ये है अर्नब गोस्वामी के खिलाफ शरद पवार के साथ मिलकर षडयंत्र रचने वाली महिला का कच्चा चिट्ठा

कहानी यह है कि अर्नब गोस्वामी पर झूठ केस दर्ज कराने वाली महिला का पति आत्महत्या करके मर चुका है और वो महिला पति के मरने के दसवें दिन से ही अपने दोस्त के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगी।
सच इतना सा था कि एक औरत का विवाहेत्तर सम्बन्ध था किसी और से। पति को जब इस बात का पता चला तो उसने सदमे में आत्महत्या कर लिया।
मां इस सदमे को तो बर्दाश्त कर लेती पर कारण जानने के बाद उस चरित्रहीन और हत्यारन के साथ रहना नहीं चाहती थी, तो मज़बूरी में उसने भी आत्महत्या कर लिया।
वहीं कुछ रिपोर्ट के अनुसार मां का गला घोटा गया था…यदि ऐसा है तो ये सब कौन किया होगा आप समझ ही सकते हैं।
इन दोनों की मौत के बाद उस चरित्रहीन महिला को पूर्ण आज़ादी मिल गयी तो अपने यार के साथ रहने लगी लिव इन रिलेशन में।


फिर अपने उपर लगे आरोपों को दूसरों पर डायवर्ट करने के लिये उसने फर्ज़ी सुसाईड नोट तैयार किया। और सुसाईड नोट इतना फ्राड है कि सुसाईड करने वाला उसमें दोषियों को Mr. करके सम्बोधित कर रहा है। मने, आदमी मरने वाला है पर संस्कार पूरा है…एकदम फुल।
जिसका-जिसका उसने काम किया था, उसका उसका उसमें नाम लिख दिया. जांच हुई मामला फर्ज़ी पाया गया…क्लोज़र रिपोर्ट फ़ाईल कर दी गयी।

लेकिन महिला तो ठहरी बहुत बड़ी वाली, अब वह सोनिया सेना सरकार के साथ इस्तेमाल होने के लिये तैयार हो गई. उससे और उस जैसी महिलाओं से कोई भी बयान और नौटंकी करवाया जा सकता है।
इस मामले को लेकर बवाल मचाने वाले सारे चेहरे वहीं हैं जो हाथरस पर विधवा विलाप कर रहे थे। वह मामला भी फ्राड था और यह मामला भी।
तब भी इमोशनल फूल बनाया गया था और इस बार भी…


न जाने क्युं मैं देखता हुं कि इस समय वहीं लोग इन मुद्दों पर अपने कामन सेन्स का गला घोटकर अपने घाघरे से मुह ढकने का प्रयास करते हैं जो अपने दिमाग के किसी न किसी स्तर पर अपने जाति, धर्म, समाज, पूर्वज, इतिहास, संस्कृति, सभ्यता, आर्थिक स्थिति को लेकर कहीं न कहीं थोड़ा अथवा ज्यादा कुण्ठित हैं और स्वाभिमान से च्युत हैं। उस कुण्ठा का प्रदर्शन न जाने क्युं उसी रूप में न करके अन्य प्रकार से करते हैं।

तस्वीर – पति के मौत और सास की हत्या कर भयानक दुख में डूबी महिला को भारी मन से सांत्वना देते अर्धजीवित टेढ़ा मुंह शरद पवार 

केस था कि अरनब ने 84 लाख नहीं दिए
फिरोज नाम के किसी दूसरे आदमी पे 4 करोड़ का उधार था, ऐसा उस नोट में लिखा है.
मान लो, अरनब ने खा लिए 84 लाख…उनके पास तो पूरा सबूत था, केस लड़ते?
84 लाख के लिए सुसाइड? और, जब ये काम हुआ था तो बीच में ही रोक देते कि कम से कम अब आधा पेमेंट दो?
मतलब कुछ भी कहानी बना दोगे आप? 84 लाख नहीं दे सकता है क्या अर्नब गोस्वामी? उसकी सेलरी पता है क्या आपको?


