बेटी दलित की हो या सवर्ण की, राजनीति ना करें, इंसाफ के लिए लड़ें

यह जो हाथरस की घटना को “दलित-बनाम सवर्ण” बना रहे हैं, ये वही लोग हैं..
■ जो आरक्षण का मुनाफा लेने के बाद कभी अपनी गांव-ढाणी में पलट कर नहीं बसे! शहर में कोठी बना ली। अपने ही समाज को खारिज किया।
■ जिन्होंने उस निर्धन समाज के साथ “रोटी-बेटी” का रिश्ता नहीं रखा, जिनके दम पर आरक्षण हासिल किया। शायद ही आरक्षण से आइएएस बना एक व्यक्ति ऐसा मिले, जिसने अपने समाज की निर्धन बिटिया को घर का आभूषण बनाया हो!
■ अपने बच्चो को अपने ही समाज के निर्धन बच्चो से मित्रता करने पर झिड़कते हैं। दूर रहने को कहते हैं।  तब उन्हें सवर्ण बच्चे अच्छे लगते हैं। ताकि अपने बच्चे संस्कारित हों। बाकी समाज जाए भांड में। 
■ ये मन्दिर प्रवेश का मुद्दा तो उठाते हैं, लेकिन कभी कबीर, रविदासी, सतनामी, सेवदासी मन्दिर नहीं जाते। वहां कोई सेवा नहीं देते।
इन्हें बेटी के सम्मान की नहीं, आरक्षण के मुनाफे को लेकर बेचैनी है।

जो समाज अंबेडकर के “PAY BACK TO SOCIETY” को भूल गया! आज वह एक निर्दोष नारी देह के शव को सामने कर अपने “आरक्षित अस्तित्व”  को बचाने के लिए हाथ-पांव मार रहा है। वाकई! कितने कमजोर और कितने विवश हो चुके हैं ये लोग!
हाथरस मामले में क्या-क्या हुआ:
१. सबसे पहली खबर आई कि जीभ काट दी गई, रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई, गैंगरेप हुआ
२. दूसरी खबर आई कि ‘ऊँची जाति’ के लोग थे, लड़की दलित थी इसलिए गैंगरेप हुआ और पुलिस ऊँची जाति के अपराधियों को बचा रही है। 
३. तीसरी खबर में पुलिस ने जीभ कटने, रीढ़ की हड्डी टूटने का खंडन किया। पीड़िता के स्वयं के बयान देने के वीडियो हैं जहाँ वो बोल रही है, अस्पताल में बेड पर है। 
४. जल्द ही फिर मेडिकल रिपोर्ट, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह कहा गया कि ‘किसी भी तरह के दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है।’ इसी संदर्भ में IG ने बताया कि पीड़िता ने अपने शुरुआती, और दोबारा दिए बयान में कहीं भी रेप का जिक्र नहीं किया है। 

५. इसके बाद खबर आई कि लाश को ‘पुलिस ने जबरन जला दिया’। इसका भी खंडन पुलिस ने किया और कहा कि लाश को मुखाग्नि ‘पिता-दादा’ एवम् परिजनों की उपस्थिति में दी गई। कुछ लोग कह रहे हैं कि सूर्यास्त के बाद लाश नहीं जलाई जाती, जो कि अनभिज्ञता है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि पुलिस ने परिवार को समझा-बुझा कर दाह संस्कार कराया हो। 
६. अगली खबर यह आई कि दोनों परिवारों के बीच झगड़ा चल रहा था और पीड़िता की माताजी के बयान के अनुसार संदीप नाम के व्यक्ति ने पारिवारिक रंजिश की वजह से हमला किया। 
७. पुलिस की नई टीम गठित कर मुख्यमंत्री ने सात दिनों में रिपोर्ट माँगी है और मामला फास्टट्रैक कोर्ट में निपटाने कहा है। 
८. चार अभियुक्त पकड़े जा चुके हैं।
हाथरस वाले केस में गैंगरेप की पुष्टि नहीं हुई है ऐसा पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट कह रही है। लेकिन हत्या भी कम जघन्य अपराध नहीं है। हत्यारोपियों पर कारवाई हो और साथ ही अफवाह फैलाने वाले लोगो पर भी कारवाई हो।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कॉपी नीचे दी गयी है…

