यूपी का सियासी पारा चढ़ गया है. पिछले 24 घंटे में लखनऊ से लेकर दिल्ली तक बीजेपी नेताओं के बीच बैठकों का दौर जारी है. यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य दिल्ली पहुंचे और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से शाम को 1 घंटे तक मुलाकात की. जैसे ही बैठक खत्म हुई, जेपी नड्डा ने यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के साथ भी बैठक की.
बुधवार को भूपेंद्र चौधरी ने पीएम मोदी से भी मुलाकात की. मुलाकात करीब एक घंटे चली. लोकसभा चुनाव नतीजे और संगठन के मुद्दे को लेकर चली यह मुलाकात काफी अहम है.
सूत्रों के मुताबिक, यूपी में सीएम को लेकर कोई मंथन नहीं हुआ है. योगी सीएम बने रहेंगे. संगठन में बदलाव की पूरी संभावना है. योगी मंत्रिमंडल में भी थोड़ा बदलाव हो सकता है. फैसला और विचार विमर्श के बाद लिया जाएगा.
आलाकमान संगठानत्मक चुनावों की तैयारी में है.सूत्रों के मुताबिक यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने करीब एक घंटे तक की मुलाकात में पीएम मोदी को संगठन के बारे में जानकारी दी.
यूपी में पार्टी कार्यकर्ताओं को तरजीह मिले, सरकार के बीच उनकी बातें सुनी जाएं, ये प्रमुख मुद्दे यूपी बीजेपी अध्यक्ष की ओर से बताए गए. इसके अलावा उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर जो उपचुनाव होने वाले हैं, इसको लेकर प्रदेश कार्यकर्ताओं को किस तरीके का सहयोग चाहिए, यूपी में पार्टी संगठन में नई जान फूंकने की जरूरत है, यह बात भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की ओर से बताई गई.
इधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को लखनऊ में अपने आवास पर मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ बैठक की जिसमें आगामी विधानसभा उपचुनाव और राज्य के कई हिस्सों में आई बाढ़ जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई.
सूत्रों के अनुसार, बैठक में प्रदेश के सभी कैबिनेट मंत्री और राज्य मंत्री मौजूद थे. बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बताया, ‘बाढ़, विकास कार्यों और आगामी चुनावों पर चर्चा हुई.’ पिछले एक पखवाड़े में राज्य के 17 जिलों के 700 से अधिक गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा, ‘बैठक विशेष रूप से आगामी चुनावों पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गई थी और हम उन सभी 10 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करेंगे जहां उपचुनाव होने हैं.’
क्यों नाराज हैं केशव मौर्य?
2017 में यूपी विधानसभा चुनाव के समय केशव मौर्य भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। BJP को बहुमत मिला, लेकिन योगी आदित्यनाथ CM बने। 2022 के चुनाव में केशव अपनी सीट हार गए। इसके बाद पार्टी में केशव की स्थिति कमजोर मानी गई। अब लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद योगी की स्थिति कमजोर मानी जा रही है। इसके चलते फिर से योगी और केशव के बीच मतभेद की खबरें सामने आ रही हैं। उधर, केशव ने 14 जुलाई को प्रदेश कार्य समिति की बैठक में यह कहकर सियासी हलचल बढ़ा दी कि सरकार से बड़ा संगठन है।