एक पुरुष को भी धोखा मिलता है रिश्तों में, प्रेम में। उस पर भी लगाए जाते हैं झूठे आक्षेप, उसको भी बेवजह किया जाता है कठघरे में खड़ा……….जब पुरुष किसी एक रिश्ते में हो , तो उससे हमेशा वफ़ादारी की उम्मीद की जाती है और पुरुष ये करते भी हैं (सिवाय कुछ लोगों के)। लेकिन महिलाएं भी तो धोखा दे सकती हैं, महिलाएं भी तो हमारा दिल तोड़तीे हैं, महिलाएं भी हमारी भावनाओं के साथ खेलती हैं ?और ऊपर से पुरुषों को तो बचपन से ये भी सिखाया जाता है कि मर्द को दर्द नहीं होता. मर्द रोते नहीं. हर बात पर रिएक्ट मत करो. मर्द बनों……लेकिन कैसा मर्द? ये कोई नहीं बतलाता। वही सदियों पुराने रास्ते पर छोड़ दिया जाता है भटकने के लिए…..तराशने की कोशिश ही नहीं की जाती…..मगर किसी भी जेंडर के लिए फीलिंग्स को दबाना और हिंसा सहना उतना ही ग़लत है जितना की करना…..और हाँ, एक पुरुष को भी डिप्रेशन होता होगा. ऐंगज़ाइटी होती होगी तो किसी से शेयर करना, उनसे मदद माँगना क्या उसको कम मर्द बनाता है?हमारे समाज में एक पुरुष का किसी भी कारण कमजोर पड़ना नामर्दी ही समझ जाता है, जबकि उसके पास भी एक दिल है,कुछ फीलिंग्स हैं, उसको भी किसी बात से तकलीफ होती है,उसे भी सहारे की, अपनेपन की जरूरत होती है, पुरुष का भी मन होता है कभी रोने का। पुरुष भी टूटता है,बिखरता है..उसे भी सहारे की जरूरत होती है क्योंकि वो भी इंसान ही होता है कोई पत्थर नहीं।जीवन में कई बार ऐसा वक्त आता है जब कितना भी शक्तिशाली पुरुष हो वो खुद को कमजोर और असहाय महसूस करता है। उसका भी मन होता है खुलकर,चीखकर रोने का लेकिन उसे पी जाना होता है अपने आंसुओं को चुपचाप, सबसे छिपकर, क्योंकि पुरुष रो नहीं सकता, पुरुष कमजोर नहीं पड़ सकता…क्योंकि हमारे समाज में कमजोर पड़ना या रोना ये सब पुरुषों को शोभा नहीं देता…ये सब स्त्रियों के लक्षण हैं, ये नामर्दी है, ये पुरुषों के लिए वर्जित है।लेकिन हर मर्द को भी कभी न कभी दर्द तो होता ही है…ये बात और है कि वो पी जाता है चुपचाप हर दर्द, हर पीड़ा को…
#स्वरचित
©कॉपीराइट @संजय राजपूत