Kolkata Doctor Rape Case: निर्भया कांड के 12 साल बाद भी कुछ नहीं बदला

Kolkata doctor rape case: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर केस में सीबीआई ने शिकंजा कस दिया है। जांच एजेंसी के अधिकारियों ने बीते गुरुवार को लेडी डॉक्टर के माता-पिता से मुलाकात की। इसके साथ ही सीबीआई ने आरजी मेडिकल कॉलेज के 5 डॉक्टरों को पूछताछ के लिए तलब किया है। वहीं बुधवार की रात हॉस्पिटल में हुई तोड़फोड़ मामले को लेकर 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मेडिकल एसोसिएशन ने लेडी डॉक्टर के साथ ही हुई घटना को देखते हुए शनिवार को पूरे देशभर में हड़ताल का ऐलान किया है।

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के RG Kar Medical College and Hospital में जूनियर डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है।

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के RG Kar Medical College and Hospital में ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद नृशंस हत्या से देश उबल रहा है।

138 साल पुराने इस सरकारी हॉस्पिटल में 8 और 9 अगस्त के बीच की रात में हैवानियत का वो नंगा नाच हुआ कि सुनने वालों की रूह कांप जाए।

31 साल की जूनियर ट्रेनी डॉक्टर निर्भया 2 PG की 2nd Year की स्टूडेंट थी और बहुत जल्द डॉक्टर बनने वाली थी।

गरीब परिवार की इस लड़की के परिवार में केवल माता पिता ही थे, पिता स्कूल के यूनिफॉर्म बेचा करते थे जिससे उनका गुजारा चलता था।

RG Kar Medical College and Hospital में 8 अगस्त को इस जूनियर डॉक्टर की नाईट शिफ्ट लगी हुई थी।

ड्यूटी करने के बाद रात करीब 2 बजे जब मरीजों का बर्डन थोड़ा कम हुआ तब निर्भया 2 ने सोचा कि थोड़ी देर सुस्ता लेती हूँ।

अब तारीख बदल चुकी थी, ये समय था 9 अगस्त के रात के 2 बजे का…

अक्सर ऐसा होता है कि नाईट शिफ्ट में लोग काम न होने पर थोड़ी देर के लिए कमर सीधी कर लेते है, क्योंकि रात का वक़्त ऐसा होता है कि पूरी रात जागना मुमकिन नही होता।

ये सोच कर पहले उस जूनियर डॉक्टर ने रात के 2 बजे अपने 4 अन्य कलीग के साथ मिल कर कैंटीन में खाना खाया फिर उसके बाद वो तीसरी मंजिल पर मौजूद सेमिनार हॉल में 2 से 3 के बीच थोड़ी देर आराम करने चली गयी।

अक्सर डॉक्टर्स या अन्य स्टाफ इस सेमिनार हॉल में ड्यूटी के दौरान थोड़ी देर आराम करने वहां जाते थे, इसके बाद सब अपने अपने काम मे व्यस्त हो गए।

इसे भी पढ़ें  पीएम आवास योजना की किश्त मिलते ही बेवफा हुईं पत्नियां, प्रेमी संग फरार

सब लोग तब तक व्यस्त रहे जब तक 9 अगस्त की सुबह 8.30 बजे तक एक स्टाफ सेमिनार हॉल में नही घुसा।

वहाँ पर उसने जो देखा उसकी हवा खराब हो गयी, वो वहाँ से चीखते हुए बदहवास भागा।

वहां एक गद्दे पर इसी जूनियर की अर्धनग्न लाश पड़ी हुई थी, जिसके ऊपर के कपड़े अस्तव्यस्त और नीचे के भाग पर एक भी कपड़ा मौजूद नही था।

शरीर में ऐसा कोई हिस्सा नही था जिस पर जख्म न हों। आंखों, चेहरे और पूरे शरीर के एक एक हिस्से से खून रिस रहा था।

थोड़ी देर में शिनाख्त हो गयी कि ये PG के दुसरे वर्ष की स्टूडेंट व जूनियर डॉक्टर निर्भया 2 का शव है।

थोड़ी देर में ये बात आग की तरह फैल गयी, जिसने भी उस लड़की का शव देखा पहली ही नजर में अंदाजा लगा लिया कि ये सिर्फ मर्डर ही नही बल्कि बलात्कार का भी मामला है।

RG Kar Medical College and Hospital के सारे जूनियर डॉक्टर्स, नर्स, स्टाफ व बाकी लोग गुस्से में भर गए कि ये कैसी दरिंदगी है, यदि सरकारी अस्पताल में ही डॉक्टर्स सुरक्षित नहीं है तो बाकी कोई और कैसे सुरक्षित होगा।

यहाँ तक भी स्थिति नियंत्रण में थी पर इसके बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गयी जिसके बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा।

शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक विक्टिम की दोनों आंखों से खून रिस रहा था, मुँह से खून बह रहा था, प्राइवेट पार्ट्स से खून रिस रहा था, पेट जख्मी था, बायां पैर टूटा हुआ था, दोनों पैर 90 डिग्री के एंगेल पर खुले हुए थे जो कि बिना हड्डी टूटे इस प्रकार से खुलने मुमकिन नही थे, गर्दन टूटी हुई थी, दाहिना हाथ टूटा हुआ था, रिंग फिंगर टूटी हुई थी, ओंठ जख्मी थे खून रिस रहा था। बदन का शायद ही कोई हिस्सा हो जहाँ दरिंदगी नहीं हुई हो।

