लोनिया समाज द्वारा क्षत्रिय सम्राट पृथ्वीराज चौहान को अपना पूर्वज बताना कितना सही?

Prithviraj Chauhan History: इतिहास में एक बहुत ही पराक्रमी चौहान क्षत्रिय राजा हुए हैं पृथ्वीराज चौहान, जिनके बारे में हम सब भली भांति जानते हैं। विकिपीडिया के अनुसार पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) का जन्म 1166 ईस्वी में अजमेर के राजा सोमेश्वर चौहान और रानी कर्पूरादेवी के घर हुआ था। पिता की मृत्यु के बाद 13 साल की उम्र में ही उन्होंने अजमेर के राजगढ़ की गद्दी संभाल ली। वे एक महान योद्धा थे और उन्होंने मुस्लिम शासक मुहम्मद गौरी को युद्ध में 17 बार हराया था। Prithviraj Chauhan आवाज़ सुनकर लक्ष्य को भेदने में निपुण थे। भारतीय इतिहास के सबसे प्रसिद्ध हिन्दू राजपूत राजाओं में से एक पृथ्वीराज चौहान का राज्य राजस्थान और हरियाणा तक फैला था। 

साहसी और युद्ध कला में निपुण सम्राट पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) बचपन से ही तीर कमान और तलवारबाजी पसंद करते थे। कई पौराणिक लेखनों में इसका वर्णन किया गया है। इनमें सबसे लोकप्रिय कवि चंदबरदाई द्वारा लिखित ‘पृथ्वीराज रासो’ है, जो उन्हें “राजपूत” राजा के रूप में प्रस्तुत करता है। चंदबरदाई पृथ्वीराज के बचपन के मित्र और उनके राजकवि थे और उनकी युद्ध यात्राओं के समय वीर रस की कविताओं से सेना को प्रोत्साहित भी करते थे।

विकिपीडिया के अनुसार चौहान राजवंश के संस्थापक राजा वासुदेव चौहान माने जाते हैं। इतिहासविदों का मत है कि, चौहानवंशीय क्षत्रिय जयपुर के साम्भर तालाब के समीप में, पुष्कर प्रदेश में और आमेर-नगर में निवास करते थे। सद्य वे उत्तर भारत में विस्तृत रूप से फैले हैं। उत्तरप्रदेश राज्य के मैनपुरी, बिजनौर जिले में अथवा नीमराणा राजस्थान में बहुधा निवास करते हैं और नीमराणा से ये उत्तरप्रदेश और उत्तर हरियाणा में फ़ैल गये ।

चौहान वंश (चाहमान वंश) एक भारतीय राजवंश था जिसके शासकों ने वर्तमान राजस्थान, गुजरात एवं इसके समीपवर्ती क्षेत्रों पर ७वीं शताब्दी से लेकर १२वीं शताब्दी तक शासन किया। उनके द्वारा शासित क्षेत्र ‘सपादलक्ष’ कहलाता था। वे चरणमान (चौहान) कबीले के सबसे प्रमुख शासक परिवार थे।

चौहानों ने मूल रूप से शाकंभरी (वर्तमान में सांभर लेक टाउन) में अपनी राजधानी बनाई थी। 10वीं शताब्दी तक, उन्होंने राजपूत प्रतिहार जागीरदारों के रूप में शासन किया। जब त्रिपिट्री संघर्ष के बाद राजपूत प्रतिहार शक्ति में गिरावट आई, तो चमन शासक सिमरजा ने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की। 12वीं शताब्दी की शुरुआत में, अजयराजा ने राज्य की राजधानी को अजयमेरु (आधुनिक अजमेर) में स्थानांतरित कर दिया। इसी कारण से, चम्मन शासकों को अजमेर के चौहानों के रूप में भी जाना जाता है।

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जैसा कि सर्वविदित है कि पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) एक क्षत्रिय सम्राट थे और क्षत्रियों में जो चौहान सरनेम लिखने वाले क्षत्रिय हैं वे वर्तमान समय में अधिकतर हरियाणा, राजस्थान, मैनपुरी, बिजनौर, आगरा, नोएडा, मथुरा, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात आदि स्थानों पर निवास करते हैं।

अब बात करते हैं नोनिया या लोनिया बिरादरी की, जो पूर्वांचल में कुछ जगहों पर निवास करते हैं और ये लोग भी ‘चौहान’ सरनेम लिखते हैं। इन्हें ओबीसी की आरक्षित कैटेगरी में रखा गया है। सरकार द्वारा निर्गत जाति प्रमाण पत्र में इन्हें लोनिया (चौहान) के रूप में अंकित किया जाता है। इन्हें ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलता है।

हुआ ये कि लोनिया बिरादरी के लोगों का एक संगठन है अखिल भारतीय चौहान महासभा, जिसके द्वारा दिनांक 3 नवंबर को देवरिया जिले की सदर तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत सरौरा के चौहान टोला में क्षत्रिय सम्राट पृथ्वीराज चौहान स्मारक का शिलान्यास देवरिया सदर से भाजपा विधायक डॉ. शलभ मणि त्रिपाठी और खजनी के भाजपा विधायक श्रीराम चौहान के द्वारा किए जाने का कार्यक्रम रखा गया।

