DSP Anuj Chaudhary: जब आजम खान को अनुज चौधरी ने दिया ऐसा करारा जवाब

DSP Anuj Chaudhary: ये किस्सा 2022 का है जब अनुज चौधरी की पोस्टिंग रामपुर में थी. तो अनुज चौधरी ने आजम खान की गाड़ी को रोक लिया था.

तब आजम खान ने उनसे कहा था कि अखिलेश यादव जी का अहसान भूल गए क्या?

“एहसान किस बात का? अर्जुन अवार्ड लिया है, किसी के एहसान पर थोड़े न मिला है अवार्ड, एहसान किस बात का?”

आज़म ख़ान को दो टूक जवाब दिया था अर्जुन अवार्डी और रामपुर के सीओ सिटी अनुज चौधरी ने.

आपको बता दें कि आजम खान को हेट स्पीच में सजा इसी डिप्टी एसपी अनुज चौधरी के जांच और सुबुत जुटाए जाने के आधार पर मिली थी.

बाद में एक बार जब आजम खान जमानत पर रिहा हुए तब एक दिन अनुज चौधरी से अचानक मुलाकात हो गई.

और बड़ी बेशर्मी से आजम खान ने डिप्टी एसपी अनुज चौधरी से कहा कि तुम्हें यह वर्दी अखिलेश यादव की मेहरबानी से मिली है तुम हमारा एहसान भूल गए ?

तब अनुज चौधरी ने आजम खान को हड़काते हुए कहा, “मैं अर्जुन पुरस्कार विजेता हूं, ओलंपियन हूं, कुश्ती में भारत और एशिया चैंपियन रह चुका हूं. किसी का एहसान मुझ पर नहीं है. यह वर्दी मुझे मेरी मेहनत से मिली है.”

ये सुनने के बाद आजम खान चुपचाप वहां से निकल लिए.

जी हां सच्चाई यह है की 1975 से ही उत्तर प्रदेश में एक सरकारी नीति बनी है. यदि कोई उत्तर प्रदेश का व्यक्ति अर्जुन पुरस्कार जीतता है तो उसे सीधे क्लास 2 की नौकरी मिलेगी.

और वह चाहे तो पुलिस में भी जा सकता है या वह एसडीएम या तहसीलदार नियुक्त हो सकता है. और यह कानून पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों का है.

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अब अनुज चौधरी अर्जुन पुरस्कार विजेता उत्तर प्रदेश के सरकारी नियम के अनुसार डिप्टी एसपी बने तो आजम खान कह रहा था कि- अखिलेश यादव की मेहरबानी से तुम पुलिस में भर्ती हुए.

अनुज चौधरी काबिलियत से बने डिप्टी एसपी, किसी की मेहरबानी से नहीं.

उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों में यह नियम है कि अर्जुन पुरस्कार विजेता सरकारी सेवा में शामिल हो सकते हैं, चाहे पुलिस में, एसडीएम के रूप में या तहसीलदार के रूप में.

अनुज चौधरी ने अपनी मेहनत और टैलेंट से अर्जुन अवार्ड जीता, और उत्तर प्रदेश सरकार की नीति के तहत डिप्टी एसपी बने। लेकिन जब आज़म खान ने उन्हें अखिलेश यादव की “मेहरबानी” से भर्ती होने की बात कही, तो अनुज चौधरी ने सख्त लहजे में उसे आईना दिखा दिया।

“मेहनत से अर्जुन पुरस्कार जीतने वाला किसी की मेहरबानी का मोहताज नहीं होता”

यह वही मानसिकता है, जो मेहनत और टैलेंट को भी राजनीति के तराजू में तौलती है. लेकिन सच यही है कि अनुज चौधरी जैसे लोग अपने दम पर आगे बढ़ते हैं, किसी की खैरात पर नहीं.

इन दिनों यूपी के डीएसपी अनुज चौधरी काफी चर्चा में हैं. उनके एक बयान से सियासी तूफान खड़ा हो गया है. अनुज चौधरी वर्तमान में संभल जिले में तैनात हैं. इससे पहले भी वह तब सुर्खियों में आए थे, जब संभल में दंगे हुए थे. इस दौरान उपद्रवियों से हुई झड़प के दौरान उनके पैरों में गोली भी लगी थी. इससे पहले वह तब चर्चा में आए थे, जब उनकी आजम खान से बहस हुई थी. अब वह एक बार फिर से चर्चा में हैं. आइए आपको बताते हैं अनुज चौधरी की कहानी. कैसे एक गांव का लड़का पहलवानी करते-करते नेशनल गेम्स तक पहुंचा और बाद में डीएसपी बन गया.

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अनुज चौधरी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के बहेड़ी गांव के रहने वाले हैं. कभी गांव में पहलवानी करने वाले अनुज ने धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाई और नेशनल गेम्स तक पहुंचे. वर्ष 1997 से वह कई बार नेशनल चैंपियन रहे. इसके बाद उन्हें 2001 में लक्ष्मण अवॉर्ड मिला. यही नहीं, वर्ष 2005 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.

अनुज चौधरी की खेल प्रतिभा को देखते हुए यूपी सरकार ने उन्हें स्पोर्ट्स कोटे के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती कर लिया. इस तरह वह वर्ष 2012 में डिप्टी एसपी बन गए. उत्तर प्रदेश पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, डीएसपी के रूप में उनकी नियुक्ति 31 अक्टूबर 2012 को हुई. इसके कुछ समय बाद, 20 सितंबर 2014 को उन्हें कंफर्म किया गया और 10 अगस्त 2019 को उन्हें प्रमोशन मिला.

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