कोलकाता रेप केस पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में 5 खुलासे :

1) अबनॉर्मल सेक्सुअलिटी और जेनाइटल टॉर्चर के कारण ट्रेनी डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट्स पर गहरा घाव पाया गया।

2) चिल्लाने से रोकने के लिए नाक-मुंह और गले को लगातार दबाया गया, गला घोंटने से थायराइड कार्टिलेज टूट गया।

इसे भी पढ़ें  GDA Gorakhpur का खेल: 25 साल पुराने हजारों मकानों को कर दिया अवैध घोषित, खौफ में निवासी

3) सिर को दीवार से सटा दिया गया, जिससे चिल्ला न सके, पेट, होंठ, उंगलियों और बाएं पैर पर चोटें पाई गईं।

4) इतनी जोर से हमला किया कि चश्मा के शीशे के टुकड़े उनकी आंखों में घुस गए, दोनों आंखों, मुंह और प्राइवेट पार्ट्स से खून बह रहा था।

5) चेहरे पर आरोपी के नाखूनों से बने खरोंच के निशान मिले, इससे पता चलता है कि पीड़िता ने खुद को बचाने के लिए काफी संघर्ष किया था।

रिपोर्ट में आखिरी में था कि गला घोंट कर उसकी हत्या की गई थी।

आशंका जताई जा रही है कि गैंग रेप हुआ है। ऐसे में अब ये शोर उठने लगा है कि ये अकेले आदमी का काम नही है।

इसके बाद शुरू होता है लीपापोती का खेल। इस कॉलेज के अधिकारियों और तमाम बड़े लोगों ने पहले तो विक्टिम के परिजनों को ये बताया कि आपकी लड़की की तबियत खराब है आप जल्दी आ जाइये।

जब परिजन अस्पताल पहुँचते है तो पहले उनसे कहा जाता है कि उसकी तबियत खराब थी इस वजह से मौत हुई, उसके बाद कहा जाता है कि उसने आत्महत्या की।

3 घण्टे तक माता पिता को अपनी ही बेटी से मिलने नही दिया जाता है और आरोप तो यहाँ तक हैं कि शुरुआत में कोलकाता पुलिस द्वारा इस मामले में समझौता करने का दबाव भी बनाया जाता है।

जिसके बाद लोग भड़क उठे, काम काज ठप हो गया और बात अब CM तक पहुँच चुकी है, कोर्ट ने संज्ञान लिया है। इस केस ने निर्भया की ही तरह सारे देश को हिलाकर रख दिया है।

इस घटना के बाद समूचे बंगाल में हजारों की संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतर आई हैं। एकदम स्वतःस्फूर्त तरीके से। वे ममता बनर्जी को संकेत दे रही हैं कि बस, अब बहुत हो गया। उनका संदेश एकदम स्पष्ट है।

वे न्याय का आह्वान कर रही हैं। वो न्याय जिसमें अभिव्यक्ति और आंदोलन की स्वतंत्रता, कानून के शासन, समानता और बहुत कुछ शामिल है। यह बहुत महत्वपूर्ण है।

यह 2011 से बंगाल में पोरिबोर्तन यानी बदलाव के नाम पर किए गए सभी अत्याचारों का संदर्भ देता है। यह वह बैनर है जिसके तहत ममता ने अपनी प्राथमिकताएं मां, माटी, मानुष – महिला, भूमि और जनता निर्धारित की हैं।

इसे भी पढ़ें  सीतापुर में पैदा हुआ अद्भुत बच्चा, देखें तस्वीर

लोगों की जान बचाने के लिए वह उस रात on call ड्यूटी पर थी, लेकिन वह खुद को दरिंदो से बचाने में नाकाम रही।

उसके पिता ने उसे नग्न अवस्था में फर्श पर पड़ा हुआ पाया, उसकी Pelvic Bone (कूल्हे की हड्डी) टूटी हुई थी, हाथ-पैर विकृत थे और उसकी आंखों में चश्मे के टुकड़े टूटे हुए थे और लगातार खून बह रहा था। उन अंतिम क्षणों में उसकी दुर्दशा अकल्पनीय है।

उसके माता-पिता को अपराध स्थल पर पहुंचने के 3 घंटे बाद तक उसके शव से संपर्क करने से मना कर दिया गया।

प्रिंसिपल ने कहा कि वह मानसिक रोगी थी और सुसाइड कर ली है।उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अगले ही दिन उन्हें एक बड़े मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में नियुक्त किया गया।

सीबीआई को ट्रांसफर होने के बाद अस्पताल में रेनोवेशन का काम शुरू हुआ.

इस बिंदु पर अब यह केवल डॉक्टर का मामला नहीं रह गया है, यह सिर्फ अमानवीय है। हम साल-दर-साल अमानवीयता के निचले स्तरों पर जा रहे है।

मूर्ख वे थे, जिन्हें यह उम्मीद थी कि निर्भया मामले के बाद सुधार होंगे। 12 साल हो गये लेकिन कुछ भी नहीं बदला।

आख़िर कब तक? कब तक चलेगा ये सब? नारी के सम्मान में तो महाभारत और लंका दहन हो जाता था, मोमबत्तियां पकड़ना किसने सिखा दिया?

Leave a Comment

6 + 1 =
Powered by MathCaptcha

error: Content is protected !!
How To Speed Up Laptop? ghar baithe online paise kaise kamaye how to make money online for free