बिहार के दरभंगा की रहने वाली 15 साल की ज्योति पासवान बीते कुछ दिनों से काफी चर्चा में हैं। खबरें आई कि ज्योति लॉकडाउन में करीब 1200 किमीं. साइकिल चलाकर अपने घायल पिता को लेकर घर पहुंची थी। ज्योति ने गुरुग्राम से दरभंगा तक का सफर अकेले तय किया और इसमें उसे एक हफ्ता लग गया था। इसके बाद ज्योति की दर्दनाक कहानी सोशल मीडिया पर छा गई। उसे इंडिया की ‘सायकिल गर्ल’ कहा जाने लगा।
टोंटी चोर ने तो तुरंत 1 लाख रुपये नकद इनाम देने की भी घोषणा कर डाली। अंदरखाने से खबर आयी है कि ज्योति पासवांन को टिकट भी दे दिया है मैनपुरी से।
और सुशासन बाबू तो उसे बीरता पुरस्कार देंगे। सायकिल कंपनी उसको Brand Ambassador बनाने जा रही है।
उधर सुपर 30 फाउंडर आनंद कुमार ने भी उसे फ्री IIT-JEE कोचिंग ऑफर की है।
रबड़ी सबड़ी सबने ज्योति को शाबाशी दे डाली है।
इस सबसे ऊपर अमेरिका के राष्ट्रपति की पुत्री इवांका ट्रम्प ने भी ज्योति की तारीफ करते हुए एक बयान जारी कर दिया ।
फिर किसी ने हिसाब निकाला कि…
1200 km ÷ 7 Days = 171 km Per Day?
वो भी एक 55 किलो के बीमार बाप और एक 20 किलो झोला के साथ?
Lance Armstrong (American professional road racing cyclist) भी खून फेंक के मर जाये, ऐसी खबर थी यह। सबका माथा घूम गया।
भारतीय साइकिल फेडरेशन ने ज्योति को देश का गौरव बताते हुए ट्रायल के लिए दिल्ली बुला लिया। ज्योति के पिता को यह पता चला तो वो मुकर गए। बोले ज्योति पहले पढ़ेगी फिर ट्रायल देगी।
फिर देखा तो आउटलुक मैगज़ीन में एक छोटी सी खबर छपी थी। ज्योति के पिता ने स्वीकार किया कि ज्योति थोड़ी दूर साइकिल चलाती थी बाकी का सफर साइकिल को ट्रक और ट्रेक्टर पर रख कर पूरा किया है।
लगता है इस कहानी में खूब झोल है। ज्योति की हिम्मत से इनकार नही है लेकिन फर्जी खबरों के साथ किसी को झूठा हीरो बनाना भी उस गरीब के साथ अन्याय है।
वामपंथियों की कुत्सित रणनीति को पहचानना होगा। ऐसा एक बार नहीं हुआ है। EVM हैक करने वाला सूजा से लेकर अभी ट्रेनों की 9 दिन में गंतव्य तक पहुँचने की खबर….
इन वामपंथियों के प्रोपेगेंडा का कोई जवाब नहीं है।
इसकिये याद रखिये हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती।