क्या आपको पता है जंगलराज किसे कहते हैं? जानिए बिहार के जंगलराज की कहानी


18 मार्च 1999। जहानाबाद बिहार के सेनारी गांव में लोग खाना खाकर सोने की तैयारी कर रहे थे कि अचानक सबके दरवाजे खड़खड़ाने की आवाज होने लगी। पूरे गांव में जाग होने लगी । 
लोग घबरा कर उठ गये । कुछ लोग बाहर निकल आए तो देखा कि पूरे गांव को 500 600 नक्सलियों ने घेर लिया है। सिर्फ और सिर्फ भूमिहारों के घरों को घेरा गया है । घरों में घुस कर सभी जवान मर्दों को बंदूक की नोक पर बाहर निकाल कर करीब के तालाब के किनारे एक बूढ़े बरगद के पेड़ के नीचे खड़ा किया गया। 



सभी लोगों को तीन ग्रूप में बांटा गया। एक ग्रूप में 15-16 साल के लड़कों को खड़ा किया गया। दूसरे ग्रूप में 15 – 16 साल से 40 साल के युवकों को खड़ा किया गया। तीसरे ग्रूप में 40 साल से ऊपर के लोगों को खड़ा किया गया।
सेनारी गांव में सारे किसान गरीबी रेखा से नीचे वाले लघु एवं सीमांत किसान थे मगर वे सामंती सोच के माने गए थे। क्योंकि वे जाति के भूमिहार थे और लालू यादव को वोट नहीं देते थे ।


फिर कंगारु कोर्ट ने फैसला किया कि सभी को 6 इंच छोटा कर दिया जाए। मतलब गला काट दिया जाए। ताकीद किया गया कि मरे चाहे नहीं मगर पेट की अंतड़ियों को बाहर निकाला जाए।
लोग चीखने लगे, घिघियाने लगे मगर उन्मादी भीड़ नारे लगाती रहे और हवा में गोलियां चलाती रही। एक एक कर गर्दनें कटती रहीं, अंतड़ियों को बाहर निकाला गया। फिर जब लाशों का ढेर लग गया तो उस पर नक्सलियों ने चढ़कर नाच किया और फिर पूरे गांव में घूम घूम कर पुआल के ढेर में आग लगा दिया और चले गए।



थाने से दरोगा जी जब चार सिपाहियों के साथ घटना स्थल पर एक घंटे के बाद पहुंचे तो वहां कुल 38 लाशों का ढेर था, रोती विधवांए थीं, बिलखते बच्चे थे, रंभाती हुई गाये थीं और था एक मनहुस सन्नाटा।
दूसरे दिन पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार श्री पी एन सिंह, जो इसी गांव के निवासी थे, घटना स्थल पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उनके पिता जी, चाचा जी, तीन भाई और तीन भतीजों के गर्दन कटे हुए हैं और अंतड़ियां बाहर निकल आई हैं। घर के कुल आठ लाशों को देख कर उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे वहीं गिर पड़े और उनकी मृत्यु हो गई।


विधानसभा में जब हंगामा हुआ और विपक्ष ने मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से घटना स्थल पर जाने की मांग रखी तो राबड़ी देवी ने ऐतिहासिक बयान दिया कि भूमिहार हमारे वोटर नहीं हैं तो हम क्यों जांए?
आज कुछ हरामखोर चंद रुपये लेकर उसी जंगल राज की वापसी की पैरवी और दुआ कर रहे हैं ।



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