10 दिन में 2 क्षत्रियों की हत्या पर नेता और मीडिया मौन क्यों हैं?

देवरिया के एकौना थाना क्षेत्र के हौली बलिया गांव निवासी, गोरखपुर के दिग्विजय नाथ पीजी कॉलेज में बीकॉम (2nd Year) का छात्र विशाल सिंह श्रीनेत (उम्र 22 वर्ष). सभी का सम्मान करने वाला, संस्कारी, हंसमुख, मिलनसार, सामाजिक और आकर्षक व्यक्तित्व, हमेशा दूसरों के दुख सुख में खड़ा रहने वाला युवक, जिसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं, विगत 16 नवंबर की रात लगभग 9 बजे घर से कुछ ही दूरी पर धोखे से उसकी निर्मम हत्या कर दी गई। 

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हत्या करने वालों ने पहले विशाल के सीने, जांघ और शरीर के अन्य हिस्सों पर धारदार चाकू से लगातार वार किए फिर उसे सड़क पर लेटाकर गाड़ी से कुचलकर बेरहमी से मार डाला।

विशाल के पिता विनीत सिंह के अनुसार इस घटना से कुछ देर पहले विशाल की मां ने जब बेटे को फोन किया तो उसने बताया कि वह किसी राहुल अली नाम के व्यक्ति के साथ है और थोड़ी देर में घर वापस आ जाएगा।

कुछ देर बाद जब फिर घरवालों ने विशाल को फोन किया तो फोन किसी राहगीर ने उठाया और घरवालों को उसके सड़क पर खून से लथपथ पड़े होने की बात बताई। बदहवास घरवाले घटनास्थल पर पहुंचे और आनन फानन विशाल को लेकर गोरखपुर मेडिकल कॉलेज ले गए जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

विशाल के पिता रोते हुए बताते हैं कि विशाल की मौत परिजनों के घटनास्थल पर पहुंचने से पहले ही हो चुकी थी लेकिन अपनी तसल्ली के लिए उसे अस्पताल लेकर गए थे।

स्थानीय लोगों के अनुसार पहले विशाल को चाकुओं से बुरी तरह मारा गया था फिर हत्या को एक्सीडेंट साबित करने की कोशिश की गई थी। एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि सड़क पर जहां विशाल को मारकर लिटाया गया था वहां बहुत ज्यादा खून बहा हुआ दिखाई दे रहा था।

यहां बता दें कि विशाल अपने माता पिता का एकलौता पुत्र था और उसकी हत्या से घर का चिराग हमेशा के लिए बुझ गया।

मृतक विशाल के पिता विनीत सिंह भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं और अपने एकलौते बेटे की बेरहमी से हत्या होने के बाद भी हत्या के तीसरे दिन 18 नवंबर तक उन्हें भाजपा सरकार और पुलिस प्रशासन पर पूरा भरोसा था कि उनके बेटे को मारने वालों को योगी सरकार में बक्शा नहीं जाएगा। बातचीत से वे पुलिस प्रशासन के प्रति पूरी तरह आश्वस्त दिखाई देते थे। उन्हें पूरी उम्मीद थी कि उनकी अपनी भाजपा सरकार में उन्हें न्याय जरूर मिलेगा।

बता दें कि विशाल सिंह एक छात्र नेता भी था और सामाजिक कार्यों और विषयों पर पूरी तरह मुखर था। वह करणी सेना भारत से भी जुड़ा हुआ था।

पिछले दिनों देवरिया जिले के समोगर निवासी नेहाल सिंह की 7 नवंबर छठ त्यौहार के दिन करीब 11.30 बजे सुरौली थाना क्षेत्र में गोली मारकर हत्या कर दी गई। एक छात्र नेता और मुखर युवा होने के नाते विशाल ने नेहाल सिंह की हत्या करने वाले अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए हर तरह से आवाज बुलंद की।

नेहाल सिंह के परिजनों की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए विशाल सिंह ने स्थानीय विधायक शलभ मणि त्रिपाठी के खिलाफ भी सोशल मीडिया पर मोर्चा खोल दिया था।

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18 नवंबर को राष्ट्रवादी क्षत्रिय संघ भारत तथा अन्य क्षत्रिय संगठनों के अलावा करणी सेना भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरू सिंह विशाल सिंह के गांव हौली बलिया आए और पुलिस प्रशासन से विशाल के हत्यारों का जल्द से जल्द एनकाउंटर किए जाने की मांग भी की।

दिनांक 19 नवंबर की सुबह खबर आती है कि पुलिस मुठभेड़ में विशाल सिंह हत्याकांड का एक आरोपी रजा खान पुत्र इदरीश जो गोरखपुर के घोसीपुरवा मोहल्ले का रहने वाला था उसे पुलिस ने पैर में गोली मारकर पकड़ लिया है और उसके पास से हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद किया गया है। पुलिस के अनुसार रजा खान ने पुरानी रंजिश में विशाल की हत्या करने की बात स्वीकार की है।

