सीएम योगी से इस्तीफा मांगने वाले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का भंडाफोड़

महाकुंभ 2025 में हुई भगदड़ की घटना के बाद यूपी के सीएम योगी से इस्तीफा मांगने वाले लंपट बाबा का नाम है स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद. इनको और इनके चेलों को अखिलेश यादव की सपा सरकार में पुलिस ने इतना कूटा था कि इनको बहुत दिनों तक अपनी तशरीफ रखने में भी समस्या हो रही थी। 

1738375922619

सपा सरकार में इनका सेवा सत्कार इतना जोरदार हुआ था कि इनके कई शिष्य परलोक सिधार गये थे और ये स्वयं भी अस्पताल पहुँच गए थे, मगर इन्होंने आज तक अखिलेश यादव से इस्तीफा नहीं मांगा. इस्तीफा मांगना तो दूर अभी महाकुंभ 2025 में ये अखिलेश यादव से हँसते खिलखिलाते हुए बड़ी आत्मीयता से मिले थे जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं. मतलब ये महाशय लाठियां बरसाने वाले पर फूल बरसा रहे हैं और संतों पर फूल बरसाने वाले योगी जी पर आघात कर रहे हैं, उनका इस्तीफा मांग रहे हैं.

1738375927255

आपको बता दें कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मूलतः उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले हैं. बचपन में इनका नाम उमा शंकर पांडे था. ये कांग्रेस की छात्र इकाई राष्ट्रीय छात्र संगठन के न केवल सक्रिय सदस्य रहे बल्कि उसी के बैनर तले वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में छात्र संघ के महामंत्री भी बने.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद आरम्भ में स्थानीय कांग्रेस नेताओं के लिए छोटे मोटे धरना प्रदर्शन का काम किया करते थे, लेकिन राजनीति में जब इनका सिक्का नहीं जम पाया तो फिर यह कांग्रेस के पिट्ठू रहे शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती से दीक्षा लेकर अविमुक्तेश्वरानंद बन गए.

सबसे वयोवृद्ध शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती के अनुसार अपने गुरु की मृत्यु के बाद अविमुक्तेश्वरानंद ने जो उत्तराधिकार पत्री दिखाकर शंकराचार्य का पद हड़पा, उन्होंने इन्हें ऐसा कोई उत्तराधिकार पत्र दिया ही नहीं था.

इसे भी पढ़ें  जीतना ज़रूरी भी नहीं, मज़ा दौड़ पूरी करने में भी है

अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य पद पर नियुक्त करने वाली संस्था काशी विद्वत परिषद ने भी मान्यता नहीं दी और इनके ऊपर सुप्रीम कोर्ट से भी शंकराचार्य के पद का निर्वहन करने पर रोक है. कानूनी रूप से इनका स्वयं को शंकराचार्य कहना सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करने वाला आपराधिक कृत्य है. फिर भी ये स्वयं को शंकराचार्य कहते हैं, जबकि अन्य शंकराचार्यों समेत अधिकांश धर्माचार्य लोग इन्हें न तो इस पद के योग्य मानते हैं और न ही यह शंकराचार्य पद के लिए स्थापित प्रक्रिया से शंकराचार्य बने हैं.

1738425316023

कुछ समय पहले अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा था कि जब तक उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री नहीं बन जाते इनके मन को शांति नहीं मिलेगी. इन्होंने कभी उद्धव ठाकरे से इस्तीफा नहीं मांगा जिनके शासन काल में चार हिंदू संतो और उनके ड्राइवर की पुलिस के सामने पीट-पीटकर नृशंस हत्या कर दी गई थी और संदिग्ध अपराधियों को बचाने का पूरा प्रयास किया गया था. इतना ही नहीं साधुओं की हत्या के 5 दिन बाद तक हत्यारो पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। यदि उस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर नहीं आता तो उद्धव सरकार द्वारा उस घटना को दुर्घटना बता दिया गया था.

अविमुक्तेश्वरानंद स्वयं पूर्ण VVIP व्यवस्था में रहते हैं, यहाँ तक कि जब मंदिर या किसी धार्मिक स्थान पर भी जाते हैं तो इनका चाँदी का सिंहासन साथ जाता है पर VIP व्यवस्था के कारण जब लोगों के साथ कथित भेदभाव होता है तो उससे इनको सरकार पर बहुत ज्यादा गुस्सा भी आता है.

क्या कोई राजनेता किसी शंकराचार्य से यह कह सकता है कि आप ठीक से पूजा पाठ नहीं कर रहे हो इसलिए आप इस्तीफा दे दो ?

इसे भी पढ़ें  जातिवाद कहां है? आरक्षण ने 75 वर्षों में देश को क्या दिया?

अगर नहीं तो किसी शंकराचार्य को भी किसी राजनेता से इस्तीफा मांगने का कोई अधिकार नहीं है, यह काम विपक्ष का है.

धर्म व्यवस्था अपने धर्म विधि के अनुसार चलेगी, राज्य सत्ता अपने राज्य सत्ता के विधान के अनुसार चलेगी.

यदि ये शंकराचार्य महोदय विपक्षियों को खुश करने के लिए राजकाज में हस्तक्षेप करेंगे, विरोधियों के हाथों में खेलेंगे तो परिणाम स्वरूप राजसत्ता को चुनने वाली जनता के बीच इनकी प्रतिष्ठा धूमिल होनी तय है.

ऐसे स्वघोषित शंकराचार्य की वजह से शंकराचार्य जैसे सम्मानित पद की गरिमा खत्म हो रही है. समझ में नहीं आता कोई भी संत या महामंडलेश्वर इनके खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठा रहा.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की सपा सरकार में हुई कुटाई का वीडियो यहां देखें-

https://www.facebook.com/share/r/1CQbndz9bL/?mibextid=rS40aB7S9Ucbxw6v

 

Leave a Comment

error: Content is protected !!