हाथरस और होलागढ दोनों ही उत्तरप्रदेश में हैं। होलागढ में इंसाफ मांगने कोई इसलिये नहीं गया क्योंकि पीड़ित सवर्ण परिवार से थे। यहाँ मुस्लिम दुर्दांत हैवानों ने लड़कियों के स्तन काट दिए, नृशंस ब्लात्कार किया। बाद में चारों पीड़ितों के गले काट दिये।
दूसरी तरफ हाथरस में पुरानी आपसी रंजिश में वीभत्स हत्या की गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ब्लात्कार की पुष्टि नहीं हुई है। जबकि सारे सेकुलर राजनीतिक गिद्ध हाथरस पहुंच गए। एक बेटी की चिता पर रोटी सेंकने। आखिर कब तक बेटी सिर्फ बेटी नहीं मानी जायेगी? कब तक बेटी दलित या सवर्ण के पैमाने पर तौली जाएगी?

जिस केजरीवाल ने निर्भया गैंगरेप के आरोपी बलात्कारी को 10 हज़ार रुपये और सिलाई मशीन दी थी। जो कांग्रेसी नेता बोलते थे कि बलात्कार तो होते रहते हैं। जो समाजवादी बोलते थे कि लड़के हैं गलतियां हो जाती है। ऐसे नेता बेटियों पर हुए अत्याचार को इंसाफ नहीं बल्कि सत्ता पाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। ऐसे हड्डी खोरों का ब्वायकाट होना चाहिए।

दोषियों को कड़ी सजा मिलें, लेकिन मुद्दाविहीन विपक्षियों के नैरेटिव से जनता को सावधान रहना चाहिए।

लड़की और लड़की की मां का बयान विपक्ष के मुंह पर तमाचा हैं, जो हाथरस मामले में झूठ फैला कर फर्जी नैरेटिव बना रहे हैं. लड़की खुद बयान दे रही है, जाहिर है कि जीभ नहीं कटी है, तभी बयान दे रही है। लड़की स्वयं बता रही थी कि मारपीट हुई है। लड़की के भाई ने भी सिर्फ मारपीट की प्राथमिकी दर्ज कराई है। पोस्टमार्टम में भी रेप की पुष्टि नहीं हुई है। मुद्दा विहीन विपक्ष और विपक्ष की राजनीति को धार देने वाला मीडिया झूंठा प्रोपेगेंडा फैला रहा है।


इस हंगामे, हुड़दंग और झूठ के नंगे नाच की वज़ह समझिए… 
हाथरस में जिस बालिका की हत्या हुई वो बालिका जब घायलावस्था में भर्ती थी उस समय उसने बाकायदा कैमरे और माईक के सामने अपना बयान दर्ज कराया था. उस पर हमला करने वाले का नाम बताया था. घटना के विषय में विस्तार से बताया था. 
अब प्रश्न यह है कि क्या जिस बालिका के गले की हड्डी तोड़ दी गयी हो, जुबान काट ली गयी हो, क्या वो बोल सकती है.? आप स्वयं इसका निर्णय करिए या स्वयं निर्णय करने में सक्षम ना हों तो अपने आसपास के किसी डॉक्टर से यह पूछ लीजिए कि… क्या किसी की गले की हड्डी तोड़ दी गयी हो और उसकी जुबान काट ली गयी हो तो क्या वो बोल सकता है.? 
इस एक प्रश्न के उत्तर मात्र से हाथरस की घटना को लेकर फैलाए जा रहे जहरीले झूठ का सच आपके सामने आ जाएगा. क्योंकि हाथरस की आपराधिक वारदात में जिस बालिका की हत्या हुई है उसके लिए यह कहा जा रहा है कि उसके गले की हड्डी तोड़ दी गयी थी और उसकी जुबान काट दी गयी थी. आंख फोड़ दी गयी थी. जबकि वीडियो में बोल रही बालिका की आंखें भी बिल्कुल सुरक्षित हैं.

