लाहौर मे 1938 मे इस गली मे हवेलियां बनवाने वाले हिन्दूओ को क्या पता था कि 9 वर्ष बाद ही यहां से सब कुछ छोडकर भागना पडेगा ?
अब आर्मेनिया के ईसाई अपने ही घर जला रहे हैं !!
आर्मेनिया ने समझौते में नगोनो कारावाख को मुस्लिम देश अज़रबैजान को देने की डील के बाद नोगोनो करबाख के सारे ईसाई अपना ऑफिस अपना घर खुद ही जलाकर जा रहे हैं
उन्हें 12 घंटे का टाइम दिया गया है लेकिन इन 12 घंटों में वह अपना सब कुछ जला कर यह इलाका छोड़ रहे हैं।
भारत में भी लाहौर पेशावर मुल्तान ढाका गुजरांवाला मीरपुरखास में बड़ी-बड़ी हवेलिया और बड़ी-बड़ी कोठियां रखने वाले हिंदुओं और सिखों को भी रातों-रात अपना सब कुछ छोड़ कर भागना पड़ा था।
यह सब कुछ तब हुआ जब एक खास इलाके में जनसंख्या की डेमोग्राफिक बदल जाती है और जब वह बहुमत में हो जाते हैं और दूसरे धर्म के लोग अल्पसंख्यक हो जाते हैं।
यह नोगोनो करबाख हम सबकी आंखें खोलने वाली हैं कि कहीं आने वाले 15 वर्षो बाद ऐसा नजारा भारत के कुछ इलाकों में भी ना देखने को मिले।
और जो यह कहे कि यह कोरी कल्पना है उनके मुंह पर थूक कर बता दीजिएगा कि नब्बे के दशक में कश्मीर घाटी से जब कश्मीरी हिंदू अपना सब कुछ छोड़ कर आए थे तो क्या वह कोरी कल्पना थी ? भारत सरकार पूरा संविधान पूरी सेना पूरी सरकारी मशीनरी होते हुए भी एक भी कश्मीरी हिंदू को घाटी में सुरक्षा नहीं दे पाई।