Razakar movie review hindi: एक फिल्म आई है Razakar: The Silent Genocide of Hyderabad. यह फिल्म तेलुगु और हिन्दी में रिलीज हुई है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यह हैदराबाद की ‘द कश्मीर फाइल्स’ है। वैसी ही हिंसा, वैसा ही हिन्दू- मुस्लिम बंटवारा।
रजाकार (Razakar movie) एक ऐसी फिल्म है जो न सिर्फ आपको इतिहास में पीछे ले जाकर रजाकारों के द्वारा किए गए अत्याचारों के बारे में बताएगी बल्कि कई ऐसे गुमनाम सेनानियों के बारे में भी जानकारी देगी जिनको इतिहास के पन्नों पर ज्यादा जगह नहीं मिली या यूं कहें कि जिनके बारे में न ज्यादा पढ़ाया गया, न बताया गया.
Razakar movie हैदराबाद को भारत में विलय करने के मुद्दे पर बनी है। फिल्म बताती है कि हैदराबाद के भारत में विलय को लेकर जो बेचैनी सरदार पटेल में थी, वह जवाहरलाल नेहरू में नहीं थी। अंचल के गांवों में हिन्दुओं पर भीषण अत्याचार हो रहे थे और तत्कालीन जवाहरलाल नेहरू फैसला लेने में डर रहे थे।
Razakar: The Silent Genocide of Hyderabad फिल्म में दिखाया गया है कि भारत का बँटवारा होने पर जूनागढ़, कश्मीर और हैदराबाद का विलय भारत में नहीं हुआ था। हैदराबाद के निजाम उसे तुर्किस्तान बनाना चाहते थे। 224 साल से उनका शासन था और आज़ादी की लड़ाई में पूरा अंचल शांत था, मानो अंग्रेज़ों के साथ था। निजाम पाकिस्तान से हाथ मिलाने के लिए उत्सुक थे और भारत के साथ विलय की मांग करने वाली स्थानीय 85 प्रतिशत हिंदू आबादी के साथ क्रूरता से पेश आ रहे थे।
गजवा ए हिन्द की परिभाषा पढ़नी है तो Razakar movie को देखें। निजाम हैदराबाद को तुर्किस्तान बनाने निकला था और इसके लिए अपनी सेना रज़ाकार से जेहाद शुरू करवाया.
लेखक-निर्देशक वाई सत्यनारायण ने हिम्मत करके इतिहास को चीर कर, उसमें दफ़्न हैदराबाद के दर्द को दर्शकों के सामने रखा है। ऐसे कंटेंट को सिनेमाई स्वरूप देने के लिए बहुत धैर्य चाहिए।
हैदराबाद ने हिंदुओं पर कितनी निर्ममता देखी है इतिहास कतई ये सच बताने की स्थिति में नहीं रहा है, लेकिन बतलाने की हालत में न था, इसलिए फ़िल्म में खुलकर बताया गया है.
स्क्रीन प्ले में कई दृश्य इतने भयावक है कि आँखें बंद हो चली और रूह काँपने की स्थिति में थी। फिर भी सच से मुँह मोड़ना या कहे आँखें मूंदना भागना कहलाता है।
छोटी बच्ची रोये नहीं, इसलिए माँ उसे देसी दारू पिला देती है, वहीं बुजुर्ग को भूख लगी तो नाले की मिट्टी खा लिया।
निजाम ने पूरा सिस्टम बैठा रखा था। बग़ावत करने वालों के गाँव के गाँव जला दिये जाते और माँ-बहनें, बेटियों के साथ बलात्कार, हत्या की जाती। भय और ख़ौफ था कि आपने धर्म परिवर्तन कर लिया है तो सुरक्षित हो और किसी भी काफिर को मार-पीट, लूट, बलात्कार कर सकते है। कोई दखल दें तो सज़ा में सिर्फ मौत थी।
मैं कहता हूँ सत्यनारायण की फ़िल्म को द कश्मीर फ़ाइल्स प्रीक्वल के तौर पर लें। बड़े स्केल पर नरसंहार हुआ था। संयोग कहे या प्रयोग कश्मीर और हैदराबाद के मुद्दें कमोबेश एक ही टाइम लाइन पर थे, फर्क है कि घाटी में जेहाद की आग लोकतांत्रिक व्यवस्था के बाद पहुँची थी और हैदराबाद में राजशाही में निजाम खुलेआम कर रहा था।
कोमाराम भीम ने निज़ाम की खिलाफत में जल, जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ी और नारा ए तकबीर के सामने अपना उद्घोष दिया था। इन्होंने दोहरे मोर्चे पर ब्रितानी और निजाम से लड़ाई लड़ी।
अभिनेता राज अर्जुन के साथ रिजवी को देखेंगे तो नफरत करने लगेंगे, कलाकार ने अपने किरदार को इतनी गहराई से उतरने दिया है और फिर बाहर निकाला है। हाव-भाव एकदम घिनौने है। बाकी सब ठीक है।
बहुतेरे आयेंगे और कहेंगे कि नैरेटिव और प्रॉपगैंडा दिखलाती फ़िल्म है, क्योंकि उन्हें कश्मीर में भी ऐसा ही दिखा था।
स्वतंत्र भारत में घटनाक्रम को समझें। धर्म के नाम पर देश विभाजित कर दिया गया तिस पर दूसरी रियासतों में आग लगाई गई और भारत में साजिशन ऐसा नेतृत्व चुना, जिसे खोखली नैतिकता की ढपली बजाने की ट्रेनिंग दी।
विश्वास नहीं है तो कश्मीर का मुद्दा आज तक विवादित है, जबकि सरदार पटेल ने 562 रियासतों से भारत बनाया और हैदराबाद को भी सेना के दम पर भारत में रखा। निजाम की हेकड़ी और औक़ात भी बतलाई।
ब्रितानियों ने ऐसा षड्यंत्र रचा कि भारत को शक्तिविहीन नेतृत्व मिले, सख्त फैसले लेने वाला मिल जाता तो उनका काम खराब हो जाता।
खैर हम तो यही कहेंगे कि सभी को Razakar movie अवश्य देखनी चाहिए। इतिहास तो कभी नहीं बताएगा, फ़िल्म बता रही है तो देखिए और सोचिए ऐसी कितनी घटनाएँ दबाई गई हैं।
Razakar movie trailer यहां देखें-