जैसे सबको लगता था कि केस CBI के पास जाने से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा, मुझे भी यही विश्वास था कि इस एक केस की जाँच के क्रम में जलकुंभियों से अटा पड़ा गन्धाता बॉलीवुडी नाला साफ, स्वस्थ हो जाएगा, कला यहाँ पुनः प्रतिस्थापित होगी।
लेकिन जब से विभिन्न स्रोतों द्वारा यह ज्ञात हुआ है कि अन्य कई बड़े नेता अभिनेता के साथ साथ मुख्य रूप से शवसेना राजवंश के राजकुँवर (उनके दुकान के भविष्य) की इस काण्ड में आकण्ठ लिप्तता है, मुझे लगने लगा है यह केस भी वही गति प्राप्त करेगा जो सलमान या संजय दत्त वाले ने पाया था।
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पूरा प्रशासन, वकीलों की फौज जिसमें वे वकील भी हैं (जिनकी प्रति घंटा की फीस दस लाख रुपये है और जिनके बल पर सलमान आज भी दनदनाता खुल्ला घूमता है और स्वयं को देश कानून से 10000 मीटर ऊपर समझता है). 3-3 सत्तासीन राजनीतिक दल, D गैंग, पूरा नशेड़ी नैक्सस और पिछलग्गू मीडिया भी, सभी महाराष्ट्र के 30 वर्षीय भावी शासक को बचाने में लगे हैं। फिर CBI में भी तो होते मनुष्य ही हैं। जब कोई आन और जान पर ले ले तो फिर उसके अधर्म पर चलने की कोई सीमा थोड़ी न रहती है? तो कोई कितना भी कर्मठ सत्यनिष्ठ हो, कितने देर टिकेगा।
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हो सकता है अकाट्य साक्ष्य खोज भी लिए जाएँ तो नाम बेदाग रखने के लिए राजनीतिक दल समझौता कर लें और सत्ता छोड़ कर “सर्फ एक्सेल” खरीद लें। क्योंकि सत्ता का क्या है, बेदाग रहे तो कभी भी सत्ता वापस पा लेंगे।
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अगर सचमुच ही असली अपराधी पकड़ में आते हैं तो न्याय पर से बुरी तरह से डिगा हुआ मेरा विश्वास, पुनः स्थापित होगा। मैं अवश्य चाहूँगी कि ऐसा ही हो। क्योंकि ऐसा न हुआ तो इतने बवाल के बाद भी खरोंच तक न पाए कुकर्मी ऐसी गन्ध मचायेंगे कि कम से कम भले घर के प्रतिभाशाली बच्चों के लिए तो यह कैरियर ऑप्शन नहीं ही बचेगा। बाकी सन्नी लियोनी को लाकर और इंडस्ट्री में स्थापित करने का प्रयास कर इन्होंने तो यह स्पष्ट कर ही दिया है कि बहुत जल्दी ये बॉलीवुड को अभिनय नहीं पॉर्न इंडस्ट्री में बदल देंगे और जो इसके अनुकूल “सबकुछ” करने की क्षमता रखते हों, वही इधर आने टिकने की सोचे।
-रंजना सिंह की फेसबुक वॉल से साभार