दूसरी बात, अर्नब पर अटैक हुआ है। पत्नी बच्चो के साथ वैसा व्यवहार? आतंकी की तरह ट्रीट करना? इसको कैसे जस्टिफाई करोगे?
जिस इंटीरियर डिज़ाइनर ने आत्महत्या किया उसके और अरनव गोस्वामी के बीच में कोई निजी डील नहीं थी बल्कि उस इंटीरियर डिजाइनर के फर्म और अरनव गोस्वामी की कंपनी के बीच में डील हुआ था और परचेज ऑर्डर के समय जो शर्ते रखी गई थी उन शर्तों के अनुसार अर्णब गोस्वामी ने उसे 90% पेमेंट दे दिया था। और यह बात मुंबई पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट में लिखी गई है।

90% पेमेंट लेने के बाद अगर उस इंटीरियर डिजाइनर को यह लग रहा था कि उसके साथ धोखा हुआ है तब इसके लिए आर्थिक मामले देखने वाले आर्बिट्रेटर होते हैं उनके पास सिविल शूट फाइल की जाती है। 
यह मामला क्रिमिनल केस में नहीं आता है और मुंबई पुलिस ने अपने क्लोजर रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि इंटीरियर डिजाइनर के परिवार के अनुसार अरनव गोस्वामी ने उसका पेमेंट नहीं दिया इसलिए वो दु:खी था.


जबकि जाँच में यह पता चला कि उस इंजीनियर डिजाइनर ने अपना बाकी का 10% पेमेंट निकलवाने के लिए कोई कानूनी रास्ता नहीं अपनाया. वह मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध में भी अपील नहीं किया और ना ही उसने आर्बिट्रेटर के पास कोई अपील किया.
मुंबई पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट के अनुसार वह इंटीरियर डिजाइनर डिवोर्स होने की वजह से मानसिक तनाव में था इसलिए उसने और उसकी माँ ने आत्महत्या कर ली।

मित्रो, यह सारी बातें मुंबई पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट में लिखी है जो अदालत में पेश की गई और अदालत ने इस रिपोर्ट के आधार पर इस पूरे केस को क्लोज कर दिया।
कल अलीबाग कोर्ट में उपस्थित एक पत्रकार मित्र ने मुझे बताया उसके अनुसार…
अलीबाग कोर्ट को मैंनेज तो कर लिया था लेकिन मैनेज करने की एक सीमा होती है…
जज साहब ने रायगढ़ पुलिस से पूछा आपने जो क्लोजर रिपोर्ट फाइल किया था उसके बाद आपको ऐसा क्या नया सबूत मिला जिसके आधार पर आपने अरनव गोस्वामी को गिरफ्तार किया और आप अरनव गोस्वामी को अपनी कस्टडी में लेना चाहते हैं?


तब वहाँ उपस्थित सारे पुलिसकर्मी एक-दूसरे का मुँह देखते रहे और मुंबई पुलिस के वकील चुप हो गए उन्होंने कहा कि हमारे पास कोई भी नया सबूत नहीं है सिर्फ परिवार का एक एप्लीकेशन है कि इस केस को रीओपन किया जाए।
तब जज साहब ने मुंबई पुलिस के वकील से पूछा आप वकील हैं…क्या आपको पता है कि केस रीओपन का क्या प्रोसीजर है?
वकील साहब ने कहा इसके लिए कोर्ट में अपील की जाती है….तब जज साहब ने रायगढ़ पुलिस के वकील से पूछा कि परिवार ने कौन से कोर्ट में अपील किया है वह अपील मुझे दिया जाए।
मुंबई पुलिस और उसके वकील चुप…

उसके बाद जज साहब ने कहा यह मामला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है. मैं आपको अरनव गोस्वामी की कस्टडी नहीं दे सकता. मैं अर्नब गोस्वामी को मजिस्ट्रेट को सौंपता हूँ और यह कल मुंबई हाई कोर्ट में अपील फाइल कर सकते हैं और मुंबई हाई कोर्ट का जो फैसला होगा उसके अनुसार आगे की प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। और, इस तरह मुंबई पुलिस अलीबाग कोर्ट से हाथ मलते हुए वापस आ गई।
मुंबई हाई कोर्ट और गोस्वामी को 100% जमानत दे देगा क्योंकि यह सिर्फ एक ताकत का प्रदर्शन था जो अफजल सेना और औरंगजेब सेना के लिए बूमरैंग साबित हुआ।
ये वही नायक फैमिली जिसने क्लोज हो चुके केस को खोलने के लिए 2 तारीख को कहा था और 4 तारीख को कार्यवाही हो गई।


अब सवाल ये उठता है कि क्या कोई आम महिला शरद पवार से मिल सकती है? 
आजकल राजनीति का वो हाल है गली के पार्षद को भी कुछ काम के लिए बोलो तो बोलता है टाइम नही है शाम को मिलते हैं.
कहानी ये बनाई गयी कि इस परिवार के मुखिया ने अर्नब गोस्वामी द्वारा पैसे नहीं देने की वजह से आर्थिक तंगी में आत्महत्या कर लिया!
अब सबसे बड़ा सवाल की इतनी ही बड़ी तंगी चल रही थी तो पति और सास ने ही आत्महत्या क्यो की? माँ बेटी कैसे बच गए??

Leave a Comment

error: Content is protected !!