अमेरिका से गेहूं आता था भारत के लिए PL 48 स्कीम के अंडर ! PL मतलब public law 48 ! जैसे भारत मे सविधान मे धराए होती है ऐसे अमेरिका मे PL होता है ! तो बिलकुल लाल रंग का सड़ा हुआ गेंहू अमेरिका से भारत मे आता था और ये समझोता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था !
जिस गेंहू को अमेरिका मे जानवर भी नहीं खाते थे उसे भारत के लोगो के लिए आयात करवाया जाता था ! आपके घर मे कोई बुजुर्ग हो तो आप उनसे पूछ सकते हैं कितना घटिया गेहूं होता था वो !
तो अमेरिका ने भारत को धमकी दी कि हम भारत को गेहूं देना बंद कर देंगे ! तो शास्त्री जी ने कहा हाँ कर दो ! फिर कुछ दिन बाद अमेरिका का बयान आया कि अगर भारत को हमने गेंहू देना बंद कर दिया तो भारत के लोग भूखे मर जाएँगे ! शास्त्री जी ने कहा “हम बिना गेंहू के भूखे मरे तुम्हें क्या तकलीफ है ? हमे भूखे मरना पसंद होगा बशर्ते तुम्हारे देश का सड़ा हुआ गेंहू खाकर। एक तो हम पैसे भी पूरे दे, ऊपर से सड़ा हुआ गेहूं खाये? नहीं चाहिये तुम्हारा गेंंहूँ”
जनता से किया एक दिन के व्रत का आह्वान
फिर शास्त्रीजी ने दिल्ली मे रामलीला मैदान मे लाखो लोगो से निवेदन किया कि एक तरफ पाकिस्तान से युद्ध चल रहा है ! ऐसे हालातो मे देश को पैसे कि बहुत जरूरत पड़ती है ! सब लोग अपने फालतू खर्चे बंद करे ! ताकि वो domestic saving से देश के काम आए ! या आप सीधे सेना के लिए दान दे ! और हर व्यति सप्ताह में एक दिन सोमवार का व्रत जरूर रखे ! तो शास्त्री जी के कहने पर देश के लाखो लोगो ने सोमवार को व्रत रखना शुरू कर दिया ! हुआ ये कि हमारे देश मे ही गेहु बढ्ने लगा ! और शास्त्री जी भी खुद सोमवार का व्रत रखा रखते थे !
पेश की सादगी की अनोखी मिसाल
शास्त्री जी ने जो लोगो से कहा पहले उसका पालन खुद किया ! उनके घर मे बाई आती थी जो साफ सफाई और कपड़े धोती थी ! तो शास्त्री जी ने उसको भी हटा दिया और बोला देश हित के लिए मैं इतना खर्चा नहीं कर सकता ! मैं खुद ही घर कि सारी सफाई करूंगा ! क्यूंकि पत्नी ललिता देवी बीमार रहा करती थी और शास्त्री अपने कपड़े भी खुद धोते थे ! उनके पास सिर्फ दो जोड़ी धोती-कुर्ता ही था !
उनके घर मे एक ट्यूटर भी आया करता था जो उनके बच्चो को अँग्रेजी पढ़ाया करता था ! तो शास्त्री जी ने उसे भी हटा दिया ! तो उसने शास्त्री जी से कहा कि आपके बच्चे अँग्रेजी मे फेल हो जाएंगे ! तब शास्त्री जी ने कहा होने दो फेल ! देश के हजारो बच्चे अँग्रेजी मे ही फेल होते है तो इन्हें भी होने दो ! अगर अंग्रेज़ हिन्दी मे फेल हो सकते है तो भारतीय भी अँग्रेजी मे फेल हो सकते हैं ! ये तो स्वाभाविक है क्यूंकि अपनी भाषा ही नहीं है ये अंग्रेजी!
एक दिन शास्त्री जी की पत्नी ने कहा कि आपकी धोती फट गई है आप नई धोती ले आईये ! शास्त्री जी ने कहा बेहतर होगा कि सूई धागा लेकर तुम इसको सिल दो ! मैं नई धोती लाने की कल्पना भी नहीं कर सकता ! मैंने सब कुछ छोड़ दिया है पगार लेना भी बंद कर दिया है और जितना हो सके कम से कम खर्चे मे घर का खर्च चलाओ !
शास्त्री जी की मौत या हत्या?
