राजपूताना का गौरवशाली इतिहास

Rajputana History in Hindi

आज से 5000 साल पहले इस संसार में क्षत्रियों का शासन था और केवल 5000 साल में ही हम क्षत्रियों का इतना पतन हुआ कि आज संसार भर में सुई की नोक रखने जितनी भूमि भी हमारे पास नहीं रही।Rajputana culture


शासन आते हैं और चले जाते हैं, ये कोई बड़े पतन का सूचक नहीं है। आज से पांच हजार साल पहले तक इस संसार के सर्वश्रेष्ठ ज्ञानी, सर्वश्रेष्ठ तपस्वी, सर्वश्रेष्ठ योद्धा वीर हमारे क्षत्रिय समाज के ही थे। Rajputana culture
लेकिन आज हमारे पास ना शौर्य है ना पराक्रम है ना ज्ञान है और ना ही तपस्या। हमारी मानसिक स्थिति यह है कि हमें कितना ही कोई कहे, अच्छी बात हमारे दिमाग में घुसती ही नहीं है। हमें इस पतन के कारणों और प्रभावों को ढूंढना ही पड़ेगा। Rajputana history in hindi
जब किसी भी समाज का पतन होता है तो सबसे पहले वो अपने स्वधर्म को भूलता है। स्वधर्म क्या है इसको पहचानने की कोशिश नहीं करता है और पाखंडी धर्मो के चक्कर में फंसकर अपने स्वधर्म को तिलांजलि दे देता है। और तब उसके पास उत्थान का जो पहला साधन स्वधर्म है वो उसके हाथ से चला जाता है और धर्म के नाम पर पाखंड में उतर जाता है। Rajputana history in hindi
 जिससे उसका ना कोई सांसारिक क्षेत्र में लाभ मिलता है और ना ही आध्यात्मिक क्षेत्र में कोई लाभ मिलता है। वो अपने स्वधर्म से दूर भटक जाता है। इसके परिणामस्वरूप वो समाज अपने इतिहास को भूलता है। Rajputana culture
आज शायद ही कोई ऐसा समाज है जिसके इतिहास में हमारे जितने महापुरुष पैदा हुए हैं। विभिन्न क्षेत्रों में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जिस पर हमारा कोई महापुरुष पैदा ना हुआ हो और जिसने संसार में ख्याति अर्जित नहीं की हो। Rajputana status
10-10 हजार सैनिकों को अकेले युद्ध में मारने वाला पितामह भीष्म भी हमारे क्षत्रिय समाज में पैदा हुआ है तो एक छोटी सी चींटी भी मत मारो यह अहिंसा का उपदेश देने वाला भी इसी क्षत्रिय समाज में हुआ है। Rajputana culture
चारों तरफ की ज्ञान की पराकाष्ठाएं हमने तोड़ी है। वीरता की हमने पराकाष्ठाएं तोड़ी है तो तपस्या की भी। संसार में आज तक विश्वामित्र से लम्बी तपस्या करने वाला तपस्वी पैदा नहीं हुआ। Rajputana history in hindi

 ज्ञान के क्षेत्र में उपनिषद कहते हैं कि क्षत्रियों ने सबसे पहले अपने स्वधर्म का ज्ञान पैदा किया और अपनी तपस्या से उस ज्ञान का विकास किया तथा उसके बाद तीनों वर्णों को उनके धर्म का ज्ञान करवाया। Rajputana Culture
ज्ञान के क्षेत्र में हमारे से बढकर कोई नहीं था। ये पंडाधारी ग्रंथ भी भगवान श्रीकृष्ण को जगद्गुरु स्वीकार करते हैं और वो जगद्गुरु श्रीकृष्ण भीष्म पितामह के लिए कहते हैं कि आप तो ज्ञान के सूर्य है। जितने प्राचीन उपनिषद है उनमें क्षत्रियों के ही वार्तालाप है। यहां ज्ञान के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ होने की सीमाएं हमने तय कर ली। Rajputana culture


वीरता के क्षेत्र में जो संसार में आज तक कोई नहीं कर सका। जो राम के काल में नहीं हुआ और जो महाभारत के काल के अंदर भी नहीं हुआ वो राजपूत काल में राजपूतों ने करके दिखाया। Rajputana history in hindi
सिर कटने के बाद भी लड़ कर दिखाया। सिर कटने के बाद एक दो हाथ तलवार के चलाकर नहीं दिखाई बल्कि कोसों दूर तक बिना सिर के लडते हुए चले गए। वीरों के सिर यहां पड़ा है तो धड 5 कौस 10 कौस दूर। आज दोनों जगह उनकी समाधियां बनी हुई है और दोनों जगह पूजे जाते हैं। Rajputana Status
ऐसा कोई क्षेत्र नहीं था जिसमें हम राजपूत सर्वश्रेष्ठ नहीं थे और आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जिसके अंदर हम सबसे श्रेष्ठ हो। आज हम हर क्षेत्र में पिछड़े हुए हैं चाहे वो क्षेत्र ज्ञान का हो वीरता का हो शारीरिक बल का हो बौद्धिक बल का हो अथवा आध्यात्मिक बल का हो। Rajputana Culture
हर क्षेत्र में हम पिछड़ते जा रहे हैं और उसका कारण अपने धर्म और अपने इतिहास का ज्ञान नहीं होना है। इतिहास मरे हुए समाज को पुनर्जीवित करने की क्षमता रखता है। इतिहास निर्जीव शरीर में जीवन पैदा करता है।
अतः अपने Rajputana Culture, Rajputana history, Rajputana Status, Rajputana Symbol को देखते हुए हमें अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा और रुतबे को पुनः हासिल करना होगा।
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