मित्रों, मान्यता है कि त्रेता युग में इस दिन भगवान राम 14 वर्ष के वनवास और रावण का वध करने के बाद अयोध्या लौटे थे. इसी खुशी में अयोध्यावासियों ने समूची नगरी को दीपों के प्रकाश से जगमग कर जश्न मनाया था और इस तरह तभी से दीपावली का पर्व मनाया जाने लगा.
उस राज्य में प्रभु श्रीराम का पुन: आगमन होता है, जिनके राजा राम हैं, जहां रामराज्य है, जहां भरत जैसा भाई राज्य की जिम्मेदारियों का निर्वहन करने वाला राज्य का प्रभारी है।
जिसके राज्य में एक भी परिवार या बच्चा भूखा न सोता हो, जहां कभी किसी के साथ अन्याय न हो, जहां के लोग अन्न के दाने को तरसते न हों, जहां शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, संसाधन और न्याय का विधान हो।
ऐसे राज्य में भरत की अगुवाई में अपने परम प्रतापी राजा के स्वागत में ऐसी भव्य अयोध्या सजी कि युगों युगों से इसे प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाने लगा!
हम भारतवासी हमेशा राजा राम की अनन्य घर वापसी और असत्य पर सत्य की विजय को ऐसे ही दीपोत्सव के रूप में मनाते रहेंगे।
अयोध्या में दीपोत्सव पर 24 लाख से भी अधिक दीये अलग अलग घाटों पर जलाकर एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया है।
अच्छा है इससे भी अधिक दीए जलें, लेकिन उस घर में भी एक दीया जले, जिस घर पर आज के राजाओं की नजर नहीं है।
दीपावली का यह पावन पर्व आप सभी के जीवन को सुख, समृद्धि, सौभाग्य एवं आरोग्यता के धवल प्रकाश से दीप्त करे।
आप सभी को प्रकाश पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
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