दोस्तों, कहा जाता है की इंसान को उसके अच्छे बुरे कर्मों का फल अवश्य ही मिलता है। ऐसा माना जाता है की जो जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल भी मिलता है। इसीलिए “जैसी करनी वैसी भरनी” कहावत कही जाती है।
बड़े बुजुर्ग कहते आए हैं की इंसान को अपने कर्मों का हिसाब यहीं चुकाना पड़ता है। स्वर्ग नरक सब यहीं भोगकर मरना पड़ता है।
ये सभी बातें मुगल शासकों के बारे में पूरी तरह सच साबित होती हैं। लगभग सभी अत्याचारी मुगल शासकों का अंत बहुत ही कष्टदायक और दर्दनाक रहा है। आइए जानते हैं किस मुगल शासक की मौत कैसे हुई।
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अलाउद्दीन खिलजी के बारे में पढ़ा तो पता चला की उसे बहुत ही कष्टदायक मृत्यु प्राप्त हुई थी। पेट में पानी भर जाने से उसकी मृत्यु हुई थी, पर दो वर्षों से उसे कोढ़ हो गया था और उसके अंग सड़ने लगे थे।
हालांकि ऐसी बीमारियां किसी सभ्य-सज्जन व्यक्ति को भी हो सकती हैं, पर जब किसी अत्याचारी, असभ्य, बर्बर के साथ ऐसा होता है तो उस विश्वास को बल मिलता है कि आदमी को उसके कर्मों का फल यहीं मिलता है।
ऐसा केवल खिलजी के साथ ही नहीं हुआ, बल्कि मुगल काल के लगभग हर अत्याचारी शासक की मृत्यु बड़ी कष्टदायक रही। मुगलों की तो परम्परा ही बन गयी थी कि बुढ़ापे में अपने बेटों को आपस में लड़कर एक दूसरे को मारते काटते हुए देखकर तड़पते हुए मरना। अकबर, जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब आदि सब बुढ़ापे में अपने बच्चों का युद्ध देखकर तड़पते हुए मरे।
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पारिवारिक षड्यंत्रों में अपने दो बेटों मुराद और दनियाल की मौत देखकर टूट चुका अकबर, जहांगीर के आगे गिड़गिड़ाता रहा, पर वह अकबर के लोगों को मारता रहा। उसने अबुल-फजल जैसे अकबर के अधिकांश करीबियों को मार दिया और बादशाह अकबर गिड़गिड़ाते, तड़पते मर गया। जहांगीर के साथ भी यही हुआ।
भले ही शाहजहां को दुनिया एक प्रेमी के रूप में जानती हो, पर असली सच तो ये है की वह भी उतना ही क्रूर था जितना अन्य मुगल शासक थे। या यूं कहा जाए की हिंदुओ पर अत्याचार के मामलों में वह दूसरों से कहीं अधिक कट्टर था। उसकी मृत्यु तो और दुखद हुई। उसके प्रिय बेटे दारा शिकोह का कटा हुआ सर खंजर की नोक पर टांग कर पूरे आगरा में घुमाया गया और अंत में कैदी शाहजहां के आगे थाल में रखा सर पेश किया गया और यह सब किया उसके दूसरे बेटे ने। अपने एक बेटे द्वारा की गई अन्य सभी बेटों की हत्या पर बुरी तरह टूट चुका शाहजहां उस कैदखाने में कैसे तड़प तड़पकर मरा होगा, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
ऐसा केवल इन्ही शासकों के साथ नहीं हुआ, हर अत्याचारी शासक के अंतिम समय की दशा लगभग ऐसी ही रही है और सबसे बड़ी बात, सबको सत्ता से धकिया कर बाहर किया गया। कोई भी शान्ति से अपनी अगली पीढ़ी को सत्ता नहीं सौंप सका।
मुझे लगता है की इतिहास की किताबों में इन मुगल बादशाहों की मृत्यु कैसे हुई ये भी अवश्य पढ़ाया जाना चाहिये, ताकि सबको पता चले की इंसान के अच्छे बुरे कर्मों का हिसाब यहीं होता है। इसे कुदरत का इंसाफ भी कह सकते हैं।
एक सभ्य समाज के निर्माण के लिए यह बहुत ही जरूरी है कि लोग इन अत्याचारियों, लुटेरों और क्रूर हत्यारों के दुखद अंत के बारे में जानें और उसे याद रखें।
“जैसी करनी वैसी भरनी”
मुगलों को महिमामंडित करने के लिए झूठी बातें और मनगढ़ंत कहानियां तो इतिहास में बहुत पढ़ाई गई। इसलिए असली सच लोगों को बताना और जागरूकता फैलाना यही हमारा उद्देश्य है। आप भी हमारे इस मिशन में सहयोग करने के लिए इस पोस्ट को अधिक से अधिक लोगों को शेयर करें।
जय हिंद!!
वंदे मातरम्!!