अंत मे शास्त्री जी युद्ध के बाद समझोता करने ताशकंद गए और फिर जिंदा कभी वापिस नहीं लौट पाये। ताशकन्द में ही संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी ! पूरे देश को बताया गया की उनकी मृत्यु हो गई ! जबकि परिस्थितियां पूरी तरह इशारा करती हैं कि उनकी हत्या की गई थी। क्योंकि मौत के बाद उनका पार्थिव शरीर सूजा हुआ था और काला पड़ चुका था। उनके शरीर पर जगह-जगह कट्स के निशान थे और लाल बहादुर शास्त्री का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया था। दरअसल 10 जनवरी 1966 को हुए ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के महज 12 घंटे बाद ही यानी 11 जनवरी को लाल बहादुर शास्त्री का अचानक निधन को गया था। देश के दूसरे प्रधानमंत्री की मौत की गुत्थी आज भी सवाल बनी हुई है।
बैंक से ऋण लेकर खरीदी कार
लाल बहादुर शास्त्री ऐसे प्रधानमंत्री हुए जिन्होंने 1965 में अपनी फीएट कार खरीदने के लिए पंजाब नेशनल बैंक से पांच हजार रुपये ऋण लिया था। स्कूल के वक्त में शास्त्री के बच्चे तांगे से स्कूल जाते थे और प्रधानमंत्री बनने के बाद कार खरीदने की इच्छा जताई तो उस वक्त 12 हजार रुपए में कार आई। मगर शास्त्रीजी के पास केवल सात हजार रुपए थे तो उन्होंने बैंक से पांच हजार रुपये ऋण लेकर कार खरीदी थी. मगर ऋण की एक किश्त भी नहीं चुका पाए। 1966 में देहांत हो जाने पर बैंक ने नोटिस भेजा तो उनकी पत्नी ने अपनी पेंशन के पैसे से कार के लिए लिया गया ऋण चुकाने का वायदा किया और फिर धीरे धीरे बैंक के पैसे अदा किए।
उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने भी उनके ईमानदार पूर्वक जिंदगी में उनका पूरा साथ दिया। शास्त्रीजी की वह कार आज भी जनपथ स्थित उनकी कोठी [अब संग्रहालय] में मौजूद है। अब इस कोठी में लालबहादुर शास्त्री संग्रहालय बना दिया गया है।
शास्त्री जी के बेटे अनिल शास्त्री ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा, मैंने जब अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया तो उसे प्रधानमंत्री आवास पर पहुंचा दिया गया. इस पर शास्त्री ने आरटीओ को बुलाया और फटकारते हुए कहा कि बिना ड्राइविंग टेस्ट और सत्यापन के किस आधार पर लाइंसेंस बना दिया गया.
भारत मे शास्त्री जी जैसा सिर्फ एक मात्र प्रधानमंत्री हुआ जिसने अपना पूरा जीवन आम आदमी की तरह व्यतीत किया और पूरी ईमानदारी से देश के लिए अपना फर्ज अदा किया।
जिसने जय जवान और जय किसान का नारा दिया ! क्यूंकि उनका मानना था कि देश के लिए अनाज पैदा करने वाला किसान और सीमा की रक्षा करने वाला जवान दोनों देश के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है !
विदेशी कम्पनियों के थे विरोधी
स्वदेशी की राह पर उन्होने देश को आगे बढ़ाया ! जब तक वे प्रधानमंत्री रहे एक भी विदेशी कंपनी को देश मे घुसने नहीं दिया ! उनका कहना था एक ईस्ट इंडिया कंपनी के कारण भारत को 250 साल की गुलामी झेलनी पड़ी थी ! जिसके लिए कितने क्रांतिकारियों ने फांसी पाई ! दुबारा विदेशी कंपनियो को बुलाकर देश की आजादी के साथ कोई समझोता नहीं किया जा सकता ! अमेरिका का सड़ा गेंहू भी बंद करवाया ! ऐसा प्रधानमंत्री भारत को शायद ही कभी मिले !
अंत मे जब उनकी बैंक पासबुक चेक की गई तो सिर्फ 365 रुपए 35 पैसे थे उनके बैंक एकाउंट मे ! शायद आज कल्पना भी नहीं कर सकते कि ऐसा नेता भी हो सकता है।
कुछ अनुत्तरित सवाल…
1.कहा जाता है कि यह गांधी-नेहरू का देश है, शास्त्री का क्यों नहीं?
2.शास्त्री जी की रहस्यमय मौत के बाद भी सरकार द्वारा पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया?
3.शास्त्रीजी की रहस्यमय मौत की जांच क्यों नहीं कराई गई?
4. दो अक्टूबर को गांधी जयंती मनाते हैं लेकिन लालबहादुर शास्त्री की जयंती को क्यों भूल जाते हैं?
5.आखिर क्यों भारत देश के सबसे ईमानदार और सच्चे प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री जी को इस देश ने भुला दिया?
*सौजन्य-फ़िल्म/डॉक्यूमेंट्री