‘सवर्ण’ यानी उच्च कुल, जिसमें जन्म लेने के लिए आज़ादी से पहले लोग ईश्वर से प्रार्थना किया करते थे कि ‘हे ईश्वर अगले जन्म में मुझे सवर्ण या उच्च कुल में ही जन्म देना’
फिर देश आजाद हुआ, नया संविधान बना और शुरू हुई वोट बैंक की राजनीति। फिर चंद स्वार्थी राजनीतिज्ञों ने आरक्षण का कुचक्र चला और संविधान में ऐसा प्रावधान किया कि ‘सवर्ण’ को देश में हाशिये पर लाकर रख दिया।
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फिर क्या था, धीरे धीरे आरक्षण रूपी राक्षस ने सवर्णों से उनके सारे अधिकार छीन लिए। सरकारी नौकरी, शिक्षा हर चीज पर अब पहला हक अन्य वर्गों का होने लगा। आरक्षण के लाभ से अन्य वर्ग के लोग आगे बढ़ते गए और सवर्ण पिछड़ते गए।
जो शिक्षा अन्य वर्गों को फ्री में मिलती उसी शिक्षा को सवर्ण महंगी फीस चुकाकर हासिल करते। जिस नौकरी के आवेदन के लिए सवर्णों को महंगी फीस चुकानी होती, वो अन्य वर्गों के लिए मुफ्त होती।
और इस प्रकार मुफ्त सुविधाओं का लाभ लेकर समाज के अन्य वर्ग सरकारी नौकरियों और उच्च पदों पर आसीन होते चले गए। आरक्षण के जाल ने सवर्णों को अर्श से फर्श पर लाकर रख दिया।
अब आरक्षण ने सवर्णों का वो हाल कर दिया है कि कोई भी सवर्ण ईश्वर से प्रार्थना करके अगले जनम में ‘सवर्ण’ कुल में जन्म लेने की विनती कत्तई नहीं करेगा। बल्कि ईश्वर से यही विनती करेगा कि-
‘हे ईश्वर, अगले जन्म में मुझे SC/ST ही बनाना’ जिससे मैं भी आरक्षण की बैसाखी के सहारे बिना मेहनत के ही सब कुछ हासिल कर सकूं।’
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तो आज के समय में ‘सवर्ण’ क्या है? इसे परिभाषित करने के लिए नीचे कुछ लाइनें दी गयी हैं…
जिस व्यक्ति पर एट्रोसिटी_एक्ट 89 के तहत बिना इन्क्वारी के भी कार्यवाई की जा सकती है, वो सवर्ण है‼
जिसको जाति सूचक शब्द इस्तेमाल करके बेखौफ गाली दी जा सकती है, वो सवर्ण है‼
देश में आरक्षित 131 लोकसभा सीटो और 1225 विधानसभा सीटो पर चुनाव नही लड़ सकता है, लेकिन वोट दे सकता है, वो सवर्ण है‼
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जिसके हित के लिए आज तक कोई आयोग नही बना, वो सवर्ण है‼
जिसके लिए कोई सरकारी योजना न बनी हो, वो सवर्ण है‼
जिसके साथ देश का संविधान भेदभाव करता है, वो सवर्ण है‼
मात्र जिसको सजा देने के लिए NCSC और NCST का गठन किया गया वो सवर्ण है‼
मात्र जिसे सजा देने के लिए हर जिले में विशेष SCST न्यायालय खोले गए हैं, वो अभागा सवर्ण है‼
जो स्कूल में अन्य वर्गों के मुकाबले चार गुनी फीस देकर अपने बच्चों को पढाता है, वो बेसहारा सवर्ण है‼
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नौकरी, प्रमोशन, घर allotment आदि में जिसके साथ कानूनन भेदभाव वैध है वो बेचारा सवर्ण है‼
सरकारों व सविधान द्वारा सबसे ज्यादा प्रताड़ित किया जाने वाला सवर्ण है‼
सबसे ज्यादा वोट देकर भी खुद को लुटापिटा ठगा सा महसूस करने वाला सवर्ण है‼
सभाओं में फर्श तक बिछा कर एक अच्छी सरकार की चाह में आपको सत्ता सौंपने वाला सवर्ण है ‼
देश हित मे आपका तन मन धन से साथ देने वाला सवर्ण है‼
इतने भेदभाव के बावजूद भी,
धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो की भावना जो रखता है, वो सवर्ण है‼
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यहाँ कुछ सवाल उठने भी जरूरी हैं…
क्या कोई सरकार या पार्टी ‘सवर्णों’ हेतु कुछ कर सकती है?
क्या कोई सरकार या पार्टी आरक्षण को खत्म कर सकती है?
क्या कोई सरकार या पार्टी सवर्णों को आरक्षण दे सकती है?
क्या कोई सरकार या पार्टी आरक्षण को आर्थिक आधार पर लागू कर सकती है?
इन सभी सवालों का जवाब है ‘नहीं’
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क्योंकि सवर्णों के वोट की किसी भी राजनैतिक दल को कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि वो किसी भी पार्टी के लिए ‘सॉलिड वोट बैंक’ नहीं है। और सबसे बड़ी बात कि सवर्णों का वोट एकजुट नहीं है। सवर्ण वोटों का कभी भी ध्रुवीकरण नहीं होता। सवर्ण वोट बिखरे हुए हैं। वे हर पार्टी में बिखरे पड़े हैं। और जहां बिखराव है वहाँ बर्बादी तो होनी ही है। क्योंकि जहाँ भी एकता नहीं होती वहां सिर्फ नुकसान और बर्बादी ही होती है।
अब एक सवाल ये उठता है कि जब सवर्णों के वोट की किसी भी राजनीतिक दल के लिए कोई अहमियत ही नहीं तो सवर्ण किसी भी पार्टी को वोट क्यों दें?
जब कोई भी राजनीतिक दल सवर्णों के लिए कुछ कर ही नहीं सकती तो सवर्ण किसी भी पार्टी को वोट क्यों दें?
तो क्यों न सभी सवर्ण मिलकर सारे राजनैतिक दलों का बहिष्कार करें?
अगर आपको उपरोक्त बातें सही लगी हो तो अधिक से अधिक शेयर अवश्य करें ।
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