दिल्ली की जनता ने फिर एक बार आम आदमी पार्टी को चुना है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटों पर जीत पाई है। मगर चुनाव आयोग की एक रिपोर्ट के बाद यह पाया गया है कि उनके जीते हुए 62 विधायक में से 40 पर कई गंभीर मामले हैं जिनमें रेप, महिलाओं से छेड़छाड़, महिला उत्पीड़न जैसे संगीन मामले भी दर्ज हैं।
अरविंद केजरीवाल जो एक नयी राजनीति करने का दावा कहकर दिल्ली का चुनाव लड़ रहे थे उनकी यह कैसी नई राजनीति है कि वह रेप के आरोपी विधायकों के बलबूते अपनी सरकार चलाएंगे?
क्या दिल्ली ऐसे सुरक्षित होगी जहां उनके प्रतिनिधि ही रेप जैसे मामलों में आरोपित होंगे?
अरविंद केजरीवाल तो इन मामलों में लालू प्रसाद यादव से भी आगे निकल चुके हैं 62 में 40 रेप के आरोपी और उनके समर्थन से केजरीवाल जी मुख्यमंत्री बनेंगे?
वाक़ई ये नई राजनीति की शुरुआत हुई हैं। दिल्ली को रेप कैपिटल कहने वाले आप लोगों ने तो RJD को भी पीछे कर दिया. लालू प्रसाद यादव ख़ुश होंगे आज की कोई तो आगे निकला। समझ आता हैं की निर्भया कांड क्यों होता हैं?
ऐसे लोग जब राष्ट्र निर्माण और केजरीवाल मॉडल का नाम लेते हैं तो ख़ुद पे शर्म आ जाती हैं की राष्ट्र की मज़बूती रेप के आरोपियों को पहले टिकट और बाद में उनके समर्थन से सरकार बनाने से होता हैं। वाक़ई ये नयी राजनीति हैं ।
अब सवाल यह उठता है कि…
अरविंद केजरीवाल की ऐसी क्या मजबूरी है कि वह रेप केस आरोपी लोगों को ही टिकट देते हैं? और जनता की क्या मजबूरी है जो ऐसे लोगों को चुन भी लेती है?
क्या दिल्ली में स्वच्छ छवि के लोगों की कमी है कि उन्हें राजनीति में नहीं ला कर रेप आरोपी को टिकट दे रहे?
क्या मोदी और बीजेपी से एलर्जी के कारण जनता को रेपिस्ट लोगों की सरकार भी स्वीकार है?
दिल्ली की जनता जब ऐसे ही जनप्रतिनिधियों को चुनती है तो उसे किस मुंह से शिकायत करने का अधिकार है?
निर्भया कांड जिसने पूरे देश को दहला दिया, क्या आम आदमी पार्टी के रेपिस्ट विधायकों की सरकार उसकी पुनरावृति को रोक पाने लायक होगी?
क्या दिल्ली की जनता ने दिल्ली को रेप कैपिटल बनाने के लिए ही आम आदमी पार्टी को चुना है?