बता दें कि इस कार्यक्रम के जो पोस्टर बैनर और आमंत्रण पत्र छपे थे उन पर सिर्फ लोनिया बिरादरी के लोगों का ही नाम लिखा हुआ था। क्षत्रिय समाज के किसी भी व्यक्ति को न तो इस कार्यक्रम में बुलाया गया और न ही किसी का कहीं नाम ही दिया गया।

इसी बात को लेकर क्षत्रिय समाज उद्वेलित हो उठा। क्योंकि इस शिलान्यास कार्यक्रम की रूपरेखा से ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे पृथ्वीराज चौहान को लोनिया समाज के ये लोग अपना पूर्वज दर्शाते हुए ये कार्यक्रम आयोजित करने जा रहे थे।

इसके बाद क्षत्रिय समाज के लोगों ने देवरिया जिला प्रशासन से अपना विरोध दर्ज कराया जिसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने यह शिलान्यास कार्यक्रम निरस्त कर दिया।

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देवरिया प्रशासन द्वारा शिलान्यास कार्यक्रम निरस्त करने पर मीडिया में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अखिल भारतीय चौहान महासभा के देवरिया जिलाध्यक्ष जयनारायण चौहान ने कहा कि शासन प्रशासन का हम सम्मान करते हैं इसलिए शिलान्यास कार्यक्रम को स्थगित कर दिए हैं। शिलान्यास चौहान महासभा के लोग अपने दिल में कर लिए हैं। हम इसी स्थान पर मूर्ति का अनावरण करेंगे। उस समय देखते हैं कौन रोकता है। अगर क्षत्रिय समाज के वह वंशज थे तो क्षत्रिय समाज के लोग सिंह के साथ चौहान भी जोड़ें। हमारा समाज पृथ्वीराज चौहान को अपना पूर्वज मानता है।

अखिल भारतीय चौहान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष डा. रामनाथ चौहान ने कहा कि क्षत्रिय समाज के द्वारा विरोध किए जाने पर चक्रवर्ती सम्राट पृथ्वीराज चौहान स्मारक का शिलान्यास जिला प्रशासन ने रोक दिया, लेकिन कार्यक्रम स्थल पर जुटे चौहान समाज के सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में शेष कार्यक्रम किया गया। कार्यक्रम को अखिल भारतीय चौहान महासभा के दर्जन भर लोगों ने सम्बोधित किया। शिलान्यास कार्यक्रम स्थगित जरूर हुआ है, किन्तु निकट भविष्य में हम चक्रवर्ती सम्राट पृथ्वीराज चौहान स्मारक जरूर बनाएंगे। चक्रवर्ती सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जाति को लेकर जो दावा क्षत्रिय समाज कर रहा है वह सही नहीं है। इस सम्बंध में हम जिला प्रशासन के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे।

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ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार तो सर्वविदित है कि पृथ्वीराज चौहान एक चौहान क्षत्रिय सम्राट थे लेकिन अब लोनिया समाज के लोग भी उन्हें अपना पूर्वज बताकर दावा कर रहे हैं कि वे उनके समाज के राजा थे। हालांकि उनके दावे का आधार सिर्फ चौहान सरनेम ही प्रतीत होता है। जबकि पृथ्वीराज चौहान के क्षत्रिय कुल का राजा होने के तमाम प्रमाण इतिहास में मौजूद हैं।

एक बड़े क्षत्रिय नेता अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहते हैं- ‘क्षत्रियों ने अपनी रियासतें तक देश की एकता और अखंडता के लिए दान कर दी। सीलिंग एक्ट लगाकर हमारी जमीन जायदाद सब सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया। जातिगत आरक्षण लागू कर हमें समाज में सबसे पीछे धकेलने की साजिश की गई और अब हमारे पूर्वजों और महापुरुषों को अपना बताकर उन्हें भी हथियाने की साजिश की जा रही है।’

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वे आगे कहते हैं- ‘जो लोग हमारे महापुरुषों को अपना बता रहे हैं क्या उन्हें अपने पूर्वजों को अपना पूर्वज बताने में शर्म महसूस होती है? हमें अपने पूर्वजों पर गर्व है, उन्हें भी अपने ही पूर्वजों पर गर्व होना चाहिए। लिखने का क्या है आजकल तो कोई भी कुछ भी सरनेम लगा लेता है। सरनेम लगाने और असली होने में बहुत फर्क है।

राष्ट्रवादी क्षत्रिय संघ (भारत) के विशाल सिंह ‘दीपू’ का कहना है-

लोनिया समाज का स्वागत है, वे आएं, बस आरक्षण छोड़ दें। यदि लोनिया समाज खुद को क्षत्रिय सम्राट पृथ्वीराज चौहान का वंशज मानता है तो अखिल भारतीय चौहान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लिखकर दें कि उनके समाज को आरक्षण का लाभ नहीं चाहिए। यदि वे क्षत्रिय राजा पृथ्वीराज चौहान के वंशज हैं तो उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं लेना चाहिए।”

*Disclaimer:- यह लेख ऐतिहासिक तथ्यों, विकिपीडिया तथा विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों पर आधारित है। यह लेखक के निजी विचार नहीं हैं।

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