 ध्यान रहे कि उस बालिका की हत्या करने वाले नामजद अपराधियों को पुलिस ने 14 सितंबर को हुई घटना के 24 घण्टे के भीतर ही  गिरफतार कर लिया था.
लेकिन हाथरस की घटना को लेकर कल से उपरोक्त घिनौने और सरासर सफ़ेद झूठ को आजतक, ABP न्यूज, ZEE, इंडिया TV और न्यूज 24 सरीखे न्यूजचैनल नॉन स्टॉप दिखा रहे हैं. दिल्ली और हाथरस में जनभावनाएं भड़काने में जुटे हुए हैं. लेकिन उस बालिका तथा उसकी मां का वह वीडियो नहीं दिखा रहे हैं. क्योंकि वो वीडियो इनके झूठ की धज्जियां उड़ा रहा है. (दोनों वीडियो आप नीचे देख सुन सकते हैं) 
अब सवाल यह है कि यह झूठ का नंगा नाच क्यों हो रहा है.? यह समझने के लिए इस घटनाक्रम से परिचित होइए…
तीन दिन पूर्व चर्चित युवा पत्रकार डॉक्टर मनीष कुमार ने यह सनसनीखेज रहस्योदघाटन किया है कि लुटियनिया मीडिया के कुछ बड़े दलालों ने NCB के जाल में फंस रहे बॉलिवुड के कुछ बड़े मगरमच्छों से मोटी डील की है कि तुम्हारा नाम इस मामले में नहीं आने देंगे. मामले को हल्का बना देंगे. 

डॉक्टर मनीष कुमार ने यह भी बताया कि इन बड़े दलालों ने NCB की कुछ काली भेड़ों से बात भी की थी. लेकिन इन बड़े दलालों की NCB की कुछ काली भेड़ों से इस बातचीत की जानकारी सबूतों के साथ एजेंसियों को भी मिल गयी है. 
यही कारण है कि NCB के DG राकेश अस्थाना दो दिन पूर्व आकस्मिक रूप से अचानक दिल्ली से मुम्बई गए थे और NCB के अफसरों की टीम के साथ लम्बी आपात मीटिंग की थी. मुम्बई में चल रहे NCB के “ऑपरेशन बॉलीवुड” में अगले कुछ दिनों में अन्य राज्यों से तेजतर्रार अधिकारियों की बड़ी टीम भी बुला ली गयी है. 
अतः लुटियनिया मीडिया के कुछ बड़े दलालों की दाल अब NCB की कार्रवाई में नहीं गल पा रही है. इसलिए हाथरस की घटना पर सरासर सफ़ेद झूठ का हुड़दंग और हंगामा कुछ लुटियनिया न्यूजचैनलों और अखबारों पर जमकर किया जा रहा है. ताकि दिल्ली और उत्तरप्रदेश में जातीय दंगे की भयानक आग भड़कवा कर सरकार पर जबर्दस्त दबाव बनाया जाए और उसके ऑपरेशन मुम्बई को किसी तरह से रुकवाया जाए.

ध्यान रहे कि सालाना लगभग 25 हजार करोड़ के धंधे वाले बॉलिवुड के इस धंधे पर जिन मगरमच्छों का क़ब्ज़ा है. उन मगरमच्छों को बचाने के लिए लुटियनिया मीडिया के दलालों ने कितनी मोटी कितनी बड़ी डील की होगी. इसका अनुमान आप आसानी से लगा सकते हो.
ये वीडियो देखें: पीड़िता का बयान
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