-GDA Gorakhpur ने अपनी महायोजना-2031 में नए बसे मोहल्लों को घोषित किया आवासीय, 25 साल पुरानी कालोनियों को दिखाया हरित क्षेत्र
-GDA Gorakhpur के गलत फैसले से भूतपूर्व सैनिकों के हजारों मकान अवैध घोषित
-बने हैं 10 हजार से अधिक मकान फिर भी जीडीए की महायोजना-2031 में यहां का लैंड यूज आवासीय नहीं
GDA Gorakhpur Mahayojna 2031: सीएम सिटी गोरखपुर के वार्ड संख्या 7 महादेव झारखंडी टुकड़ा नं. 2 के मोहल्लों आदर्श नगर, गैस गोदाम रोड, प्रज्ञा पुरम, वसुंधरा नगर, साई धाम नगर, सरवन नगर, स्वर्ण सिटी सहित तमाम कॉलोनी जिनका महायोजना-2031 में जीडीए ने लैंड यूज आवासीय के स्थान पर ग्रीन लैंड घोषित कर दिया था, जिसे लेकर स्थानीय लोग बहुत डरे हुए हैं। लोगों को जिंदगी भर की पूंजी लगाकर बने अपने आशियाने को तोड़े जाने का डर चैन से जीने नहीं दे रहा।
इसी सिलसिले में विगत 11 मार्च को स्थानीय लोगों ने सदर सांसद और जीडीए वीसी से मिलकर अपना विरोध दर्ज कराया था, जिसके बाद जीडीए उपाध्यक्ष द्वारा मौका मुआयना करने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन 4 माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर स्थानीय नागरिक बहुत अक्रोशित हैं।
बता दें कि जीडीए की महायोजना 2031 में महादेव झारखंडी टुकड़ा नं.2 के 25 साल पुराने दर्जनों मोहल्लों के आवासीय क्षेत्र को ग्रीन बेल्ट घोषित किए जाने का विरोध दर्ज करने पर विगत मार्च में जीडीए उपाध्यक्ष द्वारा स्थानीय लोगों को बुलाकर उन्हें आश्वासन दिया गया था कि एक से दो दिनों के अंदर वे स्वयं महादेव झारखंडी टुकड़ा नं 2 के संबंधित मोहल्लों का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप देंगे। लेकिन 4 माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी जीडीए ने इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया।
गौरतलब है कि महादेव झारखंडी टुकड़ा नं 2 के इन मोहल्लों में लगभग 10 हजार से अधिक मकान भी बन चुके हैं जिनमें अधिकतर मकान 25-30 साल पुराने हैं। उसके बाद भी जीडीए ने महायोजना 2031 में यहां का लैंड यूज आवासीय न करते हुए इसे ग्रीन लैंड घोषित कर दिया है। जबकि महायोजना 2031 में जहां ताल कंदरा है, कुछ भी नहीं बना है वहां का लैंड यूज जीडीए द्वारा आवासीय कर दिया गया है। इसी को लेकर यहां के स्थानीय नागरिक विरोध कर रहे हैं। इस मामले में स्थानीय लोगों ने 1200 आपत्तियां भी दर्ज कराई थी।
इसी के चलते स्थानीय लोगों ने विगत 11 मार्च को बड़ी संख्या में सदर सांसद रवि किशन शुक्ला और जीडीए उपाध्यक्ष को ज्ञापन भी दिया था लेकिन आज 4 माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जीडीए ने कोई पहल नहीं की है। जबकि स्थानीय लोग जीडीए द्वारा अपने मकानों के अवैध घोषित किए जाने के कारण बहुत डरे हुए हैं।
बता दें कि गोरखपुर एम्स से सटे इन मोहल्लों में अधिकतर भूतपूर्व सैनिक मकान बनाकर रहते हैं। यहां के अधिकतर मकान वर्ष 1998 से 2000 के बीच ही बन गए थे लेकिन जीडीए ने किस मापदंड के आधार पर इतनी पुरानी कॉलोनियों को अपनी महायोजना 2031 में आवासीय की जगह ग्रीन बेल्ट (हरित क्षेत्र) घोषित कर दिया है ये बात समझ से परे है।
जीडीए द्वारा उनके मोहल्लों को ग्रीन बेल्ट घोषित किए जाने से अक्रोशित स्थानीय लोगों का कहना है कि लगता है ये सौतेला व्यवहार नए विकसित हो रहे इलाकों में प्लाटिंग करा चुके भू-माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है।
इस संबंध में जीडीए गोरखपुर के उपाध्यक्ष (वीसी) आनंद वर्धन का कहना है कि-
“मामला संज्ञान में है। महायोजना-2031 में शामिल करने का प्रयास किया गया था पर कुछ तकनीकी कारणों से नहीं हो पाया। यहां राहत देने का प्रयास किया जा रहा है।”
कारण चाहे जो भी हो लेकिन जीडीए के इस एक फैसले से अपनी जिंदगी भर की कमाई लगाकर बना लोगों का आशियाना एक ही झटके में अवैध निर्माण घोषित हो चुका है जिसके तोड़े जाने का डर स्थानीय लोगों को चैन से जीने नहीं दे रहा है।