सबसे हैरानी की बात कि एक ही जिले में 10 दिनों के अंदर दो-दो युवाओं की निर्मम हत्या हो जाती है। दोनों अपने मां बाप के एकलौते पुत्र थे, घर का चिराग बुझा दिया गया और कोई जन प्रतिनिधि सांसद, विधायक, मंत्री परिजनों से मिलने नहीं पहुंचा।

देवरिया सदर से भाजपा सांसद शलभ मणि त्रिपाठी जिन्होंने कुछ दिनों पूर्व जिले में एक ब्राह्मण की हत्या होने पर एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था और बयान दिया था कि दोषियों पर ऐसी कार्रवाई होगी जो नजीर बनेगी। उस समय विधायक जी ने अपने सजातीय की हत्या पर खुलकर आरोपियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। साथ ही पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद भी दिलाई गई थी। सीएम योगी आदित्यनाथ भी जीवित बचे घायल लड़के से मिलने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे।

लेकिन इस बार नेहाल सिंह की हत्या पर न तो विधायक जी नेहाल सिंह के परिवार से मिलने ही पहुंचे, न ही उन्हें ढाढस बंधाया। हां, जातिवादी होने का आरोप लगने पर उन्होंने औपचारिकता निभाते हुए डीजीपी को नेहाल सिंह हत्याकांड में कार्रवाई हेतु एक पत्र जरूर लिखा था।

नेहाल सिंह की हत्या को 15 दिन होने को हैं लेकिन आज तक कोई भी जन प्रतिनिधि नेहाल सिंह के परिवार से मिलने नहीं पहुंचा और न तो परिवार द्वारा नामजद तीनों हत्यारोपियों आशीष पांडे, अनुराग गुप्ता एवं दीपक मिश्रा को पुलिस पकड़ने में ही कामयाब हो पाई है।

यही स्थिति विशाल सिंह की हत्या के बाद भी देखने को मिल रही है। अभी तक कोई भी जन प्रतिनिधि, सांसद, विधायक, मंत्री आदि विशाल सिंह के परिजनों से मिलने नहीं पहुंचा। जबकि मृतक के पिता भाजपा से जुड़े हैं और पुराने पदाधिकारी भी हैं।

पिछले दिनों यूपी पुलिस द्वारा जब एक कुख्यात अपराधी का एनकाउंटर किया गया तो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तत्काल उसके घर पहुंचे और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने एक अपराधी के एनकाउंटर को भी फेक और हर तरह से गलत बताया। ऐसा इसलिए क्योंकि वो भले ही अपराधी था लेकिन अखिलेश यादव का सजातीय था।

ज्ञात हो कि विशाल सिंह का गांव बांसगांव संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां के भाजपा सांसद केंद्रीय मंत्री कमलेश पासवान हैं। उन्हें भी आज तक विशाल के परिजनों से मिलने की फुरसत नहीं मिल पाई।

यदि किसी दलित पिछड़े या मुस्लिम की हत्या होती है तो मीडिया से लेकर नेताओं तक में उबाल आ जाता है। लेकिन दो दो क्षत्रिय युवाओं की हत्या पर सब खामोश हैं?

विपक्षी आरोप लगाते हैं कि सूबे की योगी सरकार ठाकुरवादी सरकार है, हर तरफ ठाकुरवाद हो रहा है। क्या यही ठाकुरवाद है?

विशाल सिंह एक ऐसा युवा था जो सभी जाति वर्ग के लोगों के सुख दुख में हमेशा खड़ा रहता था। लेकिन अफसोस की उसकी हत्या पर सब खामोश हैं, कोई उसके लिए न्याय की मांग नहीं कर रहा, कोई उसके परिजनों के आंसू पोछने नहीं जा रहा।

विशाल सिंह की निर्मम और बर्बरतापूर्ण हत्या से कोई आक्रोशित क्यों नहीं है? क्या कुसूर था उस युवा का? क्या उसका क्षत्रिय होना ही उसका सबसे बड़ा गुनाह था?

लाशों पर भी अपनी राजनीति की रोटी सेंकने वाले नेता एक 22 साल के युवा की मौत पर मौन क्यों हैं?

इससे साबित होता है कि मरने वाले की जाति देखकर नेता लोग संवेदना व्यक्त करते हैं।

पूर्वांचल में 10 दिनों के अंदर हुई इन दो युवाओं की हत्याओं ने सभी अवसरवादी नेताओं की असलियत सामने लाकर रख दी है। 

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