हम सभी के मन में एक सवाल हमेशा उठता है कि आखिर मुसलमान मोदी जी से इतनी नफरत क्यों करते हैं?
आखिर क्या कारण है कि प्रधानमंत्री रहते इस कौम के फायदे के लिए तीन तलाक जैसी बुराई को भी मोदी जी ने खत्म कर किया लेकिन अधिकतर मुसलमान फिर भी नरेंद्र मोदी के नाम से ही चिढ़ते हैं।
आइये इस नफरत की तह तक जाने की कोशिश करते हैं…
सबसे पहले भारत मे इस्लाम और मुसलमानों की कार्यप्रणाली पर बात करते हैं।
मुसलमानों का कंट्रोल मस्जिदों से होता है, जिसका मुखिया एक मौलाना होता है। देश की सभी मस्जिदों का कंट्रोल दिल्ली की जामा मस्जिद से होता है जिसके मुखिया को शाही इमाम कहा जाता है।
कोई भी सूचना देश के मुसलमानों तक पहुंचनी हो तो जामा मस्जिद का शाही इमाम उसे सभी राज्यों की मुख्य मस्जिद तक पहुंचाता है, राज्यों की मुख्य मस्जिद से जिलों की मुख्य मस्जिदों तक और फिर बाकी की सभी मस्जिदों तक वो सन्देश पहुचता है और वहाँ से शुक्रवार को जुम्मे की नमाज़ के बाद वो सन्देश सभी मुसलमानों तक पहुंचाया जाता है।
इसका एक ताजा उदाहरण अभी आपने देखा होगा कि दिल्ली में मुसलमानों का 100 प्रतिशत वोट केजरीवाल को पड़ा।
इसी तरह CAA का विरोध हो या भारत को इस्लामिक मुल्क बनाने की रणनीति हो या लव जिहाद में हिन्दू लड़कियों को फंसाकर उन्हें मुसलमान बनाने जैसी सभी योजनाएं जामा मस्जिद से ही संचालित होती हैं। मतलब भारत मे इस्लामिक जिहाद की राजधानी है दिल्ली की ‘जामा मस्जिद’।
अब आते हैं मुख्य मुद्दे पर कि मुसलमान मोदी से नफरत क्यों करते हैं?
यह जानने के लिए आपको वर्ष 1984 में जाना पड़ेगा…
1984 में लोकसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार हुई और सिर्फ 2 सीट ही आयी,एक गुजरात मे महेसाणा और दूसरी आंध्रप्रदेश में।
तब के भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी जी ने भाजपा संघठन को दुरुस्त करने के लिए संघ से मदद मांगी, जिसके बाद संघ ने अपने खांटी प्रचारक
नरेंद्र मोदी को गुजरात भाजपा को सौप दिया।
भाजपा अपनी खोई हुई जमीन तलाशने की जुगत में थी, नरेंद्र मोदी उस समय अहमदाबाद शहर भाजपा के संघठन मंत्री थे और उसी समय 1985 मे अनामत आंदोलन, भीषण हिन्दू-मुसलमान दंगे में तब्दील हो गया। यही वह समय था, जब गुजरात हिंदुत्व के प्रयोग की प्रयोगशाला बना और नरेंद्र मोदी उस प्रयोगशाला के संचालक।
निकट भविष्य में अहमदाबाद नगर निगम का चुनाव आया, जो कि हिन्दू मुस्लिम के मुद्दे पर लड़ा गया। उसका परिणाम यह हुआ कि उस दिन से लेकर आज तक अहमदाबाद नगरनिगम के चुनाव कांग्रेस 35 साल में सिर्फ एक बार जीत पाई।
इस सफलता ने गुजरात मे राजनीति की दिशा ही बदल दी। अगले 10 साल में यह हालत हो गयी कि गुजरात मे मुस्लिम एम पी अहमद पटेल का जीतना तक नामुमकिन हो गया। मुस्लिम शब्द गुजरात की राजनीति में एक बोझ बन गया। नरेन्द्र मोदी ने हिन्दुओ के मन मे धर्म के प्रति आस्था बढ़ाई।
इस बात के तकरीबन 16 साल बाद, 2001 में मोदीजी भाजपा की तरफ से गुजरात के मुख्यमंत्री बने और 2002 के 26 फरवरी को गोधरा में कारसेवकों को ट्रेन में जिंदा जला दिया गया। इस घटना के बदले में वहां भीषण दंगे हुए और इस घटना का बदला भी लिया गया। अभी तक हिन्दुओ के मन में जो मुस्लिमो का खौफ था, इस घटना के बाद मुसलमान खौफ में जीने लगे।
यह घटना औऱ उसके बाद हुए दंगे ने गुजरात के लोगो की मानसिकता एवम भारत की राजनीति बदल कर रख दी।
इस घटना के बाद मुख्यमंत्री बने नरेंद्र मोदी ने गुजरात में मुस्लिमो की दादागीरी, अवैध वसूली, बिजली चोरी, अवैध धंधे सब पर लगाम लगा दी।
2014 में प्रधाननमंत्री बने मोदी जी ने सेक्युलरिज्म का दिखावा, मुस्लिमो की मान्यता जैसे कि ‘गज़वा ए हिन्द’ या ‘भारत को इस्लामिक राज्य बनाना’ या ‘भारत बनेगा दूसरा पाकिस्तान’ की मूल अवधारणा की जड़ो में कुछ इस प्रकार मठ्ठा डालने का काम किया…
1–भारतीय राजनीति में मुसलमान होना एक बोझ बन गया,अगर भाजपा के प्रत्याशी के खिलाफ विपक्ष का प्रत्याशी मुस्लिम हो तो समझो मुस्लिम प्रत्याशी की हार पक्की।
2–राजकीय पार्टियों के मुस्लिम तुष्टीकरण पर लगाम लगने से मुस्लिमो का बार्गेनिंग पावर कम हो गया।
3–नोटबन्दी कर के पाकिस्तान की अर्थव्यबस्था चौपट कर दी। अमेरिका एवम सऊदी अरब को भारत के साथ खड़ा करके भारतीय मुसलमानों को सपोर्ट करने वाले इको सिस्टम को तोड़ना शुरू कर दिया।
4–पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक करके पाकिस्तान को समझा दिया कि कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे। जिससे भारत मे पाक प्रेमी मुस्लिमो की अंतड़ियों मैं ऐंठन आ गयी।
5–मोदी सरकार ने किसी भी प्रकार के मुस्लिम ब्लैकमेल के सामने झुकने से इनकार कर दिया। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की भी छानबीन चालू कर दी, आतंकवाद पर नकेल कस दी।
6–CAA लाकर पाकिस्तान, बांग्लादेश में फंसे हिन्दुओ को इस्लाम के जुल्म की चंगुल से छुड़ाने का काम किया।
7–तीन तलाक खत्म करने से मौलवियो की मुफ्त में हलाला के माध्यम से अय्याशी और धन की उगाही करने पर रोक लग गई।
8–अगर NRC ठीक से लागू किया गया तो भारतीय मतदान प्रणाली से 3–4 करोड़ अवैध घुसपैठिये निकल जाएंगे, जो मुस्लिम् परस्त राजनीति के ताबूत में आख़िरी कील साबित होंगी।
9–मुस्लिम कट्टरपंथियों का भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनांने का सपना टूटता नज़र आ रहा है। उनका कश्मीर से एकाधिकार खत्म हो गया और कोई चूँ तक ना कर सका।
यही सब वजह है कि मुसलमान मोदी जी को पसंद नही करते।