालर की गिरावट हुई है। वहीं मुकेश अंबानी की सम्पत्ति में 1.15 बिलियन डालर की गिरावट दर्ज की गई है। एक ओर जहाँ अडानी की कुल नेटवर्थ अब 108 बिलियन डालर बची है। वहीं अंबानी की कुल नेटवर्थ 89.5 बिलियन डालर रह गयी है।
अमीरों की सूची में गौतम अडानी पांचवें से छठे स्थान पर खिसक गये हैं। जबकि इसी सूची में मुकेश अम्बानी नौवें से दसवें स्थान पर आ गए हैं। 216 बिलियन डालर के साथ पहले स्थान पर अमेरिकी बिजनेसमैन और Tesla कम्पनी के मालिक एलोन मस्क (Elon Musk) हैं। वहीं 129 बिलियन डालर के साथ दूसरे स्थान पर अमेज़न (Amazon.com) के फाउंडर जेफ बेजोस (Jeff Bezos) हैं।
इन बातों से ये साफ जाहिर होता है कि आर्थिक मंदी (Recession 2022) भारत में दस्तक दे चुकी है।
आपको बता दें कि हाल ही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पहली तिमाही में पांच प्रतिशत तक धीमी हो गई थी, जो 25 तिमाहियों या छह सालों में सबसे कम है. साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपये में भी रिकॉर्ड गिरावट देखी गयी है।
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आर्थिक मंदी या रिसेशन (Recession) होता क्या है? What is Recession in hindi
अगर किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी (GDP) में कुछ महीनों तक लगातार गिरावट आती है, तो इस दौर को अर्थशास्त्र की भाषा में आर्थिक मंदी कहा जाता है. सामान्य तौर पर दो तिमाही यानी छह महीने को इसका मानक माना जाता है. वहीं जीडीपी की ग्रोथ रेट (GDP Growth Rate) का लगातार घटना इकोनॉमिक स्लोडाउन (Economic Slowdown) यानी आर्थिक सुस्ती का दौर कहलाता है. इसके अलावा अर्थशास्त्र में इसी तरह का एक और टर्म भी है ‘डिप्रेशन (Depression) यानी महामंदी’. असल में यह रिसेशन (Recession) यानी मंदी का ही एक सबसे खराब रूप है. अगर किसी देश की जीडीपी में 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आती है, तो उसे डिप्रेशन (Depression) कहा जाता है.
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बताया जाता है कि पहले वर्ल्ड वॉर के बाद 1930 के दशक में सबसे भयानक महामंदी आई थी, जिसे ‘The Great Depression’ कहा जाता है.
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